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Bihar Road Project: 365 दिनों में 5400 KM सड़क बनाने का टारगेट, नीतीश सरकार ने कर दिया एलान
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में शुक्रवार को राष्ट्रगान को लेकर उत्पन्न गतिरोध, विपक्षी सदस्यों के आसन के सामने शोरशराबे के बीच ग्रामीण कार्य विभाग समेत 11 विभागों का बजट पारित हो गया। सदन को यह भी बताया गया कि 2025-26 में मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत 6 हजार करोड़ की लागत से 2500 बसावटों में तक कुल 5400KM रोड बनाने की तैयारी है।
इससे पहले, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने सदन को बताया कि बिहार में 2005 के पूर्व ग्रामीण संपर्कता की स्थिति अत्यंत भयावह थी। तत्कालीन सरकार ने कोई काम नहीं किया था। इस कारण ही बिहार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार हुआ।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में जहां आठ हजार किलोमीटर (किमी) ग्रामीण सड़कें थी, वर्तमान में एक लाख 17 हजार 913 किमी हो गई है। नीतीश सरकार ने तेजी से ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया। बिहार की सड़कों में 83 प्रतिशत भाग ग्रामीण कार्य विभाग ने बनाया है।
मंत्री ने भोजनावकाश के उपरांत विभागवार बजट पर वार-विवाद के दौरान सदन को सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराया।
सरकार की ओर से उत्तर देते हुए ग्रामीण कार्य मंत्री ने कहा कि अभी ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम के तहत मरम्मत अवधि से बाहर 13 हजार 452 सड़कों जिसकी लंबाई 23 हजार 541 किमी है, इसकी प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। इस मद में 20 हजार 626 करोड़ खर्च होने हैं।
अगले तीन महीने यानी जून तक इन सड़कों को पॉटलेस (गड्ढामुक्त) कर दिया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 तक इसके सरफेस लेयर का काम पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जब पीएम ग्रामीण सड़क योजना लागू हुई तो बिहार में आरईओ उसे लागू करने में अक्षम था। इस कारण पीएमजीएसवाई का क्रियान्वयन केंद्रीय एजेंसियों ने किया। ग्रामीण कार्य विभाग का गठन होने के बाद गांवों में तेजी से सड़कों का निर्माण हुआ।
'7518 KM सड़कों का निर्माण कार्य प्रगति पर...'मंत्री ने कहा कि फरवरी 2025 तक राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 36 हजार 612 करोड़ खर्च कर 64 हजार 345 किलोमीटर सड़क और 946 पुलों का निर्माण किया। पीएमजीएसवाई से 34 हजार 227 करोड़ खर्च कर 53 हजार 568 किलोमीटर सड़क और 1387 पुल बनाए गए, जबकि 17 हजार 346 करोड़ खर्च कर 48 हजार 618 किमी सड़कों का नवीकरण हुआ। अभी 7518 किमी सड़कों का निर्माण कार्य प्रगति में है।
मरम्मत अवधि से बाहर हुई 31 हजार 31 किमी सड़कों का नवीनीकरण हो रहा है। मुख्यमंत्री सेतु योजना के तहत तीन हजार करोड़ से 700 पुलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 14 पुलों की प्रशासनिक स्वीकृति दे दी गई है।
अंत में विपक्ष के विरोध को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने भवन निर्माण, नगर विकास एवं आवास विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग संसदीय कार्य विभाग, विज्ञान प्रावैद्यिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त श्रम संसाधन विभाग के मंत्रियों को सदन के पटल पर रखने का नियमन दिया। इसके साथ ही ध्वनी मत से संबंधित विभागों का बजट पारित हो गया।
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Patna News: बुरे फंसे पटना के 2 फेमस बिल्डर, अब संपत्ति होगी जब्त; 3 अन्य बिल्डरों पर भी कार्रवाई
राज्य ब्यूरो, पटना। Patna News: पटना की दो रियल एस्टेट कंपनी पर शिकंजा कस गया है। भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा), बिहार ने गृहवाटिका होम्स और घर लक्ष्मी बिल्डकान की संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है। रेरा बिहार के आदेश का पालन न करने और पीड़ित आवंटियों को पैसा नहीं लौटने के कारण प्राधिकरण के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश जारी किया है।
प्राधिकरण अब इन जब्त संपत्तियों की नीलामी करेगा और इससे प्राप्त राशि से आवंटियों के पैसे लौटाए जाएंगे। इन दोनों बिल्डरों के विरुद्ध पांच अन्य मामलों में गिरफ्तारी वारंट भी जारी करने का आदेश हुआ है। इसके साथ निबंधन महानिरीक्षक को यह निर्देश दिया गया कि इन दोनों बिल्डरों की कंपनियों और इनके निदेशकों की किसी भी संपत्ति का निबंधन न करने दी जाए।
गृह वाटिका के विरुद्ध यह निर्णय ब्रजकिशोर सिंह की ओर से दायर निष्पादनवाद में लिया गया जबकि घर लक्ष्मी के मामले में माधुरी तिवारी की ओर से निष्पादनवाद दायर किया गया था। रेरा अध्यक्ष के एकल पीठ ने तीन स्वप्रेरित (सु-मोटो) के मामलों में भी आदेश पारित किया है।
एकल पीठ ने संकल्प इंजीकान के विरुद्ध आदेश पारित करते हुए आइजी निबंधन को यह निर्देश दिया कि कंपनी एवं उनके निदेशकों द्वारा किसी भी संपत्ति के निबंधन पर रोक रहेगी।
एकल पीठ ने श्रीया कंस्ट्रक्शन एवं टाइमलेस इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया तथा उन्हें निर्देश दिया की जुर्माने की राशि 60 दिनों के अंदर जमा कर दें। इन तीनों कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने रेरा अधिनियम का उल्लंघन कर बगैर निबंधन कराए परियोजना का प्रचार-प्रसार किया है।
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Bihar: रिटायर्ड IAS अफसर शिवशंकर वर्मा को पटना HC से झटका, CM नीतीश से जुड़ा है मामला
विधि संवाददाता, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को प्रतिवादी बनाने और नोटिस जारी करने की मांग को लेकर दायर याचिका में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शिवशंकर वर्मा (Retired IAS Shiv Shankar Verma) को पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) से कोई राहत नहीं मिली।
न्यायाधीश पीबी. बजनथ्री और न्यायाधीश आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद वर्मा की याचिका को निरस्त कर दिया। हालांकि, हाई कोर्ट ने 50 हजार रुपये के हर्जाने को घटाकर 10 हजार रुपये कर दिया, जिसे मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराने का निर्देश दिया गया है।
शिवशंकर वर्मा के विरुद्ध 2007 में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। उस दौरान उनके आवास से सोने के बिस्किट, सोने की छड़ें और भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। जांच के बाद उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज हुआ और विभागीय जांच के बाद उन्हेंं सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
कैट ने किया था आवेदन निरस्त:बर्खास्तगी के विरुद्ध वर्मा ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की पटना पीठ में याचिका दायर की, जो अभी लंबित है। इसी मामले में उन्होंने एक आवेदन देकर मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाने और नोटिस जारी करने का अनुरोध किया। हालांकि, कैट ने उनके आवेदन को 50 हजार रुपये हर्जाने के साथ निरस्त कर दिया।
वर्मा ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और स्वयं बहस करते हुए कैट के निर्णय को रद करने और मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाने की मांग की।
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'मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनान गलत और निराधार'महाधिवक्ता पीके. शाही ने कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वर्मा को कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत ही सेवा से बर्खास्त किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि मुख्यमंत्री को इस मामले में प्रतिवादी बनाना तथ्यात्मक रूप से गलत और निराधार है।
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता अवधेश कुमार पांडेय ने भी कैट के निर्णय को उचित ठहराते हुए हाई कोर्ट से वर्मा की याचिका निरस्त करने की मांग की। हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाने की मांग को पूरी तरह निराधार माना और वर्मा को कोई राहत नहीं दी।
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'जांच की वजह से नहीं हुआ तबादला', जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट का बयान
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग लगने की घटना के दौरान कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर के बाद सुप्रीम कोर्ट का बयान सामने आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा से संबंधित घटना के बारे में गलत सूचना और अफवाहें फैलाई जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के बयान में कहा गया कि जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में तबादला का प्रस्ताव स्वतंत्र है और इसका कथित नकदी बरामदगी की जांच से कोई लेना-देना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक से पहले ही जांच शुरू कर दी थी। उन्होंने आज ही अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपेंगे।रिपोर्ट की जांच के बाद अदालत आगे की आवश्यक कार्रवाई करेगी।''
गौरतलब है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने का आदेश दिया था।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना कर रहे मामले की जांच
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व में कॉलिजियम द्वारा जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रारंभिक जांच को तत्काल शुरू करने का फैसला मामले की गंभीरता का साफ संकेत है। कॉलेजियम ने प्राथमिक जांच शुरू करने के अलावा जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट इलाहाबाद स्थातंरित करने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम जस्टिस वर्मा के यहां से बरामद नकदी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से भी घटना पर प्राथमिक रिपोर्ट मांगेगा।
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Kisan Credit Card: किसानों को 0% ब्याज पर मिलेगा केसीसी का लाभ, जल्द अंतिम फैसला लेगी नीतीश सरकार
राज्य ब्यूरो, पटना। नए वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य के किसानों को शून्य ब्याज प्रतिशत पर केसीसी (Kisan Credit Card) का लाभ मिलेगा। इसके लिए सहकारिता विभाग की ओर से प्रस्ताव के मसौदा को अंतिम रूप दिया गया है और इस पर जल्द ही सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।
इससे संबंधित प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मंजूरी भी ली जाएगी। सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले समय में पैक्सों के सामने जो भी चुनौतियां है, उसे व्यापार मंडल के सामने समाधान करेंगे। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ शून्य ब्याज पर देने का फैसला जल्द लिया जाएगा।
सिंचाई की 1307 योजनाएं पूरी, 5.80 लाख हेक्टयर तक पहुंच रहा पानी'हर खेत तक सिंचाई का पानी' कार्यक्रम के अंतर्गत संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण के माध्यम से जल संसाधन विभाग को 604 योजनाओं के कार्यान्वयन के जरिए लगभग 1.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य दिया गया था।
इसके विरुद्ध अब तक 597 योजनाओं को पूरा कर 1.18 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। शेष योजनाओं का कार्यान्वयन प्रगति पर है।
इन योजनाओं के अतिरिक्त 774 अन्य योजनाएं भी चयनित थीं। उनसे लगभग 5.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया। उनमें से अब तक 710 योजनाओं को पूर्ण कर 4.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। शेष योजनाओं का कार्यान्वयन प्रगति पर है।
इस तरह हर खेत तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग द्वारा अब तक कुल 1307 योजनाओं का कार्यान्वयन कर 5.80 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।
सहरसा को जलजमाव से मिलेगी निजात, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज योजना स्वीकृतदूसरी ओर, नगर विकास एवं आवास विभाग ने सहरसा नगर निगम क्षेत्र में जल-जमाव की समस्या से निपटने के लिए करीब 138 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सहरसा स्टार्म वाटर ड्रेनेज योजना को स्वीकृति प्रदान की है। विभाग ने तत्काल दस करोड़ रुपये सहायक अनुदान के रूप में वित्त वर्ष 2024-25 में खर्च की स्वीकृति भी दे दी है।
योजना का कार्यान्वयन ई-टेंडरिंग के माध्यम से निविदा आमंत्रित कर बुडको द्वारा कराया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान सहरसा नगर निगम क्षेत्र में जल-जमाव की समस्या के समाधान के लिए स्टार्म वाटर ड्रेनेज योजना की घोषणा की गई थी।
विभागीय मंत्री जिवेश कुमार ने कहा कि सहरसा शहर के पुराने नाले जर्जर हो चुके हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए तत्काल दस करोड़ रुपये सहायक अनुदान के रूप में व्यय करने की स्वीकृति दी जा रही है। सात निश्चय योजना पार्ट-2 के अन्तर्गत शहरों मे जमे बारिश के गंदे पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने विस्तृत योजना तैयार की है और इसे जनीन पर उतारने के लिए राशि स्वीकृत की जा रही है।
पीएमआरसीएल ने आईएएस अधिकारियों के लिए आयोजित किया इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रमपटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशनल लिमिटेड (पीएमआरसीएल) ने मसूरी से आए भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों के लिए एक विशेष इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पदाधिकारियों को मेट्रो रेल परियोजना की कार्यप्रणाली, सुरक्षा मानकों, भू कंपन, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन और नवीनतम तकनीकों की जानकारी प्रदान करना था।
पीएमआरसीएल के महाप्रबंधक (संपत्ति विकास) विकाश रंजन ने मेट्रो परिचालन और प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर गहन प्रशिक्षण दिया। भारतीय प्रशासनिक सेवा के कुल 19 पदाधिकारियों को पटना मेट्रो के निर्माणाधीन मोइनुल हक मेट्रो स्टेशन का परिभ्रमण भी कराया गया।
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'राजनीति से प्रेरित है रुपये के प्रतीक और परिसीमन का मुद्दा', मणिपुर हिंसा पर RSS ने क्या कहा?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रुपये के प्रतीक चिह्न को तमिल भाषा में बदलने और परिसीमन को लेकर छिड़े विवाद को आरएसएस ने राजनीति से प्रेरित करार दिया है। बेंगलुरू में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक से पहले आरएसएस के सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने मणिपुर में स्थायी शांति लौटने की उम्मीद जताई, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच की खाई पाटने में लंबा समय लग सकता है।
इन मुद्दों पर होगी चर्चाउन्होंने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए मोदी और योगी दोनों सरकारों की तारीफ की। सर संघचालक मोहन भागवत ने तीन दिवसीय बैठक का उद्घाटन किया। मुंकद के अनुसार आरएसएस के 32 आनुसंगिक संगठनों के प्रमुखों के साथ 1400 से अधिक प्रतिनिधियों की बैठक में देश के सामने मौजूद सभी ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इनमें हिंदी विरोध और परिसीमन के नाम पर उत्तर और दक्षिण भारत को बांटने की कोशिश से लेकर मणिपुर में जारी हिंसा शामिल है।
आरएसएस हमेशा मातृभाषा में पढ़ाई के पक्ष मेंमुकुंद ने कहा कि रुपये का प्रतीक चिन्ह बदलना और परिसीमन का मुद्दा राजनीतिक से प्रेरित है, क्योंकि गृहमंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि परिसीमन में दक्षिण भारत की एक भी सीट नहीं घटेगी। सीटें बढ़ने की स्थिति में उत्तर भारतीय राज्यों के समानुपात में बढ़ेगी।
डीएमके के हिंदी विरोध पर मुकुंद ने साफ किया कि आरएसएस हमेशा मातृभाषा में पढ़ाई और कामकाज की बात करता है। इसके अलावा जहां आप रहते हैं उस क्षेत्र की भाषा और कैरियर के लिए स्वेच्छा से कोई भी भाषा चुनने की छूट होनी चाहिए।
मणिपुर में हालात सामान्य बनाने का प्रयासउन्होंने देश में बंटवारे की कोशिशों पर चिंता जताई। मणिपुर हिंसा से जुड़े सवाल पर मुकुंद ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक 20 से महीने मैतेयी और कुकी दोनों इलाकों में राहत सहायता का काम कर रहे हैं। आरएसएस की पहल से दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों की बैठकें भी हुई हैं। राष्ट्रपति शासन लगाने के साथ ही केंद्र सरकार भी हालात को सामान्य बनाने और दोनों समुदायों में आपसी भरोसा कायम करने का प्रयास कर रही है।
ताजा हालात मणिपुर में शांति की उम्मीद जगाते हैं, लेकिन इसमें समय लगेगा। मुकुंद के अनुसार बैठक में सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की ओर से पिछले साल की प्रमुख गतिविधियों का ब्योरा पेश किया गया। इसमें महाकुंभ भी शामिल है। मुकंद ने आरएसएस पिछले साल की तुलना में संघ की शाखाओं के विस्तार, स्वयंसेवकों की संख्या में बढ़ोतरी, युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता और ग्रामीण इलाकों में गतिविधियों के विस्तार के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
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पावर ग्रिड कारपोरेशन के वरिष्ठ जीएम और केईसी कंपनी का अधिकारी गिरफ्तार, रिश्वत लेन-देन में CBI का एक्शन
पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीआई ने पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ जीएम उदय कुमार को कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए मुंबई स्थित केईसी इंटरनेशनल के एक कार्यकारी से 2.4 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया।
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि राजस्थान के अजमेर में तैनात उदय कुमार को बुधवार देर रात सीकर में केईसी इंटरनेशनल के सुमन सिंह के साथ गिरफ्तार किया गया। यहां वे रिश्वत की रकम के कथित आदान-प्रदान के लिए मिलने पर सहमत हुए थे।
गुरुवार तड़के गिरफ्तार किया गयानिजी कंपनी को दिए पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) के ठेकों से संबंधित बिलों को प्रोसेस और पास करने में अनुचित लाभ देने के लिए कथित तौर पर रिश्वत दी गई। सीबीआई ने परिसर पर छापा मारकर दोनों को रंगे हाथ पकड़ा। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद गुरुवार तड़के उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
एफआईआर में केईसी इंटरनेशनल और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों सहित पांच व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया है। उदय कुमार और सुमन सिंह के अलावा सीबीआई ने केईसी इंटरनेशनल के उपाध्यक्ष और उत्तर भारत में ट्रांसमिशन और वितरण के प्रमुख जबराज सिंह को भी आरोपित के रूप में नामित किया है।
कंपनी ने कोई टिप्पणी नहीं कीएफआईआर में जयपुर में केईसी इंटरनेशनल के वित्त और लेखा के वरिष्ठ प्रबंधक अतुल अग्रवाल और कंपनी के कर्मचारी आशुतोष कुमार को भी आरोपित बनाया गया है। कंपनी की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
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नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, नगर निकायों के प्रशासनिक अधिकार में हस्तक्षेप पर रोक बरकरार
विधि संवाददाता, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों के दैनिक कार्यों में राज्य सरकार (Bihar Government) के हस्तक्षेप नहीं करने के संबंध में पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार की अपील पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
यह मामला डॉ. आशीष कुमार सिन्हा बनाम बिहार सरकार से जुड़ा है, जिसमें पटना हाई कोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा था कि कैडर की स्वायत्तता किसी भी संगठन की स्वायत्तता के लिए अनिवार्य है और राज्य सरकार को नगर निकायों के प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
तुषार मेहता ने की बिहार सरकार की पैरवीसुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की ओर से भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। डॉ. आशीष की ओर से वरीय अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू, अधिवक्ता नितीश रंजन (एओआर) और अधिवक्ता मयूरी ने पक्ष रखा।
राज्य सरकार ने दलील दी कि नगर निकायों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भारी संख्या में रिक्तियां हैं, जिससे उनके कामकाज पर असर पड़ रहा है। सरकार ने हाई कोर्ट के निर्णय पर स्थगनादेश देने की मांग की थी।
'राज्य सरकार केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं रहना चाहती...'डॉ. आशीष की ओर से दाखिल हलफनामे में यह बताया गया कि राज्य सरकार केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि वह नगर निकायों के कर्मचारियों के तबादले, पदस्थापन और अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार भी अपने हाथ में लेना चाहती है। यह संविधान और संबंधित अधिनियम की भावना के विरुद्ध है।
पटना HC के अंतिरम निर्णय पर रोक लगाने से इनकारसुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च, 2025 को दिए गए आदेश में राज्य सरकार की याचिका को निरस्त कर दिया और हाई कोर्ट के निर्णय पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया ।
न्यायालय को यह भी बताया गया कि पटना नगर निगम के उप महापौर के लिपिक का स्थानांतरण कमिश्नर द्वारा कर दिया गया, जो इस बात का संकेत है कि अगर निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधीनस्थ कर्मचारी उनके प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं होंगे, तो वे निगम के कार्यों को प्रभावी ढंग से कैसे संचालित कर पाएंगे?
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