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भारत की ताकत के आगे झुके पाकिस्तान-श्रीलंका, त्रिंकोमली में होने नौसैनिक अभ्यास को किया रद

Dainik Jagran - National - April 19, 2025 - 2:09am

 पीटीआई, नई दिल्ली। त्रिंकोमली के सामरिक जलक्षेत्र में पाकिस्तान और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच सैन्य अभ्यास की योजना को भारत की आपत्ति के बाद रद कर दिया गया है। नई दिल्ली ने प्रस्तावित नौसैनिक अभ्यास के संबंध में कोलंबो को अपनी चिंताएं बताई थीं।

श्रीलंका- पाकिस्तान की नौसेनाओं ने यहां पर सैन्य अभ्यास करने की योजना बनाई थी

गौरतलब है कि श्रीलंका के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित त्रिंकोमली को हिंद महासागर क्षेत्र में, विशेष रूप से भारत के समुद्री सुरक्षा हितों के लिए महत्वपूर्ण है। सूत्रों ने बताया कि श्रीलंका- पाकिस्तान की नौसेनाओं ने त्रिंकोमली तट पर सैन्य अभ्यास करने की योजना बनाई थी।

भारत द्वारा श्रीलंका को इस अभ्यास पर अपनी आशंकाओं से अवगत कराने के बाद यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। संयुक्त अभ्यास की योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोलंबो यात्रा से कुछ सप्ताह पहले बनाई गई थी। इस बारे में श्रीलंका या पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

त्रिंकोमली दुनिया के सबसे बेहतरीन प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत त्रिंकोमाली के ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास में श्रीलंका को सहायता दे रहा है। त्रिंकोमली दुनिया के सबसे बेहतरीन प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक है।

इस माह पीएम मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान, भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने त्रिंकोमली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य श्रीलंका को ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने और उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करना है।

भारत और श्रीलंका ने सैन्य सहयोग के लिए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। श्रीलंका पर चीन के प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों से उत्पन्न चिंताओं के बीच भारत, श्रीलंका के साथ अपने समग्र सामरिक संबंधों को मजबूत कर रहा है।

चीनी युद्धपोत के आने पर भी नई दिल्ली ने चिंता जताई

तीन वर्ष पहले भारत ने श्रीलंका को डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान सौंपा था। अगस्त 2022 में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज युआन वांग के आने से भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया है। अगस्त 2023 में कोलंबो बंदरगाह पर एक अन्य चीनी युद्धपोत के आने पर भी नई दिल्ली ने चिंता जताई थी।

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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अब छलांग लगाने का समय, जनरल पांडे ने अग्निपथ योजना के बारे में कही ये बात

Dainik Jagran - National - April 19, 2025 - 2:02am

 पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि आधुनिकीकरण के लिए तेज गति से काम करने की जरूरत होती है, जबकि स्वदेशीकरण में समय लगेगा। अत: इस विरोधाभास के बीच संतुलन बैठाना अहम है।

जनरल पांडे ने इस बात पर भी जोर दिया कि रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब धीरे-धीरे कदम उठाने के बजाय छलांग लगाने का समय आ गया है।

अग्निपथ योजना के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधार

मानेकशॉ सेंटर में आयोजित ''द वीक डिफेंस कान्क्लेव'' में अपने विशेष संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि सेनाओं में अग्निपथ योजना के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधार लागू किया गया है। इसे बनाने, नियोजन और क्रियान्वयन में व्यापक अंतर-मंत्रालयी और अंतर-विभागीय परामर्श तथा अत्यंत जटिल प्रकृति के समन्वय की आवश्यकता थी।

आगे बोले कि मेरा मानना है कि इस योजना को और अधिक सुदृढ़ और परिष्कृत बनाने के लिए यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों और परिवर्तन के बीच मुख्य अंतर को भी स्पष्ट किया।

मौजूदा और भविष्य के सुधारों को गति देने के लिए सरकार ने 2025 को रक्षा मंत्रालय में 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है। इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों को एकीकृत संचालन में सक्षम तकनीकी रूप से उन्नत सेना में बदलना है।

जनरल पांडे ने आधुनिकीकरण को लेकर कही ये बात

अपने संबोधन में जनरल पांडे ने आधुनिकीकरण की दिशा में काम करते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के पहलू पर भी प्रकाश डाला।

जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं

उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण के लिए गति की आवश्यकता होती है और यह समय की मांग है, लेकिन स्वदेशीकरण में समय लगेगा। मेरी राय में इस विरोधाभास में संतुलन बैठाना महत्वपूर्ण है। जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं। वह जून 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे।

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पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की राष्ट्रपति से शिकायत, एक मामले में अतिसक्रियता दिखाने का आरोप

Dainik Jagran - National - April 18, 2025 - 11:30pm

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ राष्ट्रपति को एक शिकायत भेजकर सीबीआइ जांच की मांग गई है। शिकायतकर्ता पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज राकेश कुमार का आरोप है कि कथित तौर पर पूर्व सीजेआइ चंद्रचूड़ ने एक मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में अतिसक्रियता दिखाई थी।

अवकाश वाले दिन भी अर्जेंट मामलों की सुनवाई हुई

हालांकि ज्ञात हो कि किसी भी मामले को कब और किस पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगाया जाएगा यह तय करने का अधिकार चीफ जस्टिस को ही होता है। चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होता है और किसी भी मामले की सुनवाई की अर्जेंसी को देखते हुए वह पीठ गठित करते हैं और कई बार अवकाश वाले दिन भी अर्जेंट मामलों की सुनवाई हुई है।

जस्टिस राकेश कुमार ने आठ नवंबर 2024 को राष्ट्रपति को शिकायती पत्र भेजा था। जबकि जस्टिस चंद्रचूड़, सीजेआइ के पद से 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे। जस्टिस कुमार ने जागरण से खास बातचीत में राष्ट्रपति को शिकायत भेजने और मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की पुष्टि की है।

2019 में हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में फैसला दिया था

जस्टिस राकेश कुमार वही हैं जिन्होंने पटना हाई कोर्ट के जज रहते हुए अगस्त 2019 में हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में फैसला दिया था। उस फैसले के बाद काफी विवाद हुआ था और दो महीने बाद उनका तबादला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट कर दिया गया था।

जस्टिस राकेश ने पत्र में आरोप लगाया है कि पूर्व सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कथित तौर पर एक जुलाई 2023 को फर्जी दस्तावेज सृजित कर किसी को दोषी ठहराने का प्रयास करने की आरोपित अभियुक्त तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए एक ही दिन में दो बार विशेष पीठ गठित की थी।

शिकायत में कही गई है ये बात

शिकायत में कहा गया है कि एक जुलाई 2023 को छुट्टी थी। गर्मियों की छुट्टियों के बाद सोमवार 3 जुलाई 2023 को नियमित रूप से सुप्रीम कोर्ट खुलना था। आरोप है कि छुट्टी के दिन एक जुलाई को तत्कालीन सीजेआइ चंद्रचूड़ ने पहले दिन में सीतलवाड़ की जमानत पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ गठित की।

उस पीठ ने सुनवाई की लेकिन पीठ सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर एकमत नहीं हुई और उसने मामला बड़ी पीठ को भेज दिया। विशेष पीठ ने आदेश दिया कि केस सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए ताकि वे सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन करें।

अभियुक्त को अंतरिम राहत दी

विशेष पीठ ने रजिस्ट्रार ज्युडिशियल कोतत्काल मामला सीजेआइ के सामने पेश करने का आदेश दिया था। यह पहला आदेश होने के बाद उसी दिन शाम को सीजेआइ ने मामले की सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन कर दिया। गठित की गई बड़ी पीठ ने उसी दिन सुनवाई की और अभियुक्त को अंतरिम राहत दी।

राष्ट्रपति को भेजा गया यह पत्र कानून मंत्रालय पहुंचा था

हालांकि जस्टिस कुमार ने पत्र में कहा है कि वह विशेष पीठ द्वारा विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर दिए गए आदेश पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं। उनका सवाल सिर्फ विशेष पीठ गठित करने में अतिसक्रियता दिखाए जाने के संबंध में है। राष्ट्रपति को भेजा गया यह पत्र कानून मंत्रालय पहुंचा था और अब बताया जा रहा है कि वहां से पत्र उचित कार्रवाई के लिए आगे भेजा गया है।

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बने मांगी लाल जाट, केंद्र ने जारी की अधिसूचना

Dainik Jagran - National - April 18, 2025 - 11:30pm

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि विज्ञानी एवं वर्तमान में इक्रीसेट में डीडीजी (रिसर्च) डॉ. मांगी लाल जाट को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) का महानिदेशक एवं कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेअर) का सचिव नियुक्त किया गया है।

कृषि विज्ञानी के रूप में जाट का लंबा अनुभव

कृषि विज्ञानी के रूप में जाट का लंबा अनुभव है। नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट में उन्होंने ग्लोबल लीडर के रूप में पहचान बनाई है। आइसीएआर में वह हिमांशु पाठक की जगह लेंगे, जिन्हें हाल में ही अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान का महानिदेशक नियुक्त किया गया है।

केंद्र ने शुक्रवार को डॉ. जाट की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है। उनकी नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने के बाद तीन वर्ष के लिए प्रभावी होगी। सात मार्च को हुए साक्षात्कार में पांच विज्ञानियों ने भाग लिया था।

मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं डॉ. जाट

मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले डॉ. जाट का चयन कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बनी विज्ञानियों की एक समिति ने किया है। इसके पहले वह हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्राप रिसर्च इंस्टीट्यूट फार द सेमी एरिड ट्रापिक्स (इक्रीसेट) में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर कार्यरत थे।

आइसीएआर में लगभग 14 वर्षों तक काम कर चुके हैं

यह अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो शुष्क भूमि कृषि और कृषि खाद्य प्रणालियों में सुधार के लिए काम करता है। इसके पहले आइसीएआर में लगभग 14 वर्षों तक काम कर चुके हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र और धान अनुसंधान संस्थान में भी लंबे समय तक काम किया है।

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DGCA: कैसे हुई एअर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट की मौत? डीजीसीए ने दिए जांच के आदेश

Dainik Jagran - National - April 18, 2025 - 11:30pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने एअर इंडिया एक्सप्रेस के एक पायलट की अचानक मौत के मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

पायलट की नौ अप्रैल को श्रीनगर से उड़ान भरने के तुरंत बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर मौत हो गई थी। डीजीसीए के अनुसार, जांच टीम को अंतिम रिपोर्ट छह महीने के अंदर जमा करनी होगी।

मौत किन परिस्थितियों में हुई, होगी जांच

इस जांच में यह देखा जाएगा कि मौत किन परिस्थितियों में हुई, पायलट की पुरानी मेडिकल रिपोर्ट कैसी थी और ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जो नियम हैं, क्या वे ठीक हैं या बदलाव की जरूरत है।

मृत पायलट की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेगी

17 अप्रैल को जारी डीजीसीए के आदेश के अनुसार, जांच टीम न सिर्फ मृत पायलट की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेगी, बल्कि यह भी देखेगी कि क्या ऐसे पायलटों की ड्यूटी लगाते समय सावधानी बरती गई थी, जिन्हें मेडिकल कारणों से उड़ान भरने की पाबंदी थी।

इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या ऐसे पायलटों के लिए कोई विशेष मेडिकल जांच जरूरी है, जो उड़ान से पहले कराई जानी चाहिए। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि जब पायलट ने अस्वस्थ महसूस होने की बात कही, तो क्या बाकी क्रू मेंबर्स ने सही समय पर कार्रवाई की या नहीं।

हर चीज की बारीकी से होगी जांच

डीजीसीए के अनुसार, जांच में यह भी देखा जाएगा कि अस्वस्थ पायलट को हवाई अड्डे के स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में कितना समय लगा। साथ ही, टीम यह भी जांचेगी कि एयरपोर्ट का स्वास्थ्य केंद्र ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए कितना तैयार था।

मौजूदा नियमों और दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाएगी

मौजूदा नियमों और दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाएगी और जरूरत हो तो बदलाव के सुझाव भी दिए जाएंगे। इस जांच के लिए एयर सेफ्टी के उप निदेशक विशाल यादव को प्रमुख जांच अधिकारी बनाया गया है और ग्रुप कैप्टन मुर्तजा एक विशेषज्ञ के रूप में जांच में शामिल होंगे।

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Rain Alert: अगले कुछ घंटों में बदलने वाला है मौसम, दिल्ली-NCR समेत इन जगहों पर भारी बारिश के साथ पड़ेंगे ओले

Dainik Jagran - National - April 18, 2025 - 11:16pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली समेत आस पास के क्षेत्रों में शुक्रवार दिन में जहां भीषण गर्मी देखने को मिली। वहीं, शाम के समय झमाझम बारिश के कारण तापमान में अचानक कमी देखने को मिली, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली।

इस बीच मौसम विभाग ने ताजा पूर्वानुमान जारी किया है। ताजा अलर्ट के अनुसार, आने वाले तीन घंटों के भीतर दिल्ली एनसीआर समेत आसपास के कई जिलों में भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना है।

कहां-कहां बारिश का अनुमान?

अगले तीन घंटों में अमरोहा, बागपत, बिजनौर, बुलंदशहर, जी.बी.नगर, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर जिलों और आसपास के इलाकों में अलग-अलग स्थानों पर गरज के साथ बारिश और ओलावृष्टि होने की संभावना है।

दिल्ली में झमाझम बारिश

राजधानी दिल्ली में शुक्रवार शाम अचानक मौसम बदल गया। देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। बारिश के कारण तापमान में काफी कमी देखने को मिली है। जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। इससे पहले शुक्रवार दिन में तीखी धूप खिली रही। तापमान भी अधिक रहा, जिससे सड़कों पर निकलने से पहले लोगों को सोचना पड़ा।

यूपी के कई जिलों में आंधी-तूफान का अलर्ट

बता दें कि भारतीय मौसम विभाग ने बताया है कि शनिवार को उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में आंधी-पानी और वज्रपात का प्रकोप देखने को मिल सकता है। IMD के अनुसार, नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण शुक्रवार रात और शनिवार को कई जिलों में गरज-चमक से साथ बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मेघ गर्जन के साथ वज्रपात का अलर्ट जारी किया गया है।

राजस्थान में हीट वेव का अलर्ट

गौरतलब है कि भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने प्रारंभिक पूर्वानुमान में अप्रैल के पहले हफ्ते से ही देश के कई हिस्सों में हीट वेव (लू) की चेतावनी जारी की थी। हालांकि, राजस्थान एवं गुजरात के कुछ हिस्से में ऐसा देखा भी गया, लेकिन पहाड़ों पर हिमपात ने शुक्रवार से फिर मौसम को पलट दिया।

उत्तर-पश्चिम भारत में आंधी-तूफान का अलर्ट

मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान में देश के पश्चिमी हिस्से को 20 अप्रैल तक लू से मुक्ति मिलने की संभावना नहीं है। हिमालयी क्षेत्र एवं उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी क्षेत्रों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा, गरज के साथ तूफान, बिजली चमकने एवं तेज हवाएं चलने की संभावना है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद एवं हिमाचल प्रदेश में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है।

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Patna High Court: दहेज हत्या मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट की याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने CBI को सौंपा मामला

Dainik Jagran - April 18, 2025 - 11:16pm

जागरण संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से रोहतास जिला के निलंबित न्यायिक पदाधिकारी प्रतीक शैल की याचिका को खारिज करते हुए न केवल प्राथमिकी को बरकरार रखा, बल्कि पूरे प्रकरण की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने का आदेश भी दिया।

यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ ने प्रतीक शैल की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी की मृत्यु के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी (आलमगंज थाना कांड संख्या 747/2023) को निरस्त करने की मांग की थी, जिसमें दहेज हत्या (आईपीसी 304B) का आरोप था।

कोर्ट ने इस प्रकरण की तकनीकी प्रकृति, चिकित्सीय दस्तावेज़ों के आधार तथा राज्य पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 498A एवं दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं 3 और 4 सम्मिलित न करने की चूक को देखते हुए, मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया।

कोर्ट ने अन्वेषण अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह मामले की केस डायरी, जब्त की गई वस्तुएं और दस्तावेजों को दिनांक 19 अप्रैल 2025 तक सीबीआई के संबंधित प्राधिकारी को सौंप दे।

साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया कि वह आदेश की तिथि से तीन दिनों के भीतर पटना के एसीजेएम-6 के समक्ष आत्मसमर्पण करें। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उनके विरुद्ध जारी गैर-जमानती वारंट निष्पादित किया जाएगा।

कोर्ट ने सीबीआई को अनुमति दी है कि वह आलमगंज थाना कांड संख्या 747/2023 के संदर्भ में भारतीय दंड संहिता की धारा 304A या वैकल्पिक रूप से धारा 304 भाग-II के साथ धारा 498A तथा दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं 3 और 4 याचिकाकर्ता और अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध जोड़े।

याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की पत्नी की मृत्यु पेट की टीबी से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट और अस्पताल द्वारा जारी की गई चिकित्सा का सारांश प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि मृत्यु के पीछे याचिकाकर्ता का कोई हाथ नहीं था।

मृतक चंदनी चंद्रा के पिता अशोक कुमार की ओर से वरीय अधिवक्ता चितरंजन सिन्हा ने दलील दी कि विवाह के बाद से याचिकाकर्ता की बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि पहले से 30 लाख रुपये नकद, कार, आभूषण और अन्य उपहार दिए गए, परंतु ससुराल पक्ष द्वारा 20 लाख रुपये और मांगते हुए उत्पीड़न किया गया।

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