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Bihar Weather Today: आज से बिहार में मौसम लेगा करवट, 13 जिलों को नहीं मिलेगी राहत; अलर्ट जारी

Dainik Jagran - 15 hours 45 min ago

जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Weather News: राजधानी समेत प्रदेश के मौसम का अलग मिजाज बना हुआ है। सोमवार की देर रात राजधानी में मेघ गर्जन के साथ छिटपुट वर्षा से मौसम सामान्य हुआ, जबकि मंगलवार को पुरवा के कारण नमी में वृद्धि होने से उमस भरी गर्मी से लोग परेशान रहे।

13 जिलों में बारिश की संभावना नहीं

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान पटना सहित 13 जिलों में गर्म व आर्द्र दिन रहेगा।

27 जिलों में एक या दो जगहों पर बारिश की संभावना

पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, मधेपुरा, सुपौल, सहरसा, खगड़िया, बेगूसराय, सीतामढ़ी और मधुबनी के

कुछ स्थानों पर मेघ गर्जन के साथ तेज बारिश के आसार हैं। जबकि दक्षिण-मध्य, दक्षिण-पश्चिम भागों के एक या दो स्थानों पर मेघ गर्जन, वज्रपात और 30-40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवा चलने को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।

प्रदेश के कुछ भागों में गर्म व आर्द्र दिन जबकि शेष जिलों में मेघ गर्जन, वज्रपात के साथ वर्षा की बनी रहेगी। अगले सात दिनों कुछ इसी प्रकार की स्थिति बने रहने के आसार है।

बीते 24 घंटे में कैसा रहा मौसम

बीते 24 घंटों के दौरान पटना सहित अधिसंख्य भागों में वर्षा दर्ज की गई। मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में 59 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

बीते 24 घंटों के दौरान पटना सहित 11 जिलों के अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। पटना के अधिकतम तापमान में 1.3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के साथ 37.7 डिग्री सेल्सियस एवं 42.0 डिग्री सेल्सियस के साथ डेहरी में प्रदेश का सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। शेष जिलों के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई।

बिहार की राजधानी पटना समेत अपने जिले के मौसम का हाल जानने के लिए यहां क्लिक करें।

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Pink Bus: पटना में चलने वाली पहली पिंक बस का रूट तय, महिलाओं-छात्राओं के लिए पास का रेट अलग-अलग; पढ़ें डिटेल

Dainik Jagran - 16 hours 50 min ago

राज्य ब्यूरो, पटना। राजधानी में अगले माह जून से सड़कों पर महिलाओं के लिए विशेष पिंक बसें दौड़ने लगेंगी। पटना में इन बसों के परिचालन का रूट भी निर्धारित कर लिया गया है।

पहली पिंक बस गांधी मैदान से दानापुर स्टेशन तक के लिए चलेगी। इसके अलावा गांधी मैदान से पटना एम्स, पटना साहिब, कुर्जी आदि रूट पर भी बसों का परिचालन किया जाएगा।

बस का परिचालन शुरुआत में हर दिन सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक गांधी मैदान से होगा। इन बसों का संचालन सीएनजी से होगा।

परिवहन विभाग के अनुसार, पिंक बस में सफर करने के लिए किफायती दर पर मासिक पास बनेगा। इसके लिए छात्राओं से 400 रुपये और कामकाजी महिलाओं से 550 रुपये शुल्क लिया जाएगा। रोजाना सफर करने वाली महिलाओं का टिकट शुल्क छह से लेकर 25 रुपये तक होगा।

परिवहन मंत्री शीला कुमारी ने बताया कि बसों में उन सभी सुविधाओं को जोड़ा गया है, जिससे महिलाओं को सफर में सहूलियत होगी।

बस का किराया भी बेहद कम है, ताकि सुविधाजनक सफर छात्राओं से लेकर रोजाना काम पर जाने वाली महिलाओं तक को मिले।

भागलपुर, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर में भी चलेंगी पिंक बसें

पहले चरण में परिचालन के लिए अब तक 20 पिंक बसें आ चुकी हैं, जिनमें जून से पटना में 10 बसें चलेंगी। इसके एनओसी, रजिस्ट्रेशन एवं परमिट का काम जल्द पूरा हो जाएगा।

आने वाले दिनों में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) की देखरेख में भागलपुर, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर में भी पिंक बस सेवा शुरू करने की योजना है।

राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में प्रदेश के मुख्य शहरों में महिलाओं और छात्राओं के लिए सुरक्षित एवं सुविधाजनक परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पिंक बस योजना लागू की है।

इस योजना के तहत 25 सीटों वाले पिंक बस में सीसीटीवी कैमरे के साथ पैनिक बटन, चार्जिंग प्वाइंट और माइक की भी सुविधा दी गयी है। ड्राइवर के हाथ में ही सारे फीचर कंट्रोल की सुविधा होगी।

पटना में पिंक बस की होगी यह रूट

गांधी मैदान-मगध महिला कॉलेज-पटना महिला कॉलेज-जेडी वीमेंस कॉलेज-आइजीआइएमएस-सगुना मोड़-दानापुर स्टेशन।

गांधी मैदान-मगध महिला कॉलेज-पटना जंक्शन-पुराना सचिवालय-चितकोहरा-अनीसाबाद-महावीर कैंसर संस्थान-फुलवारी चौक-एम्स अस्पताल।

गांधी मैदान-मगध महिला कॉलेज-पटना जंक्शन-राजेंद्र नगर-एनएमसीएच-कुम्हरार-ढनकी मोड़-जीरो माइल-टेंट सिटी मोड़-पटना साहिब स्टेशन।

गांधी मैदान-मगध महिला कॉलेज-पटना वीमेंस कॉलेज-बोरिंग रोड गोलंबर-एएन कॉलेज-पानी टंकी-पाटलिपुत्र गोलंबर-पीएंडएम मॉल-कुर्जी-दीघा-बाटा मोड़-दानापुर बस स्टैंड।

गांधी मैदान-आरटीए कार्यालय (गोलघर)-पुलिस लाइन मोड़-बांस घाट-राजापुर पुल-एलसीटी घाट-कुर्जी-दीघा-दानापुर बस स्टैंड।

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दहेज विरोधी कानून के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, इस मामले पर कर दी बड़ी टिप्पणी

Dainik Jagran - National - 20 hours 50 min ago

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज विरोधी कानून के दुरुपयोग पर मंगलवार को चिंता जताई। वैवाहिक मामलों में पत्नियों द्वारा पतियों के रिश्तेदारों, विशेषकर बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और क्रूरता के प्रविधानों के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, क्रूरता शब्द का दुरुपयोग किया जा रहा है।

शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (क्रूरता) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा चार के तहत आरोपों से बरी कर दिया।

आपराधिक मामले के समय और इरादे पर सवाल उठते हैं

फैसले में कहा गया कि मामले में एफआइआर पति द्वारा तलाक की याचिका दायर करने के लगभग एक साल बाद दर्ज की गई थी, जिससे आपराधिक मामले के समय और इरादे पर सवाल उठते हैं। विशिष्ट उदाहरणों के बिना क्रूरता को सरलता से स्थापित नहीं किया जा सकता।

बिना किसी विशेष तारीख, समय या घटना का उल्लेख किए इन धाराओं को जोड़ने की प्रवृत्ति अभियोजन के मामले को कमजोर करती है और शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करती है।

विवाहित बहनों को आरोपित बनाया जा रहा है

पीठ ने कहा, हम इस बात से चिंतित हैं कि आइपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धाराओं तीन और चार के तहत शिकायतकर्ता पत्नियों द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से बुजुर्ग माता-पिता, दूर के रिश्तेदारों, और अलग रहने वाली विवाहित बहनों को आरोपित बनाया जा रहा है।

पति के हर रिश्तेदार को शामिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही

पति के हर रिश्तेदार को शामिल करने की बढ़ती प्रवृत्ति से पत्नी या उसके परिवार के सदस्यों के दावों पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है और इससे कानून के उद्देश्य विफल होता है।

पीठ ने कहा कि इस मामले में पत्नी के क्रूरता और दहेज उत्पीड़न के आरोप अस्पष्ट हैं, जिनमें विशेष विवरण की कमी हैं और आरोपों के समर्थन में साक्ष्य भी नहीं हैं। कथित शारीरिक हमले के कारण गर्भपात के दावे का समर्थन करने के लिए चिकित्सा रिकॉर्ड भी पेश नहीं किया गया।

हवा में आरोप न लगाएं जाएं

पीठ ने कहा, हम आपराधिक शिकायत में गायब विशिष्टताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें सूचित किया गया है कि अपीलकर्ता की शादी पहले ही समाप्त हो चुकी है। तलाक की डिक्री अंतिम चरण में है, इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ आगे की अभियोजन केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। फैसले में कहा गया कि आरोप स्पष्ट होने चाहिए या हवा में आरोप न लगाएं जाएं।

यह है मामला

एक महिला ने मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, दहेज की मांग और क्रूरता के आरोप लगाते हुए अलग हुए पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दिसंबर 1999 में शिकायत दर्ज कराई। यह शादी एक साल भी नहीं टिक सकी थी।

महिला ने शारीरिक हमले का दावा किया। यह भी आरोप लगाया कि नौकरी छोड़ने के लिए दबाव डाला गया। हालांकि, अदालत ने देखा कि महिला और उसके पिता की गवाही के अलावा, दावों का समर्थन करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं था।

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'हाईकोर्ट के जजों के परफार्मेंस का आकलन होना चाहिए', इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

Dainik Jagran - National - 20 hours 50 min ago

 पीटीआई, नई दिल्ली। हाईकोर्ट के जजों द्वारा ''अनावश्यक'' और बहुत अधिक बार ब्रेक लेने के मुद्दे का मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख किया गया। इससे नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि उनके परफार्मेंस का आकलन किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और यह उनके कार्य के मुकाबले उन पर होने वाले खर्च का आकलन करने का सही समय है।

कुछ जज ऐसे हैं जो बहुत मेहनत करते हैं

जस्टिस कांत ने कहा, ''कुछ जज ऐसे हैं जो बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन साथ ही ऐसे जज भी हैं जो अनावश्यक रूप से काफी ब्रेक लेते हैं; फिर लंच ब्रेक भी..हम हाईकोर्ट के जजों के बारे में बहुत सारी शिकायतें सुन रहे हैं। यह एक बड़ा मुद्दा है जिस पर गौर करने की जरूरत है। हाईकोर्ट के जजों का परफार्मेंस कैसा है? हम कितना खर्च कर रहे हैं और उसका आउटपुट क्या है? अब समय आ गया है कि हम उनके परफार्मेंस का आकलन करें।''

जज की यह टिप्पणी उन चार व्यक्तियों की याचिका पर आई, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर यह दावा किया था कि झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में दोषसिद्धि और आजीवन कारावास के खिलाफ अपील पर अपना आदेश सुरक्षित रखा, लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया।

उन चार लोगों की ओर से पेश वकील फौजिया शकील ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद हाईकोर्ट ने पांच और छह मई को उनके मामलों में फैसला सुनाया।

इस मामले पर उठे सवाल

इसमें चार में से तीन को बरी कर दिया गया, जबकि शेष के मामले में विभाजित फैसला आया और मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया गया, जहां उसे भी जमानत दे दी गई। शकील ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही है कि वे चारों ''ताजी हवा में सांस ले रहे हैं''। अगर हाईकोर्ट ने समय पर फैसला सुनाया होता तो वे तीन साल पहले ही जेल से बाहर आ गए होते।

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