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Kerala: कोरोना मरीज से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास, एंबुलेंस चालक ने दिया था घटना को अंजाम

Dainik Jagran - National - April 12, 2025 - 2:00am

पीटीआई, नई दिल्ली। केरल में कोरोना संक्रमित युवती से दुष्कर्म के मामले में एम्बुलेंस चालक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। घटना पांच सितंबर 2020 की है जब एक 19 वर्षीय युवती को कोरोना संक्रमित होने पर इलाज के लिए अदूर जनरल अस्पताल से पंडलम के कोविड सेंटर स्थानांतरित किया जा रहा था।

इसी दौरान एंबुलेंस चालक नौफल ने युवती के साथ दुष्कर्म किया। घटना तब प्रकाश में आई जब पीड़िता ने कोविड सेंटर पहुंचने पर चिकित्सा कर्मियों को घटना के बारे में बताया। उसके बयान पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने नौफाल को गिरफ्तार कर लिया।

दोषी को आजीवन कारावास की सजा

इस मामले में मुख्य सत्र न्यायालय ने दोषी नौफल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में साक्ष्य जुटाना एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि हर तरफ कोरोना महामारी के कारण तमाम पाबंदियां लागू थीं। फिर भी पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए और पीडि़ता को न्याय दिलाया।

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हाईकोर्ट सिर्फ असाधारण परिस्थितियों ही मामले की जांच CBI को सौंपे, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में की अहम टिप्पणी

Dainik Jagran - National - April 12, 2025 - 2:00am

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट को नियमित तरीके से या अस्पष्ट आरोपों के आधार पर किसी मामले की जांच सीबीआइ नहीं सौंपनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक अदालतों को सिर्फ विशेष परिस्थितियों ही किसी मामले की जांच सीबीआइ को सौंपनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने रद किया फैसला

जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद करते हुए यह टिप्पणी है, जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच हरियाणा पुलिस से लेकर सीबीआइ को सौंप दी गई थी।

अपने फैसले में पीठ ने कहा है कि बिना किसी ठोस साक्ष्य के राज्य पुलिस पर लगाए गए अक्षमता के बेबुनियाद आरोप से मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने को कोई समुचित कारण नजर नहीं आता है।

स्थानीय पुलिस के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गए

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि संवैधानिक अदालतों को किसी मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने के लिए आदेश देने का पूरा अधिकार है। हालांकि, उक्त फैसले में संविधान पीठ ने साफ कर दिया था कि संवैधानिक अदालतों को किसी मामले की सीबीआइ जांच का आदेश नियमित तरीके से या सिर्फ महज इसलिए नहीं देना चाहिए कि स्थानीय पुलिस के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गए हैं।

पीठ ने कहा है कि हाई कोर्ट को सिर्फ उन मामलों में ही सीबीआइ जांच का आदेश देना चाहिए, जहां साक्ष्यों से पहली नजर में ऐसा कुछ तथ्य सामने आता हो कि सीबीआइ द्वारा जांच की आवश्यकता है।

शीर्ष न्यायालय ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को किया रद

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया, जिसमें कथित तौर पर आइबी अधिकारी बनकर कारोबारी से 1.49 करोड़ की जबरन वसूली करने की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।

आरोपित विनय अग्रवाल की अपील पर यह फैसला दिया है

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मामले में आरोपित विनय अग्रवाल की अपील पर यह फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा मामला ऐसा नहीं है, जिसकी जांच सीबीआइ की दी जानी चाहिए।

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अरविंद केजरीवाल, भूपेंद्र बघेल और चंद्रशेखर राव की गई कुर्सी... क्या सीएम स्टालिन पर भी भारी पड़ेगा शराब घोटाला?

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 11:00pm

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। चुनावी साल में तमिलनाडु में शराब घोटाला डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर भारी पड़ सकता है। पिछले डेढ़ साल में शराब घोटाले के आरोपों में घिरे तीन मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।

इनमें दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव हैं, जिनकी बेटी के कविता दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी हैं। पिछले महीने मारे गए छापे में ईडी ने तमिलनाडु में एक बड़े शराब घोटाले के पुख्ता सबूत मिलने का दावा किया है।

जांच रुकवाने की कोशिश में लगे सीएम स्टालिन

शराब घोटाले के चुनावी असर को देखते हुए स्टालिन इसकी ईडी की जांच रुकवाने के लिए पूरी ताकत के साथ जुड़ गए हैं। इसके लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन दोनों जगह से फटकार मिली है।

शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में चार मार्च को तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (टासमैक) के ठिकानों पर ईडी के छापे के खिलाफ हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गईं। लेकिन सुनवाई के पहले की इन याचिकाओं के सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर दी गई।

SC ने मामले को सुनने से इनकार कर दिया

सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनने से इनकार कर दिया, हालांकि हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है। ईडी के उच्च पदस्थ अधिकारी के अनुसार शराब की खरीद-बिक्री में घोटाले को लेकर खुद तमिलनाडु पुलिस में कई एफआईआर दर्ज हैं, जो ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए पुख्ता आधार है। कानूनी तौर पर ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से रोका नहीं जा सकता है।

ईडी की जांच में भारी घोटाले के सबूत मिले
  • ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ईडी की जांच तमिलनाडु में शराब की खरीद, वितरण और दुकानों पर बिक्री तक तीनों स्तरों पर भारी घोटाले के सबूत मिले हैं। शराब के कारोबार को संभालने वाले टासमैक के अधिकारी शराब निर्माता कंपनियों को सप्लाई आर्डर देने के लिए बड़ी मात्रा में रिश्वत वसूल के आरोप हैं।
  • वहीं, टासमैक के रिटेल दुकानों पर कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर बिक्री तक में रिश्वत लेने के सबूत मिले हैं। सबसे बड़ी बात टासमैक की दुकानों पर हर बोतल पर ग्राहकों से 10 से 30 रुपये अतिरिक्त बेचने के भी सबूत हैं। टासमैक द्वारा बिना पैन, जीएसटी नंबर और केवाइसी कराये बिना शराब बिक्री का टेंडर जारी करने के भी सबूत मिले हैं।
  • ईडी ने अभी तक पूरे घाटाले में की गई काली कमाई का आंकलन नहीं किया है। लेकिन इसकी व्यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। सिर्फ शराब निर्माता कंपनियों के सप्लाई में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले के सबूत मिले हैं। खुदरा दुकानों पर बिक्री में ग्राहकों से की गई अवैध वसूली इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है।

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Phule Release Date: 'फुले' की रिलीज टलने पर गरमाई राजनीति, राहुल गांधी बोले- BJP-RSS करती है दिखावा

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 10:41pm

राज्य ब्यूरो, मुंबई। समाज सुधारक दंपत्ति ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई फुले पर बनी हिंदी फिल्म फुले का प्रदर्शन स्थगित किए जाने पर राजनीति गरमा गई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर तक के बयान आ रहे हैं। आंबेडकर ने तो शुक्रवार को पुणे स्थित फुले वाड़ा पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन भी किया है।

ज्योतिबा फुले एवं उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले का नाम 19वीं शताब्दी के अग्रणी समाज सुधारकों में लिया जाता है। वह स्वयं माली समाज से आते थे। लेकिन उन्होंने महिलाओं की उन्नति के लिए कई सफल आंदोलन चलाए। पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोलना भी उनके इन्हीं आंदोलनों का हिस्सा है।

महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बना फिल्म पर रोक

फिल्म अभिनेता और निर्देशक अनंत महादेवन ने इन्हीं समाज सुधारक दंपत्ति के जीवनचरित एवं संघर्षों पर ‘फुले’ नामक फिल्म का निर्माण किया है। इस फिल्म का प्रदर्शन ज्योतिबा फुले की जयंती 11 अप्रैल को होना था। लेकिन महाराष्ट्र के ब्राह्मण समाज द्वारा फिल्म के कुछ दृश्यों पर किए गए विरोध एवं केंद्रीय सेंसर बोर्ड द्वारा कुछ दृश्यों को काटने का निर्देश दिए जाने के कारण फिल्म का प्रदर्शन आज नहीं हो सका। अब फिल्म का प्रदर्शन रोका जाना महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है।

प्रकाश आंबेडकर ने क्या कहा?

फिल्म का प्रदर्शन रोके जाने के विरोध की शुरुआत बाबासाहेब आंबेडकर के पौत्र एवं वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने की। उन्होंने पुणे स्थित फुले वाड़ा में अपने कार्यकर्ताओं के साथ जाकर प्रदर्शन किया। चूंकि उस समय तक राज्य के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी की ओर से फिल्म का प्रदर्शन रोके जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।

इस बारे में एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि महात्मा फुले और सावित्री बाई फुले के अपमान पर कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) चुप क्यों हैं। ये सभी वंचित बहुजन आघाड़ी की तरह विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं ? तो प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि क्योंकि ज्योतिबा फुले ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से थे। अगर वे मराठा होते, तो कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) सड़कों पर होते। ज्योतिबा फुले एवं सावित्री बाई माली समाज से थे, इसलिए महाविकास आघाड़ी उनके अपमान का विरोध नहीं कर रही है।

राहुल गांधी की भी एंट्री

लेकिन शाम होते-होते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दोनों संगठन एक तरफ फुले जी को दिखावटी नमन करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके जीवन पर बनी फिल्म को लेकर सेंसर कर रहे हैं।

राहुल ने आगे कहा कि महात्मा फुले एवं सावित्रीबाई फुले ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मगर सरकार उस संघर्ष और उसके ऐतिहासिक तथ्यों को पर्दे पर नहीं आने देना चाहती। भाजपा और संघ हर कदम पर दलित-बहुजन इतिहास को मिटाना चाहते हैं। ताकि जातीय भेदभाव और अन्याय की असली लड़ाई सामने न आ सके।

BJP-RSS के नेता एक तरफ फुले जी को दिखावटी नमन करते हैं, और दूसरी तरफ उनके जीवन पर बनी फिल्म को सेंसर कर रहे!

महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले जी ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरा जीवन समर्पित कर दिया, मगर सरकार उस संघर्ष और उसके ऐतिहासिक तथ्यों को पर्दे पर नहीं आने देना चाहती।…

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 11, 2025

अब इस विवाद में कूदते हुए भाजपा सांसद में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने कहा है कि लड़कियों के लिए पहला विद्यालय आठवें छत्रपति प्रतापराव भोसले ने अपने सातारा के महल में शुरू किया था। उनसे प्रेरणा लेकर बाद में ज्योतिबा फुले ने यह स्कूल शुरू किया।

ये कोई एजेंडा फिल्म नहीं है: अनंत महादेवन

फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन का कहना है कि फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद कुछ गलतफहमी हो गई है। हम इसे दूर करना चाहते हैं, ताकि फिल्म को बिना किसी रुकावट के देखा जा सके।

महादेवन कहते हैं कि जब मैंने अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें बताया कि हमने फिल्म में दिखाया है कि कैसे ब्राह्मणों ने ज्योतिबा फुले को 20 अस्पताल खोलने में मदद की, तो वे खुश हुए थे। जब फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, तो ये ब्राह्मण ही उसके स्तंभ थे। मैं खुद एक कट्टर ब्राह्मण हूं। मैं क्यों अपने समुदाय को बदनाम करूंगा। हमने सिर्फ तथ्य दिखाए हैं। ये कोई एजेंडा फिल्म नहीं है।

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एयरफोर्स ने सुखोई से दागा 'गौरव', स्वदेशी ग्लाइड बम की 100 किमी है रेंज; दुश्मन के घर में घुसकर करेगा हमला

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 9:33pm

पीटीआई, नई दिल्ली। वायुसेना को जल्द ही ग्लाइड बम गौरव मिलने वाला है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सुखोई विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम गौरव का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

गौरव एक हजार किलोग्राम वर्ग का ग्लाइड बम है जिसे डीआरडीओ ने स्वदेशी तौर पर डिजाइन और विकसित किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि आठ से 10 अप्रैल तक सुखोई-30 एमकेआइ विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम (एलआरजीबी) 'गौरव' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल रहा।

सशस्त्र बलों की क्षमताओं में होगी वृद्धि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गौरव के सफल विकास परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, वायुसेना और संबंधित उद्योग भागीदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लंबी दूरी के ग्लाइड बम के विकास से सशस्त्र बलों की क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी।

उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम

मंत्रालय ने कहा कि इस प्रणाली को साझीदारों अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलाजीज, भारत फोर्ज और विभिन्न एमएसएमई के सहयोग से साकार किया गया है। परीक्षण से इस हथियार को वायुसेना में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ग्लाइड बम की रेंज सामान्य बम से काफी अधिक हो सकती है। विमान से छोड़े जाने के बाद यह हवा में ग्लाइडर की तरह उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाते हैं।

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अमेरिकी खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड का EVM हैकिंग पर वीडियो वायरल, चुनाव आयोग बोला- हमारे पास अलग तकनीक

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 9:30pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में इस्तेमाल वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन ( ईवीएम) ने भले ही अपने 43 साल के सफर में बड़ी-बड़ी अग्निपरीक्षाएं को पास किया और सब में खरी उतरी है लेकिन इसके बाद भी ईवीएम से जुड़ी किसी तरह की गड़बड़ी का जैसे जिक्र आता है, देश का एक वर्ग उत्साहित हो जाता है।

ताजा मामला अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड के एक वीडियो से जुड़ा है, जिसमें अमेरिकी के इलेक्ट्रानिक वोटिंग सिस्टम को वह कमजोर बताती हैं और कहती हैं इसे हैक किया जा सकता है।

तुलसी की बातों को कांग्रेस के नेताओं ने बनाया आधार

तुलसी ने कहा कि इसके हैक होने के उनके पास कुछ तथ्य भी मौजूद है। यह बात उन्होंने भले ही अमेरिकी ईवीएम के संदर्भ में कही थी लेकिन इसे आधार बनाकर कांग्रेस से जुड़े नेता और समर्थक इसे इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करने लगे। कांग्रेस से राजस्थान से जुड़े नेता, महिला कांग्रेस से जुड़े कई नेताओं ने इस वीडियो साझा किया और कहा कि यह बात तो राहुल गांधी भी कहते है। अब इसके प्रमाण भी मिल गए है। इस मामले के तूल पकड़ते देख चुनाव आयोग के जुड़े अधिकारिक ने भी मोर्चा संभाला।

भारत और अमेरिका का ईवीएम अलग: चुनाव आयोग

आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तुलसी गबार्ड जिस ईवीएम की बात कर रही है वह अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम की बात है। दुनिया के कई देशों में मौजूदा समय में ऐसे मशीनें इस्तेमाल में ली जा रही है, जिसमें इंटरनेट या फिर दूसरे नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि भारत में ऐसा नहीं है। यहां इस्तेमाल होने वाली ईवीएम न तो हैक हो सकती है न ही इसे इंटरनेट या किसी दूसरे नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है।

गौरतलब है कि देश में अब तक ईवीएम के जरिए पांच आम चुनाव और करीब 150 विधानसभाओं के चुनाव हो चुके है। इनके नतीजों से देश में 44 बार सत्ता में परिवर्तन हुआ है।

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रात में हमला... सुबह पहुंचे NSG कमांडो, तहव्वुर पर अब श्रेय लेने की होड़; तब जवाबी कार्रवाई में लाचार क्यों दिखा था भारत?

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 9:30pm

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद देश में श्रेय लेने की भी होड़ है। लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी हमले के दौरान हर स्तर पर शीर्ष पदाधिकारियों व एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव और जवाबी कार्रवाई में देरी देखी गई थी। इसका नतीजा था कि रात को 9.30 बजे हुए आतंकी हमले के खिलाफ एनएसजी की कार्रवाई सुबह सात बजे शुरू हो सकी थी।

दरअसल 26 नवंबर 2008 को 9.30 बजे मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आतंकी हमले शुरु हुए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देखमुख केरल में थे। उन्हें शहर में प्रमुख स्थानों पर हमलों की जानकारी दी गई।

पूरी स्थिति की गंभीरता समझने के बाद उन्होंने 11 बजे रात में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल को फोन कर 200 एनएसजी कमांडो भेजने की मांग की। लेकिन मानेसर में रह रहे एनएसजी कमांडो को मुंबई ले जाने के लिए कोई विमान ही नहीं थी। इसके लिए जरूरी आईएल-76 विमान चंडीगढ़ में था।

देर रात दिल्ली पहुंचा आईएल-76 विमान

रात में पायलट को उठाकर इंधन भराकर विमान को दिल्ली भेजा गया, जो दो बजे मुंबई के लिए उड़ सका। आईए-76 विमान की स्पीड कम होने के कारण यह तीन घंटे में मुंबई पहुंचा और वहां से कमांडो को ताज होटल तक ले जाने में 40 मिनट लग गए। सुबह सात बजे आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन शुरू हो सका। ऑपरेशन के दौरान भी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव दिखता रहा।

होटल का ले-आउट भी काफी देर से मिला

दाउद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली की रेकी की वजह से आतंकी होटल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। वहीं, एनएसजी के पास होटल का ले-आउट तक नहीं पहुंचा। बीएमसी से काफी से देरी से ले-आउट प्लान मिल सका। इसके अलावा हमले की लाइव रिपोर्टिंग कर रहे न्यूज चैनलों के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय की ओर से कोई निर्देश नहीं था। पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका होटल के भीतर के आतंकियों के लाइव रिपोर्टिंग देखकर रणनीति समझा रहे थे।

रोकी गई चैनलों की लाइव रिपोर्टिंग

खुफिया एजेंसियों द्वारा उनकी बातचीत सुनने के बाद न्यूज चैनलों को लाइव रिपोर्टिंग रोकने का निर्देश जारी हो सका। यदि विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल होता और तत्काल निर्णय लेकर उसके क्रियान्वयन के रास्ते खोजे जाते तो शायद बहुत सारी जाने बचायी जा सकती थी। आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी साजिश साबित करने के लिए एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब ही था।

पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई

दाउद गिलानी मुंबई आकर रेकी करता रहा और हमले के एक हफ्ता पहले तहव्वुर राणा हापुड़, आगरा, दिल्ली, मुंबई से लेकर कोची तक घुमता रहा। लेकिन भारतीय एजेंसियों को इनके मंसूबों की भनक तक नहीं लगी। इन दोनों के मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने का खुलासा भी उनकी अमेरिकी में गिरफ्तारी और अमेरिकी एजेंसियों की पूछताछ के बाद हुआ।

यही नहीं, इतने बड़े आतंकी हमले के बावजूद भी भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं की गई और पाक सीमा के नजदीक कुछ महीनों तक सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद उन्हें वापस बैरक में बुला लिया गया।

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अब तारीख पर तारीख नहीं, तहव्वुर राणा को जल्द मिलेगी सजा; नए कानून का होगा असर

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 8:04pm

माला दीक्षित, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यार्पित करके भारत लाया गया है। अब उस पर मुकदमा चलेगा और उसे सजा सुनाई जाएगी। लेकिन सवाल है कि इसमें कितना समय लगेगा। ऐसे में अगर पिछले साल लागू हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में तय टाइम लाइन को देखा जाए तो पता चलता है कि तहव्वुर राणा के केस में तारीख पर तारीख का पेंच नहीं फंसेगा।

दरअसल, नए कानून में मुकदमों के त्वरित निपटारे को सुनिश्चित करने के लिए केस दर्ज होने से लेकर ट्रायल पूरा होने और फैसला सुनाने तक की टाइम लाइन तय है और राणा के ट्रायल पर इसका सकारात्मक असर होगा।

नए कानून का होगा असर

वैसे तो करीब पांच करोड़ मुकदमों के बोझ तले दबी न्यायपालिका को अक्सर देरी में न्याय के लिए निशाना बनाया जाता है। लेकिन इसी समस्या से निबटने के उपाय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किए गए हैं।

इसमें केस दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने और दया याचिका देने तक की टाइम लाइन तय करके यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि अधिकतम तीन साल में हर केस का ट्रायल पूरा होकर फैसला आ जाए।

NIA की 18 दिन की हिरासत में भेजा गया राणा

एनआईए ने मुंबई हमले के मामले में तहव्वुर राणा के खिलाफ 2009 में ही एफआईआर दर्ज कर ली थी, लेकिन उसे भारत अब लाया जा सका है और अब उसका मुकदमा शुरू होगा। कोर्ट ने एनआईए को पूछताछ के लिए राणा की 18 दिन की कस्टडी दी है। केस में इसी जगह से नए कानून का रोल शुरू होगा जो कहता है कि किसी भी मुकदमे की 60 और 90 दिन के भीतर जांच पूरी करके अदालत में आरोपपत्र दाखिल करना होगा।

सीमित समय में राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना होगा

अगर जांच 90 दिन से ज्यादा जारी रखनी पड़े तो अधिकतम 180 दिन तक का समय मिल सकता है, लेकिन इसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। ऐसे में इतना साफ है कि 180 की समय सीमा अंतिम समय सीमा है और इसी के भीतर राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना होगा। अदालत के लिए भी टाइम लाइन है जो कहती है कि अदालत 14 दिन में केस पर संज्ञान लेगी और ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में केस ट्रायल पर आ जाना चाहिए।

राणा के मामले में ट्रायल जल्दी पूरा होने की उम्मीद
  • दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करने की भी 30 दिन की समय सीमा तय है। जाहिर सी बात है कि तहव्वुर राणा को इतनी मुश्किल से प्रत्यार्पित करके लाया गया है तो उसका ट्रायल जल्दी चलेगा हो सकता है कि रोजाना हो। अगर ऐसा होता है तो बहुत जल्दी ट्रायल पूरा होने की उम्मीद होगी। नए कानून में ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत के फैसला देने की भी टाइम लाइन तय है जो कहती है कि अदालत को ट्रायल पूरा होने के बाद 30 दिन में फैसला देना होगा।
  • अगर 30 दिन में फैसला नहीं दिया जाता है तो कोर्ट लिखित में उसका कारण दर्ज करेगा और अवधि को 45 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। यानी सीमा रेखा खिंची है कि अदालत फैसला सुनाने में 45 दिन से ज्यादा की देरी नहीं कर सकती। कई बार मुकदमे में निचली अदालत से ट्रायल पूरा होकर जल्दी फैसला आ जाता है, लेकिन मामला अपील में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लटका रहता है।
  • तहव्वुर राणा के मामले में उम्मीद है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी रफ्तार से निपटारा करेंगे। ऐसा मुंबई हमलों के मुख्य दोषी अजमल कसाब के केस को देख कर लगता है जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपील निबटाने में ज्यादा समय नहीं लिया था। कसाब का मामला देखा जाए तो गिरफ्तारी से लेकर उसे फांसी दिये जाने तक चार वर्ष का समय लगा था।
  • अब उम्मीद की जाती है कि नए कानून में प्रक्रिया और त्वरित हो जाने से राणा के मुकदमे में इतना वक्त भी नहीं लेगेगा। नये कानून में दया याचिका का भी समय तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी। तो अगर इन सारी चीजों को देखा जाए और कानून में तय समय सीमा का पालन किया जाता है तो तहव्वुर राणा का मुकदमा जल्दी निपटेगा और उसमें तारीख पर तारीख नहीं पड़ेगी।

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कौशल विकास केंद्र का नाम हेडगेवार पर रखे जाने पर बवाल, युवा कांग्रेस ने किया प्रदर्शन; पुलिस ने जबरन हटाया

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 7:52pm

पीटीआई, पलक्कड़। केरल के पलक्कड़ में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक कौशल विकास केंद्र के शिलान्यास समारोह में डीवाईएफआई और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। दिव्यांग केंद्र का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव राव बलिराम हेडगेवार के नाम पर रखे जाने के विरोध में प्रदर्शन किया गया।

माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दो तरफ से कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की, वहीं पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। यह कार्यक्रम भाजपा शासित पलक्कड़ नगरपालिका द्वारा आयोजित किया गया था।

नगर पालिका अध्यक्ष ने किया बचाव

नगर पालिका अध्यक्ष प्रमिला शशिधरन ने सवाल किया कि नाम में क्या रखा है? उन्होंने कहा कि परियोजना के पीछे की मंशा दिव्यांगों की मदद करना है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर स्टेडियम हैं।

हेडगेवार ने दिव्यांगों के लिए काम किया है तो केंद्र का नाम उनके नाम पर रखने में क्या गलत है? टीवी चैनलों पर दिखाए गए दृश्यों के अनुसार, डीवाईएफआई कार्यकर्ता मंच पर चढ़ गए, उन्होंने कार्यक्रम के बैनर को फाड़ दिया, नारे लगाए और माइक पोडियम को भी धक्का दे दिया।

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Tahawwur Rana को देश के अलग-अलग शहरों में क्यों ले जाया जाएगा, आतंकी के साथ अगले 18 दिनों तक NIA क्या करेगी?

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 2:02pm

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका से भारत लाए गए आतंकी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) फिलहाल दिल्ली स्थित एनआईए (NIA) हेडक्वार्टर में मौजूद है। एनआईए अधिकारी लगातार उससे पूछताछ कर रहे हैं। गुरुवार को पालम एयरपोर्ट से सीधे राणा को पटियाला हाउस कोर्ट लाया जाया गया।

अदालत ने राणा को NIA की 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है। 18 दिनों की रिमांड के दौरान तहव्वुर राणा के साथ क्या-क्या पूछताछ की जाएगी। वहीं, इन 18 दिनों में राणा को देश के किन शहरों में ले जाया जाएगा इस पर आज (शुक्रवार) एनआईए अधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग हुई।

देश के कई शहरों में राणा को ले जाया जाएगा

शुरुआत के कुछ दिनों में राणा के साथ पूछताछ की जाएगी। फिर आतंकी हमले से पहले जिन-जिन स्थानों पर तहव्वुर राणा, डेविड हेडली (मुंबई आतंकी हमले का अन्य मास्टरमाइंड) ने रेकी की थी, उन स्थानों पर उसे ले जाया जाएगा। इसके बाद इसकी भी एक विस्तृत रिपोर्ट बनेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि राणा को मुंबई, अहमदाबाद, आगरा, दिल्ली के कुछ इलाकों में ले जाया जाएगा।

बता दें कि साल 2008 में 13 नवंबर और 21 नवंबर के बीच तहव्वुर राणा और उसकी पत्नी ने दिल्ली, आगरा, अहमदाबाद और मुंबई सहित कई शहरों का दौरा किया था। वहीं, वो इस दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी  इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंसी (ISI) के संपर्क में भी था। ISI ने आतंकी हमले के लिए तहव्वुर को फंडिंग भी दी थी।

 (फोटो सोर्स: U.S. Marshals Service photo by Shane T. McCoy)

क्या तहव्वुर राणा को हो सकती है फांसी?

175 बेगुनाहों की मौत का गुनहगार तहव्वुर राणा को फांसी होगी या नहीं, इसकी चर्चा देशभर में हो रही है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि प्रत्यर्पण के मामले में अभियुक्त जिस देश से आ रहा है अगर वहां मृत्युदंड की सजा है तो उसे यहां भारत में भी मृत्युदंड दिया जा सकता है। राणा के कनाडा का नागरिक होने पर वह कहते हैं कि अभियुक्त किस देश का नागरिक है इसका कोई फर्क नहीं पड़ता अगर अपराध भारत में हुआ है तो उसे भारत के कानून से डील किया जाएगा। उस पर भारत का कानून लागू होगा।

क्या कहता है प्रत्यर्पण संधि?

नियम के अनुसार, प्रत्यर्पण पत्र में जिस मुकदमे और जिन आरोपों का जिक्र किया गया होगा उन्हीं मामलों में राणा पर मुकदमा चलेगा।  अमेरिका और भारत के बीच 1997 में हुई प्रत्यर्पण संधि का आर्टिकल 8 कहता है कि जिस अपराध में मुकदमा चलाने और सजा देने के लिए प्रत्यर्पण मांगा जा रहा, अगर वह अपराध प्रत्यर्पण का अनुरोध करने वाले देश में मृत्यु दंड से दंडित किया जा सकता है लेकिन यदि प्रत्यर्पित करने वाले देश में उस अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है तो वह देश प्रत्यर्पण की मांग ठुकरा सकता है।

गौरतलब है कि तहव्वुर राणा पर आतंकवाद का आरोप है। उस पर भारत पर हमला करने की साजिश के आरोप हैं और आतंकवाद के अपराध में अमेरिका में भी मृत्युदंड की सजा है। बता दें कि देश में न्यायपालिका प्रक्रिया ऐसी है कि रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में ही फांसी की सजा दी जाती है। उम्मीद जताई जा रही है कि अदालत  तहव्वुर राणा के मुकदमे को भी रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस के तौर पर देखेगी और उसे फांसी की सजा देगी।

(पीटीआई इनपुट से)

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'प्यार' का हवाला और 91 साल के बुजुर्ग को मिल गई जमानत; कोर्ट में गूंजी कविता: पढ़ें पूरा मामला

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 1:49pm

पीटीआई, कोच्ची। केरल में एक 91 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी 88 साल की पत्नी पर चाकू से हमला किया था। इस मामले में आरोपी थेवन को केरल हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। दरअसल, थेवन की पत्नी कुंजली ने उसकी वफादारी पर शक जताया था, जिससे नाराज होकर बुजुर्ग व्यक्ति ने पत्नी पर हमला कर दिया था।

थेवन पर पत्नी ने क्या आरोप लगाए थे?

थेवन के अनुसार, उसकी पत्नी कुंजली ने उस पर अन्य महिलाओं के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया था। इन आरोपों की वजह से बुजुर्ग व्यक्ति अपमानित और निराशा महसूस कर रहा था। 21 मार्च कों दोनों के बीच काफी ज्यादा लड़ाई हुई, जिसके बाद थेवन ने कुंजली पर चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

इस घटना के बाद आरोपी बुजुर्ग व्यक्ति को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वो न्यायिक हिरासत में था। आरोपी थेवन द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कानूनी तर्कों पर ध्यान दिया और थेवन को जमानत दे दी।

जज ने सुनाया अपना फैसला

न्यायमूर्ति ने 10 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा, "मैं इस पर और कोई चर्चा नहीं करना चाहता। 91 वर्षीय थेवन को बुढ़ापे में अपनी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली के साथ खुशी-खुशी रहने दें।"

91 वर्षीय थेवन को मानक शर्तों के साथ जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि थेवन को पता होना चाहिए कि बुढ़ापे में उसकी एकमात्र ताकत उसकी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली होगी और कुंजली को भी यह सोचना चाहिए कि उसकी एकमात्र ताकत 91 वर्षीय थेवन ही होगा।

कविता के जरिए सुनाया गया फैसला

अदालत ने कहा, "थेवन और कुंजली को पता होना चाहिए कि उम्र प्यार की रोशनी को कम नहीं करती है, बल्कि इसे और चमकदार बनाती है। 88 वर्षीय कुंजली अब भी अपने पति से प्यार करती हैं और यही कारण है कि वह अपने पति पर करीब से नजर रखती हैं।"

न्यायमूर्ति ने फैसला सुनाते हुए कहा, "जैसे-जैसे हमारे रिश्ते को समय होता जाता है, हमारा प्यार और गहरा हो जाता है।" इस दौरान अदालत ने दिवंगत मलयालम कवि एनएन कक्कड़ की एक कविता का जिक्र किया, जो प्यार और शांति को दर्शाती है।

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बांड्स में गिरावट ‘ट्रंप मेल्टडाउन’ का प्रमुख कारण, राष्ट्रपति से टैरिफ की शक्ति लेने की भी होने लगी थी चर्चा

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 1:26pm

प्राइम टीम, नई दिल्ली।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते हुए उस दिन को ‘लिबरेशन डे’ यानी मुक्ति दिवस बताया था। आखिर हफ्ते भर में ऐसा क्या हो गया कि 9 अप्रैल को उन्हें अपने इस फैसले को ‘पॉज’ करना पड़ा। उन्होंने चीन के साथ व्यापार युद्ध को तो तेज किया, लेकिन बाकी देशों के खिलाफ मुश्किल से 13 घंटे पहले लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया।

राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोगी टैरिफ बढ़ोतरी स्थगित करने के उनके फैसले को रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लिविट ने अचानक हुए इस नीतिगत बदलाव को मोलभाव की रणनीति का हिस्सा बताने की कोशिश की। व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने ट्वीट किया, “आप इतिहास में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की सबसे बेहतरीन आर्थिक मास्टर रणनीति देख रहे हैं।”

लेकिन बहुत कम लोग इस ‘मास्टरस्ट्रोक’ को स्वीकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप पर हर मिनट दबाव जबरदस्त बढ़ रहा था। यह दबाव कंपनियों के सीईओ, खुद ट्रंप के दोस्त और रिपब्लिकन सीनेटर्स की तरफ से था। यह आशंका बढ़ने लगी कि अमेरिका के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है। अमेरिकी शेयर बाजारों के धराशायी होने के बाद बांड बाजार में भी जब बड़ी गिरावट का दौर शुरू हुआ तो ट्रंप आखिरकार उस दबाव के आगे झुक गए।

बुधवार को टैरिफ नीति में बदलाव की घोषणा करते समय खुद ट्रंप ने स्वीकार किया कि उन्होंने तब फैसला बदलने का निर्णय लिया जब लोग बांड मार्केट को लेकर असहज महसूस करने लगे। उन्होंने कहा, “बिजनेस थोड़ा घबराए हुए, थोड़ा डरे हुए हैं… आपको लचीलापन रखना पड़ता है।”

ट्रंप के यू-टर्न ने वॉल स्ट्रीट में जबरदस्त तेजी ला दी। यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि वह ट्रंप के ‘पॉज’ के साथ तालमेल बिठाते हुए जवाबी टैरिफ 90 दिनों के लिए स्थगित कर रहा है। हालांकि कॉरपोरेट जगत की हस्तियों, निवेशकों और अमेरिका के व्यापारिक साझेदार अब यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि ट्रंप टैरिफ के जरिए आखिर हासिल क्या करना चाह रहे हैं।

ट्रंप के सहयोगी मस्क भी टैरिफ के खिलाफ

अमेरिका के जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक पॉलिसी में विशिष्ट विजिटिंग स्कॉलर अजय छिब्बर कहते हैं, “ट्रंप ने अपना रुख इसलिए बदला क्योंकि शेयर बाजार में भारी गिरावट आ गई। उनके सबसे महत्वपूर्ण समर्थक एलन मस्क ने भी खुले तौर पर टैरिफ का विरोध किया और ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो को ‘ईंटों का बोरा’ (bag of bricks) कहा।”

छिब्बर के अनुसार, “वॉल स्ट्रीट के शीर्ष एक्जीक्यूटिव टैरिफ के खिलाफ थे। कुछ रिपब्लिकन सीनेटर और सांसद भी राष्ट्रपति से टैरिफ लगाने की शक्ति वापस लेने के लिए कानून बनाने की कोशिश कर रहे थे। जो भी हो, नुकसान हो चुका है क्योंकि ट्रंप के इस आगे-पीछे के रवैये ने भारी अनिश्चितता पैदा कर दी है।”

फैसला बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारण

अमेरिकी मीडिया की अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रंप के फैसला बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारण थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि ट्रंप के सलाहकार निजी तौर पर मानते हैं कि असली श्रेय तो बांड बाजार को जाना चाहिए। ट्रंप ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उन्हें डर था कि उनके टैरिफ लगाने का दांव जल्दी ही बड़े आर्थिक संकट में बदल सकता है। बीते दो दशकों आए दो बड़े आर्थिक संकट - 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट और 2020 की महामारी - के विपरीत, यह संकट पूरी तरह एक व्यक्ति के फैसलों का परिणाम होता।

दूसरा कारण है दबाव। वॉशिंगटन पोस्ट तथा अन्य अमेरिकी मीडिया के अनुसार ट्रंप को लगातार फोन आ रहे थे कि देश गंभीर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है। बड़ी कंपनियों के सीईओ इस बात को लेकर काफी चिंतित थे कि टैरिफ से उत्पन्न अस्थिरता अर्थव्यवस्था को मंदी में धकेल सकती है। रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी ट्रंप से अपनी चिंताओं को खुलकर साझा किया। बांड बाजार की स्थिति को लेकर ट्रंप पहले से ही सतर्क थे।

चीन के प्रतिवाद को तीसरा कारण माना जा रहा है। राष्ट्रपति और उनके सलाहकारों ने मीडिया से बातचीत में माना कि चीन द्वारा अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय ट्रंप के लिए एक अवसर बन गया ताकि वे अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने की योजना को स्थगित कर सकें। इससे उन देशों के प्रति मैत्री का संकेत भी गया। इस निर्णय के पीछे ट्रंप की नीति चीन को अलग-थलग करने और बाकी दुनिया को एकजुट करने की थी।

आगे क्या होगा, क्या करे भारत

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के नेतृत्व में ट्रंप के आर्थिक सलाहकार तमाम देशों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेंगे। यह प्रक्रिया कई महीने चलने की उम्मीद है। हालांकि दोनों मंत्रियों ने कहा है कि हर देश के साथ समझौते पर अंतिम फैसला ट्रंप ही करेंगे।

भारत के लिए छिब्बर की सलाह है, “भारत को चाहिए कि वह अपनी मौजूदा नीति पर ही कायम रहे और अमेरिका के साथ एक बेहतरीन सौदा करने की कोशिश करे। ट्रंप के इस स्थगन से भारत को थोड़ा और समय मिल गया है। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप ने सभी वस्तुओं पर 10% टैरिफ तो लागू कर ही दिया है और चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया है।”

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केरल में वकीलों और छात्रों के बीच झड़प, 20 से ज्यादा लोग घायल; पुलिस को देना पड़ा दखल

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 1:07pm

पीटीआई, कोच्चि। केरल में छात्र संगठन एसएफआई के कार्यकर्ताओं और वकीलों के बीच झड़प हो गई। इसमें 20 लोग से ज्यादा लोग घायल हो गए। घटना एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में जिला बार एसोसिएशन के वार्षिक समारोह के दौरान हुई।

आरोप है कि एसएफआई कार्यकर्ताओं ने बार एसोसिएशन के वार्षिक समारोह में जबरन घुसकर हंगामा किया। पुलिस ने बताया कि इस झड़प में एसएफआई के 16 कार्यकर्ता और 8 वकील घायल हो गए हैं।

कार्यक्रम में घुसकर किया हंगामा

बता दें कि एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में जिला बार एसोसिएशन का कार्यक्रम हो रहा था। वकीलों का आरोप है कि महाराजा कॉलेज के कुछ छात्रों ने कार्यक्रम में घुसकर हंगामा किया। हालांकि एसएफआई का कहना है कि वकीलों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

पुलिस ने किसी तरह स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। इस झड़प का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वहीं अब मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। विपक्ष ने इसे लेकर सीपीआई (एम) पर निशाना साधा है।

मामले में राजनीति शुरू
  • विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने सीपीआई (एम) नेतृत्व से छात्र संगठन पर नियंत्रण करने की मांग की है। सतीशन ने सीपीआई (एम) से छात्र संगठन को राजनीतिक संरक्षण देना बंद करने की अपील की।
  • बताया जा रहा है कि एर्नाकुलम जिला बार एसोसिएशन ने आज एक बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी। हालांकि, एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस ने कहा कि अभी तक मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन प्रारंभिक जांच चल रही है।

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'तमिलनाडु की महिलाओं को...', आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर DMK नेता पर बरसी भाजपा, पार्टी ने निकाला बाहर

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 12:14pm

चेन्नई, पीटीआई। DMK नेता और तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी को शैव और वैष्णववाद पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उठे विवाद के बाद पार्टी के एक महत्वपूर्ण पद से हटा दिया गया। इस टिप्पणी की डीएमके सांसद कनिमोझी सहित कई लोगों ने कड़ी आलोचना की थी।

डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एलान किया कि पोनमुडी को पार्टी के उप महासचिव पद से मुक्त किया जा रहा है। स्टालिन ने एक बयान में यह एलान किया, लेकिन उन्होंने इस कार्रवाई के लिए कोई कारण नहीं बताया। यह कदम मंत्री की कथित रूप से अप्रिय टिप्पणियों के तुरंत बाद उठाया गया है, जिससे विवाद पैदा हो गया है और विपक्षी भाजपा ने पोनमुडी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।

वीडियो वायरल होने के बाद उठाया कदम

एक सेक्स वर्कर के संदर्भ में मंत्री की तरफ से कथित टिप्पणी करने का एक वीडियो वायरल हो गया है। राज्य के वन मंत्री पोनमुडी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

भाजपा की तमिलनाडु इकाई के उपाध्यक्ष नारायणन थिरुपथी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'मंत्री पोनमुडी का अपने पद पर बने रहना शर्मनाक है....सीएम स्टालिन, क्या आप पोनमुडी की गिरफ्तारी का आदेश देंगे।

'ऐसे अश्लील शब्द निंदनीय हैं'

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी टिप्पणियों से तमिलनाडु की महिलाओं को बदनाम किया है। कनिमोझी ने अपनी पार्टी की सहयोगी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मंत्री पोनमुडी का हालिया भाषण स्वीकार्य नहीं है।'

उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'उन्होंने जो भी कारण बोला हो, ऐसे अश्लील शब्द निंदनीय हैं।' तिरुपति ने पोनमुडी की आलोचना करने वाली कनिमोझी का स्वागत किया। पोनमुडी ने पहले उत्तर भारतीयों को पानी पुरी बेचने से जोड़कर विवाद खड़ा किया था।

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'भारतीय इसी लायक हैं', मुंबई हमलों के बाद डेविड हेडली से बोला था तहव्वुर राणा; अमेरिका ने खोले कई राज

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 12:06pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा ने मुंबई हमलों की साजिश रचने में डेविड हेडली के साथ अहम भूमिका निभाई थी।

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने बताया है कि हमलों के बाद राणा ने हेडली से बात करते हुए कथित तौर पर कहा था कि भारतीय इसी के लायक हैं। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने कहा कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हमले में मारे गए 6 अमेरिकी और अन्य लोगों के लिए न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।

हेडली ने की थी मुंबई में रेकी

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह पहले पाकिस्तानी सेना में मेडिकल सहायक था। बाद में वह कनाडा चला गया और वहां स्लॉटर हाउस और लॉ फर्म जैसे कई बिजनेस में हाथ आजमाया। डेविड हेडली उसके बचपन का दोस्त था।

डेविड हेडली ने ही मुंबई में बम धमाकों से पहले भारत आकर कई जगहों पर रेकी की थी। हेडली पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है। तहव्वुर राणा ने अपने इमीग्रेशन बिजनेस के लिए मुंबई में ब्रांच ऑफिस खोलने की वजह बताकर हेडली को भारत भेजा था।

वीरता पुरस्कार देने की कही थी बात
  • डेविड हेडली का असली नाम दाऊद गिलानी है। वह अमेरिका की जेल में 35 साल की सजा काट रहा है। आरोप है कि तहव्वुर राणा ने शिकागो में उससे कई बार मुलाकात की थी। अमेरिकी न्याय विभाग ने एक बयान में कहा कि हेडली के साथ हुई बातचीत में राणा ने कथित तौर पर उन नौ लश्कर आतंकवादियों की प्रशंसा की, जो हमले में मारे गए थे।
  • राणा ने कहा था कि उन्हें निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए, जो पाकिस्तान का युद्ध में वीरता के लिए सर्वोच्च पुरस्कार है। यह शहीद सैनिकों को दिया जाता है। बता दें कि हमले के लिए भारत में दाखिल हुए 10 आतंकियों में से 9 को मार गिराया गया था और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था।

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Tahawwur Rana: क्या हाफिज सईद भी लाया जाएगा भारत? तहव्वुर के बाद एजेंसियों को इन आतंकियों की तलाश

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 11:44am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) भारत के शिकंजे में आ चुका है। करीब 17 साल पहले मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड राणा को कड़ी सजा मिलने की उम्मीद है। तहव्वुर राणा के भारत आते ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या मुंबई आतंकी हमले का सबसे बड़ा विलेन लश्कर-ए-तैयबा का चीफ हाफिज सईद भारत के शिकंजे में कब फंसेगा?

बीते साल दिसंबर में भारत ने पाकिस्तान से मांग की थी कि वह यूएन में नामित आतंकी सईद को उसे सौंप दे। भारतीय अफसरों ने इसके लिए सईद के मुंबई हमलों समेत आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में उसके भारत में वांछित होने का हवाला दिया था।

भारत करता रहा है हाफिज के प्रत्यर्पण की मांग

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत सरकार ने आतंकवादी हाफिज सईद को देश लाने के लिए पाकिस्तान से आधिकारिक तौर पर निवेदन किया है। हाफिज सईद को लेकर हम लगातार पाकिस्तान से शिकायत भी कर रहे हैं।

सईद भारत की कई एजेंसियों की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है। हालांकि आतंकियों को पोषित सुरक्षा देने वाले  पाकिस्तान ने उसे भारत को सौंपने से इनकार कर दिया।

पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा हाफिज
  • मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के चीफ को सात आतंकी वित्तपोषण मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद पाकिस्तान ने 78 साल की सजा सुनाई है। हालांकि, वो पाकिस्तान में खुला घूमता है। हाफिज की सजा महज पाकिस्तान का एक दुनिया को दिखावा है।
जकी-उर-रहमान

लश्कर-ए-तैयबा कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी 26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड में से एक है। कुछ महीने पहले खबर सामने आई थी कि लखवी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने उसे अंडरग्राउंड कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता रहा है।

मेजर इकबाल

आतंकी हमले के मास्टरमाइंड में से एक मेजर इकबाल भी है। हमले से पहले जब डेविड हेडली भारत में था, तो मेजर इकबाल ने ही उसे फंड भेजा था। अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों के अनुसार, इकबाल पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस निदेशालय में सेवारत अधिकारी था।

अब्दुल रहमान हाशिम सैयद

आतंकियों की फेहरिस्त में एक नाम अब्दुल रहमान हाशिम सैयद का भी है, जो पाशा के नाम से मशहूर है। वो भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की लिस्ट में शामिल है। वह कथित तौर पर 'कराची प्रोजेक्ट' का मुखिया है, जो स्थानीय भारतीय युवाओं का उपयोग करके बम हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम देने की योजना है।

डेविड हेडली

तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) की तरह दाऊद सईद गिलानी ऊर्फ डेविड कोलमैन हेडली (David Headley) भी मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है । दोनों बचपन के दोस्त हैं। हेडली फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है। वह एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है। उसका पिता पाकिस्तानी है और मां अमेरिका से ताल्लुक रखती हैं।

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टैरिफ के बाद ट्रंप का 'MAGA' प्लान, अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर एस जयशंकर का बड़ा बयान

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 11:34am

एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को 'कार्नेगी ग्लोबल टेक समिट 2025' में भाग लेते हुए दुनिया में बदलते तकनीकी और भू-राजनीतिक हालातों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में अमेरिका की वैश्विक दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है, जिसका असर खासकर तकनीक के क्षेत्र में गहराई से देखा जा सकता है।

जयशंकर ने कहा कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के 'MAGA' (Make America Great Again) एजेंडे और टेक्नोलॉजी के बीच अब स्पष्ट संबंध दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि तकनीक न सिर्फ अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत है बल्कि वैश्विक प्रगति में भी उसका बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा, "टेक्नोलॉजी का अमेरिका को महान बनाने में अहम रोल है, जो बात पहले इतनी साफ नहीं थी, अब वह पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है।"

चीन की प्रगति और यूरोप की बदलती स्थिति पर टिप्पणी

जयशंकर ने यह भी बताया कि अमेरिका के अलावा चीन भी पिछले एक साल में लगातार प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव अचानक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे सामने आया है।

#WATCH | Speaking at the Carnegie India Global Technology Summit, EAM Dr S Jaishankar says, "Our experiences (with respect to US-China relations) are very different. We've actually seen both extremes. For the first few decades after independence- there was very sharp contestation… pic.twitter.com/cXR6nAUYUb

— ANI (@ANI) April 11, 2025

उन्होंने यूरोप की स्थिति पर भी विचार साझा करते हुए कहा कि पांच साल पहले यूरोप के पास अमेरिका, रूस और चीन के साथ एक संतुलित संबंध था। लेकिन आज वह त्रिकोणीय संतुलन तनाव में है और हर दिशा से दबाव महसूस हो रहा है। जयशंकर ने कहा,"यह बदलाव नाटकीय भले न लगे, लेकिन यह धीरे-धीरे गहराता जा रहा है और इसका असर वैश्विक संबंधों पर पड़ेगा।"

'T' शब्दों पर जोर: टेक्नोलॉजी और टैरिफ

जयशंकर ने मजाकिया अंदाज में कहा कि इस सम्मेलन में लोग एक खास 'T' शब्द यानी टेक्नोलॉजी पर चर्चा के लिए आए हैं, लेकिन अब एक और 'T' शब्द भी जरूरी हो गया है 'टैरिफ'।

उन्होंने कहा, "हम आज यहां एक बदले हुए वैश्विक परिदृश्य में एक और महत्वपूर्ण ‘T’ शब्द पर चर्चा करने आए हैं। टेक्नोलॉजी और टैरिफ के बीच भी गहरा संबंध है, जिसे समझना जरूरी है।" कार्यक्रम की थीम 'संभावना' को भी जयशंकर ने खास बताते हुए कहा कि यह भारत के दृष्टिकोण को दर्शाती है कि बदलते विश्व को अवसर की नजर से देखना।

टैरिफ विवाद के बीच भारत-अमेरिका ने बीटीए पर जल्द सहमति की जताई आवश्यकता , जयशंकर बोले- संपर्क में रहेंगे..

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कमर में जंजीर, हाथ में हथकड़ी... NIA की कस्टडी में कुछ ऐसा दिख रहा तहव्वुर राणा; पहली फोटो आई सामने

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 11:26am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका से तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यपर्ण हो चुका है। मुंबई हमले 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा इस वक्त भारत में है। एनआईए कोर्ट ने उसे 18 दिनों की कस्टडी में भेज दिया है। इस दौरान एनआईए मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करेगी। इस बीच उस वक्त की पहली फोटो सामने आई है। जब अमेरिकी मार्शल तहव्वुर राणा को भारतीय जांच एजेंसी एनआईए की टीम के हवाले करते नजर आ रहे हैं।

अमेरिकी न्याय विभाग ने जेल द्वारा जारी की गई ब्राउन कलर की वर्दी पहने और अमेरिकी मार्शलों के साथ खड़े राणा की फोटो जारी कीं, जिन्हें 9 अप्रैल को एक सुरक्षित स्थान पर विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों की हिरासत में सौंपा गया। 

NIA की कैद में तहव्वुर राणा

फोटो में राणा की शक्ल तो नहीं दिख रही, लेकिन उसे ले जाता हुआ जरूर देखा जा सकता है। उसके शरीर को जंजीर से बांध रखा है, यानी कि काफी सुरक्षा के बीच उसे भारत को सौंपा गया है।

US Marshals in the Central District of California on Tuesday transferred custody of Tahawwur Rana, a Pakistani national and Canadian citizen, to representatives from India’s Ministry of External Affairs.

Tahawwur Rana is now in NIA custody for 18 days, during which time the… pic.twitter.com/vWBcl9vGWQ

— ANI (@ANI) April 11, 2025

पहले कराया गया मेडिकल चेकअप

तहव्वुर राणा अब 18 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में है, इस दौरान एजेंसी उससे विस्तृत पूछताछ करेगी, ताकि 2008 के हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाया जा सके। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे। कल शाम 6: 30 बजे तहव्वुर राणा का विमान दिल्ली उतरा, उसके बाद  एनआईए ने तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया।  सबसे पहले तहव्वुर का मेडिकल चेकअपल कराया। इसके बाद यहां से सीधे उसे NIA कोर्ट ले जाया गया।

डायरी में लिखे जाएंगे सारे जवाब

मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा से NIA जल्द ही पूछताछ शुरू कर देगी। ये पूछताछ NIA के SP और DSP रैंक के अफसर राणा से पूछताछ करेंगे। तहव्वुर राणा ये पूरी पूछताछ NIA के इंटेरोगेशन रूम में सीसीटीवी के सामने होगी। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी। NIA राणा की कस्टडी के दौरान रोजाना पूछताछ की एक डायरी तैयार करेगी।

किन-किना धाराओं के आरोपी हैं तहव्वुर?

राणा पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, मुंबई 26/11 हमले में शामिल भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं। वहीं बताया जा रहा है मुंबई हमले की पूरी साजिश डेविड कोलमैन हेडली ने रची थी। राणा उसका बेहद करीबी था।

भारत न भेजे जाने के लिए राणा की कोर्ट से अपील
  • तहव्वुर राणा ने सुप्रीम कोर्ट में तुरंत समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद अब एक बार फिर अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स को आवेदन भेजा। इसमें राणा ने उनसे अपने प्रत्यर्पण को रोकने की अपील की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उसकी मांग को ठुकरा दिया।
  • लॉस एंजेलिस के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद राणा ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में खुद के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी। उसने कहा था कि उसे कई बार हार्ट अटैक आ चुका है।

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आतंकी तहव्वुर राणा की पहली रात कहां और कैसे कटी, भारत लाए जाने के बाद से अब तक क्या-क्या हुआ? यहां पढ़ें

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 10:42am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को आखिरकार गुरुवार शाम को भारत लाया गया। एयरपोर्ट से सीधे राणा को पटियाला हाउस कोर्ट लाया गया। अदालत ने राणा को NIA की 18 दिन की हिरासत में भी भेज दिया है।

दिल्ली और मुंबई में राणा से अलग-अलग जांच एजेंसी पूछताछ करेगी। इसके अलावा राणा को दिल्ली, मुंबई, आगरा सहित कई जगहों पर ले जाया जाएगा, जहां राणा ने हमले से पहले रेकी की थी।

NIA हेडक्वार्टर में बीती पहली रात

राणा को लेकर आ रहा स्पेशल विमान गुरुवार शाम करीब 7:30 बजे पालम एयरपोर्ट पर उतरा। इसके बाद NIA की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद राणा को पटियाला हाउस ले जाया गया, जहां उससे काफी देर तक पूछताछ हुई।

NIA ने कई ईमेल समेत अहम सबूतों का हवाला देते हुए राणा से पूछताछ के लिए 20 दिन की हिरासत मांगी थी, लेकिन अदालत ने राणा को 18 दिनों के लिए एनआईए रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। जानकारी के मुताबिक, राणा ने भारत आने के बाद अपनी पहली रात NIA हेडक्वार्टर में बिताया। कोर्ट जाने और कागजी कार्रवाई में ही राणा की आधी रात निकल गई। फिलहाल  वो एनआईए हेडक्वार्टर में ही है।

आरोप और दंड

राणा पर भारतीय न्याय संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत हत्या, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश और आतंकवादी कृत्यों के आरोप लगाए गए हैं।

यदि दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें आजीवन कारावास या मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है।

जांच और पूछताछ

एनआईए राणा को भारत के विभिन्न स्थानों पर ले जाएगी, जिनमें मुंबई का ताज होटल, आगरा, हापुड़, कोच्चि और अहमदाबाद शामिल हैं, जहां उन्होंने और उनकी पत्नी ने हमलों से कुछ हफ्ते पहले दौरा किया था।

 एजेंसी को उम्मीद है कि राणा की पूछताछ से हमलों के पीछे के बड़े नेटवर्क और पाकिस्तान में आतंकवादियों की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।

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Tahawwur Rana: एनआईए को मिली आतंकी तहव्वुर राणा की 18 दिन की रिमांड, अब खुलेंगे 26/11 हमले के राज

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 7:33am

पीटीआई, नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को गुरुवार को भारत लाने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। यहां अदालत ने राणा को एनआईए की 18 दिन की हिरासत में भेज दिया है।

एनआईए करेगी पूछताछ

पीटीआई के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को कोर्ट के आदेश पर 18 दिनों की हिरासत में ले लिया, जिसके दौरान उससे 26/11 के घातक आतंकवादी हमले के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने के लिए विस्तार से पूछताछ की जाएगी।

एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया था

आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने अमेरिका से उसके सफल प्रत्यर्पण के बाद गुरुवार शाम यहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर पहुंचने पर औपचारिक रूप से उसे गिरफ्तार करने के बाद पटियाला हाउस में एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया था।

सुरक्षा वाले काफिले में पटियाला हाउस पहुंचाया गया

अदालत ने शुक्रवार को राणा को 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया, जिसके बाद उसे दिल्ली पुलिस के विशेष हथियार और रणनीति (एसडब्ल्यूएटी) और अन्य सुरक्षाकर्मियों के भारी सुरक्षा वाले काफिले में पटियाला हाउस अदालत परिसर से एनआईए मुख्यालय लाया गया।

अधिकारियों ने बताया कि राणा को यहां सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित आतंकवाद रोधी एजेंसी के मुख्यालय के अंदर एक उच्च सुरक्षा वाली कोठरी में रखा जाएगा।

राणा 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहेगा

अदालत के आदेश के तुरंत बाद जांच एजेंसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि राणा 18 दिनों तक एनआईए की हिरासत में रहेगा, इस दौरान एजेंसी उससे 2008 के घातक हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने के लिए विस्तार से पूछताछ करेगी, जिसमें कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।

एनआईए ने 20 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी

दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहव्वुर राणा के वकील ने कहा कि एनआईए ने 20 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी। कोर्ट ने जांच के लिए 18 दिन की कस्टडी दी है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि हिरासत में लेने से पहले और अगली तारीख पे पेश होने से पहले भी मेडिकल टेस्ट होंगे और बीच में जो भी मेडिकल आवश्यकताएं हैं उसे पूरा किया जाएगा। आने वाले समय में तहव्वुर राणा को शारीरिक रूप से ही कोर्ट के सामने पेश किया गया जाएगा।

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