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कर्नाटक: मुसलमानों को सरकारी ठेकों में आरक्षण के खिलाफ VHP का राज्यव्यापी प्रदर्शन आज, वोट बैंक की राजनीति का आरोप
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों को दिए गए चार प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी।
विहिप ने कहा कि वह कर्नाटक सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए विधेयक की कड़ी निंदा करती है। हम इस असंवैधानिक निर्णय का दृढ़ता से विरोध करते हैं और विरोध स्वरूप पूरे राज्य में प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं।
आरक्षण पूरी तरह से धर्म पर आधारित: विहिपबेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन शाम चार बजे फ्रीडम पार्क में होगा। विहिप ने कहा कि कर्नाटक राज्य मंत्रिमंडल ने केटीपीपी में संशोधन किया है, जिसके तहत दो करोड़ रुपये तक के सिविल कार्य अनुबंधों और एक करोड़ रुपये तक के माल, सेवा अनुबंधों में केवल 2बी श्रेणी के अंतर्गत आने वाले मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की अनुमति दी गई है। यह आरक्षण पूरी तरह से धर्म पर आधारित है, जो अस्वीकार्य है। संविधान के अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
विहिप ने कहा कि हालांकि, कर्नाटक सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति और वोट बैंक की भावना से प्रेरित होकर इस विधेयक को असंवैधानिक रूप से मंजूरी दी है।
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सावरकर पर टिप्पणी मामले में कोर्ट ने मंजूर की याचिका, राहुल गांधी की ओर से की गई थी ये मांग
पीटीआई, पुणे। स्थानीय अदालत ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने वीडी सावरकर पर टिप्पणी को लेकर मानहानि मामले को समरी ट्रायल से समन ट्रायल में बदलने की मांग की थी, ताकि ऐतिहासिक संदर्भों और साक्ष्यों पर चर्चा की जा सके।
सांसदों/विधायकों के लिए विशेष अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया।
अदालत ने आदेश में क्या कहा?
अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामला प्रथम दृष्टया समन ट्रायल की श्रेणी में आता है। मौजूदा मामले में आरोपित तथ्यों और कानून के ऐसे सवाल उठा रहा है, जो जटिल प्रकृति के हैं। आरोपित ने कुछ मुद्दे भी उठाए हैं, जिनका निर्धारण ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया जाएगा। इसलिए मेरे विचार से इस मामले को समरी ट्रायल के रूप में चलाना अवांछनीय है, क्योंकि समरी ट्रायल में विस्तृत साक्ष्य नहीं जुटाए जाते और जिरह नहीं की जाती है।
जज ने कहा, समन ट्रायल में आरोपित को विस्तृत साक्ष्य पेश करने होंगे और शिकायतकर्ता के गवाहों से गहनता से जिरह करनी होगी। न्याय के हित में यह आवश्यक है कि केस की सुनवाई समन मामले के रूप में की जाए। यदि वर्तमान मामले की सुनवाई समन मामले के रूप में की जाती है तो किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।
राहुल गांधी के खिलाफ सावरकर के पोते ने की थी शिकायत
सावरकर के पोते सात्यकी सावरकर ने पुणे की एक अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि कांग्रेस नेता ने मार्च 2023 में लंदन में एक भाषण में कहा था कि सावरकर ने एक किताब में लिखा है कि उन्होंने और उनके पांच-छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और इससे खुश हुए थे। शिकायत के अनुसार, ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई और न ही सावरकर ने इस संबंध में कुछ लिखा।
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'वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाएं वोट बैंक के लिए', भाजपा ने विरोध करने वालों को बताया संविधान विरोधी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा ने सोमवार को नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली कई जनहित याचिकाओं की आलोचना करते हुए उन्हें वोट बैंक हित याचिकाएं करार दिया। भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने दावा किया कि कई संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाएं केवल अपने वोट बैंक को भड़काने और देश में दंगे जैसी स्थिति पैदा करने का बहाना मात्र हैं।
उन्होंने कहा कि नए कानून से केवल भू-माफिया को ही नुकसान पहुंचेगा, जिसने वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है। पूनावाला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, एआइएमआइएम और कुछ मुस्लिम संगठन जो कानून का विरोध कर रहे हैं, उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम मुसलमानों की नागरिकता छीन लेगा।
भाजपा नेता ने दावा किया कि नया कानून सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेगा और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में संविधान का अनुप्रयोग सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम संस्थाओं और यहां तक कि ईसाई संगठनों ने भी वक्फ अधिनियम में संशोधन का स्वागत किया है और कहा कि यह ¨हदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है।
'वक्फ अधिनियम का विरोध संविधान की घोर अवमानना'भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ बिल अधिनियम का विरोध किए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर जैसी राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि वे संसद द्वारा पारित कानून को चुनौती देकर संविधान के प्रति 'घोर अवमानना' दिखा रही हैं।
त्रिवेदी ने कहा कि वक्फ बिल को उचित प्रक्रिया के बाद पारित किया गया है, जो संवैधानिक रूप से स्थापित है। लेकिन कुछ राज्य सरकारें हैं जो इसका विरोध कर रही हैं, चाहे वह तमिलनाडु सरकार हो या जम्मू-कश्मीर। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वे संविधान के प्रति घोर अवमानना दिखा रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के संविधान के तहत राज्य सरकारों को संसद द्वारा पारित कानून का विरोध करने का अधिकार नहीं है।उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जिस तरह के ²श्य देखने को मिले हैं, अगर वे इसे तार-तार कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि ये वे लोग हैं जिनके हाथों संविधान खतरे में है।''
गौरतलब है कि पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी थी, जिसे संसद ने बजट सत्र के दौरान पारित किया था।
पूनम शर्मा बनीं FLO की 42वीं राष्ट्रीय अध्यक्ष, जानिए कब तक रहेगा कार्यकाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) के 41वें वार्षिक सत्र के अवसर पर पूनम शर्मा ने एफएलओ की 42वीं राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। एफएलओ, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) का महिला प्रभाग है और यह दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे पुराना और प्रमुख महिला-नेतृत्व वाला व्यापारिक चैंबर माना जाता है।
इस खास मौके पर पूनम शर्मा ने कहा कि मेरे नेतृत्व में एफएलओ का उद्देश्य महिलाओं की आवाज़ को ताकत देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी आवाज जो न केवल समाज की सोच को बदल सके, बल्कि नीति-निर्माण और आर्थिक निर्णयों को भी प्रभावित कर सके। हम ऐसा वातावरण बनाएंगे जिसमें महिलाएं आत्मनिर्भर बनें, नेतृत्व करें और उद्यमिता के क्षेत्र में क्रांति लाएं
कब तक रहेगा पूनम शर्मा का कार्यकाल?जानकारी के अनुसार, एफएलओ की नई राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पूनम शर्मा का कार्यकाल 2025-26 तक रहेगा। अपने कार्यकाल के दौरान वह महिलाओं के नेतृत्व आर्थिक भागीदारी में आगे लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों का संचालन करेंगी। बताया गया कि नई एफएलओ अध्यक्ष का मुख्य फोकस विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना, कौशल विकास, स्टार्टअप्स को सहयोग रहेगा।
कब हुई थी FLO की स्थापना?गौरतलब है कि एफएलओ की स्थापना 1983 में फिक्की के एक प्रभाग के रूप में हुई थी। वर्तमान में एफएलओ का मुख्यालय नई दिल्ली में है औ इसके देश भर में 20 सक्रिय अध्याय हैं। एफएलओ लगभग 13,000 से अधिक महिला उद्यमियों, पेशेवरों और कॉर्पोरेट लीडर्स का प्रतिनिधित्व करता है। यह संगठन महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी व्यावसायिक क्षमता को विकसित कर सकें और सामाजिक-आर्थिक विकास की मुख्यधारा में प्रभावशाली भूमिका निभा सकें।
पूनम शर्मा के बारे में जानिएउल्लखनीय है कि पूनम शर्मा स्वास्थ्य और कल्याण क्षेत्र की एक सफल और प्रगतिशील महिला उद्यमी हैं। वह बैद्यनाथ समूह परिवार से आती है,जो आयुर्वेदिक उत्पादों का एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक ब्रांड है। चिकित्सा, टॉनिक, सौंदर्य उत्पादों और जीवनशैली के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। अपनी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के माध्यम से उन्होंने आयुर्वेद के लाभों का प्रचार-प्रसार किया और लाखों लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा की ओर आकर्षित किया।
26/11 मुंबई हमला: भारत लाया जाएगा आरोपी तहव्वुर राणा, प्रत्यर्पण पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई के 26/11 आतंकी हमले का मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा को अब भारत लाया जा सकेगा। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी।
बता दें कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तहव्वुर राणा की याचिका खारिज होने के बाद उसको भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि 64 साल का तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। जानकारी के मुताबिक वह वर्तमान में लॉस एंजेलिस स्थित मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन में कैद है।
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NHIDCL के डायरेक्टर से मिले सीएम हिमंत, इन अहम परियोजनाओं पर की चर्चा
जेएनएन, नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्ण कुमार से दिल्ली में मुलाकात की। इस बैठक में असम में एनएचआईडीसीएल द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने डॉ. कुमार से निम्नलिखित प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति में तेजी लाने का आग्रह किया:
- धुबरी (असम) और फुलबाड़ी (मेघालय) के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर 19.28 किमी लंबा 4-लेन पुल।
- ₹25,000 करोड़ की लागत से गुवाहाटी-सिलचर एक्सप्रेसवे।
- नुमालीगढ़-गोहपुर अंडरवाटर टनल।
- बैहाटा चारियाली से तेजपुर और गोहपुर से कुलजान तक राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार।
मुख्यमंत्री और एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक ने इन परियोजनाओं की समयबद्ध पूर्णता सुनिश्चित करने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की, जिससे असम और संपूर्ण उत्तर-पूर्व क्षेत्र में यात्रा समय में कमी और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो सके।
मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने एक्स पर मुलाकात की जानकारी देते हुए लिखा,"आज अपनी बैठक में राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्ण कुमार के साथ, मैंने असम में एजेंसी द्वारा लागू की जा रही प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की।"
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 मार्च को ₹10,601.40 करोड़ की अनुमानित लागत से मंजूरी प्रदान की थी, जो असम के औद्योगिक विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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मणिपुर के लिलोंग में तनाव के बाद लगा कर्फ्यू, इंफाल घाटी के कई हिस्सों में प्रदर्शन; भारी बल तैनात
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष असकर अली के घर में आगजनी के बाद थौबल जिला प्रशासन ने सोमवार को पूरे लिलोंग विधानसभा क्षेत्र में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी।
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेश में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने तथा हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि पुलिस अधीक्षक ने रविवार रात को रिपोर्ट दी कि लाठियों और पत्थरों से लैस लगभग सात से आठ हजार लोगों ने लिलोंग सम्ब्रुखोंग मामेई क्षेत्र में असकर अली के घर पर धावा बोल दिया और उसे आग लगा दी।
बीजेपी नेता ने किया था वक्फ कानून का समर्थनअसकर अली ने शनिवार को इंटरनेट मीडिया पर ने वक्फ संशोधन अधिनियम का समर्थन किया था, हालांकि घटना के बाद अली ने अपने पिछले बयान के लिए माफी मांग ली। इस बीच रविवार को इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में वक्फ संशोधन कानून को लेकर प्रदर्शन हुए। रैली में पांच हजार लोग शामिल हुए।
सुरक्षा बलों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़पप्रदर्शन के कारण लिलोंग में एनएच 102 पर यातायात बाधित हो गया। थौबल में इरोंग चेसाबा सहित कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारे लगाए और इस कानून की निंदा की। घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। संसद से पारित वक्फ संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंजूरी दे दी है।
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LPG गैस सिलेंडर 50 रुपये महंगा, पेट्रोल-डीजल का उत्पाद शुल्क 2 रुपये बढ़ा; जानिए उज्ज्वला योजना का हाल
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मंगलवार से देश में रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपये महंगा हो जाएगा। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से सोमवार (सात अप्रैल) को यह जानकारी दी गई। 8 अप्रैल से उज्ज्वला योजना के तहत 14.2 किलोग्राम के गैस सिलेंडर की कीमत 500 रुपये से बढ़ा कर 550 रुपये और गैर-उज्ज्वला कनेक्शन के तहत गैस सिलेंडर की कीमत 803 रुपये से बढ़ा कर 853 रुपये होगी।
इसके साथ ही सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क की दर में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी भी कर दी है। लेकिन इससे इनकी खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी क्योंकि तेल कंपनियों ने इसका समायोजन अपनी लागत में करने का फैसला किया है। बहरहाल, इस फैसले से साफ है कि अब जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बरल के करीब पहुंच चुकी हैं तो उसका तत्काल फायदा आम जनता को नहीं मिलेगा।
सरकार ने क्यों लिया ऐसा फैसला?जब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट है तब सरकार ऐसा फैसला क्यों कर रही है? पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) काफी लंबे समय से लागत से कम कीमत पर रसोई गैस की की बिक्री कर रही हैं। सरकार की नीति रही है कि लागत से कम कीमत पर आम जनता को जब रसोई गैस सिलेंडर दी जाती है तो उसकी भरपाई की जाती है।
वर्ष 2023-24 में तेल कंपनियों को 28 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ था तो उसके लिए 22 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान बजट से किया गया था। वर्ष 2024-25 में तेल कंपनियों को इस मद में 48 हजार करोड़ रुपये का घाटा संभावित है। अब जो पैसा बढ़े हुए उत्पाद शुल्क से वसूला जाएगा, उससे तेल कंपनियों को उक्त घाटे के एक हिस्से की भरपाई की जा सकेगी।
पिछले साल गैस की कीमतों में हुई थी कटौतीदो-दो रुपये का उत्पाद शुल्क पेट्रोल व डीजल पर लगाने से एक साल में तकरीबन 32 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व सरकार वसूलेगी। राजस्व संग्रह की यह राशि पहले सरकार के खजाने में जमा की जाएगी, उसके बाद उससे ओएमसी का आवंटन होगा। सनद रहे कि मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने सामान्य एलपीजी ग्राहकों केलिए गैस सिलेंडर की कीमत में सौ रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की थी।
पुरी ने यह भी कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 60-65 डॉलर प्रति बैरल बनी रहती है तो तेल कंपनियां पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में कटौती करने को सोच सकती हैं। सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 61.88 डॉलर प्रति बैरल रही है। वैश्विक मंदी की वजह से इसमें कमी होने की संभावना जताई जा रही है।
पेट्रोल और डीजल पर कितना हुआ उत्पादन शुल्क?- उत्पाद शुल्क को लेकर केंद्र सरकार का जो फैसला है उसके मुताबिक पेट्रोल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 11 रुपये प्रति लीटर से बढ़ा कर 13 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। डीजल पर यह शुल्क आठ रुपये से बढ़ा कर 10 रुपये प्रति लीटर की गई है। यह टैक्स संग्रह सरकार राज्यों के साथ साझा नहीं करती।
- इस वृद्धि के बाद पेट्रोल पर केंद्र सरकार की तरफ से आयद टैक्स की कुल दर 21.9 रुपये हो जाती है। इसमें विशेष उत्पाद शुल्क के अलावा 1.40 रुपये प्रति लीटर की बेसिक उत्पाद शुल्क, 2.50 रुपये कृषि अधिभार और पांच रुपये ढ़ांचागत क्षेत्र के लिए वसूला गया अधिभार शामिल है।
- पेट्रोलियम मंत्री पुरी का यह भी कहना है कि भारत में उज्ज्वला ग्राहकों के लिए एक दिन एलपीजी पर खाना बनाने की लागत सिर्फ 6.18 रुपये का है जबकि सामान्य एलपीजी ग्राहकों के लिए यह कीमत 14.18 रुपये प्रति दिन का है।
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Munambam Waqf Land Dispute: 'वक्फ को मिली जमीन की होगी जांच', केरल HC ने न्यायिक आयोग के गठन करने का दिया आदेश
पीटीआई, कोच्चि। केरल के मुनंबम जमीन विवाद के मामले में सोमवार को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई की। हाई कोर्ट ने इस दौरान एक जज की पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन को रद कर दिया गया था। इस मामले में न्यायिक आयोग के गठन का एलान केरल सरकार ने किया था।
हालांकि, हाई कोर्ट की एकल जज की पीठ ने 17 मार्च को इस न्यायिक आयोग की नियुक्ति को रद कर दिया था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और जस्टिस एस मनु की खंडपीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित किया और एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी।
सरकार जरूरी प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ेगी: कानून मंत्री पी राजीवहाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि न्यायिक आयोग अगले आदेश तक अस्थायी तौर पर काम करता रहेगा। अपील पर आगे की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद जून में होगी। अदालत के आदेश को लेकर केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने कहा कि अब आयोग अपना कार्य कर सकता है और सरकार जरूरी प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने साफ किया कि मुनंबम से किसी को भी नहीं निकाला जाएगा।
गौरतलब है कि बीते साल नवंबर में राज्य सरकार ने एक न्यायिक आयोग के गठन का एलान किया था। इसकी अध्यक्षता केरल हाई कोर्ट के पूर्व कार्यकारी चीफ जस्टिस सीएन रामचंद्रन नायर को सौंपी गई थी।
गौरतलब है कि केरल के एर्नाकुलम जिले में चेराई और मुनंबम गांव के रहने वालों का आरोप है कि वहां के वक्फ बोर्ड ने अवैध तरीके से उनकी जमीनों और संपत्तियों पर दावा कर दिया है। जबकि गांव वालों के पास रजिस्टर्ड बैनामे और जमीन पर टैक्स देने से जुड़ी रसीदें मौजूद हैं।
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ट्रंप के टैरिफ से भारत डरेगा नहीं, निर्यातकों की मदद के लिए सरकार ने बनाया मास्टर प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप सरकार के पारस्परिक शुल्क की घोषणा से निर्यात पर होने वाले असर को रोकने के लिए सरकार जल्द ही वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकती है। निर्यातकों को नए बाजार की तलाश के साथ लागत को कम करने के लिए वित्तीय मदद दी जा सकती है। हालांकि निर्यातक ब्याज दरों में छूट के साथ कई अन्य मदद की भी मांग कर रहे हैं।
आगामी बुधवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के साथ विभिन्न सेक्टर के एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की बैठक भी बुलाई है। पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद से ही सरकार के स्तर पर निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन शुरू हो चुका है।
'भारत सरकार को अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए'निर्यातकों के मुताबिक वे चाहते हैं कि अमेरिका व भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) के पहले चरण को पूरा होने तक पारस्परिक शुल्क को टाल दिया जाए। इस संबंध में भारत सरकार को अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो भारत को अगले दो-तीन माह में बीटीए के पहले चरण का समझौता कर लेना चाहिए। अभी दोनों देश आगामी सितंबर-अक्टूबर तक बीटीए के पहले चरण पर समझौते की उम्मीद जता रहे हैं।
निर्यातकों का कहना है कि तब तक बहुत देर हो जाएगी और उनका भारी नुकसान हो जाएगा।पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद दुनिया के कई देशों ने ट्रंप सरकार से शुल्क में कमी को लेकर बातचीत की शुरुआत कर दी है और इनमें अमेरिका के बाजार में भारत को प्रतिस्पर्धा देने वाले देश भी शामिल हैं।
वियतनाम ने अमेरिकी वस्तु पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दियाइलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में भारत को कड़ा मुकाबला देने वाले वियतनाम ने अमेरिकी वस्तु पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है और अब वियतनाम अमेरिका से अपने ऊपर लगाए गए 46 प्रतिशत के शुल्क को समाप्त करने की गुजारिश कर रहा है।
निर्यातकों का कहना है कि भारत को जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि अनिश्चितता की वजह से अमेरिका से नए आर्डर ठप है और अमेरिकी खरीदारी पुराने आर्डर की डिलिवरी भी फिलहाल लेने से मना कर रहे हैं। खरीदार कीमत में छूट की भी मांग कर रहे हैं।
ट्रंप के फैसले से छोटे निर्यातक अधिक प्रभावित होंगेनिर्यातकों का कहना है कि खरीदार को छूट देने की स्थिति में उसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के मुताबिक ट्रंप के फैसले से छोटे निर्यातक अधिक प्रभावित होंगे। वे अपने खरीदार को कीमत में छूट भी नहीं दे सकते हैं। नए बाजार की तलाश के लिए के साथ ब्याज में छूट की भी मांग की जा रही है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क से वर्ष 2025 में 5.7 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। इनमें मुख्य रूप से मछली व अन्य समुद्री उत्पाद, जेम्स व ज्वैलरी, स्टील के सामान, कार्पेट मुख्य रूप से शामिल है। भारत के लघु निर्यातक अमेरिका में पेपर, पेपरबोर्ड व संबंधित आइटम, टूल्स, कटलेरी व किचन का सामान का निर्यात करते हैं।
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Waqf Law 2025: 'समावेशी शासन हो प्राथमिकता', नए वक्फ कानून का विरोध करने वालों से एक्सपर्ट ने पूछे कौन-से दो सवाल?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संसद ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पारित किया, जिसे 'उम्मीद' नाम दिया गया है। इस कानून को लाने का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार बताया गया। नए कानून का उद्देश्य वक्फ प्रशासन को आधुनिक बनाना, इस में पारदर्शिता लाना और लाखों एकड़ में फैली वक्फ संपत्तियों की देखरेख में लंबे समय से चली आ रही अक्षमताओं को दूर करना है।
हालांकि, इस कानून को विभिन्न मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है, जो इस कानून को अल्पसंख्यक मामलों में सरकार का अतिक्रमण मानते हैं। सरकार को इस कानून की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए समावेशी शासन और जनविश्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इतिहास से पता चलता है कि भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले भी, वक्फ संपत्तियां अक्सर विभिन्न विवादों में उलझी रहती थीं। लेकिन आजादी के बाद इनमें और अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली।
कुछ विवाद उन संपत्तियों से उत्पन्न हुए जिन पर वक्फ का दावा था, जबकि अन्य विवाद वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और बिक्री से उत्पन्न हुए। जो लोग वक्फ संपत्तियों के साथ किसी भी रूप में जुड़े रहे हैं, वे यह भली भांति जानते हैं कि इन संपत्तियों का लाभ भारतीय मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से तक नहीं पहुंचा।
वक्फ का क्या काम है?इस्लामी विद्वान रामिश सिद्दीकी बताते हैं कि वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसने इस्लामिक सभ्यताओं में सामाजिक, आर्थिक और शहरी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वक्फ ने धार्मिक संस्थाओं से लेकर सामाजिक संस्थाओं दोनों का समर्थन करते हुए कल्याणकारी प्रविधान की आधारशिला के रूप में काम किया।
अलग-अलग समय और स्थानों में वक्फ की अद्भुत अनुकूलनशीलता इसे एक दीर्घकालिक विचार के रूप में दर्शाती है, जिसने व्यक्ति की आस्था और सामाजिक जिम्मेदारियों दोनों के बीच पुल का कार्य किया।
क्यों हो रहा वक्फ संशोधन कानून का विरोध?रामिश सिद्दीकी के मुताबिक, इस कानून की आलोचना करने वालों का मानना है कि यह वक्फ संपत्तियों पर मुस्लिमों के अधिकार को कमजोर कर सकता है, जबकि समर्थकों का तर्क है कि यह वक्फ में कुप्रबंधन और अतिक्रमण को रोकने में सहायक होगा। हालांकि, दोनों दृष्टिकोणों के सामने चुनौतियां हैं।
सवाल :1. सबसे पहले, नए कानून के आलोचकों से हमारा एक प्रश्न है कि क्या आम मुसलमानों का कभी इन वक्फ संपत्तियों पर कोई नियंत्रण था, या यह सिर्फ समुदाय के कुछ चुनिंदा लोगों के पास ही हमेशा रही?
2. दूसरे, वे लोग जो दावा करते हैं कि नए कानून से कुप्रबंधन और अतिक्रमण खत्म होगा, उनसे मेरा सवाल है कि भारत में कई कानून हैं लेकिन क्या कहीं भी भूमि अतिक्रमण पूरी तरह से समाप्त हो पाया?
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रामिश सिद्दीकी ने बताया, ''बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने एक बार कहा था कि संविधान केवल राज्य की संस्थाओं जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना प्रदान कर सकता है। लेकिन इन संस्थाओं कर वास्तविक क्षमता जिन कारकों पर निर्भर करती है, वे हैं- जनता और राजनीतिक दल। नए वक्फ कानून की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि सरकार भरोसे की कमी को कैसे दूर करेगी, इसे निष्पक्ष तरीके से कैसे लागू करेगी।''
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Trump Tariff: ट्रंप के टैरिफ से भारत को लगेगा बड़ा झटका? रिपोर्ट ने डराया, जानिए कितना होगा नुकसान
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिकी शुल्क में वृद्धि के कारण इस वर्ष समुद्री सामान, सोना, इलेक्टि्रकल और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों से अमेरिका को भारत के वस्तु निर्यात में 5.76 अरब डॉलर की गिरावट आने के आसार हैं।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि इससे चुनिंदा उत्पाद खंडों में भारत की प्रतिस्पर्धी स्थिति कुछ नुकसान की भरपाई करने में सहायक साबित हो सकती है। वस्त्र, परिधान, सिरेमिक उत्पाद, अकार्बनिक रसायन और दवा क्षेत्रों में मामूली बढ़त देखी जा सकती है।
अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर भी लगाया टैरिफअमेरिका ने दवा, सेमीकंडक्टर और कुछ ऊर्जा वस्तुओं को छोड़कर भारतीय वस्तुओं पर नौ अप्रैल से 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने का एलान किया है। 10 प्रतिशत मूल शुल्क पहले ही पांच से आठ अप्रैल के बीच लागू किए जा चुके हैं।
जीटीआरआई ने कहा कि विस्तृत व्यापार आंकड़ों और शुल्क अनुसूचियों का इस्तेमाल करते हुए विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि 2025 में भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में 5.76 अरब डॉलर या 6.41 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
इन उत्पादों में भारी कमी आने के आसारभारत ने 2024 में अमेरिका को 89.81 अरब डॉलर मूल्य का सामान निर्यात किया था। इसमें कहा गया, कई प्रमुख उत्पाद समूहों में कमी आने की संभावना है। मछली और 'क्रस्टेशियन' के निर्यात में 20.2 प्रतिशत, लोहे या इस्पात की वस्तुओं में 18 प्रतिशत, हीरे, सोने के उत्पादों में 15.3 प्रतिशत, वाहन व कलपुर्जों के निर्यात में 12.1 प्रतिशत और इलेक्टि्रकल, टेलिकॉम व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में 12 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
प्लास्टिक, कालीन, पेट्रोलियम उत्पाद, कार्बनिक रसायन और मशीनरी जैसी अन्य श्रेणियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
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कैसे बढ़ेगी कांग्रेस की इनकम? संपत्तियों के लिए बनाया ये प्लान; जानिए किसे मिली जिम्मेदारी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संगठन को गांव और वार्ड स्तर पर मजबूत करने के प्रयासों में जुटी कांग्रेस ने इसके बीच आने वाली आर्थिक चुनौतियों को भी गंभीरता से लिया है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व का प्रयास है कि देशभर में जो भी कांग्रेस की संपत्तियां हैं, उनका सिरे से ब्योरा जुटाया जाए।
यह जिला और शहर अध्यक्षों से ही रिपोर्ट मांगी है कि किस संपत्ति का कैसे सदुपयोग किया जाए कि उससे आय की व्यवस्था हो और संगठन गतिविधियों को बिना मुश्किल संचालित किया जा सके। कई राज्यों में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है। इसका राजनीतिक प्रभाव कमजोर संगठन के रूप में पड़ा तो काफी असर पार्टी की माली हालत पर भी पड़ा है।
संगठन को धरातल पर मजबूत करने में जुटा हाईकमानचुनाव लड़ने में आने वाली आर्थिक चुनौतियों को कई बार शीर्ष नेतृत्व ने व्यक्त किया है तो अक्सर बैठकों में राज्यों और जिलों के पदाधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है कि संगठन की गतिविधियों को सुचारु चलाने में पैसों की कमी आड़े आ रही है। अब चूंकि, कांग्रेस हाईकमान ने संगठन को धरातल पर मजबूत करने के लिए विशेष अभियान छेड़ रखा है तो आर्थिक संकट के पहलू को भी अपनी चिंताओं में शामिल किया है।
इसे दूर करने की दिशा में नेतृत्व क्या सोच रहा है, इसे पिछले दिनों हुई नवनियुक्त जिला और शहर अध्यक्षों के साथ हुई बैठक में भी साझा किया गया। बैठक में शामिल रहे सूत्र ने बताया कि कुछ अध्यक्षों ने मांग उठाई कि यदि शीर्ष नेतृत्व कुछ आर्थिक सहयोग करे तो संगठन के काम को तेजी से आगे बढ़ाने में सहूलियत होगी। इस पर मंचासीन एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि इसके लिए पार्टी ने कुछ विचार कर रखा है।
कांग्रेस की स्थानीय इकाइयों के पास हैं तमाम पुरानी संपत्तिदरअसल, देश भर में कांग्रेस की स्थानीय इकाइयों के पास बहुत सी पुरानी संपत्ति है। कुछ जिला व शहर अध्यक्षों ने गड़बड़ियां कर दी हैं। पार्टी हित न देखते हुए संपत्तियों को विवादित कर दिया या पुराने विवादों में साठगांठ कर प्रतिवादी को लाभ पहुंचा दिया। इसके अलावा बहुत सी बहुमूल्य संपत्ति का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। वरिष्ठ पदाधिकारी ने जिला व शहर अध्यक्षों से कहा कि आप अपने क्षेत्र की कांग्रेस की सभी संपत्तियों का ब्योरा जुटाएं।
जो संपत्ति गैर विवादित हैं, उन्हें चिह्नित कर रिपोर्ट सौंपें कि उनका उपयोग किस तरह कर सकते हैं कि पार्टी को आय हो सके। जैसे परिसर बड़ा हो। कार्यालय के लिए पर्याप्त स्थान के अलावा भूमि बच रही हो तो उसका व्यावसायिक उपयोग कराया जा सकता है। इसी तरह विवादित संपत्तियों पर भी रिपोर्ट बनाएं, ताकि स्थानीय, राज्य या एआईसीसी की लीगल सेल से मशविरा कर उनका निस्तारण भी कराने के प्रयास किए जा सकें।
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मणिपुर में आतंकियों से हुई सुरक्षा बलों की मुठभेड़, हथियारों का जखीरा बरामद
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच मुठभेड़ हुई है। सोमवार को पुलिस ने जानकारी दी है कि मणिपुर के थौबल जिले में प्रतिबंधित कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी संगठन के आतंकियों के साथ सुरक्षा बलों की संक्षिप्त मुठभेड़ हुई है। इसके बाद एक उग्रवादी शिविर से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है।
आतंकियों ने जवानों पर की फायरिंगजानकारी के मुताबिक रविवार को सुरक्षा बल हेरोक पार्ट-3 इलाके में तलाशी अभियान चला रहे थे। तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के बाद आतंकी वहां से भाग निकले। बाद में सेना ने तलाशी अभियान चलाया तो आतंकियों का एक बड़ा कैंप मिला। यहां तलाशी लेने पर गोला-बारूद और हथियारों का जखीरा बरामद हुआ।
कैंप से सुरक्षा बलों को क्या-क्या मिला?पुलिस के मुताबिक कैंप से एक सेल्फ-लोडिंग राइफल, एक मैगजीन, एक 12 बोर की सिंगल बैरल बंदूक, 7.62 मिमी के 21 कारतूस, 3 बुलेटप्रूफ जैकेट, 2 प्लेट, छद्म कपड़े, सीरिंज, दवाइयां और 3 चार पहिया वाहन मिले हैं।
एक आतंकी पकड़ा गयाउधर, पुलिस ने रविवार को इंफाल पश्चिम जिले के नागमपाल इलाके में केसीपी के एक आतंकी को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। आरोपित की पहचान वैखोम लवसन सिंह (31) के रूप में हुई है। वह जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल था।
इंफाल पूर्व जिले में भी मिले हथियारएक अन्य मामले में सुरक्षा बलों ने रविवार को इंफाल पूर्व जिले के पौराबी गांव के पास माकौ पहाड़ी क्षेत्र से एक .32 पिस्तौल, एक मैगजीन, एक खाली इंसास मैगजीन और कारतूस बरामद किए हैं।
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वक्फ संशोधन कानून का समर्थन पड़ा भारी, भाजपा नेता असकर अली के घर को भीड़ ने लगाई आग
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में भाजपा नेता को वक्फ संशोधन कानून का समर्थन करना भरी पड़ गया। भीड़ ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया। पुलिस के मुताबिक मणिपुर में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष असकर अली ने वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया था। इससे खफा भीड़ ने यह कदम उठाया है। घटना रविवार रात को थौबल जिले के लिलोंग में हुई है।
रात में घर के बाहर जुटी गुस्साई भीड़अधिकारियों के मुताबिक असकर अली ने सोशल मीडिया पर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया था। इसके बाद रविवार की रात लगभग नौ बजे गुस्साई भीड़ उनके घर के बाहर जुटी। देखते ही देखते भीड़ ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। कुछ देर बाद घर को आग लगा दी।
पिछले बयान पर मांगी माफीआगजनी की घटना के बाद असकर अली ने एक नया वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने अपने पिछले बयान पर माफी मांगी। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध भी किया।
प्रदर्शनकारियों के साथ सुरक्षा बलों की झड़पउधर, इंफाल घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। पांच हजार से अधिक लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। लिलोंग में एनएच-102 पर जाम भी लगाया। अधिकारियों के मुताबिक थौबल के इरोंग चेसाबा में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई है।
मुस्लिम बहुल इलाकों में बढ़ाई गई सुरक्षाप्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन में शामिल साकिर अहमद ने कहा, "वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान की भावना के खिलाफ है। मुस्लिम समुदाय इसे स्वीकार नहीं करेगा। अधिकारियों का कहना है कि इंफाल घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
वक्फ संशोधन विधेयक गुरुवार की रात लोकसभा और शुक्रवार को राज्यसभा से पारित किया गया था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है। नए कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित बनाना है।
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नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी RJD, मुस्लिम संगठन देशभर में करेंगे विरोध प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नए वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए आज याचिका दायर करेगा। ये याचिका पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज झा और पार्टी नेता फैयाज अहमद लगाएंगे। बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। नए वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब तक 6 याचिका दाखिल हो चुकी हैं।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 11 अप्रैल से पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि वो वक्फ कानून में बताए गए प्रावधानों को कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि ये कानून संविधान का हनन करने वाला है और ये देश के सौहार्द को भी पूरी तरह से खत्म कर देगा।
इसके बाद अलग-अलग संगठनों की ओर से भी अर्जियां लगाई जाएंगी। उन्होंने संसद से पारित वक्फ संशोधन बिल को असंवैधानिक और सौहार्द के खिलाफ करार दिया।
कब होगी सुनवाई?बता दें कि लोकसभा एवं राज्यसभा से पास होने के बाद अब वक्फ बिल को राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद इसे कानून का दर्जा हासिल हो गया है।
आरजेडी सासंद मनोज झा ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि वक्फ संशोधन कानून संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। यह सौहार्द को खराब करने की साजिश है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर जल्द सुनवाई करेगा। इस को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा मंजूरी दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो सरकार की प्रक्रिया है। हम वो कर रहे हैं जो हमारा अधिकार है।
केंद्र सरकार जारी करेगा नोटिफिकेशनअब नए कानून को लागू करने की तारीख को लेकर केंद्र सरकार अलग से एक नोटिफिकेशन जारी करेगी। यह बिल (अब कानून) 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में 12-12 घंटे की चर्चा के बाद पास हुआ था।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पुर्तगाल के दौरे पर पहुंचीं, 25 साल में किसी महामहिम की पहली यात्रा
एएनआई, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन पहुंच गई हैं। यह यात्रा पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो दे सूज़ा के निमंत्रण पर हो रही है। यह द्रौपदी मुर्मू की पहली यूरोपीय यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों की ओर इशारा करती है।
राष्ट्रपति मुर्मू का लिस्बन एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया गया। पुर्तगाल के वरिष्ठ अधिकारियों और भारतीय समुदाय के प्रतिनिधियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
#WATCH | President Droupadi Murmu arrives in Lisbon, Portugal.
The President is on a state visit to Portugal at the invitation of the President of Portugal, Marcelo Rebelo de Sousa. pic.twitter.com/cTgxIlO5b1
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Weather Update: उत्तर भारत में अप्रैल में ही जून जैसी गर्मी, दिल्ली-पंजाब में लू का अलर्ट
जागरण, नई दिल्ली। दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में गर्मी का असर साफ देखा जा रहा है। दिल्ली में ही रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 3.1 डिग्री अधिक 38.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। कुछ यही हाल पंजाब का रहा। बठिंडा में अधिकतम तापमान 39.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
दिल्ली और पंजाब में सोमवार से लू चलने का पूर्वानुमान है। मैदान के साथ ही पहाड़ी राज्यों में भी गर्मी का असर दिखाई पड़ रहा है। अप्रैल के पहले सप्ताह में ही पहाड़ भी तपने लगे हैं। हिमाचल और उत्तराखंड में कई जगहों पर तापमान 30 डिग्री से ऊपर चला गया है।
दिल्ली में 41 डिग्री तक जा सकता है तापमान: IMDराजधानी दिल्ली में रविवार को आसमान साफ रहा और दिन भर तेज धूप भी देखने को मिली। मौसम विभाग का अनुमान है कि सोमवार को आसमान साफ रहेगा। मौसम में नमी की मात्रा कम होने से लोगों को गर्म हवा के थपेड़ों का अहसास होगा। अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 41 और 21 डिग्री रहने की संभावना है। इसी तरह पंजाब में कई जगहों पर अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री तक ज्यादा दर्ज किया गया। पटियाला में रविवार को अधिकतम तापमान 38.4, लुधियाना में 38.1, फरीदकोट में 38, चंडीगढ़ में 37.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार 10 अप्रैल तक पंजाब के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है। हिमाचल, उत्तराखंड में भी पारा चढ़ा हिमाचल प्रदेश में मौसम विभाग ने सात व नौ अप्रैल को अधिकतम तापमान में दो से तीन डिग्री तापमान में वृद्धि होने की संभावना जताई है। प्रदेश के चार जिलों कांगड़ा, कुल्लू, मंडी व सोलन के कुछ हिस्सों में गर्म हवाएं चलने की संभावना है।
10-11 अप्रैल को मौसम विभाग की भविष्यवाणीमौसम विभाग ने 10 और 11 अप्रैल को हल्की वर्षा और हिमपात की संभावना जताई है। रविवार को प्रदेश के 12 स्थानों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच गया। वहीं अगले एक-दो दिन के भीतर प्रदेश के 20 से अधिक स्थानों पर अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से पार होने की संभावना है।
वहीं उत्तराखंड के दून समेत ज्यादातर क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है, जो कि सामान्य से करीब पांच डिग्री सेल्सियस अधिक है। हालांकि, मंगलवार से प्रदेश में मौसम का मिजाज बदलने के आसार हैं। मौसम विभाग के अनुसार, मंगलवार से पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की वर्षा, मैदानी क्षेत्रों में गरज के साथ बौछार व अंधड़ चलने की आशंका है।
बिहार, बंगाल और तमिलनाडु के लिए क्या है अमित शाह का प्लान?, विधानसभा चुनाव के लिए बनाई ये रणनीति
एएनआई, नई दिल्ली। भाजपा तीन राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चुनावी मोड में आ चुकी है। पार्टी के चाणक्य और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसी के चलते बिहार, बंगाल और तमिलनाडु का चुनाव हो जाने तक हर महीने दो-दो दिन का दौरा कर पार्टी की चुनाव तैयारियों को बूस्टर डोज देंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा इन तीन बड़े राज्यों बिहार, बंगाल और तमिलनाडु में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत जोंकने को संकल्पबद्ध है। इसीलिए शाह शुक्रवार को संसद सत्र का अवसान होते ही तत्काल चुनाव मिशन पर निकलने को तत्पर हैं। अप्रैल माह से ही वह इन तीनों राज्यों में हर महीने अपना दौरा करेंगे।
30 अप्रैल को बिहार जाएंगे अमित शाहशाह 30 अप्रैल को बिहार जाएंगे और वहां एक मई तक राज्य के नेताओं के साथ भाजपा की चुनाव तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इसी तरह वह बंगाल में भी 14-15 अप्रैल को अपने चुनावी दौरों की शुरुआत करेंगे, जो हर महीने वहां चुनाव हो जाने तक जारी रहेगी। अमित शाह तमिलनाडु में अपना पहला चुनावी दौरा 10 और 11 अप्रैल को करेंगे।
इस यात्रा के दौरान वह चेन्नई में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ कई बैठकें करेंगे। ताकि वहां पर भाजपा की चुनावी तैयारियों का सही मूल्यांकन किया जा सके। वह तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक से गठजोड़ पर भी चर्चाओं को आगे बढ़ाएंगे। वह चेन्नई में भाजपा नेताओं के साथ ही राजग के घटक दलों से भी मुलाकात करेंगे। उल्लेखनीय है कि बिहार में इसी साल नवंबर तक विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है जबकि बाकी दो राज्यों बंगाल व तमिलनाडु में अगले साल चुनाव होने की उम्मीद है।
मणिपुर: BJP अल्पसंख्यक नेता अली असगर के घर को हिंसक भीड़ ने फूंका, वक्फ संशोधन कानून के पक्ष में दिया था बयान
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष असकर अली के घर में रविवार रात भीड़ ने आग लगा दी। असकर ने वक्फ संशोधन अधिनियम का समर्थन किया था।
यह घटना थौबल जिले में हुई। अली ने शनिवार को इंटरनेट मीडिया पर इस कानून का समर्थन किया था। बताया जा रहा है कि इसी से नाराज होकर भीड़ ने उनके घर में आग लगाई।
घर में लगा दी आग, रैली में शामिल पांच हजार लोगअधिकारियों ने बताया कि रात करीब नौ बजे गुस्साई भीड़ उनके आवास के बाहर जुटी। भीड़ ने तोड़फोड़ के बाद में घर में आग लगा दी। घटना के बाद अली ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने अपने पिछले बयान के लिए माफी मांगी। इससे पहले दिन में इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। रैली में पांच हजार लोग शामिल हुए। प्रदर्शन के कारण लिलोंग में एनएच 102 पर यातायात बाधित हो गया। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प भी हुई।
घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में सुरक्षा बढ़ीऐसी ही एक घटना थौबल के इरोंग चेसाबा में हुई। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारे लगाए और इस कानून की निंदा की। घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। संसद से पारित वक्फ संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने मंजूरी दे दी है।
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