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आतंक पर कड़े प्रहार की तैयारी, UNSC सदस्यों को साधने में लगा भारत; जयशंकर ने 7 देशों के मंत्रियों से की बात

Dainik Jagran - National - April 30, 2025 - 1:02am

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य बलों को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाले आतंकियों पर कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है, तो दूसरी तरफ भारत ने वैश्विक समुदाय को अपनी बात समझाने की पहल भी तेज कर दी है।

इस क्रम में मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सात अस्थायी सदस्यों से टेलीफोन पर बात। ये देश हैं गुयाना, ग्रीस, स्लोवेनिया, पनामा, सोमालिया, सिएरा लियोन और अल्जीरिया। पाकिस्तान भी अभी यूएनएससी के दस अस्थायी सदस्यों में शामिल है और उम्मीद है कि भारत की तरफ से आतंकियों पर किसी तरह के सैन्य कार्रवाई होने की स्थिति में वह भारत के विरुद्ध प्रस्ताव ला सकता है।

अस्थायी सदस्य देशों के साथ भारतीय विदेश मंत्री के संपर्क को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। उक्त देशों के अलावा दक्षिण कोरिया, डेनमार्क और सिएला लियोन भी यूएनएससी के अस्थायी सदस्य हैं। जिस दिन आतंकियों ने पहलगाम में हमला (22 अप्रैल) किया था, भारत उसी दिन से वैश्विक समुदाय के बीच अपनी बात रखा रहा है। पहले दो दिनों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बात की थी, जबकि विदेश मंत्री जयशंकर ने भी तकरीबन 25 देशों के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग बात की है।

कई देशों के साथ भारत की पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी

यूएनएससी के जिन अस्थायी सदस्यों के साथ जयशंकर की बात हुई है उनमें कई देशों के साथ भारत की पारंपरिक रणनीतिक साझेदारी है। ग्रीस के विदेश मंत्री जार्ज गेरापेट्रीटिस से वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले पर बात हुई है। ग्रीन सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रुख रखता है जिसका हम स्वागत करते हैं। हमारे संबंधों की गहराई में हमारी रणनीतिक साझेदारी दिखती है।

अल्जीरिया के विदेश मंत्री अहमद अताफ से वार्ता के बाद जयशंकर ने लिखा कि पहलगाम पर समर्थन के लिए उनका धन्यवाद। हम अपनी साझेदारी को लेकर दृढ़ हैं और उनका हम जल्द ही भारत में स्वागत करेंगे। इसी तरह से गुयाना के साथ भी भारत के काफी करीबी संबंध हैं।

पिछले साल पीएम मोदी ने की थी गुयाना

नवंबर, 2024 में ही प्रधानमंत्री मोदी ने गुयाना की यात्रा की थी। गुयाना के भारत में राजदूत धीरज कुमार सीराज ने कहा है कि हर देश के पास अपने नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है। स्लोवेनिया ऐसा देश है जो यूएनएससी में भारत को स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन करता है। भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की स्थिति में इन सभी देशों की अहम भूमिका होगी।

उधर, पाकिस्तान की तरफ से भी दुनिया के कई देशों के साथ संपर्क किया जा रहा है। विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने मंगलवार को बहरीन, कुवैत और हंगरी के विदेश मंत्रियों से बात की। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सीजार्टो ने इसके बाद कहा कि हंगरी बढ़ते आतंकवाद से चिंतित है, लेकिन दो परमाणु संपन्न देशों के बीच लड़ाई यह दुनिया बर्दाश्त नहीं कर सकती। जाहिर है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री की तरफ से जिन देशों से बात हो रही है उन्हें परमाणु युद्ध के खतरे के बारे में बताया जा रहा है।

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पहलगाम हमले को लेकर कांग्रेस ने अपने नेताओं की दी नसीहत, बोली- गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचें

Dainik Jagran - National - April 30, 2025 - 12:45am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सियासी और सामाजिक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ऐसे संवेदनशील मौके पर कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं और पदाधिकारियों के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। पार्टी की ओर से यह कदम उठाया गया है ताकि किसी भी तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचा जा सके और एकजुटता के साथ पार्टी की आधिकारिक पोजिशन पेश की जा सके।

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल की ओर से इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पार्टी के सभी पदाधिकारी अनुशासन का पूरा पालन करें और सार्वजनिक बयानबाजी में एकरूपता बरतें।

बयान सिर्फ आधिकारिक रुख के मुताबिक हो

सर्कुलर में साफ तौर पर कहा गया है कि पार्टी की तरफ से बयान देने के लिए केवल अधिकृत व्यक्ति ही आगे आएं और वे भी केवल कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) द्वारा 24 अप्रैल 2025 को पारित प्रस्ताव में दर्ज पार्टी के रुख तक ही सीमित रहें।

कांग्रेस ने चेताया है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और इसमें किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। पार्टी ने अपने सभी नेताओं को याद दिलाया है कि ऐसे नाजुक मौकों पर संयम और शालीनता बनाए रखना जरूरी है, जो कि कांग्रेस की पुरानी परंपरा और उसूलों का हिस्सा है।

संयम और जिम्मेदारी जरूरी: कांग्रेस

सर्कुलर में आगे कहा गया है, "आइए हम कांग्रेस पार्टी के मूल्यों और रवायतों को ध्यान में रखते हुए एकजुट होकर देश के सामने गरिमा और समझदारी का परिचय दें, जिसकी अपेक्षा इस वक़्त मुल्क को हमसे है।"

गौरतलब है कि इस तरह की हिदायतें ऐसे समय में दी गई हैं जब आतंकवाद को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो जाती है, जिससे भ्रम और सियासी तनाव बढ़ सकता है। कांग्रेस का यह कदम जिम्मेदार राजनीतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है।

(एएनआई इनपुट के साथ)

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माता या पिता की ईमानदारी बच्चे की कस्टडी तय करने का आधार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Dainik Jagran - National - April 30, 2025 - 12:03am

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अलग-अलग रह रहे माता-पिता के बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर कानूनी लड़ाई में बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करना सर्वोपरि है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बच्चे की कस्टडी के मामलों में, सर्वोपरि ध्यान बच्चे के कल्याण पर होना चाहिए। माता या पिता का सबसे उच्च दर्जे की ईमानदारी, प्रेम और स्नेह दिखाना, बच्चे की कस्टडी तय करने का आधार नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट के 11 दिसंबर 2024 को दिए गए आदेश को खारिज करते हुए आई है। हाई कोर्ट ने हर माह 15 दिन के लिए दो नाबालिग बच्चों की अंतरिम कस्टडी पिता को सौंपी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे बच्चों की भलाई के लिए हानिकारक और अव्यवहारिक बताया।

जानिए क्या है पूरा मामला? 

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला हाई कोर्ट के आदेश को मां द्वारा चुनौती देने पर आया। अदालत पहुंचे इस जोड़े की शादी 2014 में हुई 2016 में एक लड़की का जन्म हुआ। मनमुटाव के चलते 2017 से दोनों अलग रहने लगे, लेकिन 2021 में हुई छोटी सुलह के बाद 2022 में एक लड़के के रूप में दूसरे बच्चे का जन्म हुआ। पिता ने 2024 में तिरुवनंतपुरम के एक पारिवारिक न्यायालय में बच्चे की कस्टडी की मांग की। अदालत ने पिता को सीमित मुलाकात का अधिकार दिया। बाद में हाई कोर्ट ने 15 दिनों के लिए इस शर्त पर कस्टडी दी कि एक फ्लैट किराये पर ले, आया रखे और बच्चों के लिए परिवहन का इंतजाम करे।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया HC का आदेश

इस आदेश को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि बच्चों की शारीरिक-मानसिक भलाई के लिए अंतरिम व्यवस्था ना तो संभव है और ना ही अनुकूल। इसमें बच्चों के विकास से जुड़ी जरूरतों, विशेषरूप से स्थायित्व, पोषण और भावनात्मक सुरक्षा पर ध्यान देने में अदालत विफल रही। हालांकि, हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि पिता भी बहुत प्रेम करने वाला है जिसने बच्चों को बड़ा करने में बराबरी और असरदार भूमिका निभाने की इच्छा दिखाई। इसलिए उसे कस्टडी नहीं देना न तो स्वीकार्य है और न ही न्यायोचित और यह परिवार को जोड़ने की सभी संभावनाएं खत्म कर सकता है।

पीठ ने कहा हर दूसरे शनिवार और रविवार को पिता के पास बेटी की कस्टडी होगी और इन दिनों वह एक काउंसलर की मौजूदगी में बेटे से भी चार घंटे के लिए मिल सकता है। पिता हर मंगलवार और गुरुवार को 15 मिनट के लिए बेटे से वीडियो काल में बात कर सकता है।

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अफजल गुरु की तारीफ करने वालों के खिलाफ दर्ज FIR नहीं होगी रद, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

Dainik Jagran - National - April 29, 2025 - 11:50pm

पीटीआई, नई दिल्ली। संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की प्रशंसा करने, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कपड़ों पर टिप्पणी करने और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्टों के जजों के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोपित तमिलनाडु तौहीद जमात के दो सदस्यों के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट ने रद करने से इनकार कर दिया है।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अपने 22 अप्रैल के फैसले में तौहीद जमात के दो सदस्यों के विरुद्ध कर्नाटक और तमिलनाडु में दर्ज तीन प्राथमिकियों को एक साथ संलग्न कर दिया। साथ ही कहा कि रहमतुल्ला और जमाल मोहम्मद ने 17 मार्च, 2022 को मदुरै में एक विरोध रैली में बेहद आपत्तिजनक नफरत भरे भाषण दिए थे।

पीठ ने आरोपी का भाषा को बताया आपत्तिजनक

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा भाषणों में इस्तेमाल की गई भाषा बेहद आपत्तिजनक है और कथित अपराधों का ब्योरा उजागर करती है। इसलिए इस अदालत के लिए प्राथमिकियों को रद करने के संबंध में संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत रिट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने की गुंजाइश नहीं है।

पीठ ने कर्नाटक के बेंगलुरु और तमिलनाडु के तंजावुर व मदुरै में दोनों के विरुद्ध दर्ज कई प्राथमिकियों में कही गई बातों पर गौर किया। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने भारतीय संसद पर हमले के मास्टरमाइंड आतंकी अफजल गुरु की प्रशंसा की। उन्होंने अयोध्या राम मंदिर के फैसले के विरुद्ध भी टिप्पणी की; उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के परिधान; ईसाइयों के त्योहार; हिंदुओं द्वारा अपने शरीर पर भस्म लगाने की प्रथा; सिखों द्वारा अपने साथ कृपाण रखने की धार्मिक प्रथा और इसे मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब से जोड़ने का प्रयास किया।

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले की निंदा का आरोप

पीठ ने कहा कि दोनों ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले की भी निंदा की। शीर्ष अदालत ने कहा कि 'नफरती भाषण' के आधार पर मदुरै शहर के थल्लाकुलम थाने में तैनात एक उपनिरीक्षक ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 18 मार्च, 2022 को दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, किसी समुदाय को दूसरे समूह के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाने और अन्य अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई। इसी दिन तंजावुर में भी इसी तरह की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एक वकील की शिकायत पर 19 मार्च, 2022 को विधानसौध थाना, बेंगलुरु में एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तमिलनाडु तौहीद जमात के दोनों सदस्यों ने तमिलनाडु की दोनों प्राथमिकियों को एक साथ संलग्न करने और बेंगलुरु की प्राथमिकी को रद करने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

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