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Stumbling stock market raises spectre of dot-com era reckoning

Business News - March 24, 2025 - 5:25am
A revolutionary new technology comes along and infatuates investors with its seemingly limitless possibilities. Euphoria sparks a stock market rally. Eventually things get overheated and share prices become ridiculous. Then it all collapses.Sound familiar?It happened exactly 25 years ago when the roughly five-year dot-com bubble popped, leaving trillions of dollars of investment losses in its wake. On March 24, 2000, the S&P 500 Index posted a record level it wouldn't see again until 2007. Three days later, the tech-heavy Nasdaq 100 Index also closed at an all-time high, the last time it would do that for more than 15 years.Those peaks marked the end of an electric run that started with the blowout initial public offering for Netscape Communications Corp, which started trading in August 1995. Between then and March 2000, the S&P 500 would almost triple, while the Nasdaq 100 soared 718%. And then it ended. By October 2002, more than 80% of the Nasdaq's value was gone, and the S&P 500 was essentially cut in half.Echoes of that era are reverberating now. The technology this time is artificial intelligence. After a wild stock market rally that sent the S&P 500 soaring 72% from its trough in October 2022 to its peak last month, adding more than $22 trillion of market value in the process, signs of trouble are emerging. Stocks are starting to sink, with the Nasdaq 100 losing more than 10% to fall into a correction and S&P 500 briefly dropping to that level. And the symmetry is raising frightening memories from a quarter century ago."Investors have two emotions: fear and greed," said Vinod Khosla, billionaire venture capitalist and co-founder of Khosla Ventures, who was a key rainmaker during the internet boom and remains one today. "I think we've moved from fear to greed. When you get greed, you get I would say indiscriminate valuations."Difference Of DegreesThe main difference between the dot-com and AI eras, however, is degrees. The most recent boom has been eye-popping, but it pales in comparison to the extremes of the internet bubble."The internet was such a big idea, had such a transformative impact on society, on business, on the world, that those who played it safe generally got left behind," said Steve Case, the former chairman and CEO of AOL. "That leads to this kind of focus on massive investments to make sure you're not left behind, some of which will work, many of which won't work."
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'न्यायिक प्रणाली पर कम हो रहा भरोसा', कपिल सिब्बल का बड़ा बयान; जज के घर कैश मामले में क्या कहा?

Dainik Jagran - National - March 24, 2025 - 12:59am

पीटीआई, नई दिल्ली। न्यायिक प्रणाली के प्रति लोगों का विश्वास कम होने का दावा करते हुए राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा है कि विकल्प तभी मिल सकते हैं, जब सरकार और न्यायपालिका दोनों यह स्वीकार करें कि न्यायाधीशों की नियुक्ति सहित मौजूदा प्रणालियां कारगर नहीं रह गई हैं।

सिब्बल ने एक साक्षात्कार में न्यायिक प्रणाली की खामियों के बारे में बात की। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह जिला और सत्र न्यायालयों द्वारा ज्यादातर मामलों में जमानत नहीं दी जा रही है।

जज के घर कैश मिलने पर नहीं की टिप्पणी

हालांकि, सिब्बल ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले पर टिप्पणी करने से परहेज किया। कहा कि इस मामले से निपटने के लिए एक आंतरिक प्रक्रिया है। तथ्यों के अभाव में मुझे नहीं लगता कि इस देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में मुझे इस पर टिप्पणी करनी चाहिए।

एएनआई के अनुसार, वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच की सराहना करते हुए कहा कि पारदर्शिता न्यायपालिका की आत्मा है। इसमें दृढ़ रुख की अपेक्षा की जाती है।

जस्टिस वर्मा मामले में जांच शुरू
  • निकम ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा मामले में आंतरिक जांच शुरू की है। मैं शीर्ष अदालत को बधाई देना चाहूंगा। मैं हमेशा कहता हूं कि किसी भी देश की स्थिरता दो कारकों पर निर्भर करती है- आम नागरिकों को उस देश की मुद्रा में विश्वास होना चाहिए और आम नागरिकों को उस देश की न्यायपालिका में विश्वास होना चाहिए।
  • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मात्र स्थानांतरण या निलंबन पर्याप्त नहीं है। यदि आवश्यक हो तो संसद द्वारा आपराधिक अभियोजन और महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

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देश के 160 संस्थाओं को मिला FCRA सर्टिफिकेट, लिस्ट में सबसे आगे महाराष्ट्र; DU के इस कॉलेज का भी नाम

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 11:58pm

एएनआई, नई दिल्ली। देश भर के कुल 160 संस्थाओं को 2025 में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इससे उन्हें अब कानूनी रूप से विदेशी धन प्राप्त करने की अनुमति मिल गई है। एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों में दिल्ली का श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) भी शामिल है।

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत आवेदनों की जांच करने के बाद ये प्रमाण पत्र जारी किए हैं। एफसीआरए एक भारतीय कानून है जो व्यक्तियों, कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों एवं अन्य संगठनों द्वारा विदेशी धन की स्वीकृति और उपयोग को नियंत्रित करता है।

एफसीआरए सर्टिफिकेट पाने में महाराष्ट्र आगे

एफसीआरए को यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था कि विदेशी धन का उपयोग उचित और पारदर्शी रूप से किया जाता है, और भारत की संप्रभुता, अखंडता या आंतरिक सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचता है। बहरहाल, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों राज्यों की सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है।

यहां 25 संस्थाओं को प्रमाण पत्र दिए गए हैं। इसके बाद 21 संस्थाओं के साथ तमिलनाडु का स्थान है। दिल्ली और कर्नाटक में 13-13 संस्थाओं, जबकि तेलंगाना के 12 संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्राप्त हुए हैं। प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले अन्य महत्वपूर्ण राज्यों में गुजरात (11), पश्चिम बंगाल (आठ), और उत्तर प्रदेश (सात) शामिल हैं।

एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य
  • इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में प्रत्येक में पांच-पांच संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। दिल्ली आधारित 13 संस्थाओं के अलावा जिन अन्य 147 संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है, उनका संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े क्षेत्रों से है।
  • एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले एसआरसीसी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान उनके बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोगों और शैक्षणिक अनुसंधान, बुनियादी ढांचे के विकास और छात्रवृत्ति के लिए विदेशी धन को आकर्षित करने के प्रयासों को दर्शाते हैं। एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य है, बशर्ते नियमों का सही अनुपालन और धन का उचित उपयोग हो।
  • संस्थाओं को पारदर्शिता बनाए रखना होता है और इनसे जुड़े अधिकारियों को अपनी वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक कल्याण और अन्य क्षेत्रों में भारतीय संस्थानों और गैर-लाभकारी संस्थाओं की पहल का समर्थन करने के लिए वैश्विक भागीदारी पर उनकी निरंतर निर्भरता पर प्रकाश डालती है।

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न्यायाधीश यशवंत वर्मा की कुर्सी बचेगी या जाएगी? दूसरे चरण की जांच से होगा तय; CJI करेंगे निगरानी

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 11:56pm

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां मिलने की जांच के लिए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

इसके साथ ही आंतरिक जांच प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। इसके निष्कर्ष से तय होगा कि जस्टिस वर्मा की कुर्सी बचेगी या जाएगी। 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने के बाद अग्निशमन कर्मियों और पुलिस कर्मियों को कथित तौर पर नकदी मिली थी।

CJI ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों की गहन जांच की बात कही थी, जिसके बाद सीजेआई ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।

दूसरे चरण में जांच की निगरानी खुद सीजेआई करते हैं। वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश की एक अधीनस्थ अदालत की न्यायाधीश द्वारा हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीश के विरुद्ध आरोपों की जांच के लिए आंतरिक प्रक्रिया निर्धारित की थी।

पहले चरण में आरोपों की गहराई से जांच की आवश्यकता नहीं

आंतरिक जांच प्रक्रिया के प्रथम चरण में शिकायत में निहित आरोपों की प्रथम दृष्टया सत्यता का पता लगाया जाता है। पहले चरण में आरोपों की गहराई से जांच की आवश्यकता नहीं है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बस इतना करना है कि वह तय करें कि क्या गहन जांच की जरूरत है। यह संबंधित न्यायाधीश के जवाब पर विचार करके तार्किक आकलन के आधार पर किया जाना है। यह उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से संबंधित गंभीर नतीजों वाले मामले में आंतरिक जांच प्रक्रिया का दूसरा चरण है।

दूसरे चरण की निगरानी प्रधान न्यायाधीश करेंगे

दूसरे चरण की निगरानी कोई और नहीं बल्कि प्रधान न्यायाधीश ही करते हैं। यदि प्रधान न्यायाधीश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा व्यक्त किए गए इस विचार से सहमत होते हैं कि गहन जांच की आवश्यकता है, तो वह तीन सदस्यीय समिति का गठन करेंगे और जांच प्रक्रिया को दूसरे चरण में ले जाएंगे। यहां पहली बार जांच के आधार पर आरोपों की प्रामाणिकता की जांच की जाएगी।

तीन सदस्यीय समिति के न्यायाधीशों का संबंधित न्यायाधीश के साथ कोई संबंध नहीं होगा। न केवल संबंधित न्यायाधीश को अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज करने का उचित अवसर मिलेगा, बल्कि शिकायतकर्ता को भी यह संतुष्टि होगी कि जांच अनुचित नहीं होगी।

फाइनल रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी जाएगी

जांच के समापन पर समिति निष्कर्ष तैयार करेगी और एक रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी जाएगी। समिति की रिपोर्ट इन निष्कर्षों में से एक पर पहुंच सकती है-संबंधित न्यायाधीश पर लगाए गए आरोपों में कोई तथ्य नहीं है या यह कि न्यायाधीश के खिलाफ लगाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं।

यदि समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि कदाचार इतना गंभीर नहीं है कि संबंधित न्यायाधीश को हटाने की कार्यवाही शुरू की जा सके, तो सीजेआइ न्यायाधीश को सलाह देंगे और यह भी निर्देश दे सकते हैं कि समिति की रिपोर्ट को रिकार्ड में रखा जाए।

यदि तीन सदस्यीय समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि आरोपों में तथ्य हैं तो संबंधित न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रधान न्यायाधीश इस तरह आगे बढ़ेंगे।

  • संबंधित न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश द्वारा इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की सलाह दी जाएगी।
  • यदि संबंधित न्यायाधीश सीजेआई की सलाह को स्वीकार नहीं करता है, तो प्रधान न्यायाधीश संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से यह अपेक्षा करेंगे कि वह संबंधित न्यायाधीश को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। यदि संबंधित न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश की इस्तीफा देने की सलाह का पालन नहीं करते हैं, तो प्रधान न्यायाधीश तीन सदस्यीय समिति के निष्कर्षों से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अवगत कराएंगे, जिससे उन्हें हटाने की कार्यवाही शुरू हो सकेगी।

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J&K और MP में दर्दनाक सड़क हादसे, 6 लोगों की मौत से पसरा मातम; मरने वालों में महाराष्ट्र के 5 निवासी

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 11:32pm

टीम जागरण, नई दिल्ली। रविवार को जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश में हुए दो अलग-अलग सड़क हादसों में महाराष्ट्र में रहने वाले पांच लोगों समेत कुल छह की मौत हो गई। पहला हादसा मध्य प्रदेश के शिवपुरी में रविवार सुबह हुआ, जहां एक कार पुलिया से टकरा गई।

हादसे में महाराष्ट्र में तैनात दो महिला डॉक्टरों की मौत हो गई, जबकि कार में सवार चार लोग घायल हो गए। दूसरा हादसा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में श्रीनगर-सोनमर्ग मार्ग पर रविवार दोपहर को हुआ। बस से टकराने के कारण टैक्सी में बैठे महाराष्ट्र के एक ही परिवार के तीन सदस्यों व टैक्सी के चालक की मौत हो गई। जबकि बस में सवार 17 यात्री भी घायल हो गए।

सीआरपीएफ कैंप के पास हुआ हादसा

हादसा गांदरबल जिले में रविवार दोपहर को श्रीनगर-सोनमर्ग मार्ग गुंड में स्थित सीआरपीएफ कैंप के पास हुआ। यहां सोनमर्ग की ओर जा रही बस सामने से आ रही पर्यटकों से भरी टैक्सी टकरा गई। टैक्सी में चालक फहीम अहमद समेत महाराष्ट्र निवासी लेशिया आशीष परी, निक्की आशीष परी, हेतल आशीष परी की मौत हो गई।

हादसे के कुछ देर में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंच गए। उन्होंने बस को स्थानीय लोगों की सहायता से अस्पताल में पहुंचाया। बस में सवार 17 घायलों का भी इलाज जारी है।

एलजी और सीएम ने जताया दुख
  • इस हादसे पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी गहरा दुख जताया है। तीर्थ स्थलों की यात्रा पर निकले महाराष्ट्र के डॉक्टरों की कार अनियंत्रित होकर मप्र के शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील के ग्राम लुकवासा के पास एक पुलिया से टकरा गई।
  • कार में महाराष्ट्र के भिवंडी निवासी 55 वर्षीय डॉ. अतुल आचार्य, उनकी पत्नी 50 वर्षीय डॉ. तन्वी आचार्य, बसाई निवासी 60 वर्षीय डॉ. सुबोध पंडित, उनकी पत्नी 55 वर्षीय डॉ. नीलम पंडित और 64 वर्षीय डॉ. उदय जोधी व उनकी पत्नी 59 वर्षीय डॉ. सीमा जोधी सवार थे।
  • वह एक साथ कार से 15 दिन पहले तीर्थ स्थलों के दर्शन करने निकले थे। वह अयोध्या से रामलला के दर्शन कर उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के लिए जा रहे थे। रविवार सुबह हुए हादसे में डॉ. तन्वी आचार्य और, डॉ. नीलम पंडित की मौत हो गई। जबकि बाकी चार डॉक्टर घायल हो गए।

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अब सरहद की निगरानी करेंगे रोबोट, इन क्षेत्रों में तैनाती की तैयारी; सेना कर रही फील्ड परीक्षण

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 11:29pm

पीटीआई, नई दिल्ली। देश की सुरक्षा में रोबोट तैनात करने की तैयारी है। परिंदा भी रोबोट की पैनी निगाह से बच नहीं सकेगा। दुश्मनों के लिए देश की सुरक्षा में सेंध लगाना लगभग नामुमकिन होगा और घुसपैठ पर भी लगाम लगेगी।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने अत्याधुनिक रोबोट विकसित किए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षमता से लैस ये रोबोट चुनौतीपूर्ण एवं दुर्गम सरहद की निर्बाध निगरानी करेंगे।

आईआईटी गुवाहाटी का बड़ा कमाल

आईआईटी गुवाहाटी द्वारा संचालित स्टार्टअप कंपनी दा स्पैटियो रोबोटिक लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड (डीएसआरएल) द्वारा विकसित रोबोटों को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से भी मान्यता मिल चुकी है। सेना पहले से ही निगरानी प्रणाली के लिए फील्ड परीक्षण कर रही है।

अब ड्रोन करेंगे सीमा की निगरानी

डीएसआरएल के सीईओ अर्नब कुमार बर्मन के अनुसार, पारंपरिक सुरक्षा उपाय जहां ड्रोन, स्थिर कैमरे और गश्त पर निर्भर हैं वहीं स्वायत्त रोबोटिक सिस्टम प्रतिकूल मौसम और दुर्गम इलाकों में भी निगरानी करने में सक्षम है। बर्मन ने कहा, एआई-संचालित टोही से लैस यह प्रणाली सीमा सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की निगरानी और रणनीतिक रक्षा क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर है।

चौबीसों घंटे निगरानी होगी सुनिश्चित

उन्होंने कहा कि इस रोबोटिक सिस्टम को दुर्गम इलाकों में भी निर्बाध रूप से काम करने के लिए डिजाइन किया गया है जिससे चौबीसों घंटे निगरानी सुनिश्चित होगी। हमें रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता में योगदान करने पर गर्व है। हम ऐसे नवाचारों के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करें। यह सिस्टम मल्टी-सेंसर खुफिया जानकारी एकत्र करने में सक्षम है, जिससे संभावित खतरों का पता लगाने और उन्हें रोकने की इसकी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती की तैयारी

आईआईटी गुवाहाटी के टेक्नोलाजी इनक्यूबेशन सेंटर के प्रमुख केयूर सोरठिया ने कहा कि इस रोबोटिक सिस्टम को संवेदनशील क्षेत्रों और सैन्य स्टेशनों में बड़े पैमाने पर तैनात करने की तैयारी है। यह अत्याधुनिक, स्वदेशी तकनीक घुसपैठ के प्रयासों जैसे आधुनिक खतरों का मुकाबला करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।

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Surbhi Raj Murder: पति ने सुरभि के पिता से क्यों बोला झूठ? इन लोगों पर जा रही शक की सुई; धीरे-धीरे सुलझ रही गुत्थी

Dainik Jagran - March 23, 2025 - 11:11pm

जागरण संवाददाता, पटना सिटी। अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार स्थित धनुकी मोड़ के समीप शनिवार की दोपहर एशिया अस्पताल की संचालिका सुरभि राज (30) के कार्यालय में घुसकर किसने गोलियों से भूना? इस सवाल की खोज में सहायक पुलिस अधीक्षक अतुलेश झा दिनभर जुटे रहे।

पुलिस टीम अस्पताल तथा आसपास लगे क्लोज सर्किट कैमरा फुटेज को खंगालने में जुटी रही। निजी अस्पताल के आसपास लगे मोबाइल टावर से हत्या के समय में प्रयुक्त मोबाइल और कर्मचारियों के मोबाइल नंबरों की पुलिस वैज्ञानिक पद्धति से जांच कर रही है।

गुलबी घाट पर किया गया अंतिम संस्कार

रविवार की सुबह संचालिका का अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर कर दिया गया। रविवार की शाम तक किसी ठोस नतीजे पर पुलिस नहीं पहुंची है।

प्रथम दृष्टया पुलिस संचालिका की साइलेंसर पिस्टल से गोली मारकर हत्या के बाद साक्ष्य छुपाने के लिए कमरे से खून की सफाई किए जाने को गंभीरता से जांच कर रही है।

सुरभि के स्वजनों की तस्वीर।

एएसपी ने बताया कि घटना से जुड़ा किसी प्रकार का कोई भी फुटेज अभी तक नहीं मिला है। अगमकुआं थाना पुलिस अस्पताल के कर्मचारियों से पूछताछ कर हत्यारों की पहचान एवं कारण तक पहुंचने का प्रयास में जुटी है।

पुलिस ने घटना के समय मृतका के पति के नहीं रहने और मिलने वालों से भी पूछताछ कर चुकी है। हत्याकांड में आईटी सेल, एफएसएल और श्वान दस्ता की टीम गहन जांच कर रही है।

कर्मी ने बताया किसी ने नहीं सुनी गोली की आवाज

हत्या से जुड़े साक्ष्य को एकत्र करने के लिए अगमकुआं थाना पुलिस दूसरे दिन भी कई बार घटनास्थल का निरीक्षण किया। निजी अस्पताल के कर्मियों से पुलिस एक ही बात पूछती रही कि पास के कमरे में गोली चली तो संचालिका की चीख या फिर फायरिंग की आवाज क्यों नहीं सुनाई दिया?

कर्मी दीपक ने पुलिस को बताया कि किसी ने गोलियों की आवाज नहीं सुनी। अगमकुआं थानाध्यक्ष मनोज पांडे ने बताया कि प्रथम दृष्टया कर्मचारियों से पूछताछ में कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। मृतका के पति राकेश रौशन से भी पुलिस कई बिंदुओं पर पूछताछ कर चुकी है।

सात वर्ष पहले की थी शादी, दो दिन पहले छोटे बेटे का मनाया था जन्मदिन

स्वजनों से मिली जानकारी के अनुसार अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार बैठका निवासी राजेश रौशन ने सुरभि राज से सात मार्च 2018 को अंतर जातीय प्रेम विवाह किया था। स्वजनों ने बताया कि उनके दो पुत्र राघव रौशन उर्फ कुकू और दूसरा रूद्रास रौशन उर्फ डूग्गू है।

दो दिन पहले ही बाजार समिति स्थित एक हाल में छोटे पुत्र डूग्गू का जन्मदिन मनाया गया था। स्वजनों की माने तो छोटे बेटे का अयोध्या में जन्मदिन मनाने के लिए टिकट भी बना था।

लेकिन निजी अस्पताल का ऑडिट होने को लेकर अयोध्या में जन्मदिन नहीं मनाया गया। उन्होंने बच्चों को बुआ के यहां बजरंगपुरी भेज दिया था।

पिता को दामाद से बेटी के मरने की मिली थी सूचना

अगमकुआं में ही त्रिभुवन कांप्लेक्स के फ्लैट संख्या 304 में रहने वाले पिता राजेश सिन्हा ने पुलिस को बताया है कि उन्हें दामाद राजेश रौशन से मोबाइल पर सूचना मिली कि कक्ष में सुरभि गिर कर बेहोश हो गई हैं।

सूचना के 15 मिनट के अंदर अस्पताल पहुंचे तो देखा कि बेटी आईसीयू में है। अस्पताल वाले बेटी को एम्स ले गए। रात में सूचना मिली की बेटी की मौत हो गयी है।

पिता ने एशिया ह\स्पिटल के कर्मचारियों पर शक जताया है। रविवार की सुबह संचालिका का अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर कर दिया गया। पुलिस छानबीन कर रही है।

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