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'राक्षस को मार दिया', चेहरे पर फेंकी लाल मिर्ची और...; पति की हत्या कर पूर्व DGP की पत्नी ने किसे भेजा था मैसेज?

Dainik Jagran - National - April 21, 2025 - 11:45pm

आइएएनएस, बेंगलुरु। कर्नाटक के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश गुप्ता की पत्नी पल्लवी ने चाकू मारने से पहले उनके चेहरे पर लाल मिर्ची पाउडर फेंका था। जलन से बेचैन होने पर पल्लवी ने उन पर धारदार चाकू से कई वार किए। इससे लहूलुहान पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के आरोप में उनकी 64 वर्षीय पत्नी पल्लवी ओम प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया है। उसे मजिस्ट्रेटी अदालत में पेश किया जाएगा।

इस मामले में आगे की जांच अब बेंगलुरु के सेंट्रल क्राइम ब्रांच (सीसीबी) को सौंप दी गई है। अभी इस मामले में और परतें खुलनी बाकी हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि 68 वर्षीय दिवंगत ओमप्रकाश की पत्नी ने ही हत्या की है। लेकिन मां-बेटी से बेंगलुरु में होयसाला के पुलिस स्टेशन में घंटों पूछताछ के बाद पुलिस ने पत्नी पल्लवी को गिरफ्तार कर लिया है।

पल्लवी ने एक आइपीएस अफसर की पत्नी को भेजा था मैसेज

हालांकि पुलिस मानती है कि इतने गंभीर अपराध को अंजाम देना किसी एक व्यक्ति के बस का नहीं होगा। इसमें और लोग भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए बेटी कृति से भी पूछताछ चल रही है। बिहार के चंपारण के रहने वाले 1981 बैच के आइपीएस अधिकारी ओम प्रकाश का बेंगलुरु के पाश इलाके एचएसआर लेआउट में तीन मंजिला घर है। ये भी जानकारी मिली है कि कर्नाटक के दांडेली में एक जमीन से संबंधित विवाद में इस अपराध को अंजाम दिया गया हो सकता है। कुछ महीने पहले पल्लवी ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन का रुख भी किया था।

बहन के घर से वापस ले आई थी बेटी

दिवंगत ओम प्रकाश के बेटे कार्तिकेश ने बताया कि रविवार की घटना के बाद उन्होंने पुलिस में अपनी मां और बहन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। चूंकि उनकी मां पल्लवी उनके पिता को कुछ समय से जान से मारने की धमकी दे रही थीं।

कार्तिकेश की दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके पिता गृह कलेश के कारण अपनी बहन सरिता कुमारी के घर रहने चले गए थे। इसलिए उनकी बहन कृति दो दिन पहले ही उनके पिता को प्रताडि़त करके वापस घर ले आई थी। मां सीजोफ्रेनिया की मरीज हैं और दवाएं लेती हैं जबकि बहन कृति अवसाद की शिकार है।

कार्तिकेश ने बताया कि उन्हें उनके पिता की हत्या के बारे में 20 अप्रैल को शाम पांच बजे पड़ोसी श्रीधरन के फोन काल से पता चला जब वह डोमलुर क्षेत्र में स्थित कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन में थे। जब वह शाम पौने छह बजे घर पहुंचे तो उनके पिता का शव जमीन पर खून में सना पड़ा था। चाकू भी वहीं पास में गिरा था। तब तक पुलिस और दूसरे लोग भी वहां आ गए थे।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

ओम प्रकाश के शव का पोस्टमार्टम सोमवार को होने के बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ बेंगलुरु के विल्सन गार्डन क्रिमिनेशन ग्राउंड में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बेटे कार्तिकेश ने उन्हें मुखाग्नि दी। कर्नाटक के गृह मंत्री परमेश्वरा ने कहा कि उनके कार्यकाल में ही 2015 में ओमप्रकाश डीजीपी रहे और वह बहुत अच्छे व्यक्ति व अफसर थे। उनके साथ यह नहीं होना चाहिए था। हमें यह समझने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हुआ। अभी तक हत्या का मकसद नहीं पता चला है।

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बेंगलुरु में भाषा विवाद: हिंदी बोलने का दबाव डालने वाले युवक ने कन्नड़ में मांगी माफी

Dainik Jagran - National - April 21, 2025 - 11:42pm

पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के आटो चालक को हिंदी में बोलने के लिए कहने वाले एक शख्स ने घटना के दूसरे दिन कन्नड़ में माफी मांगी। इसने भाषा पर बहस को एक बार फिर से हवा दे दी है।

प्रसारित हो रहे वीडियो में एक शख्स यह कहते नजर आ रहा है कि अगर यह बेंगलुरु है तो क्या हुआ, हिंदी बोलो। वह आटो चालक से कह रहा है कि नोएडा में रहो या बेंगलुरु में, हिंदी में बात करो। वहीं, आटो चालक कह रहा है कि तुम बेंगलुरु आए हो, कन्नड़ में बोलो। मैं हिंदी में बात नहीं करूंगा। यह किस व्यक्ति का वीडियो है अबतक इसकी पहचान नहीं हो पाई है। नेटिजेंस उसे हिंदी योद्धा करार दे रहे हैं।

भाषाई बहस को मिली नई हवा

लोगों ने बेंगलुरू में हिंदी बोलने का समर्थन किया, जबकि कई ऐसे भी थे, खासकर कन्नड़ भाषी जिन्होंने हिंदी बोलने का दबाव डालने पर नाराजगी व्यक्त की। वहीं, उस शख्स ने सोमवार को इस मामले में माफी मांग ली है। उसका यह वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है।

इसमें उसने कहा है कि उसका किसी को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था। उसने कहा कि वह कन्नड़ बोलता है और लगभग नौ वर्षों से बेंगलुरु में रह रहा है। उसने कहा कि उसे बहस के दौरान अपना आपा खोने का पछतावा है।

माफी पर भी उठे सवाल

उसके माफी मांगने के लेकर भी आक्रोश है। कुछ लोगों ने कन्नड़ लोगों पर माफी मांगने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है।

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कोविड वैक्सीन से अपंगता का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहले मुकदमा दायर करें

Dainik Jagran - National - April 21, 2025 - 11:30pm

पीटीआई, नई दिल्ली। कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज के दुष्प्रभाव से पैर के निचले हिस्से में सौ प्रतिशत अपंगता आने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पहले अपनी क्षतिपूर्ति के लिए याचिका दायर करने को कहा है।

जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टाइन जार्ज मसीह की खंडपीठ ने सोमवार को वैश्विक महामारी कोविड-19 से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लगाई गई वैक्सीन के चलते पीडि़त व्यक्ति के पैर के निचले हिस्से में विकृति आ गई है।

पहले मुकदमा दायर करें, फिर मिलेगी राहत: सुप्रीम कोर्ट

खंडपीठ ने कहा कि अगर आप अपनी याचिका यहां लंबित रखेंगे तो दस साल तक कुछ नहीं होने वाला है। लेकिन अगर आप कम से कम एक केस दायर कर देते हैं तो आपको जल्द ही थोड़ी राहत मिल सकेगी।

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कोविड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद से ही पीड़ित याचिकाकर्ता के पैर का निचला हिस्सा बेकार हो चुका है। लेकिन जस्टिस गवई ने कहा कि उसके लिए रिट याचिका भला कैसे दायर की जा सकती है? आप अपने नुकसान के लिए सीधे मुकदमा दायर करें।

समान मुद्दों पर दो याचिकाएं पहले से दायर

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि इस संबंध में दो याचिकाएं दायर की गई हैं जो कि समान मुद्दे ही उठा रही हैं। अदालत की संबंधित खंडपीठों ने इस पर नोटिस जारी कर दिया है।

अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहे तो वह इस याचिका को लंबित मामलों के साथ संलग्न कर देंगे। खंडपीठ ने कहा कि इस संबंध में मुकदमा दायर करने से एक, दो या तीन सालों में राहत मिल भी जाएगी। इसके बाद अगली सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी गई।

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एक देश, एक चुनाव पर कल होगी कानूनी विशेषज्ञों संग समिति की अहम बैठक, वेबसाइट भी लॉन्च की जाएगी

Dainik Jagran - National - April 21, 2025 - 11:30pm

एएनआई, नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक मंगलवार को आयोजित की जाएगी। बैठक के प्रथम सत्र में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हेमंत गुप्ता के साथ चर्चा की जाएगी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसएन झा के साथ अगला सत्र होगा।

पूर्व जजों के साथ चर्चा के चार सत्र

तीसरे सत्र में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज औ देश के 21वें विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान उपस्थित रहेंगे, जबकि अंतिम सत्र में राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के साथ चर्चा की जाएगी।

वेबसाइट लॉन्च और व्यापक राय-संकेत का प्रयास

इससे पूर्व एक देश, एक चुनाव पर लांच की जाने वाली वेबसाइट के बारे में संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने बताया था, समिति ने दो प्रमुख चीजों पर निर्णय लिया है। विज्ञापन सभी भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा ताकि सभी हितधारक अपनी राय दे सकें और दूसरा, वेबसाइट सभी हितधारकों के इनपुट हासिल करने में सुविधा प्रदान करेगी।

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भ्रष्टाचार मामले में मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति जरूरी है या नहीं, तय करेगा सुप्रीम कोर्ट; जानें क्या है पूरा मामला

Dainik Jagran - National - April 21, 2025 - 11:28pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा की याचिका से उत्पन्न कानूनी मुद्दों को विचार के लिए बड़ी पीठ के पास भेज दिया है। इसमें यह सवाल भी है कि मजिस्ट्रेट अदालत के जांच के आदेश के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए पूर्व मंजूरी की आवश्यकता है या नहीं।

कोर्ट ने बड़ी पीठ के निर्णय के लिए तय किए कुछ सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ के निर्णय के लिए कुछ प्रश्न सूचीबद्ध किए हैं। सीआरपीसी की धारा 156 (3) न्यायिक मजिस्ट्रेट को किसी शिकायत की पुलिस जांच का आदेश देने की अनुमति देती है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए में कहा गया है, कोई भी पुलिस अधिकारी किसी लोक सेवक द्वारा किए गए कथित अपराध की जांच पूर्व अनुमोदन के बिना नहीं करेगा, अगर कथित अपराध लोक सेवक द्वारा अपने आधिकारिक कार्यों के निर्वहन से संबंधित हो।

चार अप्रैल को कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने चार अप्रैल को येदियुरप्पा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले को फिर से शुरू करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हालांकि जब पीठ ने फैसला लिखना शुरू किया तो उन्हें 16 अप्रैल, 2024 का एक आदेश मिला, जिसमें एक अन्य पीठ ने एक अलग मामले में इसी तरह के सवालों को एक बड़ी पीठ को भेजने का आदेश दिया था।

इसके बाद पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह मामले को भी प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखे। हाई कोर्ट ने बेंगलुरु केए आलम पाशा की याचिका को स्वीकार कर येदियुरप्पा और अन्य आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई फिर से शुरू कर दी। पाशा ने येदियुरप्पा और अन्य आरोपितों भ्रष्टाचार एवं आपराधिक साजिश के आरोप लगाए हैं।

जानिए क्या हैं आरोप?

आरोप है कि 2011 में देवनहल्ली औद्योगिक क्षेत्र में 26 एकड़ औद्योगिक भूमि आवंटित करने में भ्रष्टाचार हुआ, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ था। 2013 में हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत अनिवार्य मंजूरी के अभाव में पाशा शिकायत को खारिज कर दिया था। पाशा ने आरोपितों के पद से हटने के बाद 2014 में एक नई शिकायत दर्ज कराई, जिसमें तर्क दिया गया कि एआर अंतुले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर अब मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, विशेष न्यायाधीश ने दूसरी शिकायत को खारिज कर दिया। पाशा ने इसके खिलाफ फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने तय किए सवाल
  • क्या न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत जांच का आदेश देने के बाद भी अधिकारियों की पूर्व मंजूरी जरूरी है।
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत वे कौन से प्रासंगिक मामले हैं जिन पर जांच, पूछताछ शुरू करने की मंजूरी के लिए अधिकारी से विचार करने की अपेक्षा की जाती है।
  • क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी देते समय उपयुक्त अधिकारी या सरकार द्वारा विचार किए जाने वाले मामले मूल रूप से उन मामलों से भिन्न हैं, जिन्हें मजिस्ट्रेट द्वारा सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आदेश पारित करते समय लागू करने की अपेक्षा की जाती है।
  • जब मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत मंजूरी दे दी तो क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता निरर्थक नहीं है।
  • क्या मजिस्ट्रेट बिना पूर्व अनुमति के सीआरपीसी की धारा 200 (निजी शिकायतकर्ता की जांच) और 202 (आपराधिक मामले को स्थगित करना) के तहत जांच कर सकता है।

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