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Operation Shield: पाक सीमा से सटे राज्यों में मॉकड्रिल आज, ‘ऑपरेशन शील्ड’ से डरा पाकिस्तान
टीम जागरण, नई दिल्ली। ऑपरेशन शील्ड के तहत शनिवार को पाकिस्तान की सीमा से लगे राज्यों मे मॉकड्रिल के साथ ही रात आठ बजे ब्लैक आउट होगा। आठ बजते ही बिजली बंद की जाएगी और सायरन बजेगा। यह ब्लैक आउट 15 मिनट का होगा। इसे लेकर इन राज्यों में स्थानीय प्रशासन ने तैयारियां की हैं।
मॉकड्रिल इन राज्यों में भी की जाएगीऑपरेशन शील्ड के तहत यह मॉकड्रिल जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान,गुजरात के साथ हरियाणा में भी की जाएगी। जम्मू-कश्मीर में कश्मीर और जम्मू संभाग के जिलो में इसे लेकर तैयारियां की गई हैं। जिन सीमावर्ती क्षेत्रो में मॉकड्रिल होगी उसमें बताया जाएगा कि गोलाबारी होने की सूरत में लोगों को कैसे सुरक्षित स्थान व अस्पताल पहुंचाना है।
सभी लोगों को सायरन बजते ही अलर्ट रहने को कहासभी लोगों को सायरन बजते ही इनवर्टर लाइट, सोलर लाइट, टॉर्च, मोबाइल लाइट व वाहनों की लाइट बंद करने की सलाह दी गई है। सभी दरवाजों व खिड़कियों के आगे पर्दे रखने की सलाह दी गई है, ताकि किसी भी तरह की रोशनी बाहर न जाए।
जम्मू-कश्मीर में प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मॉक ड्रिल के दौरान अस्पताल समेत सभी आपात सेवाएं पूरी तरह से सुचारू रहेंगी। बता दें कि इससे पहले 29 मई को माक ड्रिल होनी थी, लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया था।
ड्रोन हमलों से निपटने की तैयारी जांची जाएगीउधर हरियाणा में भी माक ड्रिल को लेकर तैयारियां की गई हैं। पूरे प्रदेश में ऑपरेशन शील्ड के तहत हवाई हमलों और ड्रोन हमलों से निपटने की तैयारी जांची जाएगी। सभी जिलों में शाम पांच से रात नौ बजे तक नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया जाएगा।
राज्य की गृह सचिव सुमिता मिश्रा ने शुक्रवार को मीडिया से माक ड्रिल की कार्ययोजना साझा करते हुए बताया कि राज्य की आपातकालीन तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर यह नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया जा रहा है।
इस मॉकड्रिल में 32 हजार स्वयं सेवकों को शामिल किया जाएगाइसमें सिविल डिफेंस वार्डन, पंजीकृत स्वयंसेवक और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सहित युवा संगठनों के 32 हजार स्वयं सेवकों को शामिल किया जाएगा, ताकि आपातकालीन परिदृश्यों में सहायता की जा सके।
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Tejas: प्राइवेट कंपनी ने बनाया तेजस के बीच का हिस्सा, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि
पीटीआई, नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे भारत की सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। इसी के तहत एक प्राइवेट कंपनी ने पहली बार एलसीए तेजस एमके1ए लड़ाकू विमान का बीच का हिस्सा सेंटर फ्यूजलेज असेंबली बनाकर हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंप दिया है। फ्यूजलेज, विमान का हिस्सा होता है।
वीईएम टेक्नोलाजीज ने एचएएल को सौंपा रियर फ्यूजलेजरक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके1ए के लिए पहली सेंटर फ्यूजलेज असेंबली 30 मई को हैदराबाद में मेसर्स वीईएम टेक्नोलाजीज ने एचएएलको सौंप दी।
एसएएल का दो प्रोडक्शन लाइन बेंगलुरु और एक नासिक मेंहैदराबाद में हुआ यह हस्तांतरण एलसीए तेजस एमके1ए के चौथे प्रोडक्शन लाइन के लिए महत्वपूर्ण है। इस समय एसएएल का दो प्रोडक्शन लाइन बेंगलुरु, वहीं एक नासिक में है। यह हस्तांतरण सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार और एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डीके सुनील की उपस्थिति में हुआ।
हमारे रक्षा निर्यात में भी वृद्धि हो रही है- रक्षा सचिवसचिव (रक्षा उत्पादन) ने एलसीए एमके 1ए के उत्पादन में तेजी लाने के लिए एचएएल और वीईएम टेक्नोलाजीज के बीच साझेदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत वार्षिक दर से महत्वपूर्ण वृद्धि हो रही है। हमारे रक्षा निर्यात में भी वृद्धि हो रही है।
बयान में कहा गया, पहली बार एलसीए तेजस के लिए प्रमुख सब असेंबली या हिस्सा प्राइवेट भारतीय कंपनी द्वारा बनाई गई है। एचएएल के सीएमडी ने आश्वासन दिया कि प्रमुख सब असेंबली के निर्माण के साथ, एचएएल एलसीए विमान के उत्पादन को बढ़ाएगा और वायु सेना को समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करेगा।
एचएएल की इन कंपनियों के साथ साझेदारीएचएएल ने एलएंडटी, अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल), वीईएम टेक्नोलाजीज और लक्ष्मी मिशन वर्क्स (एलएमडब्ल्यू) जैसी विभिन्न भारतीय प्राइवेट कंपनियों को सेंटर फ्यूजलेज, ईंधन ड्रॉप टैंक, पाइलन, रियर फ्यूजलेज, पंख, फिन जैसे प्रमुख माड्यूल की आपूर्ति के लिए ऑर्डर दिए थे।
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जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सक्रिय नियंत्रण में था स्टोर रूम, जांच समिति ने सबूत के साथ लगाए आरोप
पीटीआई, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को नकदी बरामदगी मामले में दोषी ठहराने वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने कहा है कि जिस स्टोर रूम में जली हुई नकदी मिली थी, वह जज और उनके परिवार के सक्रिय नियंत्रण में था।
सूत्रों ने बताया कि समिति को कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो संकेत करते हैं कि आग की घटना सामने आने के बाद स्टोर रूम से जली हुई नकदी को हटा दिया गया था।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था और जस्टिस वर्मा के जवाब के साथ समिति की रिपोर्ट भी साझा की थी।
विभिन्न साक्ष्यों पर विचार कियासूत्रों का कहना है कि समिति ने इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के साथ ही विभिन्न साक्ष्यों पर विचार किया और अपनी रिपोर्ट में राय व्यक्त की है कि जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आरोप काफी गंभीर हैं।
जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर आरोपों से इन्कार किया हैसमिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा व दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख समेत 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए। वे 14 मार्च को रात 11.35 बजे लुटियन दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद सबसे पहले पहुंचने वालों में शामिल थे। तब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर आरोपों से इनकार किया है।
Manipur violence: मणिपुर संकट का दीर्घकालिक समाधान जरूरी, बैठक में विधायकों ने रखे अपने मुद्दे
पीटीआई, इंफाल। भाजपा के मणिपुर के विधायकों ने शुक्रवार रात पूर्व मंत्री बिस्वजीत के घर पर बैठक की। विधायकों ने कहा कि राज्य में संकट का दीर्घकालिक समाधान जरूरी है। यह समाधान राजनीतिक इच्छाशक्ति, समावेशी संवाद, संवैधानिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के निष्पक्ष समर्थन के स्तंभों पर आधारित होना चाहिए।
23 विधायकों ने की मणिपुर हिंसा पर की चर्चा23 विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है, हम मणिपुर के लोगों द्वारा पिछले दो वर्षों में सहन किए गए दुख को महसूस करते हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में हमारा दृढ़ विश्वास है कि संकट का दीर्घकालिक समाधान संभव भी है और आवश्यक भी।
बैठक में विचार किया गया कि राज्यपाल और केंद्रीय नेतृत्व से शांति दूत या समिति बनाने के लिए संपर्क किया जाए। विधायकों ने कहा, हम नागरिक समूहों, छात्र संगठनों, लोगों के बीच संवाद के महत्व पर जोर देते हैं। विधायकों ने लोकप्रिय सरकार के गठन की जनता की इच्छा को भी स्वीकार किया।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हैगौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों बेघर हो गए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन है। विधानसभा निलंबित है।
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खाद्य उत्पादों पर ना लगाएं 100 प्रतिशत का लेबल, FSSAI ने दिखाई सख्ती; कहा - 'ये नियमों के खिलाफ'
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य उत्पादों के लेबल पर 100 प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल को लेकर सख्त परामर्श जारी करते हुए कहा है कि इससे उपभोक्ताओं के गुमराह होने की आशंका होती है।
खाद्य नियामक ने कहा कि उसने सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों को खाद्य लेबल, पैकेजिंग और प्रचार सामग्री पर 100 प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा है। इसकी वजह यह है कि यह शब्द अस्पष्ट है और इससे मौजूदा नियामकीय प्रविधानों के तहत गलत व्याख्या की आशंका है।
उत्पादों पर 100 प्रतिशत लिखना भ्रामकएफएसएसएआई ने गुरुवार को जारी परामर्श में खाद्य उत्पादों के लेबल और प्रचार मंचों पर 100 प्रतिशत शब्द के इस्तेमाल में धड़ल्ले से हो रही बढ़ोतरी को उजागर किया। प्राधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी शब्दावली न केवल मौजूदा नियमों के तहत अपरिभाषित है, बल्कि भ्रामक भी है। यह उपभोक्ताओं के बीच गलत धारणा पैदा कर सकती है।
एफएसएसएआई ने दिया नियमों का हवालाखाद्य सुरक्षा एवं मानक (विज्ञापन एवं दावे) नियम, 2018 के मुताबिक, 100 प्रतिशत शब्द को एफएसएस अधिनियम, 2006 या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत किसी भी तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अलावा, उप-नियम 10(7) में किसी भी ऐसे विज्ञापन या दावे को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है जो अन्य निर्माताओं को कमतर आंकता है या भ्रामक तरीके से उपभोक्ता की धारणा को प्रभावित करता है।
उप-नियम 4(1) के तहत यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दावे सत्य, स्पष्ट, सार्थक, भ्रामक न हों और उपभोक्ताओं को दी गई जानकारी को समझने में मदद करें। इन चिंताओं को देखते हुए खाद्य व्यवसाय से जुड़ी सभी कंपनियों को खाद्य उत्पाद लेबल, पैकेजिंग और किसी भी तरह की प्रचार सामग्री पर 100 प्रतिशत शब्द का उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई है।
एफएसएसएआई ने कहा कि वह उपभोक्ता हितों की रक्षा और सूचना-आधारित विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य लेबलिंग में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।
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Supreme Court: 'जनहित में होना चाहिए औद्योगिक जमीन का आवंटन', सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला बरकरार रखा
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि औद्योगिक जमीन के आवंटन का प्रबंधन पूरी तत्परता, निष्पक्षता और जनहित के अनुरूप होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला बरकरार रखाकोर्ट ने इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट (केएनएमटी) को दी गई 125 एकड़ भूमि को रद करने के उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) के फैसले को बरकरार रखा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर की पीठ ने 1975 में स्थापित धर्मार्थ संस्था केएनएमटी की अपील को खारिज कर दिया। इस ट्रस्ट ने 2017 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की थी। हाई कोर्ट ने सुलतानपुर जिले के जगदीशपुर के उतेलवा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित भूमि के आवंटन को रद कर दिया था।
पक्षों की ओर से उठाए गए विवादों की विस्तृत जांचउच्चतम न्यायालय ने यूपीएसआइडीसी द्वारा 2003 में फूलों की खेती के उद्देश्य से ट्रस्ट को भूमि का बड़ा हिस्सा आवंटित करने की जल्दीबाजी और मुकदमा शुरू होने के बाद जगदीशपुर पेपर मिल्स लिमिटेड को वैकल्पिक आवंटन पर विचार करने में निगम द्वारा दिखाई गई तत्परता की भी आलोचना की।
पीठ ने कहा, 'पक्षों की ओर से उठाए गए विवादों की विस्तृत जांच, तथ्यात्मक और कानूनी मैट्रिक्स का समग्र विश्लेषण और परिणामी निष्कर्षों के मद्देनजर हम यूपीएसआइडीसी द्वारा आवंटन रद किए जाने को बरकरार रखते हैं।'
इसके साथ ही यह भी कहा कि यूपीएसआइडीसी द्वारा जगदीशपुर पेपर मिल्स लिमिटेड के पक्ष में किया गया वास्तविक आवंटन या किसी भी प्रस्ताव को गैरकानूनी और सार्वजनिक नीति के विपरीत घोषित किया जाता है। परिणामस्वरूप इसे रद किया जाता है।
बैंकों द्वारा ब्याज के साथ वापस करने का निर्देशपीठ ने कहा कि अगर किसी संभावित आवंटी से कोई बयाना राशि या भुगतान मिला है तो उसे राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया जाता है।
पीठ ने कहा, 'यह आवश्यक है कि भविष्य के आवंटनों में पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों का पालन किया जाए ताकि विवादों को रोका जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सार्वजनिक संसाधन वास्तव में औद्योगिक विकास और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दें।'
आयुर्वेद के नाम पर कंपनियां अब नहीं बना पाएंगी बेवकूफ, भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए पोर्टल लॉन्च
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आयुर्वेदिक दवाओं के भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए आयुष मंत्रालय ने नया पोर्टल लॉन्च किया है।
इस पोर्टल पर कोई भी व्यक्ति भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ शिकायत कर सकेगा और उस पर होने वाली कार्रवाई को मॉनिटर भी कर सकेगा। पोर्टल के साथ सभी नियामक एजेंसियों को भी जोड़ा गया है, ताकि सभी एजेंसियां समन्वित तरीके से कार्रवाई कर सकें।
आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने लॉन्च किया पोर्टल''आयुष सुरक्षा पोर्टल'' को लॉन्च करते हुए आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा कि इससे आयुष क्षेत्र में जवाबदेही के साथ-साथ पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
पोर्टल में जनता की शिकायतों के लिए विशेष प्रबंध किया गया हैआयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा के अनुसार पोर्टल में फार्मा के विजलेंस और नियामक एजेंसियों को एक साथ लाया जाना सबसे अहम है। इससे किसी भ्रामक विज्ञापन की जानकारी भी मिलेगी और उसके खिलाफ कार्रवाई भी सुनिश्चित होगी।
पोर्टल में जनता की शिकायतों के लिए विशेष प्रबंध किया गया है, ताकि भ्रामक विज्ञापनों के बारे में अधिक-अधिक जानकारी भी मिले और कार्रवाई भी हो।
उन्होंने कहा कि यह पोर्टल आयुर्वेदिक दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामलों में एक राष्ट्रीय डैश बोर्ड का काम करेगा, जिसमें सभी शिकायतों और उनके खिलाफ कार्रवाई का डाटा एक जगह उपलब्ध होगा।
औषधीय दुष्प्रभावों पर होगी कड़ी निगरानीध्यान देने की बात है कि जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आयुर्वेदिक दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों और उसके औषधीय दुष्प्रभावों पर कड़ी निगरानी के लिए एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड की जरूरत पर बल दिया था। आयुष मंत्रालय का नया पोर्टल उसी आदेश के तहत तैयार किया गया है।
अमेरिका में इस्तेमाल हो रहे मेड इन इंडिया iPhone, भारत ने चीन को भी पछाड़ा; एपल को तगड़ा मुनाफा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने आईफोन शिपमेंट के मामले में चीन को काफी पीछे छोड़ दिया है। एक हालिया रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है। इतना ही नहीं, चीन से अमेरिका को हो रहे आईफोन शिपमेंट में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
मार्केट रिसर्च फर्म ओमडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को निर्यात होने वाले आईफोन में भारत सबसे बड़ा हिस्सेदार बनकर उभरा है। अप्रैल में भारत में बने करीब 3 मिलियन आईफोन अमेरिका भेजे गए हैं। जबकि इस दौरान चीन से केवल 9 लाख यूनिट भेजी हुई।
भारत में असेंबल हो रहे आईफोनरिपोर्ट बताती है कि भारत के मुकाबले चीन के शिपमेंट में 76 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल एपल लंबे वक्त से चीन की जगह भारत में आईफोन निर्माण की योजना बना रहा था। भारत में बनने वाले आईफोन को फॉक्सकॉन की तमिलनाडु स्थित फैक्ट्री में असेंबल किया जाता है।
फॉक्सकॉन के अलावा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भारत में आईफोन का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है। दोनों कंपनियों का जोर आईफोन का उत्पादन बढ़ाने पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एपल हर साल करीब 220 मिलियन से ज्यादा आईफोन बेच देता है। सबसे ज्यादा आईफोन अमेरिका, चीन और यूरोप में बिकते हैं।
अमेरिका में फैक्ट्री चाहते हैं ट्रंप- अभी कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक से कहा था कि वह भारत में आईफोन का निर्माण बंद करे और अमेरिका में फैक्ट्रियां लगाए। हालांकि एपल ने ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए भारत में उत्पादन करना जारी रखा है।
- ट्रंप ने अमेरिका में नहीं बनने वाले आईफोन पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। टिम कुक ने कहा था कि जून तिमाही में अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन भारत में बने होंगे।
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'लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना भारत', वित्त मंत्री बोलीं- सेवा और कृषि क्षेत्र का खास योगदान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कि भारत लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी जीडीपी वृद्धि की गति को बनाए रख रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जनवरी-मार्च की अवधि के दौरान भारत की विनिर्माण गतिविधि अच्छी रही है। वहीं, तिमाही के दौरान 7.4 प्रतिशत और पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज करने में मदद की है।
'भारत ने विकास को बनाए रखा'केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत विकास को बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि यह लगातार चौथा साल है जब भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। उन्होंने इसका श्रेय छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों के काम को दिया है। सीतारमण ने कहा कि उद्योग जो आ रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारी विनिर्माण क्षमता, हमारी सेवा क्षमता सभी बरकरार हैं। कृषि ने भी कोविड के दौरान और उसके बाद भी हमें बनाए रखा है।
दरअसल, लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए निर्मला सीतारण ने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान ऐसी राय थी कि उद्योग पर्याप्त निवेश नहीं कर रहा है, क्षमता में वृद्धि नहीं हो रही है और इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव भी सवालिया निशान है।
'हर बाधाओं पर बात करने के लिए सरकार तैयार'निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार हर साल विनियामक कठिनाइयों को दूर करने और नरम-स्पर्श विनियमन लाने के लिए काम कर रही है, जिससे लोग बिना किसी संदेह के व्यापार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि वह विनियामक बाधाओं को कम करने में व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सुझाव प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
वित्त मंत्री कहा कहना है कि हम भारत के इतिहास के उस दौर में हैं, जहां हमें अपने देश की क्षमताओं पर भरोसा रखने और यह विश्वास रखने की जरूरत है कि हम निश्चित रूप से उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हम कब तक यह कहते रहेंगे कि हम विकासशील देश हैं। (इनपुट एजेंसी के साथ)
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