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SC: हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर वक्फ कानून में जारी आदेश हो बेअसर, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर
माला दीक्षित, जागरण, नई दिल्ली। अभी तक यही माना जा रहा था कि वक्फ कानून के मामले में मुसलमान या राजनेता ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं लेकिन हिंदुओं ने भी वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर वक्फ कानून 1995 और वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती दी गई है और इन्हें हिंदुओं और गैर-मुस्लिमों के प्रति भेदभावपूर्ण वाला बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायरयाचिका में हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति वक्फ बोर्ड के नोटिसों, अधिसूचनाओं और आदेशों से सुरक्षित करने की मांग की गई है। कहा गया है कि कोर्ट घोषित करे कि वक्फ कानून 1995 के तहत जारी कोई भी अधिसूचना, आदेश या नियम हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू नहीं होगा।
जनहित याचिका में वक्फ कानून की धारा 4,5,6,7,8,28,28,52,54,83,85,89 और 101 को संविधान के अनुच्छेद 14,15,25,26,27,300-ए और 323ए के खिलाफ बताते हुए इसे रद करने की मांग की गई है। शीर्ष कोर्ट में यह याचिका उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले की रहने वाली पारुल खेड़ा ने दाखिल की है।
वक्फ संशोधन कानून 2025 बनायाबता दें कि केद्र ने हाल ही में वक्फ संशोधन कानून 2025 बनाया है। मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा इस कानून का विरोध हो रहा है और उसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दस से ज्यादा याचिकाएं भी दाखिल हो चुकी हैं। केंद्र सरकार ने भी कैविएट दाखिल कर दी है ताकि कोर्ट उसका पक्ष सुने बगैर कोई एकतरफा आदेश जारी न करे।
सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को मामले पर सुनवाई करेगासुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को मामले पर सुनवाई करेगा। अभी हाल में दाखिल याचिका में वक्फ कानून यानी 1995 के मूल कानून और 2025 के संशोधित कानून को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्ड को स्पेशल स्टेटस देता है इसमें वक्फ बोर्ड के पास किसी भी ट्रस्ट या सोसाइटी की संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है जबकि हिंदुओं और गैर मुस्लिम समुदायों के पास ऐसा अधिकार नहीं है।
क्फ कानून 1995 र्धमनिरपेक्षता और बराबरी के सिद्धांत के खिलाफकहा गया है कि वक्फ कानून 1995 र्धमनिरपेक्षता और बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ है। इस कानून में वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों के बारे में मिले विशेष अधिकार से संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 यानी समानता का मौलिक अधिकार और अनुच्छेद 25 और 26 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार तथा अनुच्छेद 300ए और 323 के प्रविधानों का उल्लंघन होता है।
याचिका में कहा गया है कि वक्फ कानून में हिंदुओं और गैर मुस्लिमों के पास उनकी अपनी धार्मिक संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में शामिल करने से रोकने के लिए कोई सुरक्षात्मक उपाय नहीं है और इसलिए यह कानून हिंदुओं र गैर मुस्लिम समुदायों के साथ भेदभाव करता है।
ये कानून प्रकृत न्याय के सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है क्योंकि इसमें प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का मौका देने और उसकी संपत्ति वक्फ संपत्ति की सूची में शामिल करने का विरोध करने का कोई प्रविधान नहीं है।
वक्फ कानून में धार्मिक आधार पर भेदभाव का मुद्दा ही नहींयाचिका में वक्फ कानून में धार्मिक आधार पर भेदभाव का मुद्दा ही नहीं, बल्कि टैक्स पेयर के धन को किसी धर्म विशेष के लिए खर्च किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया है। कहा गया है कि वक्फ कानून 1995 की धारा आठ के मुताबिक प्रापर्टियों के सर्वे और अधिसूचना जारी करने पर आने वाला खर्च राज्य सरकार, सरकारी खजाने से करती है जो कि संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन है। ये चीज धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के भी खिलाफ है। अनुच्छेद 27 कहता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए टैक्स देने को बाध्य नहीं किया जाएगा।
कानून में किसी तरह के पब्लिक नोटिस जारी करने का प्राविधान नहींयाचिका में यह भी कहा गया है कि इस कानून में किसी तरह के पब्लिक नोटिस जारी करने का प्राविधान नहीं है जिससे कि हिंदू या गैर मुस्लिम समुदाय के लोग आदेश को जान ही नहीं पाते हैं। वक्फ कानून की धारा 54 और 55 में वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने का विशेष अधिकार दिया गया है जबकि ये अधिकार ट्रस्ट, मठ, मंदिर, अखाड़ा और धार्मिक संपत्तियां रखने वाले ट्रस्टी, मैनेजरों, शैबायतों, महन्तों और धार्मिक संपत्ति का प्रबंधन करने वालों के पास नहीं है।
वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद ट्रिब्यूनल द्वारा निपटाए जाने के प्रविधान गैरकानूनीअगर वक्फ कानून को देखा जाए तो वक्फ संपत्ति घोषित होने को लेकर विवाद की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल करता है। इस नई याचिका में कहा गया है कि दो समुदायों के बीच संपत्ति को लेकर होने वाला विवाद जटिल प्रकृति का होता है और इसे तय करने के लिए विशेषज्ञ दक्षता की आवश्यकता हो सकती है।
विवाद ट्रिब्यूनल द्वारा निपटाए जाने के प्रविधान गैरकानूनीट्रिब्यूलन अर्ध न्यायिक प्राधिकरण होता है और वो उसमें सक्षम नहीं हो सकता। दीवानी प्रकृति के संपत्ति विवादों का निपटारा सिविल अदालतें बेहतर ढंग से करती हैं, ऐसे में वक्फ कानून में वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद ट्रिब्यूनल द्वारा निपटाए जाने के प्रविधान गैरकानूनी हैं।
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Weather Alert: दिल्ली-यूपी में आंधी-तूफान ने मचाई तबाही, 400 से अधिक उड़ानें प्रभावित; IMD का अलर्ट जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली यूपी के मौसम का मिजाज बिगड़ चुका है। पिछले दो दिन से दिल्ली-एनसीआर से लेकर यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में तेज आंधी और बारिश ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। लोगों को गर्मी से तो राहत मिली है लेकिन किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है।
इन राज्यों में बारिश का अलर्टमौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए और भी गंभीर चेतावनियां जारी की हैं। आईएमडी के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक दिल्ली- एनसीआर समेत यूपी, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में बारिश और तेज हवाएं चलने का सिलसिला जारी रहेगा। आईएमडी ने हालिया जानकारी में बताया कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 12 अप्रैल को और झारखंड में 15 अप्रैल को छिटपुट ओलावृष्टि की संभावना है।
पिछले 24 घंटों के मौसम का हालपिछले 24 घंटों में मौसम में भारी बदलाव देखने को मिला। शुक्रवार शाम को दिल्ली एनसीआर समेत सटे राज्यों में आंधी पानी और हल्की बूंदाबादी देखने को मिली। जिससे तापमान में काफी कमी देखने को मिली। IMD ने बताया कि पिछले 24 घंटों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर तूफानी हवाओं के साथ गरज के साथ बारिश हुईं। वहीं, ये सिलसिला आज और कल जारी रहने की संभावना है।
इन राज्यों में लू की चेतावनीमौसम विभाग ने कुछ राज्यों में लू को लेकर चेतावनी जारी की है। विभाग के ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 14 और 15 अप्रैल को पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर लू चलने की संभावना है। वहीं, 16-18 अप्रैल के दौरान अलग-अलग स्थानों पर भीषण लू चलने की संभावना है।
विभाग के अपडेट में बताया गया कि 15-17 अप्रैल के दौरान गुजरात राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लू चलने की संभावना है। 16-18 अप्रैल के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश में लू चलने की संभावना है।
आइजीआई एयरपोर्ट पर 400 से अधिक उड़ानों में देरी से यात्री हुए परेशानखराब मौसम और रनवे बंद होने की वजह से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आइजीआई) एयरपोर्ट पर लगातार दूसरे दिन शनिवार को 400 से ज्यादा उड़ानों में देरी हुई। नतीजन, यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
शुक्रवार शाम को तेज हवा के साथ वर्षा होने से उड़ानों पर काफी असर पड़ा। बड़ी संख्या में उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ा। विलंब का यह क्रम शनिवार को भी जारी रहा। एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या बढ़ने से अफरातफरी का माहौल रहा। यात्रियों ने इंटरनेट मीडिया पर लंबी कतारों और भीड़भाड़ की तस्वीरें और वीडियो साझा की।
शुक्रवार रात के मौसम के कारण कुछ उड़ानें भी प्रभावितदिल्ली अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने भी इसको लेकर जानकारी साझा की है। घरेलू व अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के प्रस्थान की बात की जाए, तो 234 उड़ानों के प्रस्थान में देरी हुई और 175 उड़ानों का आगमन देरी से हुआ। ज्यादातर उड़ानों का औसतन प्रस्थान 40 मिनट से अधिक का रहा। डायल ने बताया कि एयरपोर्ट पर उड़ानों के संचालन में सुधार हो रहा है, शुक्रवार रात के मौसम के कारण कुछ उड़ानें भी प्रभावित हैं।
कुछ उड़ानें प्रभावित हुईवहीं, इंडिगो एयरलाइन के अनुसार, एयर ट्रैफिक की वजह से टेकऑफ और लैंडिंग क्लीयरेंस के लिए रोका जा रहा है। इस वजह से कुछ उड़ानें प्रभावित हुई हैं। बता दें कि एयरपोर्ट पर एक नंबर रनवे के मरम्मत कार्य की वजह से घरेलू उड़ानों को टर्मिनल दो व तीन से संचालित किया जा रहा है। इस वजह से भी एयरपोर्ट पर काफी परेशानी सामने आ रही हैं।
दिल्ली में शनिवार को गर्मी से रही राहत, अगले सप्ताह फिर चलेगी लूदिल्ली में शनिवार को हवा की गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में रही। रविवार को हवा की गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में रहने की संभावना है। इसके बाद हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली का एयर इंडेक्स 166 रहा।
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Justice Nagarathna: तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा भारतीय परिवार, जस्टिस नागरत्ना ने महिलाओं को लेकर कह दी बड़ी बात
पीटीआई, बेंगलुरु। सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने शनिवार को कहा कि भारत में परिवार की संस्था आज तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है। यह बदलाव न केवल परिवारों की संरचना और कार्यप्रणाली पर, बल्कि कानूनी व्यवस्था पर भी गहरा असर डाल रहे हैं।
बदलाव कई कारकों से प्रेरितउन्होंने कहा कि यह बदलाव कई कारकों से प्रेरित है, जिसमें आम शिक्षा तक अधिक पहुंच, बढ़ता शहरीकरण, व्यक्तिगत आकांक्षाओं से लेकर कार्यबल की अधिक गतिशीलता और शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता शामिल है। कानून ने भी इस बदलाव में मदद की है।
जस्टिस नागरत्ना ने कही ये बात''परिवार: भारतीय समाज का आधार'' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में जस्टिस नागरत्ना ने इस बात पर जोर दिया कि हर सभ्यता में परिवार को समाज की मूलभूत संस्था के रूप में मान्यता दी गई है। यह हमारे अतीत से जुड़ने और हमारे भविष्य के लिए सेतु है।
उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा और रोजगार के कारण महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक मुक्ति को समाज द्वारा सकारात्मक रूप से देखा जाना चाहिए और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसी महिलाएं न केवल परिवार की भलाई में, बल्कि राष्ट्र की भलाई में भी योगदान देती हैं।
पारिवारिक विवाद इस तरह सुलझ सकते हैंजस्टिस नागरत्ना ने कहा कि भारत में वर्तमान में न्यायालयों में जितने पारिवारिक विवाद लंबित हैं, उनका एक महत्वपूर्ण प्रतिशत हल हो सकता है यदि दोनों पक्ष दो कदम उठाएं।
दूसरे साथी के हितों को ध्यान में रखना चाहिएउन्होंने कहा, ''पहला कदम दूसरे के प्रति समझ और सम्मान रखना है, और दूसरा खुद के प्रति जागरूकता है। यह पति और पत्नी के संदर्भ में है। दूसरे के प्रति सम्मान को समझने से मेरा मतलब है कि एक साथी को हर समय दूसरे साथी के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। जब भी पहला साथी कुछ ऐसा करता हुआ दिखाई दे जो दूसरे साथी की राय में समस्याग्रस्त है, तो दूसरे साथी को खुद को पहले साथी के स्थान पर रखकर उस कार्य का कारण बताना चाहिए।''
पेगासस स्पाइवेयर के जरिये जिनकी जासूसी हुई, उनका ब्योरा दे केंद्र, कांग्रेस ने सरकार से कर दी बड़ी मांग
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अमेरिका की अदालत में हुए हालिया राजफाशों के बारे में बताएं जिसमें 100 भारतीयों की पेगासस स्पाइवेयर के जरिये जासूसी का उल्लेख है। साथ ही कहा कि सरकार को उन 100 भारतीयों का ब्योरा देना चाहिए।
पेगासस का इस्तेमाल 100 भारतीयों का मोबाइल हुआ हैककांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि यह स्पष्ट है कि पेगासस का इस्तेमाल 100 भारतीयों के मोबाइल फोन को हैक करने के लिए किया गया। उन्होंने इस मामले की न्यायालय द्वारा जांच की मांग की।
सुरजेवाला ने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ ने कहा है कि जासूसी साफ्टवेयर के लाइसेंस सरकारों द्वारा लिए गए थे। उन्होंने कहा कि क्या यह साबित नहीं करता कि मोदी सरकार ने जासूसी के लिए पेगासस खरीदा? कांग्रेस नेता ने सरकार से यह भी पूछा कि साफ्टवेयर खरीदने की अनुमति किसने दी।
विपक्षी नेता, जर्नलिस्ट, जज, और केंद्रीय मंत्री की हुई थी जासूसीउन्होंने कहा कि जब अमेरिका की अदालत में दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं तो क्या यह भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इन दस्तावेजों को पेश करे? उन्होंने दावा किया कि जिन लोगों की जासूसी हुई उनमें विपक्षी नेता, जर्नलिस्ट, जज, और केंद्रीय मंत्री तक शामिल थे।
कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट पेश, पिछड़ा वर्ग आरक्षण बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट में पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण को मौजूदा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है।
सूत्रों के अनुसार जाति आधारित जनगणना से पता चला है कि राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशत है। इससे पहले बिहार सरकार ने भी जाति आधारित जनगणना करवाई थी।
रिपोर्ट में तमिलनाडु और झारखंड का उदाहरण दिया गयासूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में तमिलनाडु और झारखंड का उदाहरण दिया गया है, जो पिछड़े वर्ग की आबादी के अनुसार क्रमश: 69 और 77 प्रतिशत आरक्षण प्रदान दे हैं।
बिहार में ऐसा है मामलाबिहार सरकार ने भी जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट के आधार पर राज्य में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था। इस कानून को पटना हाई कोर्ट ने रद कर दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
सर्वेक्षण शुरू में 2015 में एच. कंथराज द्वारा कराया गया था और बाद में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने इसे पूरा किया और फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को रिपोर्ट सौंपी। पिछले दिनों यह रिपोर्ट राज्य कैबिनेट में पेश की गई।
किसकी कितनी है आबादी- पिछड़ा वर्ग 1ए श्रेणी - 34,96,638
- पिछड़ा वर्ग 1बी श्रेणी - 73,92,313
- पिछड़ा वर्ग 2ए श्रेणी - 77,78,209
- पिछड़ा वर्ग 2बी श्रेणी - 75,25,880
- पिछड़ा वर्ग 3ए श्रेणी - 72,99,577
- पिछड़ा वर्ग 3बी श्रेणी - 1,54,37,113
- अन्य पिछड़ी जातियों की कुल जनसंख्या- 4,16,30,153
- अनुसूचित जाति - 1,09,29347
- अनुसूचित जनजाति 42,81,289
(सैंपल सर्वे में 5,98,14,942 की आबादी शामिल है)
जाति जनगणना राजनीतिक नाटक: कुमारस्वामीकेंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया पर जाति जनगणना को राजनीतिक नौटंकी के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। कुमारस्वामी ने कहा, जाति जनगणना रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। सरकार जाति लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। अगर आप वाकई जाति जनगणना चाहते हैं, तो सर्वेक्षण कर नई रिपोर्ट पेश करें। पिछले 10 सालों में जनसांख्यिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।
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तमिलनाडु के मंत्री ने उड़ाया हिंदू धर्म का मजाक, विवाद बढ़ा तो मांगनी पड़ी माफी; कैबिनेट से हटाने की हो रही मांग
एजेंसी, चेन्नई। हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने वाले तमिलनाडु के वन मंत्री के. पोनमुडी ने अपनी अनुचित टिप्पणी के लिए माफी मांग ली है। गौरतलब है कि पोनमुडी ने एक कार्यक्रम में महिलाओं और हिंदू धर्म के शैव एवं वैष्णववाद पर अपमानजनक टिप्पणी की थी।
उनके भाषण का वीडियो प्रसारित होने के बाद द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन ने 11 अप्रैल को पोनमुडी को पार्टी के उप महासचिव पद से हटा दिया था। चौतरफा विरोध के बाद पोनमुडी ने कहा, अपने अनुचित शब्दों के लिए मुझे खेद है। मैं उन सभी से दिल से माफी मांगता हूं, जिन्हें मेरे शब्दों से ठेस पहुंची है।
वीएचपी ने की मंत्रिमंडल से हटाने की मांगइस बीच विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने पोनमुडी को स्टालिन मंत्रिमंडल से तत्काल हटाने की मांग की है। उत्तर तमिलनाडु के विहिप राज्य अध्यक्ष अंडाल पी. चोकलिंगम ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन अगर धर्मनिरपेक्षता पर कायम हैं तो उन्हें पोनमुडी को तुरंत मंत्री पद से हटा देना चाहिए। पोनमुडी को द्रमुक में उप महासचिव पद से हटाना केवल दिखावा है।
उन्होंने घोषणा की कि वीएचपी पोनमुडी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर 15 अप्रैल को राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगी। इस बीच हिंदू मुन्नानी के प्रदेश अध्यक्ष कादेश्वर सुब्रमण्यम ने भी पोनमुडी को मंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर 15 अप्रैल को राज्यव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है।
हिंदुओं और हिंदी भाषियों का बताया अपमान- भाजपा नेता सैयद जफर इस्लाम ने पोनमुडी और द्रमुक पर निशाना साधा है। जफर इस्लाम ने कहा, 'द्रमुक की पोल खुल गई है। पोनमुडी ने बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने वैष्णवों और शैवों का मजाक उड़ाया है और हिंदी भाषी नागरिकों को पानी पूरी बेचने वाला कहकर उनका अपमान किया है।
- उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि उनके बयानों के बावजूद द्रमुक ने उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की। वहीं भाजपा नेता सीआर. केसवन ने कहा कि पोनमुडी को मंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
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UPI के बाद WhatsApp हुआ डाउन, यूजर्स को मैसेज भेजने में आ रही दिक्कत
नई दिल्ली, आईएएनएस। वाट्सएप यूजर्स को शनिवार को इसकी सुविधा के उपयोग में परेशानी का सामना करना पड़ा। भारत में यूजर्स संदेश भेजने और स्टेटस अपलोड करने में असमर्थ थे।
एप आउटेज ट्रैकिंग प्लेटफार्म डाउन डिटेक्टर के अनुसार, 81 प्रतिशत यूजर्स ने संदेश भेजने में समस्या की सूचना दी, जबकि 16 प्रतिशत ने एप के उपयोग में पूरी तरह समस्या की सूचना दी।
वाट्सएप की ओर से कोई बयान नहीं आया सामनेएक्स पर एक यूर्जर ने कहा कि क्या यह सिर्फ मेरा मामला है या आपका वाट्सएप भी बंद है मैं स्टेटस अपलोड करने की कोशिश कर रहा हूं और ऐसा करने में बहुत समय लग रहा है। इसे लेकर वाट्सएप की ओर से तत्काल कोई बयान नहीं आया है। कुछ यूजर्स ने मेटा के स्वामित्व वाले फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी इसी तरह की समस्या की सूचना दी।
यूजर्स ने दी ये प्रतिक्रियाएक यूजर ने लिखा क्या वाट्सएप बंद है। मुझे संदेश भेजने में परेशानी हो रही है। संदेश जा नहीं रहा। क्या कोई और इस तरह की समस्या का सामना कर रहा है।
फरवरी में भी आई थी परेशानीफरवरी के आखिर में भी वाट्सएप की सेवा में भारी व्यवधान पैदा हुआ था, जिससे दुनिया भर में कई यूजर्स एप का उपयोग करने में असमर्थ हो गए। वे वाट्सएप या इसके वेब संस्करण के माध्यम से कनेक्ट या संदेश भेजने या कोई काल करने में असमर्थ थे। डाउन डिटेक्टर ने उस दिन 9,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की थीं।
UPI की सेवाएं भी आज हुई थीं बाधितयूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) सेवा के माध्यम से डिजिटल भुगतान शनिवार को एक बार फिर देशभर में ठप हो गया। इससे पेटीएम, गूगल पे और फोनपे जैसे प्लेटफार्म के लाखों यूजर्स प्रभावित हुए। कई आनलाइन भुगतान प्लेटफार्म पर डिजिटल सेवाएं बाधित रहीं।
बता दें कि एक पखवाड़े से भी कम समय में यह तीसरी बार है जब यूपीआई में व्यवधान के कारण लेन-देन प्रभावित हुआ। हाल ही में 26 मार्च और दो अप्रैल को भी यूपीआई में व्यवधान की खबरें आई थीं। यूजर रिपोर्ट के आधार पर सेवा व्यवधानों की निगरानी करने वाले प्लेटफार्म 'डाउन डिटेक्टर' के अनुसार, दोपहर एक बजे तक 2,358 शिकायतें दर्ज की गईं। सबसे ज्यादा शिकायतें भुगतान (81 प्रतिशत) और फंड ट्रांसफर (17 प्रतिशत) के लिए थीं। (इनपुट एजेंसी के साथ)
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