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Safeguard Duty: भारत की शिकायत पर अमेरिका ने WTO में दिया जवाब, अब भारत के सामने क्या हैं विकल्प
प्राइम टीम, नई दिल्ली। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के इस दावे को खारिज किया है कि स्टील और एल्युमीनियम आयात पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत सेफगार्ड उपाय हैं। अमेरिका ने 23 मई 2025 को डब्ल्यूटीओ को भेजे अपने जवाब में कहा है कि ये टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से धारा 232 के तहत लगाए गए थे। ये टैरिफ GATT व्यापार समझौते के अनुच्छेद XXI के अंतर्गत आते हैं, सेफगार्ड समझौते (safeguard agreement) के अंतर्गत नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के इस जवाब के बाद अब भारत के पास कई विकल्प हैं। भारत इस विवाद को डब्ल्यूटीओ की बॉडी के सामने रखे, एकतरफा जवाबी कार्रवाई करे या अमेरिका के साथ बातचीत कर समाधान निकाले। अभी भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते पर बात चल रही है। इस बातचीत में भारत टैरिफ हटाने का दबाव डालकर इस मुद्दे को हल करने का प्रयास कर सकता है।
भारत ने की थी डब्ल्यूटीओ में शिकायतदरअसल, भारत ने 9 मई 2025 को सेफगार्ड एग्रीमेंट के अनुच्छेद 12.5 के तहत डब्ल्यूटीओ को एक औपचारिक नोटिफिकेशन दिया। उसमें भारत ने डब्ल्यूटीओ को बताया कि वह स्टील, एल्युमीनियम और उनसे बने उत्पादों पर अमेरिका के टैरिफ के जवाब में सेफगार्ड समझौते के अनुच्छेद 8.2 के तहत दी जा रही रियायतों को निलंबित करना चाहता है। भारत के अनुसार अमेरिका ने 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम (U.S. Trade Expansion Act) की धारा 232 के तहत ये टैरिफ लगाए हैं, इसलिए भारत को रियायतें वापस लेने का अधिकार है।
WTO को नोटिस देकर एक तरह से भारत ने उसके नियमों का पालन किया है। नियम के अनुसार अगर कोई देश बिना उचित नोटिफिकेशन या सलाह-मशविरा के सेफगार्ड उपाय लागू करता है तो दूसरे देश को जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है। अपने नोटिस में भारत ने कहा कि उसे अमेरिका के टैरिफ बढ़ने से जितना नुकसान होगा उतने के बराबर अमेरिका से आयात पर टैरिफ बढ़ा सकता है। भारत का आकलन है कि अमेरिका की सेफगार्ड ड्यूटी (safeguard duty) से भारत का 7.6 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा और अमेरिका को 1.91 अरब डॉलर अतिरिक्त टैरिफ की कमाई होगी। बातचीत न होने या अमेरिका के कदम वापस नहीं लेने की स्थिति में भारत के जवाबी टैरिफ 8 जून से लागू होंगे।
अमेरिका ने 2018 में जब राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाया था, तब भी भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी। अपनी पहले कार्यकाल में ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाने के अलावा जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) के तहत भारत को दी गई छूट खत्म कर दी थी। उसके जवाब में भारत ने जून 2019 में अमेरिका से आयात होने वाले बादाम, सेब, केमिकल समेत कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया था। दोनों देश 2023 में डब्ल्यूटीओ में चल रहे छह विवाद खत्म करने पर सहमत हुए तब यह टैरिफ वापस लिए गए।
भारत की शिकायत पर अमेरिका का जवाबइसके जवाब में अमेरिका ने 22 मई 2025 को अपना औपचारिक जवाब दिया, जिसे डब्ल्यूटीटओ ने अगले दिन प्रसारित किया। अमेरिका के अनुसार ये टैरिफ धारा 232 के तहत विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से लगाए गए थे। ये टैरिफ जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड (GATT) 1994 के अनुच्छेद XXI के तहत लागू किए गए थे, अनुच्छेद XIX या WTO के सेफगार्ड नियमों के तहत नहीं। यह अंतर इसलिए मायने रखता है क्योंकि सेफगार्ड एग्रीमेंट का अनुच्छेद 8.2 किसी देश को रियायतें निलंबित करने की अनुमति केवल तभी देता है जब कोई सेफगार्ड उपाय लागू किया गया हो, जिससे अमेरिका इनकार कर रहा है।
अमेरिका ने एक प्रक्रियागत मुद्दे का भी जिक्र किया है। भारत ने 11 अप्रैल 2025 को अनुच्छेद 12.3 के तहत बातचीत का अनुरोध किया था। अमेरिका ने 16 अप्रैल 2025 को इसका जवाब दिया, उसका दावा है कि उसके बाद भारत की तरफ से कोई पहल नहीं की गई। अमेरिका का तर्क है कि भारत परामर्श के चरण को पूरा करने में विफल रहा है, इसलिए वह अनुच्छेद 8.2 के तहत जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकता है। सेफगार्ड का प्रावधान लागू हो तब भी नहीं, हालांकि अमेरिका इससे इनकार कर रहा है। अमेरिका ने कहा है कि वह सेफगार्ड एग्रीमेंट के तहत धारा 232 टैरिफ पर चर्चा नहीं करेगा।
भारत के पास अब क्या हैं विकल्पथिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका के इस जवाब के बाद भारत के पास कई विकल्प हैं। एक विकल्प औपचारिक रूप से WTO विवाद निपटाने वाली बॉडी में जाना है। इसमें भारत सेफगार्ड एग्रीमेंट के तहत नहीं, बल्कि GATT नियमों के तहत धारा 232 टैरिफ को संरक्षणवादी बता सकता है। भारत यह तर्क दे सकता है कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा के अपवाद का दुरुपयोग कर रहा है। हालांकि इस तरह के कानूनी मार्ग में जोखिम है, क्योंकि अमेरिका का राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर WTO के फैसलों की अनदेखी करने का इतिहास रहा है। वह अपने खिलाफ किसी भी प्रतिकूल निर्णय के खिलाफ WTO अपीलेट बॉडी में जा सकता है। यह बॉडी अभी काम नहीं कर रही है इसलिए मामला वहां पड़ा रहेगा।
एक और विकल्प यह होगा कि वह डब्ल्यूटीओ की अनुमति न मिलने पर भी अपने स्तर पर जवाबी टैरिफ लगाए। यूरोपियन यूनियन, कनाडा और चीन जैसे देशों ने अमेरिका के धारा 232 टैरिफ के खिलाफ ऐसा किया है। इससे स्पष्ट संदेश तो जाएगा, लेकिन साथ ही अमेरिका की तरफ से भी कार्रवाई किए जाने और कानूनी उलझनों का जोखिम भी रहेगा।
श्रीवास्तव का कहना है कि भले ही भारत के पास कई कानूनी और कूटनीतिक विकल्प हों, लेकिन तुरंत कार्रवाई न करना बेहतर हो सकता है। इसके बजाय, द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता का उपयोग करके भारत इस मुद्दे को सुलझाने का व्यावहारिक मार्ग अपना सकता है। एफटीए सौदे के हिस्से के रूप में स्टील और एल्युमीनियम पर धारा 232 टैरिफ खत्म करने या कम करने के लिए अमेरिका पर दबाव डालकर भारत बातचीत के जरिए समाधान प्राप्त कर सकता है।
अमेरिका स्टील और एल्युमीनियम आयात पर दोगुना कर चुका है शुल्कराष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते स्टील और एल्युमीनियम आयात पर टैरिफ दोगुना करने की घोषणा की। निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को 25% से बढ़ाकर 50% करने की घोषणा पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इस बढ़े हुए टैरिफ से भारत के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात, विशेष रूप से मूल्यवर्धित और तैयार स्टील उत्पादों तथा ऑटो-कंपोनेंट निर्यात में दिक्कत आ सकती है।
FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा कि अमेरिका में स्टील और एल्युमीनियम आयात शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि का भारत के स्टील निर्यात पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील पाइप, स्ट्रक्चरल स्टील कंपोनेंट और ऑटोमोटिव स्टील पार्ट्स जैसी श्रेणी में परेशानी बढ़ सकती है। ये उत्पाद भारत के बढ़ते इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा हैं। शुल्क बढ़ने से अमेरिकी बाजार में हमारी प्रतिस्पर्धी क्षमता कम हो सकती है।
फियो के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को लगभग 6.2 अरब डॉलर के स्टील और फिनिश्ड स्टील उत्पादों का निर्यात किया। इसके अलावा 0.86 अरब डॉलर के एल्युमीनियम और उसके उत्पादों का भी निर्यात किया गया। अमेरिका भारतीय स्टील निर्माताओं के लिए शीर्ष गंतव्यों में से एक है।
भारतीय सेना के जखीरे में S-400 का आएगा 'नया स्टॉक', रूस ने कहा- 'पाक के साथ संघर्ष में कारगार रहा Air Defence सिस्टम'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले महीने हुए सैन्य संघर्ष में भारत के लिए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम रक्षा कवच की तरह सुरक्षा देता रहा। इस एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की ओर से आ रहे सभी खतरों को हवा में ही नेस्तनाबूद कर दिया। इस बीच रूस ने भी माना है कि भारत के S-400 ने पाकिस्तान के 'छक्के छुड़ा' दिए।
रूस के भारत में मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने सोमवार को कहा कि रूस 2025-2026 तक भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बची हुई यूनिटस् देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस बात पर भी रोशनी डाली कि हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान इस एयर डिफेंस ने "अपना काम बखूबी" निभाया था।
भारत-रूस के बीच सहयोग का लंबा इतिहास: Russiaरोमन ने एयर डिफेंस और एंटी ड्रोन सिस्टम में भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा, "हमने सुना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्षों के दौरान S-400 ने कारगर तरीके से काम किया। हमारे बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास है।"
बाबुश्किन ने बताया कि बाकी के दो S-400 यूनिट्स के लिए डील चल रही है। उन्होंने कहा कि इसकी डिलीवरी 2025-26 तक होने की उम्मीद है। बता दें भारत ने 2018 में रूस के साथ S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली के पांच स्क्वाड्रन के लिए 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा किया था।
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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रांची जा रहा इंडिगो विमान हुआ 'बर्ड हिट' का शिकार, 175 यात्रियों में मची हड़कंप; पायलट ने कराई इमरजेंसी लैंडिंग
पीटीआई, रांची। झारखंड की राजधानी रांची जाने वाली इंडिगो की एक फ्लाइट को सोमवार को आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी। अधिकारियों ने बताया कि पक्षी के टकराने के कारण आपातकालीन लैंडिंग हुई और विमान में सवार सभी 175 यात्री सुरक्षित हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लगभग 4,000 फीट की ऊंचाई पर विमान, गिद्ध के हमले के कारण क्षतिग्रस्त हो गया।
विमान पटना से रांची आ रहा थारांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे के निदेशक आरआर मौर्य ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "इंडिगो का एक विमान रांची के पास एक पक्षी से टकरा गया। यह घटना यहां से लगभग 10 से 12 समुद्री मील दूर, लगभग 3,000 से 4,000 फीट की ऊंचाई पर हुई। इंडिगो का विमान पटना से रांची आ रहा था और पायलट को यहां आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।"
बर्ड हिट की जानकारी मिलते ही एयरपोर्ट अथॉरिटी की टीम मौके पर पहुंची। तकनीकी टीम विमान की जांच कर रही है। बता दें कि आसमान में जब कोई पक्षी विमान से टकराता है तो उसे 'बर्ड हिट' कहा जाता है।
इससे पहले रविवार को दिल्ली जा रही इंडिगो की एक फ्लाइट को दिल्ली में खराब मौसम के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। रायपुर से दिल्ली आने वाली उड़ान संख्या 6ई 6313 रविवार को धूल भरी आंधी के कारण कुछ देर तक हवा में चक्कर लगाने के बाद सुरक्षित रूप से दिल्ली हवाई अड्डे पर उतर गई।
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Romance Scams: 'प्यार' में लूट लिए जाएंगे 80 लाख से ज्यादा लोग, निशाने पर 25 से कम उम्र के युवा; जानें कैसे बचें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छोटे शहरों से लेकर महानगरों में रह रहे युवाओं के लिए ऑनलाइन डेटिंग ने पार्टनर की तलाश को आसान बनाया है, लेकिन एआई आधारित डीपफेक तकनीक के चलते यह एक खतरनाक रोमांस स्कैम में बदल गया है। रोमांस स्कैम के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है।
ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट की मानें तो दावा किया गया है कि साल 2025 में डीपफेक वीडियो को जरिया बनाकर 80 लाख से ज्यादा प्यार-मोहब्बत में ठगे जाएंगे। यह आंकड़ा 2023 के 5 लाख केस की तुलना में 16 गुना ज्यादा है।
दुनिया भर में युवाओं में मनपसंद पार्टनर चुनने के लिए ऑनलाइन डेटिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही रोमांस स्कैम के मामले भी बढ़ गए हैं। साइबर फर्म McAfee की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दुनिया भर में होने वाले कुछ ऑनलाइन स्कैम में 20 प्रतिशत से अधिक मामले रोमांस के होंगे। इनमें भी आधे से ज्यादा पीड़ित वे होंगे, जिनकी उम्र 25 साल से कम है।
एआई तकनीक के लगातार अपडेट होने के चलते Deepfake वीडियो और फोटो इतने वास्तविक लगते हैं कि खास तकनीक की मदद से भी इन फोटो और वीडियो को पहचानना मुश्किल हो रहा है।
हाल ही में अमेरिकी राज्य मिशिगन 53 वर्षीय बेथ हाईलैंड की टिंडर पर मिले रिचर्ड नाम शख्स से मुलाकात हुई। रिचर्ड ने बेथ से शुरुआत में प्यार-मोहब्बत की बातें की। फिर डीपफेक स्काइप कॉल्स और फर्जी फोटोग्राफी बनाकर बेथ से 22 लाख रुपये ठगे।
एफबीआई की मानें तो साल 2023 में अमेरिका में ऐसे स्कैम से 36 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि हकीकत में यह आंकड़ा बहुत बड़ा है, क्योंकि रोमांस स्कैम में शिकार हुए लोगों में से कुल 7 प्रतिशत ही शिकायत दर्ज करवाते हैं।
डीपफेक स्कैम कैसे और कहां से हो रहा?दुनिया भर में लगभग सभी देश अपने -अपने यहां डीपफेक स्कैमर्स लगाम कसने में लगे हैं, लेकि डीपफेक स्कैमर्स को पकड़ना सभी के लिए चुनौती है। दरअसल, डीपफेक स्कैम उन देशों से काम कर रहे हैं, जिन देशों का कानून कमजोर है।
यूएन ऑफिस फॉर ड्रग्स एंड क्राइम (United Nations Office on Drugs and Crime) की 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 प्रतिशत डीपफेक स्कैम इंटरनेशनल नेटवर्क के जरिए संचालित होते हैं।
कहां मिल रहे डीपफेक टूल्स?इंटरपोल की 2025 की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के गैंग टेलीग्राम व डार्क वेब पर डीपफेक टूल्स बेचते हैं। टूल्सकी खरीद फरोख्त के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे रैक करना बेहद मुश्किल है।
भारत में हर दिन कितने रुपये की ठगी हो रही?साइबर ठगी भारत में भी जमकर हो रही है। स्कैमर एआई को हथियार बना रहे हैं। डीपफेक ऑडियो, वीडियो व वॉयस क्लोनिंग के जरिए कॉल कर लोगों को जाल में फंसा रहे हैं। देश में साइबर स्कैम डिजिटल अरेस्ट ने इतना विकराल रूप ले लिया कि केंद्र सरकार से लेकर आरबीई और मीडिया को इसके खिलाफ जागरुकता अभियान चलाना पड़ा।
पिछले साल की बात करें तो साइबर ठगी के लिहाज से 2024 भयावह साल रहा है। भारतीयों को हर दिन औसतन 60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के मुताबिक, नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर रोजाना 6000 से जयादा शिकायतें दर्ज की गईं।
स्कैमर्स कैसे बहाने बना ऐंठ लेते हैं पैसे?FBI की इंटरनेट क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन डेटिंग में 90 प्रतिशत स्कैमर इमरजेंसी जैसे- मेडिकल बिल, कानूनी खर्च या फिर ट्रैवलिंग में सब खो जाने का बहाना बनाते हैं।
ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में कैसे फंस जाते हैं युवा?ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में युवा किसी भी हद तक जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं।
युवा इमोशनल और टेक्नोलॉजी बाइज कम एक्सपीरिएंस होते हैं, स्कैमर उनको आसानी से फायदा उठाते हैं।
ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में कैसे फंस जाते हैं युवा?
- ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में युवा किसी भी हद तक जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं।
- युवा इमोशनल और टेक्नोलॉजी बाइज कम एक्सपीरिएंस होते हैं, स्कैमर उनको आसानी से फायदा उठाते हैं।
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ऑनलाइन डेटिंग में क्या-क्या सावधानियां बरतें?- भरोसेमंद डेटिंग एप का इस्तेमाल करें।
- फोटो, जॉब टाइटल और स्टेट्स फेक भी हो सकते हैं, ऐसे में जांच परख कर प्रोफाइल पर भरोसा करें।
- फोटो वेरिफिकेशन के लिए रिवर्स इमेज सर्च व डीपफेक डिटेक्शन टूल्स (जैसे रियलिटी डिफेंडर) का उपयोग करें।
- पूरा पता, ऑफिस नाम, बैंक डिटेल और आधार कार्ड जैसी अपनी पर्सनल जानकारी तुरंत शेयर न करें।
- जब आप व्यक्ति पर भरोसा करने लगें तब ही सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी शेयर करें।
- बातचीत का पैटर्न नोट करें जैसे- फोन/वीडियो कॉल्स से बचता है या जल्दी प्यार/शादी की बात कर रहा है तो सावधान हो जाएं।
- वीडियो कॉल जरूर करें। वीडियो कॉल में अजीब हरकतें पहचानें (जैसे पलक न झपकना) आदि पर गौर करें।
- पहली बार किसी सार्वजनिक प्लेस पर मिलें, परिवार-दोस्त के साथ लोकेशन व डिटेल शेयर करें।
- पैसे मांगे तो सतर्क हो जाएं फिर चाहे मेडिकल इमरजेंसी हो, बिजनेस लॉस या कुछ और समस्या।
- धोखाधड़ी होने पर बैंक, डेटिंग ऐप और पुलिस को तुरंत सूचित करें। त्वरित शिकायत से 30% मामलों में नुकसान कम हो सकता है।
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- Trump's 2026 budget would slash NASA funding by 24% and its workforce by nearly one third Space
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'फिर तो पूरा जयपुर आपका हो जाएगा', टाउन हॉल केस में राजघराने के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बोला ऐसा?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जयपुर राजघराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। जयपुर के ऐतिहासिक टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा) को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने राजमाता पद्मिनी देवी समेत जयपुर राजपरिवार (Jaipur Royal Family vs Rajasthan Govt) के सदस्यों की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
राजस्थान हाईकोर्ट ने इसे सरकारी संपत्ति मानते हुए राजघराने के दावों को खारिज कर दिया था। राजघराने के सदस्यों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। टाउन हॉल के अलावा चार मुख्य इमारतों को भी सरकारी संपत्ति घोषित किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने राज्य सरकार से कहा कि जब तक मामला अदालत में लंबित है तब तक कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाया जाए। मामले पर अब दो महीने बाद सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता के वकील की दलील पर क्या बोला कोर्टयाचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि यह मामला कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है। उन्होंने इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 362 और 363 में पूर्व शासकों और रजवाड़ों के विशेषाधिकार का जिक्र किया
हरीश साल्वे ने जोर दिया कि रजवाड़ों के विभिन्न कॉन्ट्रैक्ट हैं और आप इन राज्यों के इतिहास को तो जानते हैं। यह एक संधि तब हुई थी जब संघ (Union) तो पक्ष भी नहीं था, यह तो जयपुर और बीकानेर जैसे शासकों के बीच हुई थी।
इस पर कोर्ट ने कहा कि तो आप भारत संघ को बिना पक्ष बनाए कैसे किसी संपत्ति का विलय कर सकते हैं? ऐसे में तो पूरा जयपुर आपका हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो राजस्थान का हर शासक सभी सरकारी संपत्तियों पर अपना दावा करेगा। ये रियासतें कहेंगी कि सारी संपत्तियां उनकी ही हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर आप कहते हैं कि भारत संघ इस कॉन्ट्रेक्ट का पक्षकार नहीं था तो संविधान का अनुच्छेद 363 भी लागू नहीं होगा।
राजघराने के पक्षकार साल्वे ने कहा कि हम यथास्थिति चाहते हैं। राज्य के वकील ने जवाब देने के लिए 6 सप्ताह की मोहलत मांगी है और दलील दी कि कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जाए। कोर्ट ने नोटिस जारी किया जिसे राज्य के वकील ने स्वीकार कर लिया है।
आखिर क्या है पूरा मामला?साल 1949 में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत टाउन हॉल समेत कुछ संपत्तियां सरकारी उपयोग के लिए दी गई थीं। इसके बाद जब साल 2022 में गहलोत सरकार के ने जब संपत्ति पर म्यूजियम बनाने का फैसला किया तो शाही परिवार ने आपत्ति जताई। 2014 से 2022 तक कई नोटिस और शिकायतों के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला।
इसके बाद शाही परिवार ने सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर संपत्ति पर कब्जा, रोक और मुआवजे की मांग की। राज्य सरकार ने अनुच्छेद 363 का हवाला देकर मुकदमा खारिज करने की मांग की, जिसे ट्रायल कोर्ट ने ठुकरा दिया। लेकिन हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया था और राज्य सरकार के हक में फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट के फैसले को राजघरानों के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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IndiGo flight hit by vulture at 4,000 feet, makes emergency landing in Ranchi - Times of India
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- IndiGo flight to Ranchi makes emergency landing after hit by 'vulture', aircraft damaged Hindustan Times
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