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CISF की महिला अधिकारी ने रचा इतिहास, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का बनाया रिकॉर्ड; जानिए सफलता की कहानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीआईएसएफ की महिला उप-निरीक्षक गीता समोटा ने इतिहास रच दिया है। गीता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई कर दी है। ऐसा करने वाली वह सीआईएफएफ की पहली अधिकारी बन गई हैं।
राजस्थान के सीकर जिले स्थित चक गांव में जन्मी गीता की स्कूल और कॉलेजी की पढ़ाई स्थानीय संस्थानों में हुई। वह कॉलेज में हॉकी खेलती थी, लेकिन एक चोट के कारण उन्होंने खेल का सफर वहीं रोक दिया। 2011 में उनका चयन केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में हुआ।
गीता के हौसले के आगे पस्त दुनियाभारत-तिब्बत सीमा पुलिस प्रशिक्षण संस्थान में उन्हें पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए चयनित किया गया था। 2017 में उन्होंने पर्वतारोहण ट्रेनिंग पूरी कर ली और ऐसा करने वाली वह सीआईएसएफ की पहली और एकमात्र कर्मी बनीं।
अपने हौसले की बदौलत उन्होंने उत्तराखंड की माउंट सतोपंथ और नेपाल की माउंट लोबुचे पर भी सफलतापूर्वक चढ़ाई कर ली। सीएपीएफ के इतिहास में ऐसा करने वाली वो पहली महिला थीं। 2021 में माउंट एवरेस्ट के लिए निर्धारित सीएपीएफ अभियान में उनका चयन हुआ, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे रद कर दिया गया।
कई अवॉर्ड से हुई हैं सम्मानित- गीता ने सातों महाद्वीप की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़ाई करने को अपना लक्ष्य बनाया। 2022 की शुरुआत तक उन्होंने इनमें से 4 पर सफलतापूर्वक चढ़ाई भी कर ली। इसके लिए उन्होंने महज 6 महीने और 27 दिन का समय लिया। लद्दाख के रूपशु क्षेत्र में गीता ने 3 दिन में 5 चोटियों पर चढ़ाई की।
- गीता को दिल्ली महिला आयोग द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023 और सिविल एविएशन मंत्रालय द्वारा गिविंग विंग्स टू ड्रीम्स अवॉर्ड 2023 से सम्मानित किया गया है। गीता की सफलता से प्रेरित होकर सीआईएसएफ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए पर्वतारोहण दल भेजने दी की योजना बना रहा है।
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आतंक के समर्थक देशों का बायकॉट... अमेरिका, सऊदी समेत इन 33 देशों में जाएगा भारतीय डेलीगेशन
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारतीय सांसदों की टीम अगले कुछ दिनों तक दुनिया के कोने-कोने में बसे 33 देशों का दौरा करेगी और वहां के सांसदों, सरकार के प्रतिनिधियों, मीडिया, थिंक टैंकों व आम जनों से मिल कर ना सिर्फ पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के बारे में उन्हें जानकारी देगी बल्कि पाकिस्तान के आतंकी चेहरे का भी पर्दाफाश करेगी।
इस टीम में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा विदेश मंत्रालय के कुछ पुराने व अनुभवी राजनयिक भी हैं। सात हिस्सों में बंटी इस टीम का दौरा 23 मई से शुरू होगा और तीन जून, 2025 को समाप्त होगा। टीम कहां-कहां जाएगी, इसका फैसला करने के समय इस बात का ख्याल रखा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की मदद करने वाले किसी भी देश का दौरा नहीं किया जाए। यानी भारतीय टीम तुर्की, चीन, अजरबैजान नहीं जा रही।
यूएनएससी के सदस्य देशों पर फोकसविदेश मंत्रालय की तरफ से जो जानकारी दी गई है उससे यह भी पता चलता है कि उन देशों को खास तौर पर तवज्जो दी गई है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य हैं। देखा जाए तो यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों में से चीन को छोड़ कर अन्य चारों देश अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस का दौरा भारतीय प्रतिनिधिमंडल करेगा।
इसी तरह से 10 अस्थाई सदस्यों में से पाकिस्तान और सोमालिया को छोड़ कर मौजूदा अन्य आठ अस्थाई सदस्य देश अल्जीरिया, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, सिऐरा लियोन, गुयाना, पनामा, सोल्वेनिया और ग्रीस की यात्रा पर भारतीय टीम जाएगी।
तुर्की व चीन से किया किनारा- सनद रहे कि पहलगाम हमले के बाद भी पीएम नरेन्द्र मोदी ने चीन के अलावा यूएनएससी के अन्य स्थाई सदस्यों के प्रमुखों से टेलीफोन पर बात की थी। जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 10 अस्थाई सदस्यों में पाकिस्तान को छोड़ कर अन्य नौ सदस्यों के विदेश मंत्रियों के साथ विमर्श किया था। इन सभी को भारत में सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देने को लेकर पाक के समर्थन में चल रही गतिविधियों के बारे में बताया गया था।
- विदेश मंत्रालय मानता है कि जिस तरह से तुर्की व चीन ने पूरे मामले में भारत के विचारों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है, उसे देखते हुए इन्हें अपने पक्ष के बारे में अब जानकारी देने का कोई मतलब नहीं है। बहरहाल, भारतीय दल इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी ) के कई सदस्य देशों की यात्रा करने वाला है।
- इनमें कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मलयेशिया, यूएई, कतर, मिस्र हैं। इनमें से कई देशों के साथ भारत के बेहद पारंपरिक रिश्ते है। जब पहलगाम हमला हुआ था तब पीएम मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। सउदी अरब पाकिस्तान का भी मित्र देश है। लेकिन तब सऊदी अरब ने ना सिर्फ इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी बल्कि आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मदद की पेशकश भी की थी।
बाद में ओआईसी की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ एक बयान भी जारी हुआ था। ऐसे में भारत ओआईसी देशों को सीमा पार आतंकवाद की समस्याओं को लेकर एक बार फिर जानकारी देगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक बहरीन, कुवैत, सउदी अरब और अल्जीरिया का दौरा एक दल करेगा।
दूसरा दल फ्रांस, इटली, डेनमार्क, ब्रिटेन, बेल्जियम और जर्मनी का करेगा। इसी तरह से एक दल जापान, दक्षिणी कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलयेशिया के दौरे पर और एक अन्य दल यूएन, कांगो, सिएरा लियोन और लाइबेरिया की यात्रा पर होगा। गुयाना, पनामा, कोलंबिया, ब्राजील और यूएई पर एक अन्य दल को और रूस, स्लोवेनिया, ग्रीस, लाटविया और स्पेन की यात्रा पर और कतर, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया और मिस्र की यात्रा पर दो अलग अलग टीमें जाएंगी।
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Waqf Act: 'अदालतें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक...', वक्फ कानून पर CJI बीआर गवई की बड़ी टिप्पणी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुनवाई होनी है। इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में 2 सदस्यों की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की अध्यक्षता में दोनों पक्ष 2-2 घंटे तक बहस करेंगे। अदालत आज इस मुद्दे पर अंतरिम आदेश जारी कर सकती है।
CJI बीआर गवई ने क्या कहा?वक्फ बोर्ड की सुनवाई के दौरान CJI बीआर गवई ने बड़ी टिप्पणी की है। सीजेआई के अनुसार, "संसद द्वारा पारित कानून की संवैधानिकता होती है। ऐसे में जब तक कोई ठोस मामला सामने नहीं आता, अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।"
कपिल सिब्बल ने याचिका के पक्ष में रखी दलीलसुप्रीम कोर्ट में दलील के दौरान वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ अल्लाह को दिया गया दान है। एक बार वक्फ को दी गई संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ की होगी, इसे किसी और को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।
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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा-
यह अधिनियम वक्फ की रक्षा के लिए बनाया गया है। मगर, इस कानून को इस तरह से बनाया गया है कि वक्फ को गैर-न्यायिक तरीके से हासिल किया जा सके।
वक्फ पर सरकार का पक्षसुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से गुजारिश की है कि अंतरिम आदेश पास करने के लिए सिर्फ तीन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इनमें वक्फ बॉय यूजर, वक्फ का ढांचा और कलेक्टर की जांच वाला मुद्दा शामिल हो।
Supreme Court begins hearing a batch of petitions challenging the constitutional validity of the Waqf (Amendment) Act, 2025 pic.twitter.com/uNSf862pzR
— ANI (@ANI) May 20, 2025 3 प्रावधानों पर फंसा पेंचबता दें कि वक्फ बॉय यूजर में वो संपत्तियां आती हैं, जो वक्फ बोर्ड को दान में नहीं मिली हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल लंबे समय से वक्फ के लिए किया जा रहा है। वहीं, दूसरा मुद्दा वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की एंट्री को लेकर है। तीसरा मुद्दा वक्फ कानून में मौजूद प्रवाधान का है, जिसमें वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। मसलन अगर कलेक्टर को शक है कि यह संपत्ति वक्फ की नहीं है, तो उसे वक्फ की जमीन नहीं माना जाएगा।
19 मई तक नोटिस जमा करने का दिया था आदेशबता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट 1955 पर रोक नहीं लगाने का आदेश दिया था। हालांकि, कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार को 19 मई तक लिखित नोट जमा करने के लिए कहा था।
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World Health Assembly adopts historic Pandemic Agreement to make the world more equitable and safer from future pandemics - World Health Organization (WHO)
- World Health Assembly adopts historic Pandemic Agreement to make the world more equitable and safer from future pandemics World Health Organization (WHO)
- WHO member states approve resolution calling for pandemic treaty Down To Earth
- WHO members adopt a 'pandemic agreement' born out of the disjointed global COVID response Times of India
- World agrees pandemic accord for tackling outbreaks of disease The Guardian
- World Health Organization members vote in favour of global pandemic agreement Reuters
स्कूलों में पढ़ाई जाएगी ब्रम्होस और आकाश मिसाइलों की शौर्य गाथा, इनके ही डर से घुटनों पर आ गया था पाकिस्तान
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। चंद्रयान की तरह अब ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को घुटने के बल लाने वाली ब्रम्होस और आकाश मिसाइलों के शौर्य की कहानी भी स्कूली बच्चे पढ़ेंगे। शिक्षा मंत्रालय जल्द ही इसे सभी भारतीय भाषाओं में स्कूली बच्चों तक पहुंचाने की तैयारी में है। जो स्कूलों में बच्चों तक पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियां और भारतीय भाषाओं को सिखाने के क्रम में रोचक तरीके से पहुंचाएगी जाएगी।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को एक कार्यक्रम में इसके संकेत दिए और कहा कि ब्रम्होस और आकाश की ताकत हमारी शिक्षा व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण है। ऐसे में हमें शोध पर अधिक बल देना चाहिए। इसके लिए पीएम रिसर्च फंड में जरूरी बदलाव किए जा रहे है।
बच्चों को पढ़ाई जाएगी सफलता की कहानीमाना जा रहा है कि इस पहल से बच्चों के मन में ऐसे शोधों के प्रति रूझान बढ़ेगा, जो राष्ट्रीय हितों के प्रति जुड़ाव ब़ढ़ाने वाले हो। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बच्चों में स्कूली स्तर से ही ऐसे बीच रोपने की सिफारिश की गई है, ताकि वह आगे चलकर शोध और इनोवेशन के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर सकें।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान की सफलता की कहानी को बच्चों के बीच जिस रोचक तरीके से पहुंचाया गा था, साथ ही वह बच्चों की जुबान पर छा गया है, उसे देखते हुए ब्रम्होस और आकाश मिसाइलों की सफलता की कहानी भी बच्चों की बीच पहुंचायी जाएगी।
इनमें यह बताया जाएगा कि कैसे इन मिसाइलों ने पाकिस्तान की मिसाइलों को हवा में ही मार न सिर्फ ध्वस्त किया बल्कि इन मिसाइलों ने पाकिस्तान के सारे सुरक्षा तंत्र को भेदते हुए उसके भीतर घुसकर उसके हवाई अड्डों और आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इन मिसाइलों का प्रहार इतना विकराल थी कि पाकिस्तान कुछ ही घंटों में घुटने के बल आ गया औऱ शांति की गुहार लगाने लगा।
ये है मिसाइलों की खासियत- ब्रम्होस मिसाइल: रफ्तार- 9878 किमी प्रति घंटा, रेंज- 400 किमी, वजन- 1290 किलोग्राम, लंबाई- 8.4 मीटर, भार ले जाने की क्षमता- 3000 किलोग्राम।
- आकाश मिसाइलः रफ्तार- 3087 किमी प्रति घंटा, लंबाई 5.78 मीटर, वजन- 720 किलोग्राम, रेंज- 80 किलोमीटर, भार ले जाने की क्षमता-60 किलोग्राम।
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कौन थे मशहूर वैज्ञानिक डॉ. श्रीनिवासन? होमी भाभा के साथ परमाणु प्रोग्राम की संभाली कमान, 95 साल की उम्र में निधन
जेएनएन, मुंबई। भारत के परमाणु कार्यक्रमों को दिशा प्रदान करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.एम.आर.श्रीनिवासन का मंगलवार को 95 वर्ष की उम्र में ऊटी में निधन (M R Srinivasan Passes Away) हो गया। उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रमों के जनक कहे जाने वाले महान वैज्ञानिक डा.होमी जहांगीर भाभा के साथ काम करने का अवसर मिला था। डॉ. भाभा के साथ डा. श्रीनिवासन ने भारत के पहले परमाणु अनुसंधान रिएक्टर ‘अप्सरा’ के निर्माण (Indian nuclear program) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने अगस्त 1956 में पूर्णता प्राप्त कर ली थी।
होमी भाभा की योजनाओं को किया साकार1955 में जब डा. एम.आर श्रीनिवासन मुंबई स्थित भारतीय परमाणु प्रतिष्ठान में शामिल हुए, तब उनकी उम्र सिर्फ 25 वर्ष थी। उसी दौरान उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक महान होमी जहांगीर भाभा (Homi Bhabha collaboration) के साथ काम करने का मौका मिला और वह भाभा की टीम का हिस्सा बने। जब 24 जनवरी 1966 को डा. भाभा का आल्प्स पर्वत श्रृंखला के बीच एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया, उससे पहले उन्होंने आने वाले दशकों में क्या करना है, इसकी योजना बना ली थी। डा. श्रीनिवासन भाभा की इस योजना को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण कड़ी साबित हुए।
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परमाणु कार्यक्रम की कमान संभालीहोमी भाभा के समकक्ष रहे विक्रम साराभाई द्वारा भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की कमान संभालने के बाद श्रीनिवासन ने डा.होमी सेठना के साथ मिलकर परमाणु कार्यक्रमों की कमान संभाली। डा. श्रीनिवासन परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव भी रहे। वह भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के संस्थापक अध्यक्ष थे।
डॉ. श्रीनिवासन का शुरुआती जीवनबेंगलुरु में जन्मे डा. मलूर रामासामी श्रीनिवासन (5 जनवरी 1930 - 20 मई 2025) का मंगलवार को ऊटी में 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए। उन्होंने मैसूर के इंटरमीडिएट कॉलेज से विज्ञान में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, जहां उन्होंने अध्ययन के लिए संस्कृत और अंग्रेजी को अपनी भाषा के रूप में चुना।
गैस टरबाइन प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञताभौतिकी उनका पहला प्यार होने के बावजूद, उन्होंने एम. विश्वेश्वरैया द्वारा हाल ही में शुरू किए गए इंजीनियरिंग कालेज (वर्तमान में यूवीसीई) में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने 1950 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1952 में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की और 1954 में मैकगिल यूनिवर्सिटी, मॉन्ट्रियल, कनाडा से डाक्टर आफ फिलासफी की डिग्री प्राप्त की। उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र गैस टरबाइन प्रौद्योगिकी था।
परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बनेडा. श्रीनिवासन 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग में शामिल हुए। अगस्त 1959 में उन्हें भारत के पहले परमाणु ऊर्जा स्टेशन के निर्माण के लिए प्रधान परियोजना इंजीनियर नियुक्त किया गया। डॉ. श्रीनिवासन ने राष्ट्रीय महत्व के कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। 1987 में उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। उसी वर्ष, वे एनपीसीआईएल के संस्थापक-अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयाँ विकसित की गईं।
पद्म पुरस्कार से सम्मानितभारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (1990) और पद्म विभूषण (2015) से सम्मानित किया गया। वह 1996 से 1998 तक भारत सरकार के योजना आयोग के सदस्य रहे, जहाँ उन्होंने ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभागों का कार्यभार संभाला। वे 2002 से 2004 तक और फिर 2006 से 2008 तक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रहे।
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Bengaluru Rain: बेंगलुरु में बारिश से बिगड़े हालात, IMD ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट; डीके शिवकुमार ने बताया आगे का प्लान
पीटीआई, बेंगलुरु। देशभर में मौसम अपने अलग-अलग रूप दिखा रहा है। इस बीच IMD ने कई राज्यों के लिए अलर्ट जारी किया है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) (IMD) ने बेंगलुरु (Bengaluru rains) के लिए ऑरेंज अलर्ट और कर्नाटक के विभिन्न स्थानों पर यलो अलर्ट जारी किया है।
ऑरेंज अलर्ट का मतलब है 11 सेमी से 20 सेमी तक की बहुत भारी बारिश और यलो अलर्ट का मतलब है 6 सेमी से 11 सेमी के बीच भारी बारिश। आईएमडी बेंगलुरु केंद्र के निदेशक एन पुवियारसु ने कहा, बेंगलुरु के लिए 8 सेमी से 10 सेमी तक के प्रभाव को देखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जो बड़े शहर को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा, 'जितनी बारिश हो रही है, वह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कुछ भी नहीं है।
IMD ने जारी किया ऑरेंज अलर्टIMD के मुताबिक, बेंगलुरु जैसे शहर ज्यादातर कंक्रीट से बने हैं और इस तरह जल निकासी के लिए आउटलेट ब्लॉक हैं, इसलिए हमने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है ताकि अधिकारी पहले से तैयारी कर सकें।' उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कहा कि बेंगलुरु में पहचाने गए 70 प्रतिशत इलाकों में बाढ़ की समस्या का समाधान कर लिया गया है।
बारिश से गिरी दीवारतमिलनाडु के मदुराई के वलाईयांगुलम में भारी बारिश के कारण दीवार गिर गई,जिससे अम्मापिल्लई (उम्र 65) और वेंगट्टी (उम्र 55) नामक दो महिलाओं और एक छोटे लड़के वीरमणि (उम्र 10) की मौत हो गई। पेरुंगुडी पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और घटना की जांच कर रही है।
210 इलाकों में बाढ़ का अनुमानशिवकुमार ने बेंगलुरू के साई लेआउट, मान्यता टेक पार्क और सिल्क बोर्ड जंक्शन सहित प्रभावित इलाकों का दौरा किया और संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने शहर में बाढ़ की आशंका वाले 210 इलाकों की पहचान की है। उन्होंने आगे कहा, 'जब से मैंने बेंगलुरू विकास मंत्री का पद संभाला है, हमने उनमें से 166 (70 प्रतिशत) इलाकों में बाढ़ की समस्या का समाधान कर दिया है।
फिलहाल 24 इलाकों में बाढ़ की रोकथाम का काम चल रहा है, जबकि बाकि 20 इलाकों में जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। हमने 197 किलोमीटर लंबे तूफानी जल निकासी नाले बनाए हैं।'
China Discovers Unknown Bacteria Species On Its Tiangong Space Station - Mashable India
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- China finds alien-like microbes with super survival skills at Tiangong space station Times of India
- Unknown Species of Bacteria Discovered in China's Space Station ScienceAlert
- Unaffordable Global Times
- Bacteria Thriving In Extreme Space Conditions Found On Chinese Space Station NDTV
ज्यूडिशियल सर्विस में प्रवेश के लिए 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज निचली अदालत के जजों यानी जूनियर डिविजन सिविल जज की नियुक्ति पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि इन पदों पर परीक्षा के लिए उम्मीदवार को कम से कम तीन साल की लीगल प्रैक्टिस करना जरूरी है।
कोर्ट ने लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती पर रोक लगा दी है। वह परीक्षा तभी दे सकेंगे, जब वो लॉ से ग्रेजुएट होने के बाद तीन साल वकील के तौर पर काम करें।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। जस्टिस गवई ने कहा,
नए लॉ स्नातकों की नियुक्ति से कई समस्याएं पैदा हुई हैं, जैसा कि हाईकोर्ट के हलफनामों से पता चलता है। हम हाईकोर्ट के साथ इस बात पर सहमत हैं कि न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता है। यह तभी संभव है जब प्रत्याशी को न्यायालय के साथ काम करने का अनुभव हो।
पिछले 20 सालों से,नए लॉ स्नातकों को बिना अभ्यास के न्यायिक अधिकारी के रूप में नियुक्त करना एक सफल अनुभव नहीं रहा है। ऐसे नए लॉ स्नातकों ने कई समस्याओं को जन्म दिया है।
2002 में सुनाया था ऐसा फैसला2002 में सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता को खत्म कर दिया था, जिससे नए लॉ ग्रेजुएट्स को मुंसिफ-मजिस्ट्रेट पदों के लिए आवेदन करने की अनुमति मिल गई थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किए गए थे जिसमें केवल वकीलों के लिए ही शर्त को बहाल करने की मांग की गई थी। कई उच्च न्यायालयों ने भी न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता को बहाल करने के कदम का समर्थन किया।
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