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Waqf Law: 'मैंने तो सुना है कि संसद भी...', कोर्टरूम में सिंघवी ने दलील देते हुए मजाकिया अंदाज में ये क्या कह दिया ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज (16 अप्रैल) सुनवाई हुई। कोर्ट में तकरीबन दो घंटे से ज्यादा समय तक इस मामले पर बहस चली।
देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। वक्फ कानून के खिलाफ करीब 70 याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रही है। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकीलों ने नए कानून को लेकर कोर्ट में सवाल खड़े किए।
आइए पढ़ें कि कोर्टरूम में सिंघवी ने नए कानून के खिलाफ क्या-क्या दलीलें दी?अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि देशभर में 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से आधी यानी 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर रजिस्ट्रर है। सिंघवी ने आगे दलील दी और इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
क्या है 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब?यह वह परंपरा है जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।
वक्फ संशोधन को लागू नहीं किया जाना चाहिए: सिंघवीसुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सिंघवी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि उन्हें यह तक सुनने में आया है कि संसद भवन की जमीन भी वक्फ की है। उन्होंने कोर्ट से पूछा कि क्या अयोध्या केस में जो फैसले लिए गए, वे इस मामले में लागू नहीं होते? उन्होंने संशोधित वक्फ अधिनियम पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की और कहा कि जब तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक संशोधन लागू नहीं किया जाना चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा,"यह केस इसका नहीं कि किस-किस याचिका को हाईकोर्ट भेजा जाए। नए कानून के प्रावधान तत्काल की प्रभावी हो गए हैं। इन पर स्टे लगाया जाना चाहिए।"
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Waqf Act: 'आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते', सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर बहस के दौरान बोले चीफ जस्टिस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसदों के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अस्तित्व में आए वक्फ कानून पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में कानून के विरोध में जारी प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। उधर सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
आज सुनवाई के दौरान अदालत में करीब 2 घंटे तक बहस चली। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा।
आइए आपको बताते हैं अदालत में सुनवाई की 5 बड़ी बातें:- चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट भी वक्फ की जमीन पर बना है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाय यूजर गलत है, लेकिन ये वास्तविक चिंता है।
- जस्टिस खन्ना ने कहा कि किसी पब्लिक ट्र्स्ट को 100 या 200 साल पहले वक्फ घोषित किया गया और आप अचानक कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अपने अधीन कर लिया गया है। आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते हैं।
- पीठ ने कहा कि एक्ट के अनुसार 8 मेंबर मुस्लिम और 2 नॉन मुस्लिम हो सकते हैं। क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे।
- नॉन मुस्लिमों को बोर्ड का हिस्सा बनाने की टिप्पणी पर सॉलिसिट जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि फिर तो यह पीठ भी याचिका नहीं सुन सकती। इस पर सीजेआई ने कहा कि जब हम यहां बैठते हैं, तो धर्म नहीं देखते। आप इसकी तुलना जजों से कैसे कर सकते हैं?
- तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि यह कानून बनाने का मामला है। इसके लिए जेपीसी बनी थी। इसकी 38 बैठकें हुईं। इसने कई क्षेत्रों का दौरा किया। 98 लाख से अधिक ज्ञापनों की जांच की। फिर यह दोनों सदनों में गया और फिर बिल पारित किया गया।
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Profile of BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई होंगे देश अगले CJI, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने भेजी सरकार को सिफारिश
एएनआई, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने औपचारिक रूप से न्यायमूर्ति बी.आर. गवई Justice gavai, को अपना उत्तराधिकारी बनाने का प्रस्ताव दिया है। नियुक्ति प्रक्रिया के तहत यह सिफारिश विधि मंत्रालय को भेजी गई है।
न्यायमूर्ति गवई वर्तमान में सीजेआई खन्ना के बाद सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि वो देश के 52वें मुख्य न्यायधीश होंगे। वो 14 मई को CJI के रूप में शपथ लेंगे।
परंपरा के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस ही अपने उत्तराधिकारी का नाम सरकार को भेजते हैं। इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है। कानून मंत्रायल ने औपचारिक तौर पर जस्टिस खन्ना से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने जस्टिस गवई का नाम आगे बढ़ाया।
कौन हैं जस्टिस गवई?जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उनका जन्म 24 नवंबर को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के बेटे हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में उन्होंने 14 नवंबर 2003 को अपनी न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। बतौर जज वो मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी के विभिन्न पीठों पर काम कर चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इन अहम फैसलों का हिस्सा थे गवई- आर्टिकल 370 हटाए जाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिन पांच मेंबर वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही थी, उनमें जस्टिस गवई भी थे।
- राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी गवई हिस्सा थे।
- नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाले बेंच में भी वो शामिल थे।
भारत की तकनीक ताकत एआई में खोलेगी आत्मनिर्भरता का रास्ता, अमेरिका-चीन के बीच बन रहा संतुलन
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। अमेरिका के एआई डिफ्यूजन नियम ने दुनिया भर में चल रही एआई जंग में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। एआई में खुद की बादशाहत साबित करने को लेकर आतुर देशों की तकनीक को आत्मनिर्भरता पर एक बड़ा कुठाराघात माना जा रहा है। अमेरिका ने तकनीकी प्रभुत्व को बनाए रखने, चीन को सीमित करने और अपने सहयोगियों को सावधानीपूर्वक AI तकनीक उपलब्ध कराने के लिए लागू किया है। यह सिर्फ एक तकनीकी नियंत्रण नहीं, बल्कि नए शीतयुद्ध का हिस्सा है जहां हथियार चिप्स, मॉडल्स और डेटा हैं। दरअसल इस विवाद की शुरुआत दो दशक पहले शुरू हो चुकी थी। 2010 के दशक में चीन ने मेड इन चाइना 2025" नीति की घोषणा की। इस नीति का लक्ष्य उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों (जैसे एआई, 5G, रोबोटिक्स) में आत्मनिर्भरता हासिल करना था। चीन की कंपनियों, जैसे हुआवेई, एसएमआईसी, और सेंसटाइम ने वैश्विक एआई मार्केट में प्रभाव बढ़ाना शुरू किया। अमेरिका को आशंका हुई कि ये टेक्नोलॉजीज न केवल आर्थिक, बल्कि सैन्य क्षमताओं को भी बढ़ा सकती हैं। अक्टूबर 2022 में यूएस ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने एआई और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले उन्नत जीपीयू चिप्स की चीन को बिक्री पर पाबंदी लगाई। अमेरिका की चीन पर तकनीक नकेल कसने की ये पहली शुरुआत थी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की टियर-2 स्थिति उसे एक सुरक्षा कवच देती है। वह अमेरिका के साथ मिलकर धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ सकता है। लेकिन अगर वह तेजी से चिप निर्माण व मॉडल डेवलपमेंट में निवेश नहीं करता, तो वह पीछे छूट सकता है। वहीं चीन पहले से ही अमेरिका से अलग होकर पूरी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इसका रास्ता तेज है लेकिन अलगाव, मानकों से भिन्नता, और सीमित प्रदर्शन की चुनौतियां बनी हुई हैं। भारत की गति भले ही धीमी हो, लेकिन वह वैश्विक एआई इकोसिस्टम में जुड़ा रहेगा। चीन तेजी से आत्मनिर्भर बन सकता है, लेकिन अलगाव और सीमित प्रतिस्पर्धा उसके लिए खतरा बन सकती है।
डेटा सेंटर्स बनाने में हो सकती है देरी
दीपक शर्मा कहते हैं कि अमेरिका का एआई डिफ्यूजन नियम भारत और चीन दोनों देशों की एआई तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा को प्रभावित करता है। वह बताते हैं कि भारत को टियर-2 देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिससे उसे सीमित रूप से उन्नत एआई चिप्स और बंद AI मॉडल वेट्स तक पहुंच मिलती है, वह भी केवल लाइसेंस और सुरक्षा अनुपालन के तहत। यह भारत की स्थिति को अमेरिका के रणनीतिक साझेदार के रूप में दिखाता है, हालांकि जापान और दक्षिण कोरिया जैसे टियर-1 सहयोगियों की स्थिति इससे अलग है।
भारत के लिए एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर विकसित करने में बाधा आ सकती है क्योंकि चिप आयात की एक सीमा तय कर दी गई है। इससे रिलायंस जैसी भारतीय तकनीकी कंपनियों या बेंगलुरु की एआई स्टार्टअप्स को डेटा सेंटर्स बनाने में देरी हो सकती है। लेकिन इसका एक सकारात्मक पक्ष यह है कि यह नियम भारत को घरेलू एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए भी प्रेरित करेगा। इंडिया AI मिशन जैसे कार्यक्रम लोकल चिप डिजाइन और ओपन-सोर्स AI मॉडल पर ध्यान दे रहे हैं।
भारत अपनी क्वाड और इंडो-पैसिफिक रणनीति के अंतर्गत अमेरिका से सहयोग करते हुए कुछ छूट प्राप्त करने की दिशा में प्रयास कर सकता है, जिससे चिप्स की निर्भरता कम हो। हालांकि, भारत के पास अभी एक परिपक्व सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इकोसिस्टम नहीं है। इसकी पहली फैब यूनिट 2026 के अंत तक शुरू होगी। तब तक टीएसएमसी और अमेरिकी सप्लायर्स पर निर्भरता बनी रहेगी। इस स्थिति में यह नियम भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करता है, लेकिन हार्डवेयर अंतराल के कारण इसकी राह लंबी होगी।
चीन का सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम अमेरिका व पश्चिमी देशों के मुकाबले कम परिपक्व
दीपक शर्मा कहते हैं कि चीन को टियर-3 (आर्म्स एम्बार्गो) देश के रूप में रखा गया है, जहां उसे उन्नत AI चिप्स और बंद मॉडल वेट्स तक पहुंच के लिए लगभग सभी लाइसेंस नकार दिए जाते हैं। यह अमेरिका की रणनीति के अनुरूप है कि चीन की एआई आधारित सैन्य और आर्थिक शक्ति को सीमित किया जाए।
चीन को अत्याधुनिक जीपीयू और फ्रंटियर मॉडल्स तक पहुंच में बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। इससे वह बड़े पैमाने पर एआई मॉडल ट्रेन नहीं कर पा रहा है। हालांकि, हुआवेई, एसएमआईसी, और बाइरन टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियां घरेलू हार्डवेयर के विकास में लगी हैं। यह नियम उन्हें और तेजी से आत्मनिर्भर बनने को मजबूर करता है। चीन संभवतः ओपन-सोर्स मॉडल्स या थर्ड पार्टी देशों के ज़रिए चिप्स की स्मगलिंग कर लूपहोल का लाभ उठा सकता है, लेकिन ये विधियां स्थायी और भरोसेमंद नहीं हैं। इसके कारण चीन को अपने ही प्लेटफॉर्म्स जैसे पैडलपैडल और हॉर्मोनी ओएस पर निर्भर रहना पड़ता है। चीन का दृष्टिकोण, विशाल शोध और अनुसंधान बजट, और वर्टिकल इंटीग्रेशन उसे तेजी से आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाते हैं। हालांकि, इसके चिप्स अभी भी प्रदर्शन में पीछे हैं, और सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम अमेरिका व पश्चिमी देशों के मुकाबले कम परिपक्व हैं।
तक्षशिला फाउंडेशन के रिसर्च एनालिस्ट अश्विन प्रसाद कहते हैं कि अमेरिका के दृष्टिकोण से देखें तो यह नियम मुख्य रूप से चीन को लक्षित करता है, जबकि भारत को लेकर वह अपेक्षाकृत उदासीन है। अमेरिका का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चीन उन्नत एआई मॉडल्स और कंप्यूटर संसाधनों तक पहुंच न बना सके, और इसलिए उसे टायर-3 में रखा गया है जो सबसे प्रतिबंधित श्रेणी है।
भारत के मामले में, अमेरिका यह समझता है कि भारत अभी वैश्विक AI सप्लाई चेन में कोई अपूरणीय भूमिका नहीं निभा रहा है। इसी वजह से अमेरिका ने भारत को टायर-1 में शामिल करने की आवश्यकता नहीं समझी।
यह सच है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी और हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बावजूद भारत की मौजूदा एआई तकनीकी क्षमताएं इतनी मजबूत नहीं हैं कि अमेरिका उसे टायर-1 में प्रमोट करे।
अमेरिका की नीति चीन के खिलाफ प्रतिबंध और नियंत्रण की है, जबकि भारत के प्रति उसका रवैया नरम लेकिन सीमित भरोसे वाला है — जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। यदि भारत को टायर-1 का दर्जा पाना है, तो उसे एआई चिप्स, मॉडल डेवलपमेंट और कंप्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा।
भारत को टियर-2 में रखने से IndiaAI मिशन पर असरभारत की AI और तकनीकी आत्मनिर्भरता एक रणनीतिक आवश्यकता भी है और अवसर भी। यदि भारत कंप्यूटर-निर्भरता को कम करते हुए, वैश्विक साझेदारियों का लाभ उठाए, और नवाचार को प्रोत्साहित करे, तो वह अगले दशक में वैश्विक AI नेतृत्व की दौड़ में मजबूत स्थिति में आ सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि स्टार्टअप फंडिंग, टैक्स बेनिफिट्स, इनोवेशन हब जैसी योजनाओं ने तकनीकी प्रतिभाओं को भारत लौटने के लिए प्रेरित किया है। वहीं स्किल इंडिया और एनईपी जैसे कार्यक्रम भारत को AI इनोवेशन के लिए दीर्घकालिक पूंजी प्रदान करते हैं।
अश्विन प्रसाद कहते हैं कि एआई डिफ्यूजन नियमों के तहत, प्रत्येक अधिकृत भारतीय इकाई 2025 में 1,00,000 GPU तक खरीद सकती है, और आने वाले वर्षों में यह सीमा और बढ़ सकती है। इसलिए, ये नियम "IndiaAI" के 18,000+ GPU आधारित कंप्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लक्ष्य को सीधे प्रभावित नहीं करते।
हालांकि, यह भारत की तकनीकी ताकत या आत्मनिर्भरता में कोई ठोस योगदान नहीं करता। कुछ वर्षों में ये जीपीयू पुराने हो सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या भारत सरकार फिर से इन्हें आयात करने पर निर्भर रहेगी? और अगर भविष्य में एआई डिफ्यूजन नियम और सख्त हो गए तो क्या होगा?
एआई जैसी तकनीक में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना संभव नहीं है, क्योंकि इसकी सप्लाई चेन वैश्विक है। भारत को ऐसे क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए, जिसमें उसकी मौजूदगी इतनी अहम हो जाए कि अगर अमेरिका भविष्य में कोई और निर्यात नियंत्रण नीति बनाए, तो वह भारत को नजरअंदाज न कर सके।
एआई फ्रंटियर में रह सकता है पीछेदीपक शर्मा कहते हैं कि IndiaAI मिशन के तहत 10,000-30,000 GPU की व्यवस्था की जानी है। NVIDIA H100 जैसे हाई-एंड चिप्स पर पाबंदी से गुजरात स्थित योट्टा जैसे डेटा सेंटर प्रभावित हो सकते हैं, जिससे हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर जैसे सेक्टर्स में बड़े AI मॉडल ट्रेन करना मुश्किल होगा। 24 मार्च 2025 की चर्चाओं में सामने आया कि वैश्विक चिप संकट और अमेरिकी नियंत्रण पहले से ही भारत के आईटी सेक्टर को प्रभावित कर रहे हैं। पर्याप्त जीपीयू नहीं मिले तो भारत फ्रंटियर एआई में पीछे रह सकता है।
इनोवेशन और स्टार्टअप पर पड़ सकता है असरदीपक शर्मा बताते हैं कि सीमित चिप एक्सेस के कारण बड़े मॉडल पर आधारित समाधान (जैसे भाषाई जनरेटिव एआई, स्मार्ट कृषि समाधान) धीमे पड़ सकते हैं। उन्नत मॉडल पर ट्रेनिंग में बाधा आ सकती है। हार्डवेयर की कमी के चलते स्टार्टअप्स वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं। गवर्नेंस पर असर नहीं, लेकिन आयात निर्भरता पर नीति बनानी पड़ेगी।
भारत को क्या करना चाहिए?घरेलू चिप निर्माण को गति देना
दीपक शर्मा कहते हैं कि टाटा की गुजरात फैब (2026-27 तक शुरू), CDAC के वेगा चिप जैसे स्वदेशी प्रयास करने होंगे। इससे लंबे अंतराल में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। हालांकि इसमें 3 से 5 साल का समय और भारी निवेश लगेगा। वहीं वैकल्पिक चिप आपूर्तिकर्ता खोजना भी आवश्यक है जैसे कि जापान की कियोक्सिया, ताइवान की मीडिया टेक, चीन की हुआवेई एसेंड। इसके अलावा क्षेत्रीय गठजोड़ को भी मजबूत करना होगा। जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे टियर-1 देशों से मॉडल सह-विकास, GPU साझेदारी बढ़ानी होगी।
ओपन-सोर्स AI मॉडल को अपनानाLlama 3.1, BhashaAI जैसे मॉडल अपनाने होंगे। स्टार्टअप्स को कम कंप्यूटर में मॉडल ऑप्टिमाइज़ करने के लिए फंडिंग देनी होगी। अमेरिकी पाबंदियों से बचते हुए नवाचार संभव करने होंगे। सॉफ्टवेयर में भारत की ताकत से तत्काल लाभ होगा।
वैलिडेटेड एंड-यूज़र स्टेटस पानारिलायंस, इंफोसिस जैसी कंपनियां इस स्टेटस से 2 साल में 3.2 लाख GPU तक पा सकती हैं। अमेरिका के नियमों के अंदर रहते हुए चिप्स की पहुंच संभव हो सकेगी।
कंप्यूटर एफिशिएंसी को प्राथमिकता देनादीपक शर्मा मानते हैं कि मॉडल प्रूनिंग, क्वांटाइज़ेशन, फेडरेटेड लर्निंग जैसी तकनीकें अपनाना होगी। इससे कम GPU में बेहतर आउटपुट, ऊर्जा की बचत, टिकाऊ एआई संभव हो सकेगी। 10,000 AI प्रोफेशनल्स को ट्रेन करने का लक्ष्य रखना होगा। भारतीय भाषाओं में डेटा सेट तैयार करना होगा।
एआई में आत्मनिर्भर बनने के लिए चीन से लेना होगा सबकभारत की महत्वाकांक्षा है कि वह एआई में आत्मनिर्भर बने, जो अमेरिकी एआई डिफ्यूजन नियमों के तहत "टियर 2" दर्जे से प्रभावित है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत, चीन जैसे "टियर 3" देश से बहुत कुछ सीख सकता है। इस बारे में दीपक शर्मा कहते हैं कि 2019 के अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, चीन ने तेजी से एआई हार्डवेयर और मॉडलों में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए। हालांकि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा, आर्थिक सीमाएं और वैश्विक गठजोड़ अलग हैं, फिर भी चीन की रणनीतियां "IndiaAI Mission" के लिए व्यावहारिक सबक प्रदान करती हैं। भारत और चीन के बीच सहयोग की संभावना है, लेकिन भूराजनीतिक जटिलताओं के चलते वह सीमित है।
एआई चिप्स कर सकते हैं आयातअश्विन प्रसाद कहते हैं कि एआई डिफ्यूजन नियमों के तहत, भारतीय स्टार्टअप्स और उद्योग अपने लिए आवश्यक एआई चिप्स का आयात कर सकते हैं। इसमें कुछ नौकरशाही प्रक्रियाएं जरूर हैं, लेकिन पहले की तुलना में अब ये नियम अधिक स्पष्ट और व्यवस्थित हैं। पहले ये नियम मनमाने तरीके से लागू होते थे।
हालांकि, इन नियमों में एक सख्त सीमा तय है कि कोई भी भारतीय कंपनी कितनी एआई चिप्स खरीद सकती है, लेकिन यह सीमा इतनी ऊंची है कि निकट भविष्य में कोई भी भारतीय डेटा सेंटर उस सीमा तक नहीं पहुंचेगा। फिर भी, यह एक स्पष्ट संकेत है कि जब तक भारत के पास अपनी तकनीकी शक्ति नहीं होगी, तब तक कोई भी विदेशी देश भारत की तकनीकी पहुंच को नियंत्रित कर सकता है। यह रचनात्मक असुरक्षा ही भारत में तकनीकी शक्ति को विकसित करने की नीति और सोच को प्रेरित करेगी।
तकनीकी शक्ति का अर्थ केवल आत्मनिर्भरता नहीं है। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि भारत किसी भी माध्यम से व्यापार, कूटनीति या साझेदारी के जरिए वह तकनीक प्राप्त कर सके जो उसे चाहिए।
चीन से सीखी जा सकने वाली प्रमुख बातें
1. हार्डवेयर में सरकारी निवेश
चीन का तरीका:
दीपक शर्मा बताते हैं कि चीन ने हर साल लगभग 400 अरब डॉलर R&D में निवेश कर एसएमआईसी और हुआवेई जैसी कंपनियों को आगे बढ़ाया। 'मेड इन चाइना 2025' जैसी योजनाओं ने हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को प्राथमिकता दी।
भारत के लिए सबक:₹2,000 करोड़ के "IndiaAI कंप्यूटर बजट" को और बढ़ाना होगा। टाटा का गुजरात फैब (2026-27) और सी-डैक की "वेगा" चिप को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। भारत के निजी क्षेत्र आधारित मॉडल को सरकार-निजी साझेदारी के रूप में मज़बूत करना होगा।
2. घरेलू AI इकोसिस्टम का निर्माणचीन का तरीका:
पैडलपैडल हॉरमोनीओएस और डीपसीक जैसे टूल्स ने चीन को टेंसरफ्लो, CUDA जैसे पश्चिमी प्लेटफॉर्म से कम निर्भर बनाया।
भारत के लिए सबक:BhashaAI जैसे प्लेटफॉर्म को एग्रीटेक, हेल्थटेक जैसे स्थानीय क्षेत्रों के लिए विकसित किया जा सकता है। भारत की वैश्विक सॉफ्टवेयर साख चीन से बेहतर है, जो विदेशी भागीदारों को आकर्षित कर सकती है।
3. प्रतिभा प्रतिधारण और अनुसंधान पर ध्यानचीन का तरीका:
हर साल 4.7 मिलियन स्टेम ग्रेजुएट्स तैयार कर, सरकार ने उन्हें स्थानीय कंपनियों से जोड़ा।
भारत के लिए सबक:IndiaAI द्वारा 10,000 विशेषज्ञ तैयार करने का लक्ष्य तभी सफल होगा जब स्टार्टअप अनुदान, टैक्स में छूट और प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की जाएं ताकि टैलेंट देश में रहे।
4. संसाधनों का रचनात्मक उपयोगचीन का तरीका:
तीसरे देशों के जरिए चिप्स की ट्रांसशिपमेंट, ओपन-सोर्स टूल्स का उपयोग आदि तरीकों से चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों को मात देने की कोशिश की।
भारत के लिए सबक:"टियर 2" होने के नाते भारत 320,000 GPU तक वैध रूप से उपयोग कर सकता है। चीन की तरह हाइब्रिड क्लाउड और रीजनल कंप्यूटर शेयरिंग जैसे मॉडल अपनाए जा सकते हैं।
रणनीतिक सिफारिशें
हाइब्रिड आत्मनिर्भरता:
दीपक शर्मा कहते हैं कि भारत को चीन जैसे हार्डवेयर निवेश और भारत की सॉफ्टवेयर ताकत को मिलाकर काम करना चाहिए। ₹5,000 करोड़ अतिरिक्त बजट फेब्स और लोकल फ्रेमवर्क्स पर लगाया जाए।
ऑस्ट्रेलिया के साथ भागीदारी बढ़ाना अहमअश्विन प्रसाद कहते हैं कि चीन ने शिक्षा और शोध अवसंरचना जैसे बुनियादी तत्वों पर ध्यान केंद्रित करके अपनी घरेलू क्षमताएं विकसित की हैं। पिछले कुछ दशकों में, चीन ने अपने देश में एक ऐसा अनुसंधान और नवाचार इकोसिस्टम तैयार किया है, जिससे डीपसीक जैसे बड़े भाषा मॉडल विकसित किए जा सके।
चीन अब भी एआई में पूर्ण आत्मनिर्भरता से दूर है, लेकिन उसने अमेरिका के निर्यात नियंत्रण के बावजूद एक ऐसा इकोसिस्टम खड़ा कर लिया है जिससे वह नवाचार कर पा रहा है और आगे बढ़ भी रहा है। अगर भारत भविष्य में तकनीकी प्रगति की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता, तो उसे भी ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना होगा।
जहां तक सहयोग की बात है, सवाल यह है कि क्या मौजूदा आर्थिक प्रतिस्पर्धा के माहौल में दोनों देश सचमुच मिलकर काम करना चाहते हैं? एक ओर चीन भारत की टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग में प्रगति को रोकने के प्रयास कर रहा है, तो दूसरी ओर भारत सरकार भी चीनी निवेशों को हतोत्साहित कर रही है।
भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ सहयोग करना ज्यादा लाभकारी हो सकता है, जिनकी एआई क्षमताएं भारत के समान स्तर पर हैं और जिनके साथ भू-राजनीतिक संबंध भी अनुकूल हैं।
वैश्विक गठजोड़
अमेरिका, जापान, ताइवान जैसे देशों के साथ प्राथमिकता में साझेदारी रखी जाए। दीपक शर्मा कहते हैं कि BRICS जैसे मंचों पर चीन से सीमित सहयोग किया जा सकता है जैसे ओपन-सोर्स मॉडल पर ज्ञान साझा करना। टाटा का फेब प्रोजेक्ट और 10,000 GPU लक्ष्य को तेजी से पूरा करने के लिए पीएलआई स्कीम को और मजबूत किया जाए।
अमेरिका और चीन के बीच अधिक अलगाव देखने को मिलेगाअश्विन प्रसाद का कहना है कि निर्यात नियंत्रण और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण अमेरिका और चीन के बीच अधिक डिकप्लिंग (अलगाव) देखने को मिलेगा। इसका असर यह होगा कि दोनों देशों में तकनीक से जुड़े मानक, नियम और उसके संचालन के तरीके भी अलग हो जाएंगे। यह देखना बाकी है कि अन्य देश अमेरिका या चीन में से किसके साथ गठबंधन करना पसंद करेंगे। लेकिन भारी आर्थिक प्रभावों को देखते हुए, कुछ हद तक झुकाव के बावजूद, देश एआई में भारी निवेश करते रहेंगे और जहां तक संभव हो पूर्ण निर्भरता से बचने की कोशिश करेंगे। यह बात भारत के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है, क्योंकि भारत रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखना चाहता है।
Waqf Law: वक्फ कानून पर लग सकती है रोक? सुप्रीम कोर्ट कर रहा विचार, केंद्र ने अदालत से मांगा समय
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने वक्फ कानून के विरोध में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक लगाने पर विचार किया, लेकिन केंद्र द्वारा समय मांगे जाने के बाद अंतिम समय में इसे टाल दिया गया।
अब सुप्रीम कोर्ट में कल दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई होगी और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार किया जाएगा। बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कल सुनवाई की मांग की थी।
केंद्र सरकार से पूछे सवालबता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। वहीं इसके विरोध में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए। सुप्रीम कोर्ट ने इन हिंसक प्रदर्शनों पर चिंता जताई है।
शीर्ष अदालत ने वक्फ बाय यूजर पर भी केंद्र सरकार से सवाल किए। अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों पास बिक्री विलेख नहीं होंगे, तो उनका रजिस्ट्रेशन कैसे किया जाएगा।
अदालत में कल होगी सुनवाई- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से दलील पेश करते हुए कहा कि अगर किसी भूमि की जांच कलेक्टर कर रहा हो, तो कानून ऐसा नहीं कहता कि उसका उपयोग बंद हो जाएगा। केवल निर्णय तक उसे लाभ नहीं मिलेगा।
- सभी की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कानून के कुछ हिस्से पर अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार किया, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कल सुनवाई करने की मांग की। इसके बाद आदेश जारी नहीं किया गया।
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'सरकार कैसे तय करेगी मैं मुस्लिम हूं या नहीं', वक्फ कानून के खिलाफ सिब्बल ने रखी SC में दलील
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ संशोधित कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई है। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में दायर 70 याचिकाओं पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में मौजूद थे।
कपिल सिब्बल ने दी ये दलीलवक्फ कानून को रद करने के पक्ष में दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में उत्तराधिकारी मृत्यु के बाद मिलता है। कपिल सिब्बल ने नए कानून के उस बदलाव पर आपत्ति जताई है, जिसमें कहा गया कि वक्फ को संपत्ति दान करने के लिए जरूरी है कि वह व्यक्ति कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
सरकार वक्फ कानून के जरिए पहले ही हस्तक्षेप कर रही है। सिब्बल ने कहा कि धारा 3(सी) के तहत वक्फ के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को अधिनियम के लागू होने के बाद वक्फ नहीं माना जाएगा।
संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया-सीजेआई- सिब्बल की दलील पर सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 जो कि धर्मनिरपेक्षता का हवाला देता है जो सभी समुदायों पर लागू होता है। हिंदुओं के लिए राज्य ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है।
- कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार में कोई ये बताने वाला कौन होता है कि इस्लाम धर्म में विरासत किसके पास जाएगी। सरकार कैसे तय करेगी मैं मुस्लिम हूं या नहीं
- इस पर सिब्बल ने कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?
- तो सीजेआई ने कहा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता है कि अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति को अनुमति के बिना हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है? सिब्बल ने दावा किया कि मेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि आपस में मत उलझिए। संपत्तियां धर्मनिरपेक्ष हो सकती है। केवल संपत्ति का प्रशासन ही इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। बार-बार यह मत कहिए कि यह आवश्यक धार्मिक प्रथा है।
नए वक्फ कानून का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि धारा 9 पर नजर डालिए। इसमें कुल 22 सदस्य है जिसमें 10 मुसलमान होंगे।
इस पर सीजेआई ने कहा कि दूसरे प्रावधान को देखिए। क्या इसका मतलब यह है कि पूर्व अधिकारी को छोड़कर केवल दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे।
दलील को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल 1995 के तहत, सभी नामांकित व्यक्ति मुस्लिम थे। मेरे पास चार्ट है। लेकिन नए कानून के प्रावधान तो सीधा उल्लंघन है।
सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद सहित सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे। इस पर सिब्बल ने दलील दी किमेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है। तो सीजेआई ने पूछा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमे प्रावधान हो कि अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति बिना अनुमति के हस्तांतरित नहीं की जा सकती?
सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया जाता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा, आपको इस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए। जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।
कौन कर रहा है वक्फ कानून रद करने की मांग? SC में आज होगी बड़ी सुनवाई, 10 प्वाइंट में समझिए पूरा घटनाक्रम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच दोपहर 2 बजे से वक्फ बोर्ड के खिलाफ और समर्थन में दायर याचिकाओं पर दलीलें सुनेगी।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के पास 10 याचिकाएं लिस्ट की गई है। लेकिन धार्मिक संस्थाओं, सांसदों, राजनीतिक दलों, राज्यों को मिलाकर वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। आईए जानते हैं वक्फ कानून को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ...
- संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की थी।
- हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम समेत 7 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी जानी चाहिए।
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ जिन 10 याचिकाओं की सुनवाई करेगी, उन्हें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रेटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने दायर किया है।
- कुछ याचिकाओं में इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। कुछ याचिकाओं में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसे मनमाना और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण भी बताया गया है।
- अपनी याचिका में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संशोधित कानून वक्फ को दी गई सुरक्षा को खत्म कर देता है। उन्होंने दावा किया है कि वक्फ संपत्तियों को दी गई सुरक्षा को कम करना और अन्य धर्मों के लिए इसे बरकरार रखना भेदभावपूर्ण है।
- आप के अमानतुल्ला खान ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और इसका धार्मिक संपत्ति प्रशासन के उद्देश्य से कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है।
- सरकार ने कहा है कि यह विधेयक संपत्ति और उसके प्रबंधन के बारे में है, धर्म के बारे में नहीं। सरकार ने कहा है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं और उनकी आय से गरीब मुसलमानों या महिलाओं और बच्चों को कोई मदद नहीं मिलती है, जिसे संशोधित कानून ठीक कर देगा।
- साथ ही, इस विधेयक को लोगों के एक बड़े वर्ग से सलाह-मशविरा करने के बाद तैयार किया गया है और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन भी प्राप्त है। सरकार ने दावा किया है कि यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति की जांच से गुजरा है और सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को इसमें शामिल किया गया है।
- वक्फ कानून और उससे पहले विधेयक के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इनमें से सबसे खराब प्रदर्शन बंगाल में हुआ, जहां विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग बेघर हो गए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार संशोधित वक्फ कानून को लागू नहीं करेगी।
Waqf Law 2025: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर अहम सुनवाई आज, याचिका दायर कर एक्ट रद करने की मांग
दिल्ली-NCR में अगले तीन दिन चलेगी लू, कहीं भीषण गर्मी तो कहीं बारिश; UP-राजस्थान समेत इन राज्यों में मौसम बदलेगा रंग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली समेत देशभर के मौसम का मिजाज एक बार फिर बदलने जा रहा है। मौसम विभाग ने देश के विभिन्न राज्यों के मौसम को लेकर लेटेस्ट अपडेट जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि आज देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम बदला हुआ रहेगा।
उत्तर भारत में गर्मी और लू की स्थिति बनी रहेगी, जबकि दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। मध्य भारत और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में गरज-चमक के साथ छिटपुट बारिश हो सकती है।
दिल्ली में आज कैसा रहेगा मौसम?दिल्ली-एनसीआर में 16 अप्रैल यानी आज मौसम गर्म और उमस भरा रहेगा। अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। दिल्ली में शाम होते-होते तेज हवाएं भी चल सकती हैं। इसी के साथ आसमान में बादल छाए रहने की भी संभावना है। हवा में नमी का स्तर मध्यम रहेगा, और हवा की गति 10-20 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
राजस्थान में भी बारिशराजस्थान में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहेगा।बीकानेर, जयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। मौसम विभाग ने 18 अप्रैल तक लू की स्थिति बने रहने की चेतावनी दी है। हालांकि, पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी की संभावना है। मौसम ज्यादातर शुष्क और धूप वाला रहेगा।
उत्तर प्रदेश में भी गर्मी कर रही परेशानयूपी में कुछ जगहों पर आज मौसम साफ और गर्म रहेगा। अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। कानपुर और आगरा में भी तापमान 34-36 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की धुंध की संभावना है। वहीं लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, यूपी में आज से 18 अप्रैल तक हल्की बारिश की संभावना है।
बिहार के कुछ इलाकों में होगी बारिशमहाराष्ट्र के कोंकण, मराठवाड़ा, और विदर्भ क्षेत्रों में 16 अप्रैल को हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। बिहार में मौसम गर्म रहेगा, लेकिन कुछ हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना है। पटना में अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रह सकता है। साथ ही गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, असम और मेघालय में हल्की बारिश की संभावना है।
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Waqf Law 2025: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर अहम सुनवाई आज, याचिका दायर कर एक्ट रद करने की मांग
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अहम सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, पीवी संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौतीसुप्रीम कोर्ट में 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं जिनमें वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। ज्यादातर याचिकाएं कानून के विरोध में हैं, हालांकि कुछ याचिकाओं में कानून का समर्थन भी किया गया है। दो याचिकाएं ऐसी भी हैं जिनमें वक्फ के मूल कानून वक्फ एक्ट 1995 को ही चुनौती देते हुए रद करने की मांग की गई है।
बुधवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि कुछ याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की गई है लेकिन केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है ताकि सुप्रीम कोर्ट एकतरफा सुनवाई करके कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करे। कोर्ट कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष भी सुने।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वालों में ये हैं शामिलसुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वालों में ऑल इंडिया मजलिसे एत्याहादुल मुस्लमीन (एआइएमएएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी , कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, जीमयत उलमा ए हिन्द के प्रेसिडेंट अरशद मदनी, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स हैं।
इसके अलावा राजद सांसद मनोज झा, द्रमुक सांसद ए.राजा, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, इंडियन मुस्लिम लीग, अंजुम कादरी, तैयब खान, एपीसीआर (नागरिक अधिकार संरक्षण संघ), तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान और वाइसआर कांग्रेस पार्टी ने याचिका दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून 2025 का विरोध करते हुए इसे रद करने की मांग की है।
इन राज्यों ने वक्फ कानून का किया समर्थनजबकि सात राज्यों की सरकारों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, असम, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया है। इसके अलावा कुछ याचिकाएं ऐसी भी दाखिल हुई हैं जिनमें वक्फ के मूल कानून को रद करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने कही ये बातसुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उत्तर प्रदेश की रहने वाली पारुल खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वक्फ कानून 1995 को हिंदुओं और गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला बताते हुए रद करने की मांग की है।
इन दोनों याचिकाओं में यह भी मांग की गई है कि कोर्ट घोषित करे कि वक्फ कानून के तहत जारी होने वाले आदेश, निर्देश या अधिसूचनाएं हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू नहीं होंगी।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को खत्म करने की मागवक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में नए संशोधित कानून के प्रविधानों को रद करने की मांग की गई है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि वक्फ संशोधन कानून 2025 संविधान में मिले बराबरी के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिकाओं में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रविधान का भी विरोध किया गया है।
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Muda Land Scam: सिद्दरमैया की बढ़ीं मुश्किलें, मुडा भूमि घोटाले में कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
एएनआई, बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में एक स्पेशल बेंगलुरु कोर्ट ने झटका दे दिया है और उनके खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की जांच में उन्हें दी गई क्लीन चिट को स्वीकार करने के बजाय उसकी गहन जांच जारी रखने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को दिया यह निर्देशजन प्रतिनिधियों के लिए बने विशेष अदालत ने मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस द्वारा प्रस्तुत बी रिपोर्ट पर अपना फैसला टाल दिया, जिसमें सिद्दरमैया को आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को निर्देश दिया कि कोई भी फैसला सुनाए जाने से पहले एक व्यापक अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
याचिका पर अब कोर्ट सात मई को सुनवाई करेगामुडा भूमि घोटाले मामले में कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर बी रिपोर्ट के खिलाफ ईडी द्वारा दायर याचिका पर अब कोर्ट सात मई को सुनवाई करेगा। ईडी और शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने लोकायुक्त पुलिस की क्लीन चिट रिपोर्ट को चुनौती देते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी।
सुनवाई के दौरान जज संतोष गजानन भट ने कहा कि बी रिपोर्ट पर निर्णय तभी लिया जाएगा जब लोकायुक्त पुलिस पूरी जांच रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद कोर्ट ने कार्यवाही स्थगित कर दी और अगली सुनवाई तय कर दी।
इसके साथ ही कोर्ट ने ईडी द्वारा किए गए अनुरोध के बाद लोकायुक्त पुलिस को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति भी दी। इससे पहले, लोकायुक्त पुलिस के मैसूर डिवीजन ने सिद्दरमैया और तीन अन्य के खिलाफ आरोपों की जांच के आधार पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दीजांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। इस मामले में सीएम सिद्दरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के अलावा उनके साले और जमीन के मालिक देवराजू भी आरोपित हैं।
अदालत ने कहा कि जांच केवल चार व्यक्तियों तक सीमित नहीं होनी चाहिएहालांकि, अदालत ने कहा कि जांच केवल चार व्यक्तियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए और पुलिस को इसमें शामिल सभी लोगों की जांच करने और एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
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दुबई में दो भारतीय श्रमिकों की हत्या, पाकिस्तानियों ने तलवार से हमला कर उतारा मौत के घाट
पीटीआई, हैदराबाद। दुनिया में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले दुबई में दो भारतीयो की हत्या की खबर मिली है। पीटीआई के मुताबिक, दुबई में तेलंगाना के दो श्रमिकों की पाकिस्तानियों ने हत्या कर दी।
दो पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने मंगलवार को दावा किया कि दुबई की एक बेकरी में एक पाकिस्तानी नागरिक ने धार्मिक नारे लगाते हुए हमला किया। हमले में तेलंगाना के दो लोगों की मौत हो गई और तीसरा घायल हो गया।
एक बेकरी में काम करते थे पीड़ितएक मृतक के चाचा ए पोशेट्टी ने पीटीआई को बताया कि निर्मल जिले के सोन गांव के अष्टपु प्रेमसागर (35) की 11 अप्रैल को तलवार से हत्या कर दी गई। कथित घटना उस बेकरी में हुई जहां पीड़ित काम करते थे। पोशेट्टी ने बताया कि प्रेमसागर के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। उनके परिवार के सदस्यों को इस बारे में सूचित नहीं किया गया है।
भारत सरकार शव लाने में करेगी मददउन्होंने सरकार से उनके शव को भारत लाने में मदद करने का आग्रह किया। इस बीच, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि दूसरे मृतक का नाम श्रीनिवास है जो निजामाबाद जिले का रहने वाला था। वहीं, हमले में घायल व्यक्ति की पत्नी भवानी ने निजामाबाद जिले में संवाददाताओं को बताया कि उसके पति सागर को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने जताया दुख, मदद का दिया आश्वासनकेंद्रीय मंत्री रेड्डी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दुबई में तेलंगाना के दो तेलुगु युवकों, निर्मल जिले के अष्टपु प्रेमसागर और निजामाबाद जिले के श्रीनिवास की नृशंस हत्या से गहरा सदमा लगा है। इस मामले पर माननीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जी से बात की और उन्होंने शोक संतप्त परिवारों को पूर्ण सहायता और पार्थिव अवशेषों को तत्काल वापस लाने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने जयशंकर को उनकी मदद के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय भी इस मामले में शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बात की है और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी उनके संपर्क में हैं।
गुरुग्राम जमीन घोटाला: रॉबर्ट वाड्रा से आज भी पूछताछ करेगी ED, कांग्रेस देशभर में करेगी प्रदर्शन
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से ईडी ने छह साल बाद छह घंटे तक पूछताछ की। गुरुग्राम के शिकोहपुर में 7.5 करोड़ रुपये में जमीन खरीदकर डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेचने के मामले में वाड्रा से मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत पूछताछ की गई। उन्हें बुधवार को फिर पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
रॉबर्ट वाड्रा से पहले भी पूछताछ कर चुकी हैवाड्रा के खिलाफ ईडी दो अन्य मामलों बीकानेर जमीन घोटाला और संजय भंडारी से जुड़े लंदन के ब्रायंस्टन स्क्वायर में मकान खरीद की भी मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही है। वाड्रा से वर्ष 2018 और 2019 में ईडी कई दौर की पूछताछ कर चुकी है। लेकिन, ईडी की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दाखिल होने के कारण आगे पूछताछ नहीं हो सकी।
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालती विकल्प खत्म होने के बाद वाड्रा से पूछताछ शुरू की गई है। वैसे इस मामले में ईडी ने डीएलएफ से मिले 58 करोड़ रुपये में से अधिकांश को जब्त कर लिया है। इनमें वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पीटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की संपत्तियां भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जल्द ही घोटाले से जुड़े ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज और डीएफएफ के अधिकारियों से भी पूछताछ होगी। इन सब से पूछताछ होने के बाद ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून की धाराओं से तहत वाड्रा व अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी।
बीकानेर जमीन मामले में भी चल रही है जांचवाड्रा के खिलाफ बीकानेर में 65 हेक्टेयर जमीन खरीद घोटाले में भी ईडी जांच कर रही है। केवल 75 लाख रुपये में इस जमीन को बाद में एलीजेंसी फिनलीज को पांच करोड़ में बेचा गया था। ईडी इस मामले में 6.87 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर चुकी है। इनमें स्काईलाइट हॉस्पीटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की एक अचल संपत्ति भी शामिल है।
इस मामले में ईडी नौ आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। वाड्रा और उसकी कंपनी की भूमिका की जांच चल रही है। जल्द ही वाड्रा को इस मामले में भी पूछताछ के लिए समन किया जाएगा और उसके बाद उनके खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
संजय भंडारी से जुड़े रॉबर्ट वाड्रा के तारलंदन में रह रहे और वहां की अदालत में प्रत्यर्पण के केस का सामना कर रहे संजय भंडारी के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच के दौरान लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर के असली मालिक रॉबर्ड वाड्रा के होने के सबूत मिले थे। इस मामले की जांच अभी चल रही है और ईडी संजय भंडारी के प्रत्यर्पण और ब्रिटेन में भेजे गए लेटर रोगेटरी (एलआर) के जवाब का इंतजार कर रही है।
जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व में गठित किया गया था आयोगजागरण संवाददाता के अनुसार, गुरुग्राम में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को सस्ती दरों पर जमीन देने का घटनाक्रम साल 2008 का है। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे।
भाजपा ने बना दिया था चुनावी मुद्दाभाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में वाड्रा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए इसे चुनावी मुद्दा बना दिया था। इसकी जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व में आयोग भी गठित किया गया था, लेकिन तब जांच किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची। इस संबंध में केस कई साल तक अदालत में भी चला। 2018 में इसी जमीन घोटाले में गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। इस आधार पर ईडी द्वारा जांच की जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी नामईडी भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अन्य आरोपितों को भी जांच के लिए बुला सकती है ईडी जिस एफआइआर के आधार पर जांच कर रही है, उसकी शुरुआत साल 2018 में हुई थी। गुरुग्राम के गांव तौरू के रहने वाले सुरेंद्र शर्मा ने गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में एक सितंबर 2018 को शिकायत दर्ज कराई। इसमें आरोप लगाया गया था कि वाड्रा की कंपनी ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर उन्हें धोखा दिया है। इस केस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी शामिल बताया जाता है।
कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोपशिकायतकर्ता सुरेंद्र शर्मा का आरोप है कि वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच हुई डील के बाद बदले में हुड्डा सरकार ने डीएलएफ को गुरुग्राम के वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन का आवंटन किया। इसी मामले में ईडी वाड्रा की कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। ईडी इस केस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अन्य आरोपितों को भी जांच के लिए बुला सकती है।
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Karnataka Caste Census: कर्नाटक में जाति जनगणना का विरोध, वोक्कालिगारा संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना का विरोध तेज हो गया है। वोक्कालिगारा संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी दी है। जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट शुक्रवार को कैबिनेट के समक्ष पेश की गई थी। इस पर 17 अप्रैल को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक में चर्चा होगी।
नपिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांगगौरतलब है कि इस रिपोर्ट में रिपोर्ट में पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण को मौजूदा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के कुछ नेताओं सहित राजनीतिक दलों ने भी इसे अवैज्ञानिक करार दिया है तथा नए सिरे से सर्वेक्षण की मांग की है। विभिन्न जातियों, विशेषकर प्रमुख वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के मंत्री अगली कैबिनेट के दौरान अपनी आपत्तियां रखने की तैयारी कर रहे हैं।
जाति जनगणना लागू हुई तो बड़े आंदोलन पर विचारवोक्कालिगा समुदाय के संगठन वोक्कालिगा संघ के अध्यक्ष केंचप्पा गौड़ा ने कहा कि अगर सरकार जाति जनगणना रिपोर्ट को लागू करती है बड़े आंदोलन पर विचार करेंगे। संघ ने समुदाय की जनसंख्या निर्धारित करने के लिए अपना स्वयं का सर्वेक्षण कराने की भी योजना बनाई है और इसके लिए सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है।
संघ के निदेशक नेल्लीगेरे बाबू ने कहा कि वे मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को संदेश देना चाहते हैं कि अगर उन्होंने जाति जनगणना रिपोर्ट लागू की तो उनकी सरकार गिर जाएगी। रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय की जनसंख्या 66.35 लाख और वोक्कालिगा समुदाय की जनसंख्या 61.58 लाख बताई गई है। कई लिंगायत मंत्रियों और विधायकों ने भी आपत्ति जताई है।
राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशतसूत्रों के अनुसार जाति आधारित जनगणना से पता चला है कि राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशत है। अनुसूचित जातियों के लिए मौजूदा 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए मौजूदा सात प्रतिशत के साथ ओबीसी को 51 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने से राज्य का कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा।
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Murshidabad Violence: झारखंड की ओर पलायन कर रहे लोग, कई परिवारों को मालदा में रोका; राहत शिविर में ले रहे शरण
एएनआई, कोलकाता। वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर मुर्शिदाबाद में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद कई परिवार विस्थापित हो गए हैं, जिनमें से कई झारखंड के पाकुड़ जिले में पलायन कर गए हैं, जबकि अन्य ने मालदा में स्थापित राहत शिविरों में शरण ली है। झारखंड के पाकुड़ में पलायन करने वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़े।
अचानक कुछ लोग आए और तोड़फोड़ शुरू कर दीएएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे वास्तव में नहीं पता कि क्या हुआ। मैंने सुबह अपनी दुकान खोली और बाहर बैठ गया। फिर कई लोग आए और उन्होंने दरवाजे पीटना शुरू कर दिया, ईंटें फेंकनी शुरू कर दीं और दरवाजे तोड़ दिए। मेरा टेलीविजन, मेरा शीशा, मेरा फर्नीचर, 2-3 अलमारियां और मेरा सारा पैसा घर पर ही था। हम परसों रात यहां आए हैं।
उपद्रवियों ने उनका घर-बार सब कुछ जला दियापुलिस व केंद्रीय बल की तैनाती के बावजूद मुर्शिदाबाद के हिंसाग्रस्त इलाकों सुती, धुलियान, जंगीपुर में लोग अभी भी खौफ में हैं। पीड़ितों का कहना है कि उपद्रवियों ने उनका घर-बार सब कुछ जला दिया। उन्हें डर है कि पुलिस व केंद्रीय बल के चले जाने के बाद उन पर फिर से हमला हो सकता है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साधी चुप्पीअशांति के बाद, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर स्थिति बिगड़ने के बावजूद चुप रहने का आरोप लगाया है। सीएम योगी ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला बोला है और आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार स्थिति बिगड़ने के बावजूद चुप रही है।
सीएम योगी ने कहा कि बंगाल जल रहा हैएक सभा को संबोधित करते हुए, सीएम योगी ने मुर्शिदाबाद में तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय को भी धन्यवाद दिया। सीएम योगी ने कहा कि बंगाल जल रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री चुप हैं। वह दंगाइयों को 'शांति का दूत' कहती हैं। लेकिन जो लोग केवल बल को समझते हैं, वे बातों से नहीं सुनते। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उन्होंने दंगाइयों को अशांति फैलाने की पूरी आजादी दे दी है। पिछले हफ्ते से पूरा मुर्शिदाबाद जल रहा है, फिर भी सरकार चुप है। ऐसी अराजकता पर नियंत्रण होना चाहिए।
उपद्रवियों ने स्थानीय लोगों के घरों में की तोड़फोड़बता दें कि पिछले दिनों वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ स्थानीय लोगों के घरों में भी तोड़फोड़ की थी। वहीं दूसरी ओर दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में पुलिस के साथ उपद्रवियों की झड़प के बाद अभी भी तनाव व्याप्त है।
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हज यात्रा से पहले आई अच्छी खबर, सऊदी अरब ने बढ़ाया भारत का कोटा; प्राइवेट ऑपरेटरों को भी राहत
एएनआई, नई दिल्ली। सऊदी अरब ने भारत का हज कोटा बढ़ा दिया है। भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय ने प्राइवेट हज ऑपरेटरों को भी राहत दी है। 10 हजार हजयात्रियों को भेजने का प्राइवेट हज ऑपरेटरों का कोटा दस्तावेज में देरी के कारण रद हो गया था। इसे भारत सरकार के प्रयास के बाद बहाल कर दिया गया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हज कोटे में वृद्धि हुई है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभाला था उस समय भारत का हज कोटा 1,36,020 था। सरकार के प्रयासों से भारत का कोटा धीरे-धीरे बढ़कर 2025 में 1,75,025 हो गया है।
हज यात्रा की सभी तैयारियां पूरीमंत्रालय ने कहा कि हज यात्रा की सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस वर्ष हज यात्रा चार जून से नौ जून, 2025 के बीच होने की उम्मीद है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक्स पोस्ट किया कि भारत सरकार भारतीय मुसलमानों के लिए हज यात्रा को सुविधाजनक बनाने को उच्च प्राथमिकता देती है। निरंतर प्रयासों से भारत का हज कोटा 2014 में 136,020 से बढ़कर 2025 तक 175,025 हो गया है।
26 एचजीओ के तौर पर अग्रिम रूप से कोटा आवंटित- अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय भारतीय हज समिति के माध्यम से मुख्य कोटे के तहत चालू वर्ष में 1,75,025 कोटे में से 122,518 तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था का प्रबंधन कर रहा है। सभी आवश्यक तैयारियां उड़ानें, परिवहन, मीना शिविर, आवास और सेवाएं पूरी कर ली गई हैं।
- शेष 52,507 कोटा प्राइवेट हज ग्रुप ऑपरेटर्स (एचजीओ) को आवंटित किया गया है। सऊदी मानदंडों के कारण मंत्रालय ने 800 से अधिक ऑपरेटरों को 26 एचजीओ के तौर पर अग्रिम रूप से कोटा आवंटित किया है।
- हालांकि, एचजीओ सऊदी अरब की निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने में विफल रहे और बार-बार याद दिलाने के बावजूद मीना शिविरों, आवास और परिवहन के लिए आवश्यक अनुबंधों को अंतिम रूप नहीं दे सके। इसलिए उनका कोटा रद कर दिया गया था।
- भारत ने सऊदी अरब सरकार के साथ मंत्री स्तर पर बातचीत की ताकि सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें। सऊदी हज मंत्रालय अब सीएचजीओ के लिए हज पोर्टल फिर खोलने पर सहमत हो गया है। मंत्रालय ने सीएचजीओ को बिना किसी देरी के अपनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए तत्काल निर्देश जारी किए हैं।
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'26/11 हमले के बाद बदल गया भारत-पाकिस्तान का रिश्ता', विदेश मंत्री जयशंकर ने आखिर ऐसा क्यों कहा?
पीटीआई,आणंद। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा,"भारत बदला है। काश मैं यह कह पाता कि पाकिस्तान बदला है। दुर्भाग्य से वे कई तरह से अपनी बुरी आदतें अपनाए हुए हैं। मैं कहूंगा कि 26/11 मुंबई हमला एक निर्णायक मोड़ था। मुझे लगता है कि तब सभी राजनीतिक दलों समेत भारतीय जनता ने भी कहा- बस, बहुत हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि 2014 के बाद जब सरकार बदली पाकिस्तान को एक सख्त संदेश दिया गया कि अगर आतंकी गतिविधियां कीं, तो उसका बुरा नतीजा होगा। इस दौरान हम आर्थिक और राजनीतिक रूप से विकसित हुए और दुनिया में हमारी स्थिति बेहतर हुई।
भारत सरकार पाकिस्तान के बारे में चर्चा नहीं करती: एस जयशंकरचरोतर यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित एक कार्यक्रम में जहां जयशंकर ने बीते एक दशक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आए महत्वपूर्ण परिवर्तन को स्वीकार किया। वहीं, उन्होंने कहा कि इसके उलट पाकिस्तान नहीं बदला है। भारत सरकार पाकिस्तान के बारे में अब ना के बराबर ही चर्चा करती है। विदेश मंत्री ने कहा कि अपने मूल्यवान समय को उनके लिए बेकार करने की जरूरत नहीं है।
वहीं, 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन संघर्ष को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने भारत की प्रतिक्रिया को लेकर कहा,"प्रधानमंत्री बिल्कुल स्पष्ट थे और उनके दिमाग में कोई दूसरा विचार नहीं था। सबसे पहली बैठक में यह घोषणा की गई कि हम जवाब देंगे। इसलिए फैसला लिया गया क्योंकि इसमें काफी भरोसा था। और सिस्टम भी समझ गया कि अब फैसला ले लिया गया है, इसलिए रास्ता तलाशो। और सिस्टम ने रास्ता खोजा।"
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डिजिटल फ्रॉड करने वालों की अब खैर नहीं, CBI ने शुरू किया ऑपरेशन चक्र-V; करोड़ो की ठगी करने वाले चार गिरफ्तार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी करने वाले बड़े गिरोह तक सीबीआइ (CBI) पहुंच गई है। फिलहाल इसके चार सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरोह के अन्य सदस्यों की सीबीआइ खोज रही है। यही कारण है कि गिरफ्तार आरोपितों के नाम उजागर नहीं हुआ है।
सीबीआइ ने इस पूरे ऑपरेशन का नाम 'आपरेशन चक्र-पांच' दिया है। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार झुंझुनू में एक व्यक्ति को तीन महीने तक डिजिटल अरेस्ट कर 7.6 करोड़ रुपए की ठगी की जांच के दौरान देश भर में फैले इस गिरोह के नेटवर्क का पता चला।
पीड़ित को डराकर लूटे करोड़ों रुपयेगिरोह के सदस्यों ने विभिन्न एजेंसियों के अधिकारी बनकर पीड़ित को डराकर 42 बार में यह रकम वसूल की। राजस्थान सरकार के अनुरोध पर झुंझुनू साइबर पुलिस में दर्ज केस की जांच सीबीआइ ने अपने हाथ ली थी। फिलहाल जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें दो मुंबई और दो मुरादाबाद के हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान गिरोह द्वारा कई अन्य लोगों से इसी तरह से डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के सुबूत मिल रहे हैं। उनके पास 25 हजार आइपी एड्रेस और लगभग 200 बैंक खाते मिले हैं। जिनकी जांच की जा रही है और इन आइपी एड्रेस से किस-किस को काल किया गया और बैंक खातों में किन-किन लोगों से पैसे ट्रांसफर कराये गए, उनका पता लगाया जा रहा है। इन लोगों के डिजिटल अरेस्ट होकर ठगी का शिकार होने की आशंका है।
सीबीआइ ने जांच में हाई टेक्नोलॉजी का किया इस्तेमालवरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, केस हाथ में लेने के बाद सीबीआइ ने व्यापक डेटा विश्लेषण और प्रोफाइलिंग से गहन जांच की। अपराधियों की पहचान करने के लिए उन्नत जांच तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।
जांच के दौरान मिले सुरागों के आधार पर मुरादाबाद और संभल, मुंबई, जयपुर और बंगाल के कृष्णानगर में बारह स्थानों पर व्यापक तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप इस संगठित अपराध गिरोह में शामिल चार व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई। तलाशी के दौरान बैंक खाते का विवरण, डेबिट कार्ड, चेक बुक, जमा पर्ची और डिजिटल डिवाइस साक्ष्य बरामद किये गए।
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तमिल-मराठी विवाद के बीच असम में अनिवार्य हुई असमिया भाषा, लेकिन इन जिलों को छूट
पीटीआई, गुवाहाटी। असम में बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के पांच जिलों को छोड़कर पूरे राज्य में सभी आधिकारिक कार्यों में असमिया भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
15 अप्रैल असमिया नववर्ष 'बोहाग' से यह नियम लागू होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 'बोहाग' से असमिया पूरे असम में सभी सरकारी अधिसूचनाओं, आदेशों, अधिनियमों आदि के लिए अनिवार्य आधिकारिक भाषा होगी। बराक घाटी और बीटीआरआर जिलों में क्रमश: बंगाली और बोडो भाषाओं का उपयोग किया जाएगा।
सरकार कार्यालयों में असमिया भाषा अनिवार्यआधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, सभी सरकारी अधिसूचनाएं, कार्यालय ज्ञापन, अधिनियम, नियम, विनियम, योजना दिशानिर्देश, स्थानांतरण और पो¨स्टग आदेश अंग्रेजी और असमिया दोनों में जारी किए जाएंगे।
जारी की गई अधिसूचनाराज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और राजनीतिक विभाग) अजय तिवारी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बराक घाटी के कछार, हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
इसी तरह, बीटीआर के तहत कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बोडो भाषा का भी उपयोग किया जाएगा।
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ईरान-अमेरिका की दोस्ती से भारत की बल्ले-बल्ले, पाकिस्तान की बढ़ जाएगी टेंशन? जानिए क्या है पूरा मामला
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता का पहला दौर समाप्त हो चुका है। दोनों पक्षों ने कहा है कि जल्द ही वार्ता के दूसरे दौर की तारीख व स्थल भी तय किया जाएगा। इस बीच ईरान के आयातुल्लाह अली खामनेई ने भी वार्ता को अपना समर्थन दे दिया है। ऐसे में भारत भी इन सारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।
इस महीने के अंत में ब्रिक्स संगठन के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन विदेश मंत्री एस जयशंकर की ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अर्घची के साथ मुलाकात भी संभव है। यही नहीं अगर सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई, 2025 में होने वाली ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (ब्राजील) में पीएम नरेन्द्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेशकियान के साथ बैठक कराने को लेकर भी दोनों देशों के अधिकारियों के बीच संपर्क है।
ईरान को लेकर कड़ा रवैया अख्तियार कर सकते हैं ट्रंपसूत्रों ने बताया कि, “ट्रंप प्रशासन ने दोबारा सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद चाबहार को लेकर भारत की विकास सहायता पर भी परोक्ष तौर पर पाबंदी लगाने का संकेत दिया था। यह चिंता की बात थी क्योंकि पूर्व की बाइडन सरकार ने जब ईरान पर प्रतिबंध लगाया था तो चाबहार को उससे अलग रखा था। ऐसे में भारत को इस बात की आशंका थी कि ईरान को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कड़ा रवैया अख्तियार कर सकते हैं। ऐसे में अमेरिका और ईरान के बीच सीधी वार्ता की शुरूआत ने माहौल बदल दिया है।''
ईरान के दक्षिणी पश्चिमी तट पर स्थित चाबहार पोर्ट भारत की अभी तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। इसके जरिए भारत ना सिर्फ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में चीन की तरफ से निर्मित ग्वादर बंदरगाह को चुनौती पेश करने की मंशा रखता है बल्कि भारतीय उत्पादों को मध्य एशियाई व यूरोपीय बाजार में भेजने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहता है।
ईरान के साथ तेल आपूर्ति को लेकर भारत की बातचीत जारीवर्ष 2016 में भारत और ईरान के बीच तब 8 अरब डॉलर के निवेश को लेकर समझौता हुआ था। मई, 2024 में भारत व ईरान के बीच चाबहार पोर्ट पर एक और टर्मिनल के निर्माण के लिए समझौता हुआ था।
अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से इसकी प्रगति बहुत उल्लेखनीय नहीं है। भारत की तेल कंपनियों के सूत्रों ने भी बताया है कि ईरान के साथ तेल आपूर्ति को लेकर बातचीत जारी है। वैसे यह तभी संभव होगा जब अमेरिकी सरकार की तरफ से ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाये जाए।
ऐसा पूर्व में जुलाई, 2015 में बराक ओबामा की सरकार ने किया था। तब भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंध हटने के तकरीबन एक हफ्ते के भीतर ही पहला तेल सौदा कर लिया था। इस बार प्रतिबंध बहुत लंबा खींच गया है। पिछले कुछ समय से दोनों देशों के पेट्रोलियम सेक्टर में कोई खास संपर्क नहीं है। अब वह संपर्क फिर से स्थापित किया जा रहा है।
कभी ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश होता थातेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि “जिस तरह से वैश्विक हालात अनिश्चित व अस्थिरत हैं उसमें भारत ईरान जैसे एक पुराने भरोसेमंद तेल आपूर्तिकर्ता देश के साथ निश्चित तौर पर कारोबार बढ़ाना चाहेगा।'' कभी ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश होता था। वर्ष 2018-19 में भारत ने ईरान से 12 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल की खरीद की थी।
अमेरिकी प्रतिबंध ने ईरान के पेट्रोलियम सेक्टर में बड़ी भूमिका निभाने की सोच रहे भारतीय कंपनियों के मंसूबों पर भी पानी फेर दिया है। अमेरिका व ईरान के बीच संबंधों में सुधार भारतीय कंपनियों को फिर से अपनी निवेश योजनाओं को आगे बढ़ाने का मौका दे सकता है।
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कटारा हत्याकांड: 'राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए', मेडिकल बोर्ड को लेकर SC ने दिल्ली और UP सरकार लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नितीश कटारा हत्याकांड मामले में सजा काट रहे विकास यादव की बीमार मां की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने में देरी करने पर उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए। वर्ष 2002 में हुए हत्याकांड के मामले में 25 साल की जेल की सजा काट रहे यादव ने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी।
मेडिकल बोर्ड के गठन का दिया गया था आदेशजस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि बीते दो अप्रैल को दिए गए आदेश के बाद गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती यादव की मां की सेहत की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करने में 10 दिन लग गए।
कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरणअदालत ने कहा कि जब तक बोर्ड गठित किया गया, उसकी मां अस्पताल से डिस्चार्ज हो गई थी। यादव के वकील ने कहा कि सोमवार को उसकी मां फिर से भर्ती हुई है। पीठ ने कहा कि आपने मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन का समय लगा दिया। इसके लिए स्पष्टीकरण होना चाहिए। अब एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट द्वारा एक नए मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और तुरंत जांच करके रिपोर्ट दाखिल करें।
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