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अब Voter List में नहीं दिखेंगे मृतकों के नाम, चुनाव आयोग ने एक साथ लिए तीन फैसले; जानिए क्या क्या-बदलेगा

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 11:44pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सुधार की दिशा में तीन और बड़े फैसले लिए है। इनमें सबसे अहम फैसला मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने और उससे मृतकों के नाम को तुरंत हटाने का है। इसके लिए उसको अब किसी औपचारिक आवेदन का इंतजार नहीं करना होगा बल्कि महापंजीयक के मृत्यु पंजीयन डेटा से मृतकों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक रूप हासिल करके निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) को मुहैया कराना होगा।

बाद में उसे बूथ लेवल आफीसर (बीएलओ ) से फील्ड विजिट कराकर उसे अपडेट कर दिया जाएगा। आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उसे मृतकों की ब्यौरा समय-समय पर महापंजीयक की ओर से मिलता रहे।

मतदाता सूची से मृतकों के नाम हटाने की क्या थी प्रक्रिया? 

मतदाता सूची से मृतक का नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग की अब तक जो निर्धारित प्रक्रिया थी, उसके तहत इसे हटाने के लिए बीएलओ के पास फार्म-सात के तहत औपचारिक आवेदन देना होता था। जिसे मौके पर जांच के बाद बीएलओ उसे हटाने की मंजूरी देता है।

मृतकों के नाम हटाने में पहले लगता था काफी समय 

अक्सर मृतकों के नाम हटाने के लिए औपचारिक आवेदन काफी लंबे समय समय बाद मिलते थे। ऐसे में वह नाम सूची में लंबे समय तक बना रहता था। आयोग ने सुधार की दिशा में दूसरा जो अहम कदम उठाया है, वह मतदाता सूचना पर्ची ( वीआईएस) को अधिक मतदाता अनुकूल बनाने के लिए उसके डिजाइन में बदलाव किया गया है। इसमें मतदाता का सीरियल नंबर और पार्ट नंबर को अब अधिक प्रमुखता और बड़े आकार में प्रदर्शित होगा, इससे मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र की पहचान करना आसान होगा।

बीएलओ को चुनाव आयोग के पहचान पत्र देने का फैसला

साथ ही मतदान अधिकारियों के लिए मतदाता सूची में उनके नाम को खोजने में भी आसानी होगी। अभी सीरियल नंबर और पार्ट नंबर काफी छोटे रूप से पर्ची में प्रदर्शित किए जाते है। आयोग ने इस दिशा में तीसरा जो फैसला लिया है, वह बीएलओ को चुनाव आयोग के पहचान पत्र देने का है। यानी अब वह जब चुनाव के काम के लिए घर-घर जाएंगे तो वह चुनाव आयोग पर पहचान पत्र लेकर जाएंगे।

इससे जहां उनकी पहचान आसान होगी, वहीं मतदाता भी उनकी पहचान को लेकर भ्रमित नहीं होंगे। अभी बीएलओ के रूप में अलग-अलग विभागों के कर्मचारी ही काम करके है, जिसके पास अपने-अपने विभागों का पहचान पत्र होता है। ऐसे में कई बार लोग उन पर संदेह खड़ा करने लगते है। ऐसे में आयोग ने फैसला लिया है, कि वह सभी बीएलओ को अब चुनाव आयोग की ओर से पहचान पत्र लेगा। जिसमें उनका नाम, पद नाम और फोटो लगी रहेगी।

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पीएम मोदी से मिलने दिल्ली से केरल पहुंचे शशि थरूर, X पर पोस्ट कर लिखी ये बात

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 11:33pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई को सुबह 11 बजे केरल के तिरुवनंतपुरम में 8,900 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘विझिंजम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट’ का उद्घाटन करेंगे। इसके लिए पीएम मोदी केरल पहुंचे हैं।

इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में बताया कि दिल्ली हवाई अड्डे की अव्यवस्थाओं के बावजूद वे समय पर तिरुवनंतपुरम पहुंचे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। थरूर ने लिखा, "दिल्ली हवाई अड्डे की अव्यवस्थाओं के बावजूद, मैं समय पर तिरुवनंतपुरम पहुंचा और अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। विझिंजम पोर्ट के आधिकारिक उद्घाटन की प्रतीक्षा है, एक परियोजना जिसमें मैं शुरुआत से ही शामिल रहा हूं।"

Congress MP Shashi Tharoor posts on 'X': "Despite delays at the dysfunctional Delhi airport, managed to land in Thiruvananthapuram in time to receive Prime Minister Narendra Modi on his arrival in my constituency. Looking forward to his officially commissioning Vizhinjam port, a… pic.twitter.com/4Q9NL2iP5D

— ANI (@ANI) May 1, 2025

विझिंजम पोर्ट: भारत का पहला गहरा समुद्री ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल दौरा और विझिंजम पोर्ट का उद्घाटन राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट, तिरुवनंतपुरम से लगभग 14 किलोमीटर दूर स्थित है और यह भारत का पहला गहरा समुद्री ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल है।

यह पोर्ट प्राकृतिक रूप से 24 मीटर गहरा है, जिससे विशाल कंटेनर जहाजों को बिना ड्रेजिंग के ही डॉक करने की सुविधा मिलती है। पोर्ट की यह विशेषता इसे दक्षिण एशिया के अन्य बंदरगाहों से अलग बनाती है।​

यह पोर्ट अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से मात्र 10 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थित है, जिससे यह यूरोप और एशिया के बीच के समुद्री व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। पोर्ट के पहले चरण का निर्माण दिसंबर 2024 में पूरा हो चुका है, और इसे पूरी तरह से चालू करने के लिए प्रधानमंत्री की तारीख की प्रतीक्षा की जा रही है।

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ED: फेमा उल्लंघन के मामलों में तेज होगी कार्रवाई, ईडी निदेशक ने दिया सख्त संदेश

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 11:30pm

 एएनआई, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक राहुल नवीन ने कहा है कि एजेंसी अब विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत कानून के उल्लंघन से जुड़े मामलों पर अपना विशेष ध्यान केंद्रित करेगी तथा इस बाबत और तेजी से कार्रवाई करेगी।

एजेंसी के स्थापना दिवस के अवसर पर बोले ईडी निदेशक

एजेंसी के स्थापना दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि इस वर्ष ईडी जिस क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करने का इरादा रखता है, वह फेमा उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि ईडी द्वारा जांचे गए 1700 से अधिक धन शोधन मामले वर्तमान में सुनवाई के चरण में हैं और अदालतों में देरी के लिए देश में न्याय प्रणाली में सामान्य देरी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

फेमा को लागू करने का काम सौंपा गया

एजेंसी की भावी प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए निदेशक ने कहा कि ईडी को केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) द्वारा जारी किए गए विनियमों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फेमा को लागू करने का काम सौंपा गया है। इनमें सीमा पार वित्तीय लेनदेन को विनियमित करने के उद्देश्य से नियम, निर्देश और परिपत्र शामिल हैं।

30,036 करोड़ रुपये मूल्य के 461 कुर्की आदेश जारी

निदेशक ने कहा, ''इसे पूरा करने के लिए ईडी आवश्यक जांच और निर्णय करेगा, और चूक के मामलों में जुर्माना लगाएगा।''राहुल नवीन ने कहा कि ईडी ने 2014 से 2024 के बीच धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कुल 5,113 नए मामले दर्ज किए हैं, जो औसतन प्रति वर्ष 500 से अधिक मामले हैं, और 30,036 करोड़ रुपये मूल्य के 461 कुर्की आदेश जारी किए हैं।

नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों पर की गई कार्रवाई

उन्होंने कहा कि भारत में पीएमएलए 2003 में अधिनियमित किया गया था और एक जुलाई, 2005 को लागू हुआ था। लेकिन, शुरुआती वर्षों में यह काफी हद तक अप्रभावी था और प्रति वर्ष 200 से कम मामले दर्ज किए गए थे और वह भी ज्यादातर नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों तक ही सीमित थे।

31 मार्च, 2025 तक कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 1,54,594 करोड़ रुपये था। अदालतों की मंजूरी से वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 30 मामलों में 15,261 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की गई और अगले वर्ष इसमें तेजी आने की संभावना है।

ईडी को एएसजी ने दी नसीहत, 'जल्दबाजी में गिरफ्तारी न करें'

प्रेट्र के अनुसार, अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने ईडी अधिकारियों से कहा कि वे मनी-लॉन्ड्रिंग के मामलों में ''जल्दबाजी'' में गिरफ्तारी न करें क्योंकि इससे उन्हें अदालतों में अच्छे नतीजे नहीं मिलेंगे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ''हवाला'' डीलरों को रिपोर्टिंग इकाई के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए ताकि वे एजेंसी को अपने ग्राहकों के बारे में जानकारी दे सकें जो भारी मात्रा में नकदी ले जाते हैं।

उन्होंने कहा कि ये उपाय एजेंसी के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आपको गिरफ्तारी करने के लिए अपनी शक्ति का उदारतापूर्वक नहीं, बल्कि संयम से उपयोग करना चाहिए और आपको इसे बहुत देर से करना चाहिए, न कि (जांच के) शुरुआती चरण में।'

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राफेल-एम की 'गूंज' से Pak आर्मी परेशान? फ्रांस के साथ भारत ने की बड़ी डील; जानें कैसे दबाव में आया पाकिस्तान

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 11:15pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन (Rafale-M) लड़ाकू विमानों की डील ने रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ये समझौता ऐसे वक्त पर हुआ है जब हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाक तनाव को और गहरा कर दिया है।

रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव ने ANI से बातचीत में कहा कि इस डील का समय और संदर्भ पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक दबाव डालने वाला है।

“इस वक़्त जब भारत-पाक रिश्तों में तनाव चरम पर है, राफेल डील का ऐलान एक स्पष्ट संदेश है। आने वाले समय में अगर भारत कोई कार्रवाई करता है, तो राफेल-M उसमें अहम भूमिका निभाएगा।” संजीव श्रीवास्तव, रक्षा विशेषज्ञ

इस डील के तहत 22 सिंगल-सीट राफेल-M और 4 ट्विन-सीट राफेल-D विमान शामिल हैं। इनके साथ ट्रेनिंग, हथियार, सिम्युलेटर और पांच साल की लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है। यह डील इंटर-गवर्मेंटल एग्रीमेंट (IGA) के तहत हुई है।

समुद्री ताकत को मिलेगा नया बल

राफेल-M विमानों को 2028 से 2030 के बीच INS विक्रांत और INS विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स से उड़ाया जाएगा। ये डील केवल विमान खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ‘मेक इन इंडिया’ को भी बढ़ावा दिया गया है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, भारत में राफेल फ्यूजलाज की मैन्युफैक्चरिंग और इंजन-हथियारों की मरम्मत सुविधा का प्रावधान है।

दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) द्वारा उत्तर प्रदेश में MRO (Maintenance, Repair, Overhaul) केंद्र की शुरुआत की जा चुकी है, जो भारत के पहले राफेल सौदे का हिस्सा था। यह MRO केंद्र फ्रांस से बाहर M88 इंजन की पहली डिपो-स्तरीय मरम्मत सुविधा भी बनेगा।

तीनों सेनाओं में तालमेल की नई शुरुआत

नौसेना के लिए राफेल-M और वायुसेना के राफेल-C के बीच तकनीकी समानता से लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और मेंटेनेंस आसान होगा। दोनों वर्जन में 'बडी-बडी' रिफ्यूलिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं समान हैं। इससे इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ेगी और संचालन अधिक लचीला होगा।

बोइंग के F/A-18 सुपर हॉर्नेट को हराकर राफेल-M का चयन इसीलिए किया गया क्योंकि भारतीय वायुसेना पहले ही 36 राफेल संचालित कर रही है, जो अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर तैनात हैं।

दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की ओर कदम

वायुसेना वर्तमान में 42 स्क्वॉड्रनों के लक्ष्य से पीछे है और ऐसे में यह डील भविष्य में और राफेल खरीद की नींव रख सकती है। भारत स्वदेशी ‘अस्त्र’ मिसाइल को राफेल से जोड़ना चाहता है, जिसके लिए सोर्स कोड तक पहुंच जरूरी है।

एयर चीफ मार्शल एपी सिंह पहले ही इस बात का हवाला दे चुके हैं कि ब्रिटिश मूल के जैगुआर विमानों को HAL द्वारा अपग्रेड और मेंटेन किया जाना आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि रही। उसी तरह राफेल का भारत में निर्माण और रखरखाव भारत को दीर्घकालिक रणनीतिक बढ़त दिला सकता है।

मिराज से सबक

मिराज-2000 जैसे पुराने सौदों में जब अपग्रेड की ज़रूरत पड़ी, तो भारत को पुराने विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स तक मोलभाव करना पड़ा। लेकिन जैगुआर और Su-30 MKI के मामले में HAL ने इन्हें देश में बनाए रखा और समय पर अपग्रेड किया। राफेल डील उसी मॉडल को दोहराने की कोशिश है।

यह समझौता सिर्फ लड़ाकू विमान हासिल करने का नहीं है, बल्कि एक मजबूत रक्षा इकोसिस्टम बनाने का भी संकेत है। पाकिस्तान के लिए यह डील निश्चित तौर पर दबाव और चिंता का कारण है।

(एएनआई इनपुट के साथ)

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'अवैध निर्माण के मामलों में अदालतें को होना चाहिए सख्त', सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी?

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 10:49pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख दिखाया है। कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा कि अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाना चाहिए। अदालतें कानूनी बंधनों से मुक्त नहीं हैं। न्याय कानून के अनुसार ही होना चाहिए। अवैध निर्माण के मामलों में अदालतों को सख्त रुख अपनाना चाहिए।

सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर निर्मित भवनों के न्यायिक नियमितीकरण में स्वयं को शामिल नहीं करना चाहिए। इस तरह का दृढ़ रुख बनाए रखने की आवश्यकता न केवल कानून का शासन बनाए रखने के अदालतों के दायित्व से उत्पन्न होती है, बल्कि इस तरह के न्यायिक संयम से सभी की भलाई व सुविधा को बल मिलता है।

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को दिया ये आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि इस आदेश की प्रति सभी हाई कोर्टों को भेजे। सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि कानून को उन लोगों को बचाने के लिए नहीं आना चाहिए जो इसकी कठोरता का उल्लंघन करते हैं, ऐसा करने से दंड से मुक्ति की संस्कृति पनप सकती है। अगर इसे दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, अगर कानून उन लोगों की रक्षा करता है जो इसकी अवहेलना करने का प्रयास करते हैं, तो उससे कानून के कठोर प्रभाव पर असर पड़ेगा, जो न्यायपूर्ण व्यवस्थित समाज की आधारशिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया HC आदेश

ये आदेश जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने कोलकाता में अवैध निर्माण ढहाने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए दिए। हाई कोर्ट ने कोलकाता नगर निगम को अवैध निर्माण ढहाने का आदेश दिया था जिसके विरुद्ध कनीज अहमद ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील की थी। हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर आदेश दिया था और कहा था कि सिर्फ एक अवैध निर्माण को ही नहीं, बल्कि आस-पड़ोस की सभी संपत्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करें जिनमें अवैध निर्माण हुआ हो।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश से सहमति जताते हुए उसकी प्रशंसा की है। कहा कि वे हाई कोर्ट के जनहित में अवैध निर्माण को रोकने के लिए दिखाए गए साहस और दृढ़ता की प्रशंसा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2024 के राजेन्द्र कुमार बडजात्या बनाम यूपी आवास एवं विकास परिषद मामले में दिए फैसले को उद्धत किया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि प्रत्येक निर्माण नियम-कानूनों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए।

सभी को मानना होगा नियम: SC
  • अगर कोई उल्लंघन अदालत के संज्ञान में आता है तो उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उस फैसले में यह भी कहा था कि अवैध निर्माण के दोषी व्यक्ति के प्रति कोई भी नरमी या दया दिखाना गलत सहानुभूति दिखाने के समान होगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता द्वारा अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए प्रार्थना करने का मौका देने का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को कानून की परवाह नहीं है, उसे दो मंजिल का अवैध निर्माण करने के बाद नियमितीकरण की प्रार्थना करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। न्यायिक विवेकाधिकार औचित्य से निर्देशित होगा।
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि कई राज्य सरकारों ने इम्पैक्ट फीस भुगतान के आधार पर अवैध विकास के नियमितीकरण का अधिनियम बनाते समय इस पहलू का ध्यान नहीं रखा।

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सीमा पर हथियारों का जखीरा जुटा रहा पाकिस्तान, चीन की तोपें भी तैनात; Indian Army रख रही बारीक नजर

Dainik Jagran - National - May 1, 2025 - 10:25pm

एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है। उसे भारत के हमले का डर सता रहा है। ऐसे में खौफजदा पाकिस्तान, भारत से लगती सीमाओं पर लगातार सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा है। उसने अग्रिम मोर्चों पर वायु रक्षा प्रणाली और चीनी एसएच-15 होवित्जर तोपें भी तैनात कर दी हैं।

पाकिस्तानी वायुसेना इस समय एक साथ तीन अभ्यास भी कर रही है, जिसमें सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों को शामिल किया गया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने राजस्थान में लोंगेवाल सेक्टर से सटे अपने इलाके में रडार सिस्टम और हवाई रक्षा प्रणाली की तैनाती की है।

पाकिस्तान ने एयरपोर्ट सुरक्षा बल को भी किया तैनात

पाकिस्तानी सेना ने जमीनी संपत्तियों और एयर बेस की सुरक्षा के लिए एयरपोर्ट सुरक्षा बल को भी तैनात कर दिया है। इस बीच, पाकिस्तानी वायुसेना एक साथ तीन अभ्यास कर रही है। इनको फिजा-ए-बद्र, ललकार-ए-मोमिन और जर्ब-ए-हैदरी नाम दिया गया है। इन अभ्यासों में एफ-16,, जे-10 और जेएफ-17 समेत प्रमुख लड़ाकू विमानों को शामिल किया गया है। ये अभ्यास मंगलवार को शुरू हुए।

लाहौर और कराची वायुक्षेत्र बंद

पाकिस्तान ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर इस महीने कराची और लाहौर के वायुक्षेत्र के कुछ हिस्सों को प्रतिदिन चार घंटे बंद रखने की घोषणा की है। देश के सभी एयरपोर्ट को हाई अलर्ट पर भी रख दिया है। यह घटनाक्रम पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई की आशंका के बीच सामने आया है।

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने गुरुवार को एक सरकारी नोटिस के हवाले से बताया, 'वायुक्षेत्र को लेकर यह पाबंदी एक मई से लेकर 31 मई तक स्थानीय समायानुसार भोर में चार बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक रहेगी।

पाकिस्तान ने भारतीय गानों के प्रसारण को रोका

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने अपने यहां भारतीय गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद पाकिस्तानी एफएम रेडियो स्टेशनों ने गुरुवार को भारतीय गानों का प्रसारण रोक दिया।पाकिस्तान ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन (पीबीए) के महासचिव शकील मसूद ने कहा, 'पीबीए ने देशभर में पाकिस्तानी एफएम रेडियो स्टेशनों पर भारतीय गानों के प्रसारण को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है।'

पाकिस्तानियों के बीच भारतीय गाने खासतौर पर लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश जैसे महान गायकों के गाने काफी लोकप्रिय हैं। इनके गानों का यहां के एफएम रेडियो स्टेशन प्रतिदिन प्रसारण करते थे। पाकिस्तानी सूचना मंत्री अता तरार ने कहा कि पाकिस्तानी एफएम स्टेशनों पर भारतीय गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाए जाने से जाहिर होता है कि हम सभी एकजुट हैं।

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