Feed aggregator
'India has potential to play global role in nuclear technology market' - The Times of India
- 'India has potential to play global role in nuclear technology market' The Times of India
- IAEA chief backs India's entry into nuke club NSG The Economic Times
- Bombs, Atoms, Gandhi: NDTV Exclusive With Head Of Global Nuclear Watchdog NDTV
- IAEA chief lauds India’s cancer care, wants country in NSG Firstpost
- IAEA Visits India to Strengthen Cooperation in Energy and Cancer Treatment International Atomic Energy Agency
'न्यायिक प्रणाली पर कम हो रहा भरोसा', कपिल सिब्बल का बड़ा बयान; जज के घर कैश मामले में क्या कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। न्यायिक प्रणाली के प्रति लोगों का विश्वास कम होने का दावा करते हुए राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा है कि विकल्प तभी मिल सकते हैं, जब सरकार और न्यायपालिका दोनों यह स्वीकार करें कि न्यायाधीशों की नियुक्ति सहित मौजूदा प्रणालियां कारगर नहीं रह गई हैं।
सिब्बल ने एक साक्षात्कार में न्यायिक प्रणाली की खामियों के बारे में बात की। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह जिला और सत्र न्यायालयों द्वारा ज्यादातर मामलों में जमानत नहीं दी जा रही है।
जज के घर कैश मिलने पर नहीं की टिप्पणीहालांकि, सिब्बल ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले पर टिप्पणी करने से परहेज किया। कहा कि इस मामले से निपटने के लिए एक आंतरिक प्रक्रिया है। तथ्यों के अभाव में मुझे नहीं लगता कि इस देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में मुझे इस पर टिप्पणी करनी चाहिए।
एएनआई के अनुसार, वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच की सराहना करते हुए कहा कि पारदर्शिता न्यायपालिका की आत्मा है। इसमें दृढ़ रुख की अपेक्षा की जाती है।
जस्टिस वर्मा मामले में जांच शुरू- निकम ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा मामले में आंतरिक जांच शुरू की है। मैं शीर्ष अदालत को बधाई देना चाहूंगा। मैं हमेशा कहता हूं कि किसी भी देश की स्थिरता दो कारकों पर निर्भर करती है- आम नागरिकों को उस देश की मुद्रा में विश्वास होना चाहिए और आम नागरिकों को उस देश की न्यायपालिका में विश्वास होना चाहिए।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मात्र स्थानांतरण या निलंबन पर्याप्त नहीं है। यदि आवश्यक हो तो संसद द्वारा आपराधिक अभियोजन और महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें: न्यायाधीश यशवंत वर्मा की कुर्सी बचेगी या जाएगी? दूसरे चरण की जांच से होगा तय; CJI करेंगे निगरानी
World TB Day: 40,000 new tuberculosis cases found in Maharashtra in 100 days - The Times of India
- World TB Day: 40,000 new tuberculosis cases found in Maharashtra in 100 days The Times of India
- 100-day anti-TB campaign screens 61.4 lakh persons for infection The Hindu
- Maha detects over 40,000 new TB cases in 100 days The Times of India
- Pune civic body to provide food baskets to TB patients from March 24 Hindustan Times
- World TB Day: 100-day campaign concludes, Maharashtra identifies over 40k new TB cases The Indian Express
देश के 160 संस्थाओं को मिला FCRA सर्टिफिकेट, लिस्ट में सबसे आगे महाराष्ट्र; DU के इस कॉलेज का भी नाम
एएनआई, नई दिल्ली। देश भर के कुल 160 संस्थाओं को 2025 में विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इससे उन्हें अब कानूनी रूप से विदेशी धन प्राप्त करने की अनुमति मिल गई है। एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों में दिल्ली का श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) भी शामिल है।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत आवेदनों की जांच करने के बाद ये प्रमाण पत्र जारी किए हैं। एफसीआरए एक भारतीय कानून है जो व्यक्तियों, कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों एवं अन्य संगठनों द्वारा विदेशी धन की स्वीकृति और उपयोग को नियंत्रित करता है।
एफसीआरए सर्टिफिकेट पाने में महाराष्ट्र आगेएफसीआरए को यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था कि विदेशी धन का उपयोग उचित और पारदर्शी रूप से किया जाता है, और भारत की संप्रभुता, अखंडता या आंतरिक सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचता है। बहरहाल, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वालों राज्यों की सूची में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है।
यहां 25 संस्थाओं को प्रमाण पत्र दिए गए हैं। इसके बाद 21 संस्थाओं के साथ तमिलनाडु का स्थान है। दिल्ली और कर्नाटक में 13-13 संस्थाओं, जबकि तेलंगाना के 12 संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्राप्त हुए हैं। प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले अन्य महत्वपूर्ण राज्यों में गुजरात (11), पश्चिम बंगाल (आठ), और उत्तर प्रदेश (सात) शामिल हैं।
एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य- इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में प्रत्येक में पांच-पांच संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। दिल्ली आधारित 13 संस्थाओं के अलावा जिन अन्य 147 संस्थाओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है, उनका संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े क्षेत्रों से है।
- एफसीआरए प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले एसआरसीसी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थान उनके बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोगों और शैक्षणिक अनुसंधान, बुनियादी ढांचे के विकास और छात्रवृत्ति के लिए विदेशी धन को आकर्षित करने के प्रयासों को दर्शाते हैं। एफसीआरए प्रमाणपत्र पांच साल के लिए मान्य है, बशर्ते नियमों का सही अनुपालन और धन का उचित उपयोग हो।
- संस्थाओं को पारदर्शिता बनाए रखना होता है और इनसे जुड़े अधिकारियों को अपनी वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक कल्याण और अन्य क्षेत्रों में भारतीय संस्थानों और गैर-लाभकारी संस्थाओं की पहल का समर्थन करने के लिए वैश्विक भागीदारी पर उनकी निरंतर निर्भरता पर प्रकाश डालती है।
यह भी पढ़ें: FCRA के नाम पर धोखाधड़ी के ईमेल और दस्तावेजों से सावधान रहें, गृह मंत्रालय ने जारी की सलाह
न्यायाधीश यशवंत वर्मा की कुर्सी बचेगी या जाएगी? दूसरे चरण की जांच से होगा तय; CJI करेंगे निगरानी
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां मिलने की जांच के लिए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है।
इसके साथ ही आंतरिक जांच प्रक्रिया दूसरे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। इसके निष्कर्ष से तय होगा कि जस्टिस वर्मा की कुर्सी बचेगी या जाएगी। 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने के बाद अग्निशमन कर्मियों और पुलिस कर्मियों को कथित तौर पर नकदी मिली थी।
CJI ने तीन सदस्यीय समिति का गठन कियादिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों की गहन जांच की बात कही थी, जिसके बाद सीजेआई ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
दूसरे चरण में जांच की निगरानी खुद सीजेआई करते हैं। वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश की एक अधीनस्थ अदालत की न्यायाधीश द्वारा हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीश के विरुद्ध आरोपों की जांच के लिए आंतरिक प्रक्रिया निर्धारित की थी।
पहले चरण में आरोपों की गहराई से जांच की आवश्यकता नहींआंतरिक जांच प्रक्रिया के प्रथम चरण में शिकायत में निहित आरोपों की प्रथम दृष्टया सत्यता का पता लगाया जाता है। पहले चरण में आरोपों की गहराई से जांच की आवश्यकता नहीं है।
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बस इतना करना है कि वह तय करें कि क्या गहन जांच की जरूरत है। यह संबंधित न्यायाधीश के जवाब पर विचार करके तार्किक आकलन के आधार पर किया जाना है। यह उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से संबंधित गंभीर नतीजों वाले मामले में आंतरिक जांच प्रक्रिया का दूसरा चरण है।
दूसरे चरण की निगरानी प्रधान न्यायाधीश करेंगेदूसरे चरण की निगरानी कोई और नहीं बल्कि प्रधान न्यायाधीश ही करते हैं। यदि प्रधान न्यायाधीश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा व्यक्त किए गए इस विचार से सहमत होते हैं कि गहन जांच की आवश्यकता है, तो वह तीन सदस्यीय समिति का गठन करेंगे और जांच प्रक्रिया को दूसरे चरण में ले जाएंगे। यहां पहली बार जांच के आधार पर आरोपों की प्रामाणिकता की जांच की जाएगी।
तीन सदस्यीय समिति के न्यायाधीशों का संबंधित न्यायाधीश के साथ कोई संबंध नहीं होगा। न केवल संबंधित न्यायाधीश को अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज करने का उचित अवसर मिलेगा, बल्कि शिकायतकर्ता को भी यह संतुष्टि होगी कि जांच अनुचित नहीं होगी।
फाइनल रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी जाएगीजांच के समापन पर समिति निष्कर्ष तैयार करेगी और एक रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी जाएगी। समिति की रिपोर्ट इन निष्कर्षों में से एक पर पहुंच सकती है-संबंधित न्यायाधीश पर लगाए गए आरोपों में कोई तथ्य नहीं है या यह कि न्यायाधीश के खिलाफ लगाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं।
यदि समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि कदाचार इतना गंभीर नहीं है कि संबंधित न्यायाधीश को हटाने की कार्यवाही शुरू की जा सके, तो सीजेआइ न्यायाधीश को सलाह देंगे और यह भी निर्देश दे सकते हैं कि समिति की रिपोर्ट को रिकार्ड में रखा जाए।
यदि तीन सदस्यीय समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि आरोपों में तथ्य हैं तो संबंधित न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रधान न्यायाधीश इस तरह आगे बढ़ेंगे।
- संबंधित न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश द्वारा इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की सलाह दी जाएगी।
- यदि संबंधित न्यायाधीश सीजेआई की सलाह को स्वीकार नहीं करता है, तो प्रधान न्यायाधीश संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से यह अपेक्षा करेंगे कि वह संबंधित न्यायाधीश को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। यदि संबंधित न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश की इस्तीफा देने की सलाह का पालन नहीं करते हैं, तो प्रधान न्यायाधीश तीन सदस्यीय समिति के निष्कर्षों से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अवगत कराएंगे, जिससे उन्हें हटाने की कार्यवाही शुरू हो सकेगी।
यह भी पढ़ें: Justice Yashwant Varma के घर के पास मिले जले नोटों के टुकड़े, सामने आया एक और वीडियो
यह भी पढ़ें: जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में CJI ने किया कमेटी का गठन, जांच पूरी होने तक नहीं कर सकेंगे काम
J&K और MP में दर्दनाक सड़क हादसे, 6 लोगों की मौत से पसरा मातम; मरने वालों में महाराष्ट्र के 5 निवासी
टीम जागरण, नई दिल्ली। रविवार को जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश में हुए दो अलग-अलग सड़क हादसों में महाराष्ट्र में रहने वाले पांच लोगों समेत कुल छह की मौत हो गई। पहला हादसा मध्य प्रदेश के शिवपुरी में रविवार सुबह हुआ, जहां एक कार पुलिया से टकरा गई।
हादसे में महाराष्ट्र में तैनात दो महिला डॉक्टरों की मौत हो गई, जबकि कार में सवार चार लोग घायल हो गए। दूसरा हादसा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में श्रीनगर-सोनमर्ग मार्ग पर रविवार दोपहर को हुआ। बस से टकराने के कारण टैक्सी में बैठे महाराष्ट्र के एक ही परिवार के तीन सदस्यों व टैक्सी के चालक की मौत हो गई। जबकि बस में सवार 17 यात्री भी घायल हो गए।
सीआरपीएफ कैंप के पास हुआ हादसाहादसा गांदरबल जिले में रविवार दोपहर को श्रीनगर-सोनमर्ग मार्ग गुंड में स्थित सीआरपीएफ कैंप के पास हुआ। यहां सोनमर्ग की ओर जा रही बस सामने से आ रही पर्यटकों से भरी टैक्सी टकरा गई। टैक्सी में चालक फहीम अहमद समेत महाराष्ट्र निवासी लेशिया आशीष परी, निक्की आशीष परी, हेतल आशीष परी की मौत हो गई।
हादसे के कुछ देर में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंच गए। उन्होंने बस को स्थानीय लोगों की सहायता से अस्पताल में पहुंचाया। बस में सवार 17 घायलों का भी इलाज जारी है।
एलजी और सीएम ने जताया दुख- इस हादसे पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी गहरा दुख जताया है। तीर्थ स्थलों की यात्रा पर निकले महाराष्ट्र के डॉक्टरों की कार अनियंत्रित होकर मप्र के शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील के ग्राम लुकवासा के पास एक पुलिया से टकरा गई।
- कार में महाराष्ट्र के भिवंडी निवासी 55 वर्षीय डॉ. अतुल आचार्य, उनकी पत्नी 50 वर्षीय डॉ. तन्वी आचार्य, बसाई निवासी 60 वर्षीय डॉ. सुबोध पंडित, उनकी पत्नी 55 वर्षीय डॉ. नीलम पंडित और 64 वर्षीय डॉ. उदय जोधी व उनकी पत्नी 59 वर्षीय डॉ. सीमा जोधी सवार थे।
- वह एक साथ कार से 15 दिन पहले तीर्थ स्थलों के दर्शन करने निकले थे। वह अयोध्या से रामलला के दर्शन कर उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के लिए जा रहे थे। रविवार सुबह हुए हादसे में डॉ. तन्वी आचार्य और, डॉ. नीलम पंडित की मौत हो गई। जबकि बाकी चार डॉक्टर घायल हो गए।
यह भी पढ़ें: ड्राइवर को नींद की झपकी आने से पलट गई बस, तीन लोगों की मौत; 25 यात्री घायल
अब सरहद की निगरानी करेंगे रोबोट, इन क्षेत्रों में तैनाती की तैयारी; सेना कर रही फील्ड परीक्षण
पीटीआई, नई दिल्ली। देश की सुरक्षा में रोबोट तैनात करने की तैयारी है। परिंदा भी रोबोट की पैनी निगाह से बच नहीं सकेगा। दुश्मनों के लिए देश की सुरक्षा में सेंध लगाना लगभग नामुमकिन होगा और घुसपैठ पर भी लगाम लगेगी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने अत्याधुनिक रोबोट विकसित किए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षमता से लैस ये रोबोट चुनौतीपूर्ण एवं दुर्गम सरहद की निर्बाध निगरानी करेंगे।
आईआईटी गुवाहाटी का बड़ा कमालआईआईटी गुवाहाटी द्वारा संचालित स्टार्टअप कंपनी दा स्पैटियो रोबोटिक लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड (डीएसआरएल) द्वारा विकसित रोबोटों को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से भी मान्यता मिल चुकी है। सेना पहले से ही निगरानी प्रणाली के लिए फील्ड परीक्षण कर रही है।
अब ड्रोन करेंगे सीमा की निगरानीडीएसआरएल के सीईओ अर्नब कुमार बर्मन के अनुसार, पारंपरिक सुरक्षा उपाय जहां ड्रोन, स्थिर कैमरे और गश्त पर निर्भर हैं वहीं स्वायत्त रोबोटिक सिस्टम प्रतिकूल मौसम और दुर्गम इलाकों में भी निगरानी करने में सक्षम है। बर्मन ने कहा, एआई-संचालित टोही से लैस यह प्रणाली सीमा सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की निगरानी और रणनीतिक रक्षा क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर है।
चौबीसों घंटे निगरानी होगी सुनिश्चितउन्होंने कहा कि इस रोबोटिक सिस्टम को दुर्गम इलाकों में भी निर्बाध रूप से काम करने के लिए डिजाइन किया गया है जिससे चौबीसों घंटे निगरानी सुनिश्चित होगी। हमें रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता में योगदान करने पर गर्व है। हम ऐसे नवाचारों के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करें। यह सिस्टम मल्टी-सेंसर खुफिया जानकारी एकत्र करने में सक्षम है, जिससे संभावित खतरों का पता लगाने और उन्हें रोकने की इसकी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती की तैयारीआईआईटी गुवाहाटी के टेक्नोलाजी इनक्यूबेशन सेंटर के प्रमुख केयूर सोरठिया ने कहा कि इस रोबोटिक सिस्टम को संवेदनशील क्षेत्रों और सैन्य स्टेशनों में बड़े पैमाने पर तैनात करने की तैयारी है। यह अत्याधुनिक, स्वदेशी तकनीक घुसपैठ के प्रयासों जैसे आधुनिक खतरों का मुकाबला करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।
परिसीमन पर सीएम स्टालिन ने बुलाई बैठक, संवेदनशील मुद्दों में सियासी संतुलन की राह पर चल रही कांग्रेस
संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। परिसीमन तथा भाषा विवाद पर गरमाई सियासत के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति की अपनी जरूरतों के हिसाब से इन दोनों मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने की रणनीति पर चलती दिखाई दे रही है।
वहीं आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति तथा बीजू जनता दल जैसी पार्टियां भी अपनी चुनौतियों के मद्देनजर सियासी संतुलन बनाए रखने का विकल्प अभी नहीं छोड़ रही हैं। द्रमुक प्रमुख तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की चेन्नई में शनिवार को परिसीमन पर बुलाई गई बैठक में इन तीनों पार्टियों के नेताओं की मौजूदगी में इसकी झलक साफ दिखाई पड़ी।
क्षेत्रीय नेताओं को आग रख रही कांग्रेस- परिसीमन तथा भाषा दोनों मसलों पर कांग्रेस फिलहाल अपने क्षेत्रीय नेताओं को ही आगे रखने की सतर्कता बरत रही है। जबकि कांग्रेस से असहज रिश्ते होने के बावजूद बीआरएस और आप उसके साथ विपक्षी राजनीति का मंच साझा करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
- परिसीमन पर दक्षिणी राज्यों को एकजुट करने के अपने एक प्रमुख सहयोगी दल द्रमुक का साथ देने के बावजूद राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस इस मसले पर संतुलन की राह पर चल रही है। पार्टी ने जहां दक्षिणी राज्यों की चिंताओं से इत्तेफाक रखते हुए भविष्य में प्रस्तावित परिसीमन में इसका ख्याल रखे जाने की पूरी पैरोकारी की है।
- वहीं, उत्तरी राज्यों के बारे में ऐसी कोई टिका-टिप्पणी नहीं की है जैसी द्रमुक या बीआरएस ने की है। कांग्रेस ने परिसीमन से पहले जनगणना कराए जाने की मांग कर इस विवाद को फिलहाल विराम देने में ज्यादा रूचि दिखाई है।
चेन्नई बैठक के संदर्भ में कांग्रेस का परिसमीमन पर रूख जाहिर करते पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने साफ कहा है कि वाजपेयी सरकार ने 2002 में 25 साल के लिए लोकसभा सीटों के परिसीमन पर रोक लगाते हुए 2026 के बाद की जनगणना के उपरांत परिसीमन कराए जाने का निर्णय लिया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका अर्थ है कि 2031 की जनगणना के बाद ही परिसीमन होना है और 2025 की जनसंख्या को आधार बनाया गया तो कई राज्यों को परिसीमन में बड़ा नुकसान होगा।
परिसीमन पर संतुलन की रणनीति के तहत ही कांग्रेस ने स्टालिन के बुलावे पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेडडी और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जैसे क्षेत्रीय नेताओं को चेन्नई बैठक भेजा।
हिंदी विवाद में कांग्रेस का क्या है रुख?नीट परीक्षा तथा नई शिक्षा नीति पर तमिलनाडु के रूख का समर्थन करने के बावजूद कांग्रेस ने हिन्दी को लेकर द्रमुक के विरोध से अपनी एक दूरी बनाए रखी है, जो संसद के वर्तमान सत्र में भी नजर आया है। इन मसलों पर द्रमुक सांसदों के साथ राज्य के कांग्रेस सांसद चाहे विरोध में शामिल हुए मगर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भाषा विवाद को सियासी तूल देने के द्रमुक की रणनीति से दूरी बनाए रखी है।
एक साथ नजर आए कांग्रेस और आप के दिग्गजपरिसीमन पर चेन्नई की बैठक में कांग्रेस की तरह ही आप, बीआरएस तथा बीजद भी अपनी सियासत का संतुलन साधने की कोशिश करते दिखे। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस से बढ़ी तीखी खटास के बावजूद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का स्टालिन और कांग्रेस संग मंच साझा करने जाने का संकेत साफ है कि वर्तमान सियासी परिस्थितियों में विपक्षी खेमे की छतरी से बाहर जाने का जोखिम उठाने की स्थिति में आम आदमी पार्टी नहीं है।
बीआरएस ने किया स्टालिन का समर्थनतेलंगाना में रेवंत सरकार पर चंद्रशेखर राव चाहे जितना बरसें पर बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव को चेन्नई में कांग्रेस नेताओं की मंच पर मौजूदगी से कोई दिक्कत नहीं हुई और उन्होंने परिसीमन पर स्टालिन का सबसे मुखर समर्थन भी किया।
विपक्षी मंच पर केटीआर की उपस्थिति पर भाजपा ने सियासी तंज कसने में देर नहीं लगाई। तेलंगाना से भाजपा सांसद अरविंद ने केटीआर से पूछा कि कांग्रेस का विरोध करते-करते क्या बीआरएस अब आईएनडीआईए गठबंधन में शामिल हो गई है।
बीआरएस का ग्राफ जा रहा नीचेदरअसल, तेलंगाना में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद बीआरएस का ग्राफ नीचे जा रहा है और भाजपा को इसका फायदा मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। इसीलिए बीआरएस को अपनी सियासत बचाने के लिए भाजपा के खिलाफ लामबंदी का सियासी मंच ही मुफीद नजर आ रहा है।
ओडिशा में पहली बार भाजपा के सत्ता में आने के बाद नवीन पटनायक को भी राजनीति की नई हकीकत का अहसास हो गया है और चाहे वीडियो कांफ्रें¨सग के जरिए ही सही स्टालिन की परिसीमन बैठक में शामिल होकर उन्होंने ने भी बीजद की सियासत का संतुलन नए सिरे से साधने के संकेत दिए हैं।
यह भी पढ़ें: कैसे गेहूं खरीद के लक्ष्य तक पहुंचेगी सरकार? खुले बाजार में किसानों को मिल रहा अधिक भाव
यह भी पढ़ें: सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा
'औरंगजेब जैसी मानसिकता देश के लिए खतरा', RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने और क्या कहा?
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। औरंगजेब पर चल रहे विवाद और उसकी कब्र को लेकर नागपुर में हुई हिंसा के बीच आरएसएस ने साफ कर दिया है कि आक्रांता कभी भी हमारे आदर्श नहीं हो सकते हैं। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के अनुसार आक्रांताओं जैसी मानसिकता वाले लोग देश के लिए खतरा हैं।
होसबाले ने साफ कर दिया कि धर्म के आधार पर आरक्षण बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनने का आरएसएस के बजाय पूरे समाज की उपलब्धि बताया।
दारा शिकोह को लेकर क्या बोले होसबाले?
बेंगलुरू में आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक के संपन्न होने के बाद दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि दो भी भारतीय मूल्यों और यहां के सांस्कृतिक विरासत को खत्म करना चाहता है वह आक्रांता है और भारतीय उसे अपना आर्दश नहीं मान सकते हैं। उन्होंने साफ किया कि दारा शिकोह भारतीय मूल्यों के अनुरूप फिट बैठते हैं, जबकि औरंगजेब ने उसके खिलाफ काम किया। शाह ने औरंगजेब जैसे आक्रांता को आदर्श मानने वाली मानसिकता के प्रति आगाह करते हुए करते कहा कि ऐसे लोग भारत के लिए खतरा हैं।
होसबाले ने यह भी साफ कर दिया कि सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले ही स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि मध्यकाल में विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले भी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे। इस सिलसिले में उन्होंने राणा प्रताप का नाम लिया।
सामाजिक सौहार्द कायम करने के सिलसिले में मुसलमानों के प्रति आरएसएस के विचार के बारे में पूछे जाने पर होसबाले ने कहा कि हिंदू केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रवादी अभिव्यक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सभ्यतागत अभिव्यक्ति भी है।
इतिहास, संस्कृति और सभ्यता से लेना होगा प्रेरणा: दत्तात्रेय होसबाले
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि सौहार्द पूर्ण समाज के निर्माण के लिए सभी लोगों को यहां के इतिहास, संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रीय आदर्शों से प्रेरणा लेना होगा और आरएसएस इसके लिए प्रयास कर रहा है। इस सिलसिले में उन्होंने सरसंघचालक मोहन भागवत के अल्ससंख्यक समुदाय के साथ सैंकड़ों बैठकों का हवाला दिया।
कर्नाटक में ठेकों में मुसलमानों के लिए चार फीसद आरक्षण के सवाल पर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इसके पहले कई राज्यों ने इस तरह के प्रयास हो चुके हैं। लेकिन संविधान के विरूद्ध होने के कारण यह लागू नहीं हो सका। धर्म के आधार पर आरक्षण देने की कोई भी कोशिश संविधान निर्माताओं की भावनाओं के खिलाफ है।
ये भी पढ़ें: सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा
कैसे गेहूं खरीद के लक्ष्य तक पहुंचेगी सरकार? खुले बाजार में किसानों को मिल रहा अधिक भाव
अरविंद, शर्मा, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस बार 310 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। किसानों से 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद की जानी है, लेकिन सरकारी एजेंसियों की तुलना में खुले बाजार में ही किसानों को अधिक मूल्य मिल रहा है। ऐसे में सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त हो सकती है।
बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समेत कई राज्यों में 2650 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बाजार में ही बिक रहा है। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार किसानों को बोनस दे रही है। जहां बोनस है, वहां से खरीद की उम्मीद है, लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश में बिना बोनस के खरीद एजेंसियों तक किसान नहीं भी पहुंच सकते हैं। सरकार के लिए यह चिंता का कारण हो सकता है।
बफर स्टॉक अभी भरा हुआ है गेहूंकिसानों को एमएसपी पर खरीद की गारंटी के साथ कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतें पूरी करने और बाजार को नियंत्रित रखने के लिए भारतीय खाद्य निगम और राज्यों की एजेंसियां गेहूं की खरीद करती हैं। सरकार को प्रत्येक वर्ष कल्याणकारी योजनाओं के लिए लगभग दो सौ लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ती है।
अभी संकट नहीं है, क्योंकि बफर स्टॉक में 15 मार्च तक 130 लाख टन गेहूं बचा है, जबकि पहली अप्रैल का मानक 74.6 लाख टन है। इसका अर्थ है कि बफर स्टॉक अभी भरा हुआ है, लेकिन खरीदारी कम हुई तो अगले वर्ष के लिए यह संकट का सबब हो सकता है।
11 राज्यों से होनी है गेहूं खरीदगेहूं की सरकारी खरीदारी इस वर्ष 11 राज्यों से की जानी है। कुल खरीद का लगभग 70 प्रतिशत पंजाब और हरियाणा से पूरा होता है। इस बार 17 लाख 50 हजार किसानों ने अभी तक एमएसपी के लिए पंजीकरण कराया है, मगर शुरुआती संकेत बता रहा है कि ऊंचे बाजार भाव के चलते लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में खरीद शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश को छोड़कर शेष राज्यों में एमएसपी के अतिरिक्त बोनस भी दिया जा रहा है।
बिहार में एक अप्रैल से खरीद होगी शुरूमध्य प्रदेश में 175 रुपये और पंजाब में 125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस है। बिहार और उत्तर प्रदेश में बोनस नहीं है। बिहार में एक अप्रैल से खरीद शुरू होनी है। मुश्किल यह है कि किसानों को बाजार में कीमत भी ठीक मिल रही है। यही कारण है कि थोक मंडियों में ऊंचे भाव को देखते हुए सरकारी क्रय केंद्रों पर किसान गेहूं लाने से हिचक रहे हैं।
समस्या उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, हिमाचल एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आ सकती है, जहां सिर्फ एमएसपी पर ही सरकारी खरीद होती है। यदि व्यापारी, फ्लोर मिलर्स एवं अन्य कंपनियों की ओर से किसानों को अधिक दाम दे दिया जाएगा तो सरकारी खरीद की गति धीमी पड़ सकती है। तीन-चार वर्षों से ऐसा होता भी आया है, लेकिन गेहूं के बढ़ते दाम को देखते हुए बफर स्टाक को मजबूत बनाए रखना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए जरूरी है कि गेहूं का मंडी भाव को एमएसपी से नीचे रखना होगा।
लक्ष्य की तुलना में कम हो रही खरीदसरकारी दर पर कम होती खरीदारी का असर बफर स्टॉक पर पड़ सकता है। 2024-25 में 3.2 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था, लेकिन 2.66 करोड़ टन ही खरीदारी हो पाई।
हालांकि 2023-24 में खरीदे गए 2.62 करोड़ टन से ज्यादा था, लेकिन निर्धारित लक्ष्य को देखें तो काफी कम था। उस वर्ष के 3.41 करोड़ टन खरीद का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2022-23 का आंकड़ा भी निराश करने वाला है। लक्ष्य रखा गया था 4.44 करोड़ टन खरीदने का, मगर आधी खरीद भी नहीं हो पाई। मात्र 1.88 करोड़ टन गेहूं ही खरीदा जा सका था।
यह भी पढ़ें: सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा
यह भी पढ़ें: 'कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन देता है संविधान', SC के जज कोटिस्वर सिंह की मणिपुर के लोगों से खास अपील
Pages
