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IAS Sanjeev Hans: मैनेज होता था सरकारी टेंडर, आईएएस संजीव हंस समेत 6 के खिलाफ SUV ने दर्ज किया केस

Dainik Jagran - May 2, 2025 - 7:53pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विभागों में आठ से 10 प्रतिशत कमीशन पर टेंडर मैनेज का खेल हो रहा था। इस खेल की अहम कड़ी रिशुश्री था। रिशश्री सरकारी अफसरों की मिली भगत से यह रैकेट चला रहा था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में यह खेल पकड़ा गया है। जिसके बाद ईडी की अनुशंसा पर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने चार नामजद समेत छह पर प्राथमिकी दर्ज की है।

इस प्राथमिकी में आईएएस अधिकारी संजीव हंस का भी नाम है। हंस के अलावा रिलायबल इंफ्रा सर्विस प्रा. लि. के रिशुश्री, कंपनी के कर्मी संतोष कुमार, मैत्रिस्वा इंफ्रा प्रा. लि. के निदेशक पवन कुमार, अन्य सरकारी पदाधिकारी व अज्ञात को शामिल किया गया है।

ईडी ने दी थी टेंडर में चल रहे खेल की जानकारी

प्रवर्तन निदेशालय पटना संयुक्त निदेशक सत्यकाम दत्ता ने विशेष निगरानी को सरकारी टेंडर के मैनेज होने की जानकारी मुहैया कराई थी। ईडी के अनुसार, रिशुश्री संजीव हंस की मदद से सरकारी टेंडर के मैनेज कर रहा था। जिस विभाग का टेंडर निकाला जाता था रिशुश्री उस विभाग के अधिकारियों और कर्मियों की मदद से पहले ही उससे जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल कर लेता था।

इसके बाद उस जानकारी के आधार पर वह खुद अपनी कंपनी या अपने नेटवर्क से जुड़ी कंपनी को वह टेंडर दिलवा देता था। इस काम में बड़ी अधिकारी उसकी मदद करते थे।

आठ से दस प्रतिशत के कमीशन पर होता था खेल

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टेंडर के इस खेल में रिशुश्री को आठ से दस प्रतिशत का कमीशन मिल रहा था। जिसका बड़ा हिस्सा संबंधित विभाग के सीनियर अधिकारियों को जा रहा था।

ईडी की रिपोर्ट में आरोप लगाए गए हैं कि पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी दिखाने के लिए, रिशुश्री अपनी संस्थाओं को निविदा प्रदान की गई संस्थाओं के लिए उपठेकेदार के रूप में नियुक्त करता था और उन्हें समय-समय पर बढ़ा-चढ़ाकर बिल देता है, ताकि कमीशन और रिश्वत का पैसा नियमित व्यापारिक लेन-देन में मिल जाए।

दस पन्नों की रिपोर्ट पर महाधिवक्ता से मांगी थी राय

ईडी की करीब दस पन्नों की रिपोर्ट मिलने के बाद विशेष निगरानी इकाई ने हंस व रिशुश्री समेत अन्य पर केस दर्ज करने के पूर्व महाधिवक्ता और गृह विभाग से राय मांगी थी।

महाधिवक्ता और गृह विभाग की अनुशंसा के बाद विशेष निगरानी इकाई ने संजीव हंस, रिशुश्र श्री समेत रिशुश्री की कंपनियों के कर्मी, निदेशक, अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। केस दर्ज करने के बाद मामले की जांच विशेष निगरानी के डीएसपी राजेश रंजन को सौंपी गई है।

इन धाराओं में हुआ केस

पीसी एक्ट 1988, आफिशियल सीकेट्र एक्ट, अधिनियम बीएनएस 2023, धाराएं 7ए, डब्लू 8,9, आरडब्लू 10 व 12, आरडब्यू 3 (2) आरडब्लू 6(2) आरडब्लू 15, निविदा में लोक सेवक एवं अन्य द्वारा भ्रष्टाचार

ईडी की रिपोर्ट में कई अन्य विभाग के वरीय अफसर निशाने पर

  • आइएएस संजीव हंस, रिशुश्री के अलावा अन्य कई विभागों के अधिकारी भी अब जांच एजेंसी के निशाने पर हैं। ईडी की रिपोर्ट की माने तो टेंडर का खेल कई सरकारी महकमों में चल रहा था।
  • इन विभागों में जल संसाधन विभाग, उर्जा विभाग, भवन निर्माण विभाग और नगर विकास विभाग समेत कई अन्य विभाग शामिल हैं।
  • सूत्रों की माने तो इन विभागों के अधिकारियों के खिलाफ भी आने वाले समय में कार्रवाई संभव है। इसके पहले जांच एजेंसी साक्ष्य जुटाने में लगी है।

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Bihar: लड़की को कॉलेज में नहीं दिया एडमिशन, छात्रा की कंडीशन समझ जज ने सभी को कोर्ट में बुलाया

Dainik Jagran - May 2, 2025 - 7:48pm

विधि संवाददाता, पटना। नीट यूजी 2024 में विकलांगता व अनुसूचित जाति कोटे से चयनित छात्रा अवंतिका को वेटरनरी कॉलेज में एडमिशन नहीं देने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा बोर्ड और बिहार वेटरनरी कॉलेज से जवाब तलब किया है।

छह मई को होना होगा पेश

मामले में न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि सभी पक्ष छह मई 2025 को समस्त दस्तावेजों व तथ्यों के साथ उपस्थित हों। अब सभी को मंगलवार को कोर्ट में सफाई देने के लिए पेश होंगे। इस दौरान दोनों पक्ष कोर्ट के सामने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। 

विकलांग कोटे से हुआ था चयन

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि अवंतिका का चयन नीट यूजी के माध्यम से विकलांगता कोटे से हुआ था और उसे सीट भी आवंटित की गई थी। बावजूद इसके कॉलेज ने बिना किसी चिकित्सकीय परीक्षण के उसका दाखिला नकार दिया।

तीन सदस्यीय दल ने की जांच

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की तीन सदस्यीय टीम ने अवंतिका को वेटरनरी कोर्स के लिए उपयुक्त माना है। उन्होंने जांच के बाद अपना निर्णय छात्रा के लिए सुनाया। डाक्टरों की टीम ने कहा कि छात्रा वेटरनरी कोर्स कर सकती है। उसमें ऐसी कोई समस्या नहीं है कि कोर्स करने में उसे किसी तरह की परेशानी हो। 

देखें कि अभ्यर्थी सक्षम है या नहीं

अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि विकलांगता का प्रतिशत नहीं, बल्कि यह देखा जाना चाहिए कि अभ्यर्थी कोर्स करने में सक्षम है या नहीं। कोर्ट को बताया गया कि अवंतिका बचपन से एक रोग से ग्रसित जरूर है, लेकिन वह पूरी तरह से अध्ययन में सक्षम है।

कोर्ट ने गंभीरता से लिया मामला

कोर्ट ने वेटरनरी कॉलेज के मामले को गंभीर मानते हुए अगली सुनवाई की तिथि छह मई तय की है। कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। यह निर्देश कोर्ट ने अधिवक्ता द्वारा चिकित्सक की जांच के बाद लिए गए निर्णय पर दिया। अब छात्रा के मामले में सभी मंगलवार को कोर्ट में पेश होंगे। 

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Bihar Teacher Transfer: बिहार में 261 शिक्षकों का ट्रांसफर, 5 से 10 मई के बीच मिलेगी पोस्टिंग

Dainik Jagran - May 2, 2025 - 6:52pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में सरकारी विद्यालयों के 261 और शिक्षकों का अंतरजिला स्थानातंरण किया गया है। यह शिक्षकों का ऐच्छिक तबादला है। इन शिक्षकों के अंतरजिला स्थानातंरण का फैसला शिक्षा विभाग की कमेटी ने अपनी बैठक में लिया।

बैठक के बाद संबंधित शिक्षकों के अंतरजिला स्थानातंरण आदेश प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। साथ ही अंतरजिला स्थानांतरित शिक्षकों की सूची भी जारी कर दी गई है।

कब होगा स्कूलों का आवंटन?

शिक्षा विभाग के मुताबिक अंतरजिला स्थानांतरित संबंधित शिक्षकों का विद्यालय आवंटन पांच मई से 10 मई के बीच होगा। इन शिक्षकों को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दो शपथ पत्र देने होंगे। पहला यह कि उनके द्वारा दी गयी सूचना गलत पाए जाने पर उन पर कार्रवाई की जा सकेगी।

दूसरा यह कि उन्हें आवंटित जिला स्वीकार है तथा प्राथमिकता के अनुरूप रिक्ति उपलब्ध नहीं होने पर निकटतम स्थान या विद्यालय में उन्हें पदस्थापन स्वीकार होगा।

शिक्षकों की वरीयता का निर्धारण उस कोटि के शिक्षकों के संबंध में पूर्व से निर्गत प्रविधानों के अनुरूप नए जिले में योगदान के बाद निर्धारित होगा। भविष्य में छात्र-शिक्षक अनुपात के असंतुलन की स्थिति में स्थानांतरित शिक्षकों को अन्यत्र स्थानांतरित किया जा सकता है।

बता दें कि अब तक 47 नियमित शिक्षक, 260 असाध्य रोगों से पीड़ित शिक्षक, 10225 महिला शिक्षक एवं 2151 पुरुष शिक्षकों का अंतरजिला तबादला हो चुका है।

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Bihar: निजी डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को मिलेगी सैलरी और पेंशन, सरकार को 3 महीने में जारी करनी होगी ग्रांट

Dainik Jagran - May 2, 2025 - 6:17pm

विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बिहार सरकार (Bihar Government) की दो अपीलों को खारिज करते हुए बिहार के निजी मान्यता प्राप्त डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 19 अप्रैल 2007 से पूर्व नियुक्त सभी योग्य शिक्षकों को वेतन, भत्ते एवं सेवानिवृत्ति लाभ (यूजीसी वेतनमान अनुसार) प्रदान किए जाएं।

राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है कि वह तीन माह की अवधि में संबंधित विश्वविद्यालयों को आवश्यक ग्रांट जारी करे। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपीलों को खारिज करते हुए उक्त निर्णय दिया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 57-A में वर्ष 2015 में किए गए संशोधन का लाभ उन सभी शिक्षकों को मिलेगा जो मान्यता प्राप्त निजी डिग्री कॉलेजों में नियुक्त हुए हैं, भले ही उनके कॉलेज ‘डिफिसिट ग्रांट’ के अंतर्गत आते हों या ‘परफॉर्मेंस ग्रांट’ के।

राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि यह संशोधन केवल उन संस्थानों पर लागू होता है जो छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर ग्रांट प्राप्त करते हैं। अदालत ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि ऐसा भेदभावपूर्ण रवैया विभाग की “संकीर्ण सोच” को दर्शाता है, जो शिक्षा नीति के व्यापक उद्देश्य के विरुद्ध है।

उल्लेखनीय है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी द्वारा की गई थी, परंतु बिहार कॉलेज सेवा आयोग की स्वीकृति नहीं ली गई थी। आयोग के विघटन के पश्चात कॉलेज स्तर पर चयन समिति गठित की गई, जिसे नियमित नियुक्तियों के लिए अधिकृत किया गया। इसके बावजूद अनेक शिक्षकों को वेतन व सेवा लाभ नहीं मिल रहे थे।

कोर्ट ने यह भी माना कि निजी संस्थानों की स्थापना राज्य सरकार द्वारा नए कॉलेजों की स्थापना में रुचि न लेने के कारण हुई थी। इन संस्थानों के पास संसाधन व योग्य संकाय सदस्य उपलब्ध हैं, जिन्हें शिक्षा व्यवस्था में सम्मिलित करना आवश्यक है।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि वे शिक्षक जो सेवा से निवृत्त हो चुके हैं, उन्हें भी पेंशन व अन्य लाभ उपलब्ध कराए जाएं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक माह की समय-सीमा अपर्याप्त होगी, अतः सरकार को तीन माह का समय दिया गया है, ताकि वह ग्रांट जारी कर विश्वविद्यालयों के माध्यम से शिक्षकों को भुगतान सुनिश्चित करे।

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