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आधार से बायोमेट्रिक जांच करेगा SSC, अगले महीने से होगा लागू; परीक्षा से पहले जान ले पूरा नियम
पीटीआई, नई दिल्ली। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने अपनी आगामी परीक्षाओं में आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण लागू करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि यह नया उपाय अगले महीने से आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षाओं के लिए लागू होगा।
भर्ती निकाय द्वारा हाल ही में जारी एक पब्लिक नोटिस में कहा गया है, "अभ्यर्थी मई 2025 से ऑनलाइन पंजीकरण के समय, परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र भरते समय और आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बैठने के लिए परीक्षा केंद्र पर उपस्थित होते समय आधार का उपयोग करके खुद को प्रमाणित कर सकेंगे।"
कैसे होगी आधार से पहचान?
एसएससी ने कहा कि इस तरह का आधार प्रमाणीकरण स्वैच्छिक है और इसका उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को और सरल बनाना है। आधार एक 12 अंकों की संख्या है जो भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा सभी पात्र नागरिकों को बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर जारी की जाती है।
अधिकारियों ने कहा कि आधार-आधारित प्रमाणीकरण से यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवार अपनी पहचान को गलत न बताएं या आयोग द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में बैठने के लिए अन्य धोखाधड़ी वाले साधनों का उपयोग न करें।
पिछले साल जारी हुई थी अधिसूचना
पिछले साल 12 सितंबर को जारी एक अधिसूचना में, केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने कहा था कि एसएससी को स्वैच्छिक आधार पर आधार प्रमाणीकरण करने की अनुमति है।
बता दें, कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल 28 अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आधार-आधारित प्रमाणीकरण को मंजूरी देने के लिए एक समान अधिसूचना जारी की थी, जो किसी भी भर्ती एजेंसी के लिए पहली बार थी। एसएससी और यूपीएससी द्वारा देश भर में आयोजित सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं।
UPSC कितनी परीक्षाएं कराता है आयोजित?
यूपीएससी ने पिछले साल भी अपने विभिन्न परीक्षणों में धोखाधड़ी और प्रतिरूपण को रोकने के लिए चेहरे की पहचान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सीसीटीवी निगरानी प्रणाली का उपयोग करने का फैसला किया था।
यूपीएससी सालाना 14 प्रमुख परीक्षाएं आयोजित करता है, जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों का चयन करने के लिए प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा शामिल है। इसके अलावा केंद्र सरकार के ग्रुप 'ए' और ग्रुप 'बी' पदों पर भर्ती के लिए हर साल कई भर्ती परीक्षाएं और साक्षात्कार भी होते हैं।
बेंगलुरु एयरपोर्ट पर खड़े प्लेन से टकराई मिनी बस, हादसे से स्टाफ में मची खलबली; तस्वीरें आई सामने
बेंगलुरु, पीटीआई। बेंगलुरु एयरपोर्ट एक प्लेन और मिनी बस की टक्कर हो गई है। यह प्लेन इंडिगो एयरलाइंस का था, जो रनवे पर खड़ा था। तभी एक मिनी बस ने प्लेन को टक्कर मार दी और बस का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह से डैमेज हो गया। इस हादसे में किसी के घायल होने की खबर नहीं है।
टल गया बड़ा हादसा
यह हादसा बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का है। रविवार की सुबह मिनी बस इंडिगो के विमान में जाकर भिड़ गई। बस ने विमान के अगले हिस्से को टक्कर मारी। हालांकि विमान ऑपरेशनल नहीं था, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। इस हादसे में किसी को चोट नहीं आई है और न ही किसी के घायल होने की खबर है।
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कैसे हुआ हादसा?
आज यानी 18 अप्रैल 2025 की दोपहर तकरीबन 12:15 बजे का है। रिपोर्ट्स के अनुसार मिनी बस किसी थर्ड पार्टी एजेंसी की थी। इंडिगो का एयरक्राफ्ट पार्किंग में खड़ा था और मिनी बस वहीं से गुजर रही थी। अचानक मिनी का संतुलन बिगड़ा और बस ने प्लेन के अंडरकैरेज (निचले हिस्से) को टक्कर मार दी।
Bengaluru, Karnataka | On April 18, 2025, at approximately 12:15 PM, a vehicle operated by a third-party ground handling agency made contact with the undercarriage of a non-operational Aircraft on-ground at Kempegowda International Airport, Bengaluru. There were no injuries… https://t.co/m2U3hfHjT4
— ANI (@ANI) April 20, 2025एयरपोर्ट प्रशासन ने क्या कहा?
बेंगलुरु एयरपोर्ट प्रशासन का कहना है कि हादसे की जानकारी मिलते ही सभी अलर्ट हो गए। सभी जरूरी प्रोटोकॉल फॉलो किए जा रहे हैं। यात्रियों, एयरलाइंस स्टाफ और कर्मचारियों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।
इंडिगो एयरलाइंस ने तोड़ी चुप्पी
इंडिगो एयरलाइंस ने हादसे पर बात करते हुए कहा कि हमने इस पर नजर बना रखी है। बेंगलुरु एयरपोर्ट की पार्किंग में खड़े इंडिगो एयरक्राफ्ट को एक थर्ड पार्टी वाहन ने टक्कर मार दी। मामले की जांच की जा रही है। इस पर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
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मणिपुर में पुलिस ने 9 लोगों को किया गिरफ्तार, प्रतिबंधित संगठनों से ताल्लुक; 48 घंटे में कसा शिकंजा
इंफाल, पीटीआई। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी हालात पूरी तरह से सामान्य नहीं हुए हैं। बीते 48 घंटे में इंफाल घाटी से 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी लोग प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य हैं, जिनकी गिरफ्तारी मणिपुर के अलग-अलग जिलों से हुई है।
शनिवार को इंफाल पूर्व जिले के नोंगडम गांव से यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF-पंबेई) के 2 सदस्यों को हिरासत में लिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार यह दोनों आरोपी जबरन वसूली में शामिल थे।
शुक्रवार से शुरू हुई गिरफ्तारी
इससे पहले शुक्रवार को पुलिस ने विष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग वार्ड नंबर 13 से भी एक शख्स को गिरफ्तार किया था। इसका संबंध कांगलीपक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी-तैबंगानबा)से बताया जा रहा है।
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इंफाल घाटी में पकड़े गए आरोपी
इसके बाद शुक्रवार को ही इंफाल पश्चिम जिले के सलाम ममंग लाइकाई इलाके से भी केसीपी (एमएफएल) के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। यह दोनों आरोपी भी जबरन वसूली के मामले में शामिल थे। वहीं, इंफाल पूर्व के क्याम्गेई से प्रोपक (पीआरओ) संगठन का एक सदस्य भी गिरफ्तार किया गया है।
सक्रिय सदस्य गिरफ्तार
रिपोर्ट्स के अनुसार इंफाल पूर्व जिले से केवाईकेएल संगठन औक यूपीकके संगठन के एक-एक सदस्यों को भी पकड़ा गया है। वहीं, संजेनबम शांगशाबी गांव से प्रोपक संगठन का एक और सक्रिय सदस्य गिरफ्तार हुआ है।
फरवरी में लगा था राष्ट्रपति शासन
बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी। मैतई और कूकी समुदाय के बीच चल रही हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। मणिपुर में बिगड़ते हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
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'ममता से नहीं संभल रहा बंगाल...', मिथुन के बाद दिलीप घोष ने उठाई राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
कोलकाता, आईएएनएस। पश्चिम बंगाल में हिंसा के बाद से ममता सरकार लगातार सवालों के कठघरे में है। बीजेपी नेता दिलीप घोष ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल के इतिहास में ममता बनर्जी सबसे खराब सीएम हैं। ममता के नेतृत्व में राज्य को कई मुसीबतें उठानी पड़ी हैं। साथ ही उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के बयान का भी समर्थन किया है।
दिलीप घोष का कहना है कि वो पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने वाली मिथुन चक्रवर्ती की बात से पूरी तरह सहमत हैं। राज्य में कानून व्यवस्था बदतर हो चुकी है। ऐसे में जनता की सुरक्षा के लिए सेना तैनात करने की सख्त जरूरत है।
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ममता पर बोला हमला
सामाचर एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान दिलीप घोष ने कहा कि "अगर पश्चिम बंगाल में ऐसे ही हिंसा होती रही तो वो दिन दूर नहीं जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा। वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए कई लोग यह महसूस कर रहे हैं कि ममता बंगाल को संभालने में विफल हो गई हैं।"
राष्ट्रपति शासन पर तोड़ी चुप्पी
दिलीप घोष के अनुसार "राष्ट्रपति शासन के बिना न सिर्फ लोगों की जमीन खतरे में है बल्कि उनकी जान का संकट भी बढ़ता जा रहा है। ममता के राज में बंगाल में कुछ नहीं बदलेगा। ममता बनर्जी अपने गुंडों और हथियारों के दम पर चुनाव जीतना चाहती हैं। उनका यह रवैया भविष्य में बेहद खतरनाक साबित होगा।"
Kharagpur, West Bengal: On West Bengal CM Mamata Banerjee, BJP leader Dilip Ghosh said, "She does no work, cannot handle anything, and blames others when things go wrong. Now people have realized that she lacks the ability to speak the truth. The most incompetent Chief Minister,… pic.twitter.com/trod2LPfsi
— IANS (@ians_india) April 20, 2025ममता पर साधा निशाना
दिलीप घोष ने कहा कि "ममता बनर्जी किसी भी घटना की जिम्मेदारी नहीं लेती हैं बल्कि इनके लिए दूसरों को दोषी ठहरा देती हैं। उन्होंने कहा कि वो कोई काम नहीं करती हैं। उनसे कुछ संभलता नहीं है। जब परिस्थितियां बिगड़ने लगती हैं तो वो दूसरों को दोष देना शुरू कर देती हैं। वो अब तक की सबसे अयोग्य मुख्यमंत्री हैं। उनके कार्यकाल में राज्य ने काफी कुछ झेला है।"
बंगाल सरकार पर उठाए सवाल
दिलीप घोष का कहना है कि आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर लोगों की मदद कर रहे हैं। बेघर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने कुछ नहीं किया। प्रभावित क्षेत्रों में मीडिया को जाने की अनुमति नहीं है। आखिर क्यों? पुलिस दोषियों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? जहां भी हिंसा होती है, पुलिस वहां क्यों नजर नहीं आती है? पुलिस राज्य सरकार के अंतर्गत काम कर रही है।
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Karnataka: जनेऊ नहीं हटाने पर छात्र को परीक्षा देने से रोका, अब साईं कॉलेज के प्रिंसिपल और स्टाफ पर गिरी गाज
एएनआई। कर्नाटक में एक छात्र को परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से पहले उसे जनेऊ (पवित्र धागा) उतारने के लिए कहा गया था। छात्र सुचिव्रत कुलकर्णी ने आरोप लगाया था कि वह बीदर के साईं स्फूर्ति पीयू कॉलेज में 17 अप्रैल को कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) की परीक्षा देने गया था, तभी उससे जनाऊ हटाने की मांग की गई थी।
हुई बड़ी कार्रवाई
छात्र ने बताया कि, परीक्षा केंद्र में मौजूद स्टाफ ने कहा कि अगर वो जनेऊ नहीं हटाता है, तो उसे परीक्षा देने नहीं दिया जाएगा। छात्र ने धार्मिक प्रतीक बताते हुए जनेऊ हटाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया था। इस इस मामले पर बड़ी कार्रवाई हुई है।
Bidar, Karnataka | Principal of Sai Spoorti PU College, Dr Chandra Shekar Biradar, and staff, Satish Pawar have now been suspended with immediate effect.
A student, Suchivrat Kulkarni, claims he was made to remove the sacred thread (Janeu) at the Karnataka CET exam centre on… pic.twitter.com/J5VRmtjg9a
छात्रा को परीक्षा देने से रोकने के मामले में साईं स्फूर्ति पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. चंद्र शेखर बिरादर और स्टाफ सतीश पवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
छात्र की मां ने भी जताई थी नाराजगी
बता दें, छात्र सुचिव्रत कुलकर्णी की मां नीता कुलकर्णी ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई थी और उन्होंने कहा था कि मेरे बेटे ने कहा था कि वह जनाऊ नहीं हटा सकता है क्योंकि यह धार्मिक मान्यता से जुड़ा हुआ है। फिर भी उसे परीक्षा से बाहर कर दिया गया था। ये बहुत गलत था।
छात्र की मां ने सरकार से मांग की थी कि या तो उनके बेटे के लिए दोबारा परीक्षा कराई जाए या फिर उसे किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलाया जाए और उसकी फीस सरकार या संबंधित कॉलेज द्वारा दी जाए।
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मतदाता सूची में अब नहीं होगी गड़बड़ी! चुनाव आयोग ने शुरू की नई पहल, सुधार के लिए बनाया ये प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव से जुड़ी छोटी- छोटी त्रुटियों को लेकर चुनाव आयोग अक्सर राजनीतिक दलों के निशाने पर रहता है। हालांकि अब चुनाव आयोग ने इन कमियों को खत्म करने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है।
क्या हैं समस्याएं?चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान अक्सर होने वाली इन त्रुटियों का पहचान की, जिसमें अधिकांश बूथ लेवल पर गठित होने वाली हैं। यह चाहे मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया हो या फिर मतदान के दौरान ईवीएम के रखरखाव, उनके लाने -ले जाने या फिर मॉक पोल, मतदान प्रतिशत आदि से जुड़ी हुई समस्याएं हो सकती हैं। यही वजह है कि आयोग ने इस अभियान की शुरूआत भी बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) के प्रशिक्षण से शुरू की है।
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चुनाव आयोग ने क्या कहा?चुनाव आयोग की मानें तो चुनाव से जुड़ी प्रत्येक प्रक्रियाओं को लेकर एक तय नियम हैं। चुनाव में दौरान इनमें तभी कोई गड़बड़ी होती है जब इनमें से किसी स्टेप का ठीक तरीके से पालन नहीं किया जाता है। आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चुनाव के दौरान होने वाले अधिकांश ऐसी छोटी-छोटी त्रुटियां हैं, जिन्हें कोई भी जानबूझ कर नहीं करता था बल्कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
50 हजार से अधिक लोगों को मिलेगा प्रशिक्षणहाल ही में बीएलओ व बीएलए के शुरु हुए प्रशिक्षण में इन कमजोरियों को नजदीक से देखा भी गया। आयोग के मुताबिक बूथ लेवल पर काम करने वाले अमले और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को चुनावी नियम-प्रक्रियाओं को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस साल के अंत तक बूथ लेवल पर काम करने लाले 50 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।
मतदाता सूची पर होगा फोकसचुनाव आयोग का इस दौरान सबसे ज्यादा फोकस मतदाता सूची से जुड़ी त्रुटियों को खत्म करने पर है। यही वजह है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान प्रत्येक बूथ पर राजनीतिक दलों से जुड़े प्रतिनिधियों की उपस्थिति को आयोग सुनिश्चित करने में जुटा है। इसके साथ ही मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से पहले उस पर राजनीतिक दलों की आपत्तियों को आमंत्रित करने की पहल की है। यह पहल बूथ, जिला, राज्य व केंद्र स्तर पर होगी। इसके बाद ही उनकी सभी आपत्तियों के निराकरण के बाद ही उसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
89 शिकायतें मिलीगौरतलब है कि हाल ही में मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा काफी गरमाया हुआ था, लेकिन मतदाता सूची तैयार करने के दौरान देश भर से सिर्फ 89 शिकायतें ही मिली थी। वे सभी महाराष्ट्र से थी। चुनाव आयोग ने अब इन शिकायतों पर काम करने का फैसला किया है।
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Weather: यूपी में आंधी-तूफान का अलर्ट, राजस्थान में झुलसाएगी गर्म हवा; पढ़िए दिल्ली-एनसीआर का हाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूपी के मौसम में बदलाव हुआ है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आंधी के साथ हल्की बारिश हुई है जिसके कारण गर्मी से राहत मिली है। वहीं, मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली में अभी छह दिनों तक लू से राहत रहने की संभावना है। वहीं, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब सहित कई राज्यों में लू चल रही है जो लगातार जारी रहेगी।
यूपी में आज आंधी-तूफान का अलर्ट जारीमौसम विभाग ने यूपी में आज आंधी-तूफान का अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने 20 अप्रैल तक ऐसे ही हालात बने रहने की संभावना है। इस दौरान 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
इन जिलों के लिए ऑरेंज अलर्टमौसम विभाग के मुताबिक 20 अप्रैल को बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, सोनभद्र, मिर्ज़ापुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, आज़मगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, इटावा, औरैया, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, जालौन, जालौन समेत पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आंधी और हल्की बारिश की संभावना है। हमीरपुर, महोबा, झांसी और ललितपुर।
दिल्ली में अभी छह दिनों तक लू से राहत रहने की संभावनावहीं, दिल्ली में आज पूरे दिन बादल छाए रहेंगे, जिस वजह से गर्मी से थोड़ी राहत मिलेगी। शनिवार सुबह दिल्ली के कुछ इलाकों में हल्की वर्षा हुई और पूरे दिन आकाश में आंशिक बादल छाए रहे। इसके अलावा मध्यम गति से हवा भी चली। इससे पिछले दिन के मुकाबले गर्मी से थोड़ी राहत थोड़ी राहत रही। फिर भी अधिकतम तापमान सामान्य से 2.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मौसम विभाग के अनुसार अभी छह दिनों तक लू से राहत रहने की संभावना है।
अभी और तमतमाएगा सूरजअप्रैल माह में गर्मी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। सूरज के तेवर तल्ख है। धूप जहां तपाने आमादा है वहीं गर्म हवा भी झुलसाने लगी है। मध्य प्रदेश में आगामी दिनों में और भी गर्मी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इस सप्ताह दिन का अधिकतम तापमान 43 डिग्री तक पहुंच सकता है। मौसम विभाग के अनुसार इस सप्ताह गर्मी लोगों को पस्त करेगी।
राजस्थान से आ रही गर्म हवा करेंगी परेशानमौसम विभाग के राजस्थान की तरफ से आ रही गर्म हवा से वातावरण में गर्माहट बढ़ रही है। आने वाले दिनों में तापमान एक से दो डिग्री तक बढ़ सकता है। इस दौरान तेज धूप और गर्म हवा से बचने की एडवायजरी भी जारी की गई है।
बेहतर यही होगा कि दोपहर में तेज धूप में निकलने से बचे और ज्यादा से ज्यादा शीतल पेय पदार्थों का सेवन करें। सिर व चेहरे को ढंककर निकले। मौसम विभाग के अनुसार अप्रैल और मई के महीने में तेज गर्मी पड़ती है। फिलहाल शादियों का सीजन और गर्मी भी तेज हो गई है ऐसे में गर्मी से बचाव के उपाय जरूरी है।
खरगे का आरोप- केंद्र ने जानबूझकर उठाया 'वक्फ बाय यूजर' का मुद्दा, बोले- लोगों को गुमराह कर रही भाजपा
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए बिंदुओं को महत्व दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ऐसी संपत्तियों पर विवाद पैदा करने के लिए जानबूझकर 'वक्फ बाय यूजर' का मुद्दा उठाया है।
हमारी लड़ाई कमजोर नहीं हुई खरगेउन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अपने नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से नहीं घबराएगी और वह इस अधिनियम पर भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई जीतेगी। लोकसभा चुनाव से पहले हमारे खाते बंद कर दिए गए थे, फिर भी जनता ने संसद में हमारी ताकत दोगुनी कर दी। हमारी लड़ाई कमजोर नहीं हुई और अभी खत्म भी नहीं हुई है।
बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी ''संविधान बचाओ'' अभियान शुरू करने की घोषणाकांग्रेस ने शनिवार को ''संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने'' के लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी ''संविधान बचाओ'' अभियान शुरू करने की घोषणा की। यह अभियान चार चरणों में चलाया जाएगा - 25 से 30 अप्रैल तक राज्य स्तरीय रैलियां, तीन से 10 मई तक जिला स्तरीय लामबंदी, 11 से 17 मई तक विधानसभा क्षेत्र स्तर पर अभियान, तथा 20 से 30 मई तक घर-घर जाकर जागरूकता अभियान, ताकि संवैधानिक मुद्दों पर नागरिकों से सीधे संपर्क किया जा सके।
बहरहाल, यहां महासचिव और प्रभारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि पार्टी के पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम ईडी के आरोपपत्र में है और दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को ''प्रतिशोध की भावना'' से जब्त किया गया है।
खरगे ने वक्फ के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगायावक्फ (संशोधन) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ''इस समय सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि हम यह लड़ाई भी जीतेंगे। मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए ¨बदुओं को महत्व दिया है।'' उन्होंने भाजपा और केंद्र सरकार पर वक्फ के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
ईडी की कार्रवाई से कांग्रेस नहीं डरेगी कांग्रेसखरगे ने आरोप लगाया, ''खासकर 'वक्फ बाय यूजर' का मुद्दा सरकार ने जानबूझकर उठाया है, ताकि वक्फ संपत्तियों को विवाद में डाला जा सके।'' उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की कार्रवाई से कांग्रेस नहीं डरेगी।
एक बड़ी साजिश रचीउन्होंने कहा, ''आपने देखा होगा कि कैसे एक बड़ी साजिश के तहत कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का नाम नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपपत्र में डाला गया है। वे चाहे जिसका भी नाम डालें, हम डरने वाले नहीं हैं। अभी दो या तीन दिन पहले ही दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में नेशनल हेराल्ड की संपत्तियां जब्त की गई थीं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह सब बदले की भावना से किया जा रहा है।''
खरगे ने 'यंग इंडियन' को 'नाट फार प्रोफिट' कंपनी बताते हुए कहा कि इसका मतलब यह है कि कोई भी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के शेयर, संपत्ति या लाभ को न तो ले सकता है और न ही हस्तांतरित कर सकता है।
भाजपा के लोग झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं- खरगेउन्होंने कहा, 'भाजपा के लोग झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। हमें जनता को सच बताना होगा।' ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें उन पर 988 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया गया है।
सोनिया और राहुल गांधी पर लगे आरोपआरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने अपनी सार्वजनिक कंपनी एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति 'हड़पने' के लिए 'आपराधिक साजिश' की। इसमें 99 प्रतिशत शेयर महज 50 लाख रुपये में अपनी निजी कंपनी यंग इंडियन को हस्तांतरित कर दिए गए जिसमें सोनिया और राहुल गांधी सर्वाधिक शेयरधारक हैं।
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बस चार चीजों को फॉलो कर अमित शाह ने दवाओं से पाई मुक्ति, वेट लॉस की जर्नी भी शेयर की
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिवर को शरीर को स्वस्थ रखने का गेटवे बताते हुए खान-पान पर विशेष ध्यान रखने पर जोर दिया। युवाओं से अपील की कि शरीर को फिट रखने के लिए दो घंटा व्यायाम करें। छह घंटे की भरपूर नींद लें।
उन्होंने डायबिटीज की बीमारी नियंत्रित होने का अपना उदाहरण दिया। बताया कि मई 2020 से दिनचर्या और खानपान का ध्यान रख रहे हैं। साफ पानी, संतुलित आहार, छह घंटे की नींद लेते हैं। रोजाना दो घंटे व्यायाम करना नहीं भूलते। इसका परिणाम रहा कि साढ़े चार साल में एलोपैथ की सभी दवाएं और इंसुलिन अब बंद हो चुकी हैं। इससे न केवल काम करने बल्कि सोचने, निर्णय लेने और समाज में योगदान की क्षमता भी बढ़ी है।
'देश के नागरिकों का स्वस्थ रहना काफी जरूरी'गृह मंत्री शाह शनिवार को विश्व लिवर दिवस पर आईएलबीएस में आयोजित 'स्वस्थ लिवर-स्वस्थ भारत' कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखा है, जो हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो और हर क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करता हो। मगर विकसित भारत की संकल्पना बीमारों की फौज के साथ नहीं की जा सकती। इसके लिए बहुत जरूरी है हर नागरिक का स्वस्थ रहना। वेदों में कहा गया है कि आहार ही औषधि है। आज इस थीम को स्वीकार कर पूरा विश्व आगे बढ़ रहा है।
युवाओं के शरीर के साथ लिवर का रखना होगा ध्यान: शाहउन्होंने कहा कि कहा कि युवा राष्ट्र निर्माण में बेहतर योगदान दे सकें, इसके लिए उन्हें शरीर के साथ ही लिवर के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। अपने शरीर के लिए छह घंटे की नींद और दो घंटे के व्यायाम का समय रिजर्व कर लें। गृह मंत्री ने कहा कि हर नागरिक स्वस्थ रहे, इसके लिए पूरी समग्रता के साथ काम करने की जरूरत थी। इस पर पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी गंभीरता के साथ काम किया।
उन्होंने कहा कि गांवों की रसोई तक गैस सिलिंडर पहुंचाए तो इसके पीछे महिलाओं के फेफड़े और आंखों को स्वस्थ रखने की मंशा थी। घर-घर शौचालय बनवाए, ताकि लोग बीमार कम पड़ें। मिशन इंद्रधनुश के तहत जन्म से 13 वर्ष तक टीकाकरण की व्यवस्था दी। वहीं, 1.32 करोड़ महिलाओं को टीके लगवाए, ताकि ये स्वस्थ रहें। घरों तक नल से फ्लोराइड विहीन साफ पानी पहुंचाया। खेलो इंडिया और फिट इंडिया मुहिम शुरू की। विश्व योग दिवस लेकर आए, जिसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से सीधा संबंध है।
बीमारी गरीब के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं: शाहउन्होंने कहा कि लोग बीमार ही न हों, ऐसी जीवन पद्धति आज आयुष दे रहा है। बड़े-बड़े एलोपैथिक अस्पताल भी अपने यहां आयुष का विंग खोलकर इसे मान्यता दे रहे हैं। इन सब के बाद भी यदि कोई बीमार पड़ जाए तो अमीर व्यक्ति तो रास्ता खोज लेता है। पर 70 करोड़ गरीबों के लिए बीमारी केवल शरीर के लिए नहीं, उनके बच्चों के भविष्य के लिए भी अभिशाप होता है। वो ये खर्चा कर ही नहीं पाते। आज देश के 70 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये तक के इलाज में 'कानी पाई' भी खर्च करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने देश के कॉरपोरेट जगत से अपने सीएसआर पहल में स्वस्थ लिवर के प्रचार को महत्व देने व इस दिशा में काम करने वाली संस्थाओं को सहायता देने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में गृह मंत्री ने आइएलबीएस में इंटीग्रेटेड लिवर रिहैबलिटेशन सेंटर का उद्घाटन किया। साथ ही 'हील्ड' योजना का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य 'लिवर' को स्वस्थ रखने के प्रति देशभर में जागरूकता फैलाना है। इस दौरान लिवर जागरूकता पर कार्टून पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। लिवर स्वास्थ्य के क्षेत्र जागरूकता के लिए सुजीत कुमार, डॉ. अशोक चौहान व केएल जैन को 'लिवर चैंपियन' पुरस्कार से सम्मानित किया।
मुस्लिम युवक के उत्पीड़न से त्रस्त छात्रा ने दी जान, कर्नाटक के हावेरी में सनसनीखेज घटना
आईएएनएस, हावेरी। कर्नाटक के हावेरी जिले में एक मुस्लिम युवक के उत्पीड़न से त्रस्त होकर दलित छात्रा ने शनिवार को आत्महत्या कर ली। पीड़िता की पहचान चिक्कमल्लूर निवासी शिल्पा के रूप में हुई है, जबकि आरोपित की पहचान रमजान नदाफ के रूप में हुई है।
एक अधिकारी ने बताया कि बेलगावी में बीसीए की पढ़ाई करने वाली शिल्पा का नवीन नाम के व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध था, जो आरोपित रमजान की फर्नीचर की दुकान पर काम करता था। रमजान ने नवीन के मोबाइल से शिल्पा का फोन नंबर हासिल कर पीड़िता को लगातार फोन कर ब्लैकमेल करने लगा। इससे परेशान होकर शिल्पा ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तारपुलिस ने बताया कि हाल ही में रमजान ने नवीन पर दुकान में चोरी का आरोप लगाकर उसका मोबाइल फोन जब्त कर लिया। इस मोबाइल में उसने शिल्पा के साथ उसके मैसेजों को देखा और उसका नंबर हासिल कर लिया। नवीन के बयान के अनुसार रमजान ने शिल्पा को बार-बार फोन किया और दावा किया कि नवीन ने दुकान से पैसे चुराकर उसके अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए हैं। रमजान ने उसे ब्लैकमेल किया, उनके रिश्ते को उजागर करने और दूसरों को पैसे के बारे में बताने की धमकी दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया गया है।
मामले को दबा सकती है पुलिसकर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक्स पर पोस्ट किया, यह अत्यंत दुखद है कि छात्रा को दूसरे समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा उत्पीड़न के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। शिल्पा की आत्महत्या के पीछे का सच देर से सामने आया है। बोम्मई ने आशंका जताई कि पुलिस इस मामले को दबा सकती है। उन्होंने आरोपित की तुरंत गिरफ्तार कर उसे कड़ी सजा देने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि राज्य सरकार उस छात्रा के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे।
आरोपित को तुरंत गिरफ्तार किया जाए: प्रमोद मुतालिकश्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने आरोपित की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। मुतालिक ने कहा कि नवीन गरीब परिवार से है। उसे अपनी बीमार मां के लिए दवा खरीदनी थी। आरोपित ने नवीन को उसका वेतन नहीं दिया था, जिसके कारण नवीन ने दवा खरीदने के लिए दुकान से कुछ सामान लिया था। रमजान ने कथित तौर पर नवीन पर हमला किया और उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई।
रमजान ने नवीन का मोबाइल फोन जब्त कर लिया और उससे शिल्पा का संपर्क नंबर हासिल करने के बाद उसे परेशान करना शुरू कर दिया। शिल्पा यातनाएं सहन नहीं कर सकी और आत्महत्या कर ली। रमजान को तुरंत गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाला जाना चाहिए।
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Rafale Deal: कांपेगा दुश्मन, भारत-फ्रांस 28 अप्रैल को साइन करेंगे 26 राफेल-मरीन जेट डील
एएनआई, नई दिल्ली। भारत और फ्रांस 28 अप्रैल को भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सबसे बड़े रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। इस मौके पर फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू भी मौजूद रहेंगे।
राफेल-मरीन सौदा 64 हजार करोड़ में फाइनलरक्षा सूत्रों ने एएनआइ को बताया कि इस 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर के लिए दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम दक्षिण ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय के बाहर आयोजित किया जाएगा।
फ्रांसीसी मंत्री आएंगे भारतफ्रांसीसी मंत्री के रविवार शाम भारत पहुंचने की उम्मीद है और सोमवार देर शाम वह वापस वतन लौटेंगे। भारत ने इसी महीने नौ तारीख को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में फ्रांस के साथ 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों के लिए अपने सबसे बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दी थी।
भारत के पास पहले से ही 36 राफेल विमानों का बेड़ाभारतीय वायु सेना के पास पहले से ही एक अलग सौदे के तहत 36 राफेल विमानों का बेड़ा है। भारतीय वायु सेना के राफेल विमान अपने दो ठिकानों अंबाला और हाशिनारा से उड़ान भरते हैं। 26 राफेल-मैरीन विमानों के सौदे से राफेल विमानों की संख्या 62 हो जाएगी।
'सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश', निशिकांत दुबे के बयान को लेकर BJP पर भड़का विपक्ष
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की चल रही समीक्षा के बीच शनिवार को न्यायपालिका पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी से एक नया विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भाजपा पर जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाने और कमजोर करने का आरोप लगाया है।
केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने दावा किया कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग, मंत्री और भाजपा सांसद संस्था को कमजोर करने के प्रयास में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं। कांग्रेस केवल यही चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट स्वतंत्र और तटस्थ तरीके से काम करे।
कोर्ट को निशाना बनाने का आरोपरमेश ने कहा, 'संविधान द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दी गई शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट सिर्फ इतना कह रहा है कि कानून बनाते समय संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ मत जाओ। इसको निशाना बनाने के लिए जानबूझकर अलग-अलग आवाजें उठ रही हैं।'
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड, वक्फ कानून के बारे में बात की है और चुनाव आयोग का मुद्दा उसके समक्ष लंबित है।' अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए भाजपा नेता निशिकांत दुबे के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का होता है।
द्रमुख ने भी की आलोचना- खुर्शीद ने कहा, 'यह बहुत दुख की बात है कि अगर कोई सांसद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत पर सवाल उठाता है। हमारी न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का होता है। अगर कोई इसे नहीं समझता है, तो यह बहुत दुख की बात है।'
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) नेता टीकेएस एलंगोवन ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी सभी कानूनों के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट देश के कानूनों की रक्षा के लिए है। सरकार बर्बर है क्योंकि वे किसी भी कानून का सम्मान नहीं करते हैं। वे जो चाहे करते हैं और संविधान के प्रविधानों को बदलने की कोशिश करते हैं।'
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'OIC के मंच का दुरुपयोग करना पाक की पुरानी आदत', PM मोदी के सऊदी दौरे से पहले भारत की खरी-खरी
एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के मंच का दुरुपयोग करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा-जहां तक पाकिस्तान द्वारा ओआईसी के दुरुपयोग की बात है, तो यह उसकी पुरानी आदत है।
उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हम नियमित रूप से बोलते रहे हैं और ओआईसी में अपने दोस्तों तथा भागीदारों के साथ भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पाकिस्तान की गतिविधियों को धोखाधड़ी बताते हुए मिसरी ने कहा कि ओआईसी के अन्य सदस्यों के बीच इस्लामाबाद की इन हरकतों के बारे में एक निश्चित दृष्टिकोण है। लेकिन, हम अपने विचार साझा करना जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि हम उनके ध्यान में लाएंगे कि पाकिस्तान द्वारा आदतन किए जाने वाले इन प्रयासों के बारे में वास्तव में क्या सोचते हैं। उल्लेखनीय है कि 57 देशों की सदस्यता वाला संगठन ओआईसी स्वयं को मुस्लिम जगत की सामूहिक आवाज कहता है।
पीएम मोदी करेंगे सउदी अरब की यात्राभारत और सउदी अरब के बीच रक्षा, कारोबार, ऊर्जा व सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक अगले हफ्ते होगी। बैठक की सह-अध्यक्षता पीएम नरेन्द्र मोदी और सउदी अरब के क्राउन प्रिंस व प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान करेंगे।
पीएम मोदी 22-23 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। पीएम मोदी की तरफ से सउदी अरब के क्राउन प्रिंस के समक्ष भारत से जाने वाले हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। पीएम मोदी की यह तीसरी सउदी यात्रा होगी। इस बार की यात्रा में रक्षा और कारोबारी सहयोग दो प्रमुख एजेंडा होगा।
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अब और टैरिफ नहीं सहेगा भारत! अमेरिकी उपराष्ट्रपति के सामने पीएम मोदी उठाएंगे मु्द्दा; जानिए क्यों अहम है ये बैठक
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा शुल्क विवाद को लेकर अगले हफ्ते तीन स्तरों पर बातचीत होने जा रही है। सबसे पहले सोमवार को पीएम नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक में यह मुद्दा उठेगा।
उसके बाद वाशिंगटन में दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालयों के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते (बीटीए) पर बात होगी। जबकि अगले साप्ताहांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका की ट्रेजरी सेक्रटरी (वित्त मंत्री के समकक्ष) स्काट बेसेंट के बीच होने वाली बैठक में भी भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी संबंधों पर विमर्श होगा।
पीएम मोदी से साथ होगी वार्तामाना जा रहा है कि इन तीनों बैठकों से दोनों देशों के बीच कारोबार व निवेश से जुड़े संबंधों को लेकर जो अनिश्चितता बनी है, उसे दूर करने में मदद मिलेगी। अमेरिकी उपराष्ट्रपति वांस सोमवार (21 अप्रैल) को नई दिल्ली पहुंचेंगे और उसी दिन शाम को उनकी पीएम मोदी के साथ आधिकारिक वार्ता होगी।
फरवरी, 2025 में जब पीएम मोदी ने वाशिंगटन दौरे में उनसे मुलाकात की थी तब जेडी वांस ने ही भारत-अमेरिका के आर्थिक संबंधों को पूरा सहयोग देने की बात कही थी।
विश्व बैंक की बैठकों में हिस्सा लेगी वित्त मंत्री- वित्त मंत्री सीतारमण 20 अप्रैल को अमेरिका और पेरू की यात्रा पर जा रही हैं। अमेरिका में वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेंगी। इसके बाद वह जी-20 के तहत वित्त मंत्रियों की एक अलग बैठक में भी हिस्सा लेंगी। इस दौरान उनकी अमेरिका के वित्त सचिव बेसेंट से द्विपक्षीय बैठक होगी। अमेरिका के बाद वह पेरू जाएंगी, जहां भारत-पेरू बिजनेस फोरम की बैठक की अध्यक्षता करेंगी।
- अमेरिका के वित्त सचिव से उनकी होने वाली वार्ता में टैरिफ से जुड़े मुद्दों के अलावा द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाकर 500 अरब डालर करने के एजेंडे पर भी बात होगी। वित्त मंत्री ने वर्ष 2025-26 के बजट में कई अमेरिकी उत्पादों पर शुल्कों में कटौती की थी। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 27 फीसद का आयात शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया था। अभी इस पर 90 दिनों की रोक लगाई हुई है।
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Bluesmart Fraud: करोड़ों डॉलर की कंपनी, लेकिन अय्याशी ले डूबी... ब्लूस्मार्ट के मालिकों ने ऐसी क्या गलती कर दी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्कूलों में एक कहावत पढ़ाई जाती है- अर्श से फर्श पर आना। अगर इस कहावत की तुलना इलेक्ट्रिक कैब सर्विस ब्लूस्मार्ट से करें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सेबी के नोटिस के बाद गुरुवार को कंपनी ने अचानक से अपनी सर्विस बंद कर दी।
आरोप है कि प्रमोटर्स ने कंपनी के पैसों का इस्तेमाल अपनी अय्याशी और ऐशो आराम के लिए किया। कंपनी के फंड में से करीब 262 करोड़ रुपये कहां गायब हो गए, इसका कोई हिसाब नहीं है। खर्च दिखाया कुछ और, लेकिन किया कुछ और।
आज के एक्सप्लेनर में बात करेंगे ब्लूस्मार्ट कंपनी और इसे लेकर शुरू हुए विवाद की...
कैसे शुरू हुई ब्लूस्मार्ट?ब्लूस्मार्ट की पैरेंट कंपनी जेनसोल है। इसके मालिक अनमोल सिंह जग्गी ने देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज से एप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी। जग्गी ने पहले कुछ समय तक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की, लेकिन फिर स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल आया।
नौकरी छोड़ी और भाई पुनीत सिंह जग्गी के साथ जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड की नींव रख दी। कंपनी का फोकस सोलर प्रोजेक्ट्स और व्हीकल लीजिंग पर था। इसके बाद 2019 में दोनों भाइयों ने मिलकर जेनसोल के बैनर तले ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी की शुरुआत की।
क्या काम करती थी ब्लूस्मार्ट?जिस समय भारत में उबर और ओला का क्रेज था, उस वक्त ब्लूस्मार्ट जैसी कंपनी की शुरुआत करना वाकई एक चुनौती भरा फैसला था। ब्लूस्मार्ट की थीम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की थी। साफ तौर पर कहें, तो कंपनी के बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही थीं।
इस कंपनी को गुरुग्राम में महज 70 कारों के साथ शुरू किया गया था। लेकिन बाद में इसकी संख्या कई गुना बढ़ गई। 2023 में कंपनी ने पुणे में इलेक्ट्रिक व्हीकल की फैक्ट्री लगाई थी। फरवरी 2025 तक ब्लूस्मार्ट की वैल्यूएशन करीब ₹3,000 करोड़ हो गई थी।
फंड की नहीं हुई कभी कमीब्लूस्मार्ट को शुरुआत में ही एंजेल फंडिंग से 3 मिलियन डॉलर का बूस्ट मिला। हीरो मोटोकॉर्प, जीटो एंजेल नेटवर्क, माइक्रोमैक्स और दीपिका पादुकोण ने भी कंपनी में निवेश किया। कुछ समय बाद कंपनी ने टाटा मोटर्स और जियो-बीपी से टाइअप कर लिया, जिससे फ्लीट और चार्जिंग स्टेशन की संख्या में इजाफा हो गया।
ब्लूस्मार्ट को झोलाभर के फंड मिल रहे थे। मई 2022 में कंपनी ने 25 मिलियन डॉलर, मई 2023 में 42 मिलियन डॉलर उठाए। ब्लूस्मार्ट ने कई शहरों में विस्तार किया। जनवरी 2024 में कंपनी ने स्विस फर्म से 25 मिलियन और जुटाए। जुलाई में फिर से 200 करोड़ का फंड मिला। रिपोर्ट्स कहती हैं कि उबर ने ब्लूस्मार्ट को अक्वायर करने की भी पेशकश की थी।
कंपनी पर क्या लगे आरोप?- सेबी ने अंतरिम आदेश में कहा कि नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में आठ हजार से ज्यादा टैक्सी वाली ब्लूस्मार्ट की मूल कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड लिस्टेड कंपनी है, लेकिन इसके मालिक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इसे निजी कंपनी की तरह चलाया।
- विवाद की मूल वजह जेनसोल को आईआरडीए और पीएफसी द्वारा दिए गए कर्ज का कथित दुरुपयोग है। कंपनी ने 977.75 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जिसमें से 663.89 करोड़ केवल 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए थे। जेनसोल वाहन खरीदकर ब्लूस्मार्ट को लीज पर दे देती थी।
- हालांकि, सेबी को दी गई जानकारी में जेनसोल ने माना कि इसने फरवरी तक 567.73 करोड़ देकर केवल 4,704 ईवी ही खरीदीं, जो ऋण लेते वक्त किए गए वादे के हिसाब से काफी कम थीं। जेनसोल को अपनी तरफ से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी की रकम देनी थी, जिससे खरीदारी की कुल रकम 829.86 करोड़ हो जाती और इस हिसाब से 262.13 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली।
- सेबी ने बैंक खातों की जांच की तो पता चला कि कई बार गो-आटो को ईवी खरीदारी के लिए भेजी गई रकम सीधे जेनसोल या अनमोल और पुनीत से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़े खातों में वापस भेज दी गई। मालिकों ने कंपनी के फंड को अपने ऐशो आराम के लिए खर्च किया।
- इनमें गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियाज में 43 करोड़ रुपये का लग्जरी फ्लैट खरीदना, अमेरिका से 26 लाख की गोल्फ किट मंगाना, घूमना-फिरना, रिश्तेदारों को पैसे भेजना, स्पा सेशन लेना और मालिकों को फायदा देने वाली उनकी दूसरी इकाइयों में निवेश करने के साथ लाखों का क्रेडिट कार्ड का भुगतान शामिल था।
- इसके अलावा 50 लाख रुपये अशनीर ग्रोवर के स्टार्टअप थर्ड यूनिकॉर्न में लगाए गए। 6.20 करोड़ अनमोल की मां और 2.98 करोड़ पत्नी के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए। जेनसोल ने कहा है कि कंपनी सेबी के निर्देशों का पालन करेगी और जांच में पूरा सहयोग करेगी। गुरुवार को इसके शेयरों में करीब पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और कंपनी के शेयर एक साल में 90 प्रतिशत तक गिर गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लूस्मार्ट के लिए करीब 10 हजार से ज्यादा ड्राइवर काम करते थे। सेबी के नोटिस के बाद कंपनी ने अस्थायी तौर पर अपना संचालन बंद कर दिया है। यूजर्स को तो साफ तौर पर कह दिया गया है कि अगर संचालन दोबारा शुरू नहीं हुआ, तो उनके वॉलेट की रकम वापस कर दी जाएगी।
लेकिन कंपनी के लिए काम करने वाले ड्राइवरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ड्राइवरों ने मांग की है कि उनकी कमाई और वादे के मुताबिक साप्ताहिक इंसेंटिव के 8 हजार रुपये तुरंत वापस किए जाएं। हालांकि कंपनी ने अभी तक इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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नए अध्यक्ष से जातिगत समीकरण साधेगी बीजेपी, UP विधानसभा चुनाव से पहले बनाया खास प्लान
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पीडीए फार्मूले से सपा प्रमुख अखिलेश यादव पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को आकर्षित करने के प्रयास में जुटे हुए हैं तो भाजपा तमाम कार्यक्रमों और अभियानों के इतर प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से भी जातीय समीकरण साधना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार, आंबेडकर और संविधान के मुद्दे पर विपक्ष की मुखरता और सतत कमजोर होती बसपा को देख भाजपा के रणनीतिकारों की प्राथमिकता में दलित पर दांव लगाना है, लेकिन उपयुक्त चेहरे को लेकर उलझन है। चूंकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ ओबीसी वोट भी मुट्ठी से फिसला है, इसलिए इस पर पकड़ मजबूत करने की चुनौती समानांतर है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को दी कड़ी टक्करअटकलें हैं कि संगठन में जिस वर्ग का पलड़ा तुलनात्मक रूप से हल्का दिखेगा, उसकी भरपाई सरकार में प्रतिनिधित्व बढ़ाकर की जा सकती है। एकजुट अल्पसंख्यक के साथ दलित और पिछड़ों का जातीय गुलदस्ता सजाकर सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को अच्छी चुनौती दी। विपक्ष फिर उसी प्रयास में है, इसलिए जातिगत जनगणना, संविधान और आंबेडकर के सम्मान के मुद्दों को अभी भी रणनीति में शामिल किए हुए है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार के सहारे भाजपा ने दलित और पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों के रूप में अपना वोटबैंक मजबूत बनाए रखा है, लेकिन राजनीति में संदेश का बड़ा महत्व माना जाता है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए भाजपा जातीय समीकरण साधने के मंथन में जुटी है।
लगातार दो बार ओबीसी वर्ग से बना बीजेपी प्रदेश अध्यक्षमहेंद्र नाथ पांडेय के बाद लगातार दो अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र चौधरी ओबीसी वर्ग से ही बनाए हैं। चौधरी पार्टी के 14वें अध्यक्ष हैं। इन चौदह में पांच ओबीसी और नौ सवर्ण पद संभाल चुके हैं, लेकिन दलित को एक बार भी मौका नहीं मिला है।
सूत्रों के अनुसार, अब चूंकि इस वर्ग पर राजनीतिक जोर बढ़ा है और दलितों का मोहभंग बसपा से काफी हो चुका है तो पार्टी रणनीतिकार इस वर्ग पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ध्यान रहे कि मायावती जाटव बिरादरी से हैं और कुल करीब 22 प्रतिशत दलितों में सर्वाधिक जनसंख्या इसी वर्ग की है, जिसे लुभाने के प्रयास योगी मंत्रि मंडल में भी दिखते हैं।
योगी मंत्रिमंडल में नौ मंत्री दलित समाज से56 सदस्यीय टीम योगी में नौ मंत्री दलित हैं तो उनमें चार जाटव बिरादरी से ही हैं। हालांकि, संगठन की कमान संभालने के लिए उपयुक्त चेहरे का भी संकट है। इसी तरह दूसरे नंबर पर सबसे अधिक जोर पिछड़ा वर्ग पर है, क्योंकि इनकी आबादी 50 प्रतिशत से अधिक मानी जाती है। बेशक, इनमें बड़ी भागीदारी रखने वाली यादव बिरादरी पर सपा का मजबूत प्रभाव है, लेकिन ओबीसी की अन्य जातियों पर अब तक भाजपा की मजबूत पकड़ है।
लोकसभा चुनाव में सपा ने कुछ सेंध लगाईलोकसभा चुनाव में कुछ सेंध सपा ने लगाई है, लेकिन इस वर्ग के लिए भाजपा सरकार के काम, सरकार और संगठन में मजबूत प्रतिनिधित्व के अलावा भाजपा ने गठबंधन सहयोगियों के सहारे भी इस वर्ग को साधने का प्रयास किया है। रालोद, अपना दल एस, सुभासपा और निषाद पार्टी ओबीसी की अलग-अलग जातियों की ही राजनीति प्रमुखत: करती हैं। फिर भी दलित वर्ग में अध्यक्ष की तलाश सफल नहीं होती तो भाजपा का लगातार तीसरा अध्यक्ष ओबीसी से हो सकता है।
भाजपा के साथ सकारात्मक पहलू यह भी है कि जातियों के समायोजन के लिए उसके पास संगठन के साथ सरकार भी है। 56 सदस्यीय मंत्रि मंडल में सवर्ण और ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग बराबर है। चार मंत्री और बनाए जा सकते हैं। अध्यक्ष बनाने में जिस वर्ग से पार्टी पीछे हटेगी, उसे सरकार में महत्वपूर्ण ओहदा देकर संदेश देने का प्रयास होगा, वह चाहे दलित हो, पिछड़ा हो या सवर्ण।
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TS EAPCET 2025 हॉल टिकट जारी, ऐसे डाउनलोड कर सकते हैं अपना एडमिट कार्ड
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना काउंसिल ऑफ हायर एजुकेशन ने टीएस ईएपीसीईटी (तेलंगाना स्टेट इंजीनियरिंग, कृषि और मेडिकल (फार्मेसी) कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) 2025 के लिए हॉल टिकट (प्रवेश पत्र) जारी कर दिए हैं। इम्तिहान में शामिल होने वाले कैंडिडेट अपने प्रवेश पत्र आधिकारिक वेबसाइट eapcet.tsche.ac.in से डाउनलोड कर सकते हैं।
प्रवेश पत्र डाउनलोड करने के लिए कैंडिडेट को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर, क्वालिफाइंग परीक्षा का हॉल टिकट नंबर और जन्म तारीख की जरूरत होगी।
प्रवेश पत्र के बिना इम्तिहान में प्रवेश नहींपरीक्षा केंद्र में प्रवेश पत्र लाना लाजमी है, बिना इसके कैंडिडेट्स को इम्तिहान में बैठने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, कैंडिडेट्स को एक मूल फोटो पहचान पत्र भी लाना होगा।
एग्जाम का शेड्यूलकृषि और फार्मेसी (A&P) के लिए सीईटी 29 और 30 अप्रैल, 2025 को आयोजित होगी। वहीं, इंजीनियरिंग परीक्षा के प्रवेश पत्र 22 अप्रैल को जारी होंगे, और यह इम्तिहान 2, 3 और 4 मई, 2025 को होगा।
टीएस ईएपीसीईटी 2025 प्रवेश पत्र डाउनलोड कैसे करें?-
आधिकारिक वेबसाइट eapcet.tsche.ac.in पर जाएं।
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होमपेज पर "टीएस ईएपीसीईटी हॉल टिकट डाउनलोड" लिंक पर क्लिक करें।
- अपना रजिस्ट्रेशन नंबर, क्वालिफाइंग परीक्षा का हॉल टिकट नंबर और जन्म तारीख दर्ज करें।
- आपका टीएस ईएपीसीईटी 2025 प्रवेश पत्र स्क्रीन पर दिखाई देगा।
- प्रवेश पत्र डाउनलोड करें और परीक्षा के लिए सुरक्षित रखें।
टीएस ईएपीसीईटी 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन 1 मार्च, 2025 से शुरू हुए और बिना लेट फीस के 4 अप्रैल तक चले। आवेदन सुधार विंडो 6 से 8 अप्रैल तक खुली थी। 2,500 रुपये की लेट फीस के साथ आवेदन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल थी।
कैंडिडेट्स को सलाह दी जाती है कि वह अपने प्रवेश पत्र समय पर डाउनलोड करें और इम्तिहान की तारीखों का खास ख्याल रखें। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें।
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'टैरिफ वार के झटके झेल भी लेंगे और उबर भी जाएंगे', अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने खास बातचीत में क्या-क्या कहा?
रुमनी घोष, नई दिल्ली। 'अमेरिका में रह रहे कुछ एनआरआई रिश्तेदार फोन करके अनुरोध कर रहे हैं कि पैरासिटामोल के चार पैकेट और एक आई-फोन ले आना...' प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, जाने-माने अर्थशास्त्री और लेखक संजीव सान्याल का यह 'एक्स' पोस्ट अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और फिर उसे 90 दिनों के लिए रोकने के बीच की अवधि में दुनियाभर में फैली अनिश्चितता को बड़े ही रोचक अंदाज में बयां करता है।
इसे पढ़कर चेहरे पर जो हल्की सी मुस्कुराहट उभरती है, वह तनावभरे माहौल को हल्का करने में मदद करती है। वहीं, शब्दों की गहराई सही समय पर उचित कदम उठाए जाने की ओर भी इशारा करती है।
बहरहाल, दोनों ही स्थितियों से साफ है कि इससे भारत के लिए एक ऐसा अवसर पैदा हो रहा है, जो पहले कभी भी नहीं रहा है। अपनी बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले संजीव सान्याल कहते हैं, कि मैं यह नहीं कहूंगा कि भारत को झटके नहीं लगेंगे..., लेकिन हम झेल भी लेंगे और उससे उबर भी जाएंगे।
इस वक्त भारत का एक ही लक्ष्य है-अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड समझौता । ... और यदि हमने सही समय पर कुछ ऐसे जरूरी कदम उठा लिए तो अमेरिका-चीन के बीच सुपर पावर बनने के लिए चल रहे संघर्ष के दौरान भारत को अपना बाजार तैयार करने का एक मौका मिल सकता है। यह मौका कैसे मिल सकता है? और इसके लिए भारत को क्या-क्या कदम उठाने पड़ेंगे?
इन सारे सवालों को लेकर दैनिक जागरण की समाचार संपादक रुमनी घोष ने उनसे विस्तार से बातचीत की। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियों में से एक रोड्स स्कॉलरशिप लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर कर लौटे सान्याल ने मल्टीनेशनल बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री के बतौर अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 2017 में वह वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए और उन्होंने भारत के आर्थिक सर्वेक्षण के छह संस्करण तैयार करने में मदद की।
वर्ष 2022 से वह प्रधान मंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए। उन्होंने जी-7 व आर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक-कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की बैठकों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू टैरिफ युद्ध किस दिशा में जा रहा है?
पहली बात यह याद रखिए कि मूलत: इसका भारत के साथ कोई लेना-देना नहीं है। यह वैश्विक आर्थिक ढांचा है...दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इसी ढांचे पर दुनिया चल रही थी। यह ढांचा अब टूटने लगा है। आप इतिहास में झांकेंगे तो पाएंगे कि यह उथल-पुथल स्वाभाविक है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के पहले ब्रिटिश साम्राज्य के सामने जर्मनी, जापान और अमेरिका तीन शक्तियां उभरने लगीं।
युद्ध के बाद आर्थिक ढांचा टूटा और अमेरिका सामने आकर खड़ा हुआ। कुछ समय के लिए सोवियत संघ भी इस दौड़ में शामिल रहा, लेकिन वर्ष 1991 के बाद अमेरिका ने कब्जा कर लिया और हेजिमोन (सुप्रीम लीडर) बनकर उभरा। हालांकि अभी दुनिया को 'युद्ध' में तो नहीं उतरना पड़ा है, लेकिन पावर ट्रांजिशन (शक्ति स्थानांतरण) के दौर में टर्बुलेंस (अशांति) रहेगा। सभी पर असर पड़ेगा।
ट्रंप कभी टैरिफ लगा देते हैं, कभी रोक देते हैं? इतना कन्फ्यूशन (उलझन) और केयोस (घोर अव्यवस्था) क्यों?
ट्रंप की शैली से शायद दुनिया आश्चर्यचकित हैं, लेकिन अमेरिका की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया अपेक्षित था। इसे इस तरह से समझिए कि यह 'राइजिंग स्टार' को रोकने की कोशिश है। जो पहले नंबर पर काबिज है, वह अपनी जगह पर बने रहने की पुरजोर कोशिश करेगा। वहीं जो दूसरे नंबर पर है, वह पहले स्थान पर काबिज होने की कोशिश करेगा।
इससे पहले भी ऐसा हुआ है। पहले विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन के खिलाफ जर्मनी और अन्य देश इसी तरह से खड़े हुए थे। उसके पहले भी यह स्थिति बनी थी। नेपोलियन का दौर था। उस समय फ्रांस के सामने ब्रिटेन इसी तरह खड़ा हुआ था। अब फिर से 'ग्लोबल आर्डर' टूट रहा है। ऐसे में ट्रंप नहीं भी होते तो अमेरिका की ओर से कोई ओर इस कदम को उठाता।
यानी आप कहना चाह रहे हैं कि ट्रंप की शैली पर दुनिया सवाल उठा सकती है, लेकिन यह घटनाक्रम पहले से ही तय था? क्या माना जाए कि यह सबकुछ पहले से ही योजनाबद्ध तरीके से तय था?
बिलकुल। ट्रंप की शैली को लेकर दुनिया सवाल खड़े कर सकती है, लेकिन यह घटनाक्रम तय था। इसकी वजह से पूरी दुनिया में जो उथल-पुथल हो रहा है या आने वाले समय में होगा... वह भी तय है। यह सबकुछ योजनाबद्ध है या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता। कभी न कभी दुनिया को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता।
बतौर अर्थशास्त्री आप लोगों ने कितने समय पहले यह भांप लिया था कि विश्वभर में इस तरह की स्थितियां बनेंगी?
यह दिखाई दे रहा था...धीरे-धीरे स्थितियां बन रही थीं। बाजार उस परिस्थिति तक पहुंच गया था कि इस समय यह होना ही था। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी टैरिफ लगाया गया था। बाइडन प्रशासन ने भी टैरिफ बढ़ाया।
ब्रिटेन के सामने उभरते हुए अमेरिका ने एक ढांचा तैयार किया था। उससे अमेरिका को फायदा हुआ और चीन जैसे देशों को भी उभरने का मौका मिला। बीते 30 साल में भारत की अर्थव्यवस्था में जो उभार आया, वह भी इसी ढांचे की वजह से था, लेकिन अब न तो यह अमेरिका के लिए कारगर साबित हो रहा था और न ही भारत जैसे देश के लिए। ऐसे में इसके टूटने पर अफसोस नहीं होना चाहिए। यदि अमेरिका अभी यह कदम नहीं उठाता तो चीन बहुत आगे निकल जाता और उसे रोकना असंभव हो जाता।
अब क्या होगा? अंत कैसे होगा?
अभी हम बहुत अनिश्चित परिस्थिति में हैं। बहुत कुछ हो सकता है। किस तरह से इसका अंत होगा, यह बताना बहुत मुश्किल है। चीन की प्रतिक्रिया पर काफी कुछ निर्भर करेगा। अमेरिका ने पुराना ढांचा तोड़ दिया है। नया ढांचा बनाने में वह सफल होगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अमेरिका के ट्रेडिंग पार्टनर्स देशों का इस व्यवस्था के प्रति कितना लगाव होगा, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। इसमें भारत का भी एक बड़ा रोल है।
अभी तक तो भारत खामोश है... क्या हमने (भारत ने) कोई स्टैंड नहीं लिया है?
हमारा स्टैंड स्पष्ट है। भारत अमेरिका के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त बाजार समझौता) करना चाहता है। इसके लिए दोनों देशों के बीच बात चल रही है और हम इसी पर ही ध्यान देंगे।
क्या चीन, भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा सकता है? हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी?
नहीं। अभी भारत का एकमात्र लक्ष्य है अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करना। दुनिया में सभी देशों के लिए यह उथल-पुथल है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत पर इसका असर कम है।
फ्री ट्रेड का मतलब क्या? भारत और अमेरिका के बीच बिना टैक्स के व्यापार?
अमेरिका को जो भी चीजें हम निर्यात करते हैं तो उसमें से दो-तिहाई हिस्सा सेवाएं हैं। इस पर कोई टैक्स नहीं है। बचे हुए एक-तिहाई गुड्स में से फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रानिक्स को हटा दिया गया है, यानी इन पर टैक्स नहीं है। ऐसे में बचे हुए गुड्स पर टैरिफ का दबाव फिलहाल बहुत सीमित रहेगा। मैं यह नहीं कहूंगा कि टैरिफ का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
आने वाले समय में जब दुनियाभर में उथल-पुथल बढ़ेगी, तो भारत को भी झटका लगेगा, लेकिन यह झटका हमारी सहनशक्ति के भीतर होगा। हम उस झटके को झेल भी लेंगे और उससे उबर भी जाएंगे। हड़बड़ी की जरूरत नहीं है। जरूरी यह है कि हम अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड पर ध्यान दें और उसमें ही आगे बढ़ें। ऐसा फ्री ट्रेड, जिसमें हमें भी फायदा हो और उन्हें भी।
भारत के अन्य कई देशों से भी व्यापार संबंध हैं। क्या उस पर असर नहीं होगा?
असर तो होगा। अन्य देशों से व्यापार करते वक्त हमें उनकी स्थितियों के आधार पर ही नीतियां तय करनी पड़ेंगी।
हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दिशा और दशा तय करने वाले दो प्रमुख हस्तियों के दो अलग-अलग बयान हैं। एक ओर आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है टैरिफ के कारण उत्पन्न अनिश्चितता विकास के लिए नकारात्मक है। वहीं भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वीए नागेश्वरन का कहना है यह अनिश्चितता हमारे लिए अवसर भी लेकर आ सकती है? क्या दोनों टिप्पणियां विरोधाभासी नहीं है?
नहीं। कोई विरोधाभास नहीं है। बाजार में उथल-पुथल की वजह से लगने वाले झटकों से बचाव के लिए आरबीआइ को सतर्क रहना पड़ेगा। आरबीआइ का काम है कि वह 'शाक एब्जार्बर' बनकर रहे। सरकार का काम है कि इन स्थितियों की वजह से जो अवसर बन रहे हैं, उसका लाभ उठाना है।
अवसर के क्या मायने हैं?
अमेरिका और चीन या अन्य देशों के बीच जो सप्लाय चेन टूट गया है, उस मौके का फायदा उठाकर हमारे उद्योगपति और निर्यातक अमेरिका में निवेश करें। अमेरिका के उद्योगपतियों से यहां निवेश करवाएं। भारत के लिए एक नया बाजार तैयार करें। हम यूके के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तैयारी कर रहे हैं। यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है।...और सिर्फ उद्योगपति या निर्यातकों के लिए ही नहीं बल्कि नीति निर्माताओं, विज्ञानियों सहित हर क्षेत्र के लोगों को सोचना होगा। यानी 'आल आफ नेशन'... पूरे देश को एक साथ और एक दिशा में सोचना होगा।
आपने और आर्थिक सलाहकार परिषद ने सरकार को क्या सुझाव दिए हैं?
मैं प्रोसेस रिफार्म, यानी सरकारी प्रक्रियाओं में बदलाव के बारे सुझाव देता हूं। इनमें से एक है डी रेग्यूलेशन कमीशन, जो 'इज आफ डूइंग बिजनेस' पर काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पर कमेटी बनाए जाने की बात कही है। इस दौर में यह बहुत अहम है, ताकि व्यापार को बढ़ावा मिल सके।
पहले विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1929 में ग्रेट डिप्रेशन (विश्वव्यापी मंदी) शुरू हुआ था? यह मंदी 1939 तक चली थी। तब भी अमेरिकी टैरिफ जिम्मेदार था। क्या इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है?
वैश्विक मंदी आ सकती है...लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे पास मौद्रिक और राजकोषीय क्षमता दोनों है। इसकी वजह से भारत मंदी की स्थिति से उबरने में काफी हद तक सक्षम है।
मंदी की बात आते ही लोग 1991 के दौर में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा उठाए गए कदमों को याद कर रहे हैं। क्या वर्तमान में हम उतने ही तैयार हैं?
दोनों स्थितियों की कोई तुलना ही नहीं है। वर्ष 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था 300 मिलियन डालर की थी और अभी हमारी अर्थव्यवस्था 4.3 ट्रिलियन डालर की है। हम कोविड जैसे बड़े 'इकोनमिक शाक' से बाहर आ गए हैं। सरकार की ओर से यह बता देना चाहता हूं कि हमारे पास बहुत विकल्प हैं। फारेन एक्सचेंज रिजर्व है। मानिटरी क्षमता है। अन्य भी विकल्प हैं। हम इससे उबर जाएंगे।
टैरिफ लागू होने की स्थिति में भारतीय निर्यातकों ने निर्यात ऋण बीमा का विस्तार करने की मांग की है, ताकि अमेरिकी बाजार में पकड़ बनाई रखी जा सके। आपकी राय?
उद्योगपति और निर्यातक यदि कोई मांग लेकर आते हैं, तो हम निश्चित रूप से उस पर गौर करेंगे। यह समय एक होकर मिलकर चलने का है।
एशियाई देशों पर कितना असर रहेगा?
इस उथल-पुथल से बहुत ही जटिल परिस्थितियां बन सकती हैं। हर देश की स्थिति अलग-अलग है। बांग्लादेश में तो आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियां दोनों अलग-अलग असर डालेंगी। वियतनाम की इकानामी चीन से बहुत जुड़ी हुई है। जब अमेरिका, चीन पर दबाव डालेगा तो उसका असर वियतनाम पर भी पड़ेगा। बहुत अनिश्चितता होगी। वह देश, जिसकी अर्थव्यवस्था बहुत ही लचीले ढंग से आगे बढ़ेगी, वह इस परिस्थिति से खुद को बाहर निकाल ले जाएगी।
मंदी से बचाव के लिए भारत सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए?
हमें अपने माइक्रो इकानामिक सिस्टम (सूक्ष्म आर्थिक प्रणाली)को बरकरार रखना चाहिए। वैश्विक दबाव में उसका संतुलन नहीं बिगड़ना चाहिए। इसके अलावा फ्री ट्रेड पर जोर, इज आफ डूइंग बिजनेस सिस्टम (आसान व्यापार प्रणाली) को विकसित करना, जुडिशरी सिस्टम को तेज करना होगा। इंफोर्समेंट आफ कांट्रेक्ट बहुत धीमा व परेशानी भरा है। हालांकि यह दीर्घावधि प्लान है। इंफ्रास्ट्रक्चर में हमने बहुत काम किया है, लेकिन और ज्यादा सुधार की जरूरत है।
मंदी में आम आदमी और नौकरीपेशा लोग सबसे ज्यादा असहाय महसूस करते हैं। उन्हें नौकरी जाने या व्यवसाय डूबने का डर रहता है। उनकी सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम है?
देखिए, हमारे नेतृत्व द्वारा जो नीतियां बनाई जा रही हैं, वह इन परिस्थितियों में आम लोगों और नौकरीपेशा लोगों के लिए 'कुशन' का काम करेगी। पूरी कोशिश है कि भारत पर कम से कम असर हो।
आप कह रहे हैं कि भारतीय निवेशकों, निर्यातकों, उद्योगपतियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। भारत के पास यह अवसर कितने समय के लिए है और इसके लिए हमें क्या-क्या करना होगा?
सबसे पहले हर भारतीय को यह सोचना चाहिए कि यह उथल-पुथल हमेशा खराब नहीं होता है। मैं यह नहीं कहूंगा कि समस्या नहीं है, लेकिन यह हमारे लिए अवसर भी है। हमें इसे तलाशना होगा। इसके लिए पूरे देश को एक होकर आगे बढ़ना होगा।
चीन जितनी देर बाजार से बाहर है, उतनी देर भारत के उद्योपति और निवेशकों के लिए मौका है। यह स्थिति अनिश्चित काल के लिए नहीं रहेगी। पिछली बार जब इस तरह की स्थिति बनी थी, तब भारत की अर्थव्यवस्था इतनी छोटी थी कि हम उस दौड़ में ही नहीं थे। अब हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी टैरिफ वार में हमारे निर्यातकों के लिए बहुत बड़ा अवसर हो सकता है।
'सिर्फ कुछ समय के लिए ही चीन मैदान में नहीं होगा... उस दौरान ही भारत के लिए मौका है कि वह उस खाली जगह को घेरे। इसके लिए पूरे देश को एक होकर आगे बढ़ना होगा।'
भारत-अमेरिका के बीच होगा ट्रेड एग्रीमेंट, 19 चैप्टर में डील का मसौदा तैयार; वाशिंगटन में होगी बातचीत
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए दोनों देशों द्वारा अंतिम रूप दिए गए संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में लगभग 19 अध्याय शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इनमें वस्तु, सेवाओं और सीमा शुल्क सुविधा जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। वार्ता को और गति देने के लिए, प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए औपचारिक रूप से बातचीत शुरू करने से पहले कुछ मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने के लिए एक भारतीय आधिकारिक दल अगले सप्ताह अमेरिका का दौरा कर रहा है।
भारत के मुख्य वार्ताकार, वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल, दोनों देशों के बीच आमने-सामने की पहली वार्ता के लिए टीम का नेतृत्व करेंगे। अग्रवाल को 18 अप्रैल को अगले वाणिज्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह एक अक्टूबर से पदभार ग्रहण करेंगे।
तीन दिवसीय वार्ता होगीअधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन में अमेरिकी समकक्षों के साथ तीन दिवसीय भारतीय आधिकारिक टीम की वार्ता बुधवार (23 अप्रैल) से शुरू होगी। यह यात्रा एक उच्चस्तरीय अमेरिकी टीम के भारत दौरे के कुछ ही सप्ताह के भीतर हो रही है। यह बताती है कि बीटीए के लिए वार्ता गति पकड़ रही है।
पिछले महीने दोनों देशों के बीच वरिष्ठ अधिकारी स्तर की वार्ता हुई थी। दक्षिण और पश्चिम एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडनलिंच भारतीय अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण व्यापार चर्चा के लिए 25 से 29 मार्च तक भारत में थे।
शरद ऋतु तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का रखा लक्ष्यदोनों पक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुल्क पर नौ अप्रैल को घोषित 90 दिन की रोक का उपयोग करना चाहते हैं। इससे पहले, 15 अप्रैल को वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा था कि भारत अमेरिका के साथ जल्द से जल्द वार्ता को समाप्त करने का प्रयास करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार उदारीकरण का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। दोनों पक्षों ने इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिसका मकसद वर्तमान में लगभग 191 अरब डॉलर से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। व्यापार समझौते के तहत दो देश व्यापार होने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को काफी कम कर देते हैं और समाप्त कर देते हैं। वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है अमेरिका2021-22 से 2024-25 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका का लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत हिस्सा है। अमेरिका के साथ, भारत का 2024-25 में 41.18 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) था। 2023-24 में यह 35.32 अरब डॉलर, 2022-23 में 27.7 अरब डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब डॉलर और 2020-21 में 22.73 अरब डॉलर था।
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सऊदी अरब के दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, क्राउन प्रिंस ने दिया था न्योता; जानिए किन समझौतों पर लग सकती है मुहर
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और सउदी अरब के बीच रक्षा, कारोबार, ऊर्जा व सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक अगले हफ्ते होगी। बैठक की सह-अध्यक्षता पीएम नरेन्द्र मोदी और सउदी अरब के क्राउन प्रिंस व प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान करेंगे।
पीएम मोदी 22-23 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। पीएम मोदी की तरफ से सउदी अरब के क्राउन प्रिंस के समक्ष भारत से जाने वाले हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। पीएम मोदी की यह तीसरी सउदी यात्रा होगी। इस बार की यात्रा में रक्षा और कारोबारी सहयोग दो प्रमुख एजेंडा होगा।
मौजूदा वैश्विक माहौल पर होगी चर्चा- वैसे शीर्ष नेताओं के बीच होने वाली बैठक में मौजूदा वैश्विक माहौल को लेकर भी चर्चा होगी। पीएम मोदी की इस दौरे की सबसे खास पहलू रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक होगी। वर्ष 2019 में इस परिषद की स्थापना की गई थी। तब सउदी अरब ने भारत को दुनिया के उन सात देशों में शामिल किया था जिसके साथ वह रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने की बात कही थी।
- इस परिषद की पहली बैठक वर्ष 2023 में हुई थी। परिषद के तहत आपसी साझेदारी को मजबूत बनाने के अलग अलग क्षेत्र में कई तरह की समितियों का गठन किया गया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि, 'इन समितियों की लगातार बैठकें हो रही थी। कारोबार, निवेश व रक्षा क्षेत्र में गठित समितियों की भी बैठकें हुई हैं। इसकी अब दोनों शीर्ष नेताओं के स्तर पर समीक्षा होगी।'
- जिस तरह से मध्य एशियाई क्षेत्र की स्थिति है उसमें भारत को उम्मीद है कि वह सउदी अरब को हथियारों की आपूर्ति करने में एक प्रमुख देश होगा। भारत के लिए सऊदी अरब की अहमियत इसलिए भी है कि यह देश इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी का एक मजबूत सदस्य है। पाकिस्तान इस संगठन में जिस तरह से भारत विरोधी मुद्दों को हवा देने की कोशिश करता है, उससे संतुलित करने के लिए भारत को सऊदी अरब की मदद चाहिए।
विदेश सचिव मिसरी ने कहा कि, 'पाकिस्तान की पुरानी आदत है कि वह ओआईसी का गलत इस्तेमाल करता है। हम उसकी आदतों को लेकर अपने दूसरे मित्र देशों को जानकारी देते रहते हैं।' उन्होंने यह भी बताया कि आगामी यात्रा में हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने पर भी बात होगी। यह भारत की प्राथमिकता रही है कि हज यात्रा पर जाने वाला कोटा बढ़ाई जाए।
भारत को सउदी अरब के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएं दिख रही हैं। सउदी अरब को रक्षा उपकरणों के आपूर्तिकर्ता के तौर पर भारत स्थापित हो रहा है। लेकिन भारत दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र के संस्थानों के बीच बेहतर संबंध को बढ़ावा देना चाहता है। ताकि दोनों देशों के भी ज्यादा सैन्य अभ्यास हो, उच्च स्तर पर दौरे हों।'
- विदेश सचिव विक्रम मिसरी
इस सतत कोशिश की वजह से ही भारत का कोटा 1.36 लाख से बढ़ कर 2.75 लाख हो चुका है। भारत इस मुद्दे को आगे भी सउदी सरकार के लोगों के समक्ष उठाती रहेगी। बताते चलें कि सउदी अरब में 27 लाख भारतीय रहते हैं। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के मामले में सउदी अरब दूसरा सबसे बड़ा देश है। पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान एक ऐसे फैक्ट्री का भी दौरा करेंगे जहां बड़ी संख्या में भारतीय श्रमिक काम कर रहे हैं।
निवेश पर सऊदी से करेंगे बातपीएम मोदी के इस दौरे में सऊदी अरब से होने वाले निवेश का मुद्दा भी उठाया जाएगा। वर्ष 2019 में सउदी अरब की तरफ से 100 अरब डॉलर का निवेश भारत में करने की घोषणा की गई थी। लेकिन बाद में सउदी अरब की तरफ से भारत में निवेश के माहौल को लेकर चिंता जताई गई है। इस बारे में विदेश सचिव मिसरी ने बताया कि, “सउदी अरब से भारत में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। जो मुद्दे सउदी अरब की तरफ से उठाए गए थे, हम उन पर बहुत गंभीरता से विचार कर रहे हैं।'
कहा कि 'उन पर एक उच्चस्तरीय संयुक्त कार्य दल की तरफ से विचार किया जा रहा है। यह अक्टूबर, 2023 में गठित हुई थी। इस बारे में गठित कार्य दल की अध्यक्षता पीएमओ के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा करते हैं। जबकि सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री दूसरे दल की अध्यक्षता करते हैं। इसकी कई बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें निवेश के माहौल को लेकर काफी विमर्श हुआ है। अब सउदी अरब की ¨चताओं को दूर करने को लेकर उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं।'
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