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'हम पर तो पहले ही आरोप है कि...', क्या OTT और सोशल मीडिया पर बंद होंगे अश्लील कंटेंट? SC ने दिया दो टूक जवाब

Dainik Jagran - National - April 28, 2025 - 4:00pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले वक्फ संशोधन कानून से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समय सीमा निर्धारित की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के लिए भी उन विधायकों पर कार्रवाई की समयसीमा निर्धारित की। अदालत के इस फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिंता जाहिर की थी। उपराष्ट्रपति ने कहा था कि कोर्ट के कार्यपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वहीं, उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका ही सुप्रीम है।

इसी बीच आज सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, जिस पर आज अदालत ने सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर एक्शन लेते हुए केंद्र सरकार समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी किया है।

कानून बनाना कार्यपालिका का काम: कोर्ट

हालांकि, इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि इस मामले कानून बनाना सरकार की जिम्मेदारी है।  यह कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। वैसे भी हम पर कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लग रहा है।

याचिका में दावा किया गया कि कुछ वेबसाइट बिना फिल्टर के अश्लील सामग्री प्रसारित कर रही हैं और कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐसी सामग्री स्ट्रीम कर रहे हैं जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी की भी संभावना है।

कोर्ट ने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को जारी किया नोटिस

ओटीटी पर अश्लील कंटेंट को बैन की मांग को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी किया।  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अलावा नेटफ्लिक्स, उल्लू डिजिटल लिमिटेड, ऑल्ट बाला जी, ट्विटर, मेटा प्लेटफार्म और गूगल को नोटिस दिया है।

पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहुरकर समेत कुछ लोगों ने ओटीटी पर मौजूद अश्लील कंटेंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में केंद्र सरकार से नेशनल कंटेंट कंट्रोल अथॉरिटी (NCCO) का गठन करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी प्लेटफॉर्म अश्लीलता को रोकने के लिए दिशा निर्देश तय करना चाहिए।

यह भी पढ़ें: ओटीटी और सोशल मीडिया पर बंद होंगे अश्लील कंटेंट? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ नई याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार, कहा- हम 5 पर...

Dainik Jagran - National - April 28, 2025 - 3:48pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली नई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वो 100 याचिकाओं को एंटरटेन नहीं करेंगे। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता सैयद अली अकबर के वकील से कहा कि वे लंबित पांच मामलों में हस्तक्षेप आवेदन दायर करें, जिन पर अंतरिम आदेश पारित करने के लिए 5 मई को सुनवाई होगी।

सीजेआई ने कहा, आप इसे वापस ले लें, हमने 17 अप्रैल को एक आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि केवल पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी।

कोर्ट ने क्या कहा?

17 अप्रैल को, पीठ ने अपने समक्ष कुल याचिकाओं में से केवल पांच पर सुनवाई करने का फैसला किया और मामले का शीर्षक रखा। 'इन री: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025'। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कर्नाटक राज्य एयूक्यूएएफ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनवर बाशा (वकील तारिक अहमद द्वारा प्रतिनिधित्व), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद सहित लगभग 72 याचिकाएं कानून के खिलाफ दायर की गई थीं।

कब होगी अगली सुनवाई?

तीन वकीलों को नोडल वकील नियुक्त करते हुए, पीठ ने वकीलों से आपस में तय करने को कहा कि कौन बहस करने जा रहा है। याचिकाकर्ताओं को सरकार के जवाब की सेवा के पांच दिनों के भीतर केंद्र के जवाब पर अपने जवाब दाखिल करने की अनुमति दी गई। पीठ ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि अगली सुनवाई (5 मई) प्रारंभिक आपत्तियों और अंतरिम आदेश के लिए होगी।'

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