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'महिलाएं राफेल उड़ा सकती हैं, तो सेना की कानूनी शाखा में क्यों नहीं जा सकती', SC ने केंद्र से किए सवाल; जानें क्या है पूरा मामला
पीटीआई, नई दिल्ली। आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सवाल किया है, जो काफी ज्यादा सुर्खियों में आ गया है।
दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल करते हुए पूछा है कि यदि भारतीय वायुसेना में (IAF) में एक महिला राफेल लड़ाकू विमान उड़ा सकती है, तो सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच के जेंडर-न्यूट्रल पदों पर कम हमला अधिकारी क्यों हैं?
क्या है मामला?
दो महिला अधिकारियों अर्शनूर कौर और आस्था त्यागी ने याचिका दायर की थी कि उनके चौथा और पांचवां रैंक होने के बावजूद, मेरिट में अपने पुरुष साथियों की तुलना में ज्यादा होने के बाद भी, महिलाओं के लिए कम वैकेंसीज की वजह से जेएजी डिपार्टमेंट के लिए उन्हें सेलेक्ट नहीं किया गया।
इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें, दोनों महिला अधिकारियों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए असमानुपातिक रिक्तियों को चुनौती दी थी और कहा था कि उनका चयन नहीं किया जा सकता क्योंकि कुल छह पदों में से महिलाओं के लिए केवल तीन रिक्तियां थी।
SC ने दिए यह निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, "पहली नजर में हम याचिकाकर्ता अर्शनूर कौर द्वारा स्थापित मामले से संतुष्ट हैं। हम प्रतिवादियों को निर्देश देते हैं कि वे जज एडवोकेट जनरल (JAG) के रूप में नियुक्ति के लिए अगले ट्रेनिंग कोर्स में उसे शामिल करने से जो भी कार्रवाई जरूरी है, उसे शुरू करें।"
बेंच ने एक अखबार के लेख का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक महिला पायलट राफेल लड़ाकू विमान उड़ाएगी और कहा कि ऐसी स्थिति में उसे युद्ध बंदी के रूप में भी लिया जा सकता है।
जस्टिस दत्ता ने केंद्र और सेना की ओर से पेश एडशिनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा, "अगर इंडियन एयरफोर्स में किसी महिला के लिए राफेल लड़ाकू विमान उड़ाना जायजा है, तो सेना के लिए जेएजी में ज्यादा महिलाओं को अनुमति देना इतना मुश्किल क्यों है?"
क्या दलील पेश की गई?
बेंच को बताया गया कि दूसरी याचिकाकर्ता आस्था त्यागी कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान भारतीय नौसेना में शामिल हो गई थीं। इसके बाद अदालत ने पदों को जेंडर-न्यूट्रल होने का दावा करने के बावजूद महिलाओं के लिए कम पद निर्धारित करने के लिए केंद्र से सवाल किया।
ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सेना में जेएजी ब्रांच सहित महिला अधिकारियों की भर्ती और नियुक्ति इसकी परिचालन तैयारियों को ध्यान में रखते हुए एक प्रगतिशील प्रक्रिया है।
सुप्रीम कोर्ट के सवाल
सर्वोच्च न्यायालय ने आगे पूछा कि पदों को जेंडर-न्यूट्रल क्यों कहा गया है, जबकि उच्च योग्यता वाली महिला उम्मीदवार योग्य नहीं थीं, क्योंकिय रिक्तियां अभी भी लिंग के आधार पर विभाजित हैं।
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगर 10 महिलाओं योग्यता के आधार पर जेएजी के लिए योग्य हैं, तो क्या उन सभी को जेएजी ब्रांच के अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
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PAK के 'भाईजान' का होगा बॉयकॉट? हमारे कारोबार घटाने से तुर्किये और अजरबैजान पर कितना पड़ेगा असर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत ने जब पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई की थी, उसके बाद पाकिस्तान बौखला गया था और फिर उसने भारत पर ड्रोन्स और मिसाइल के जरिए हमला करने की कोशिश की थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के दौरान दो ऐसे देश भी दुनिया के सामने एक्सपोज हो गए, जिसने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। तुर्किये और अजरबैजान का असली चेहरा दुनिया के सामने आ चुका है। दरअसल, पाकिस्तान ने भारत पर जो ड्रोन दागे थे, उनमें से कुछ 'मेड इन तुर्किये' के भी थे।
तुर्किये के ड्रोन्स को भारतीय डिफेंस सिस्टम ने क्या ध्वस्त
पाकिस्तान ने तुर्किये के जिन ड्रोन्स का इस्तेमाल भारत पर किया था उसे भारतीय डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया और उनके अवशेष नई दिल्ली के पास मौजूद है। तुर्किये अब इन सबूतों को नकार नहीं सकता है।
तुर्किये और अजरबैजान की इस नीयत का अब देशभर में कड़ा विरोध हो रहा है और आम लोगों के साथ-साथ बड़े नेताओं ने भी दोनों देशों का विरोध किया है। इसी कड़ी में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी एक्स पर पोस्ट कर विरोध जताया है।
निशिकांत दुबे का पोस्ट
उन्होंने लिखा, " तुर्किये और अजरबैजान हम भारतीय को जाना बंद कर देना चाहिए। पाकिस्तान के किसी भी समर्थक देश के साथ कोई रिश्ता नहीं, दुश्मन का दोस्त दुश्मन।"
तुर्की और अज़रबैजान हम भारतीय को जाना बंद करना चाहिए, पाकिस्तान के किसी भी समर्थक देश के साथ कोई रिश्ता नहीं, दुश्मन का दोस्त दुश्मन
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) May 14, 2025न सिर्फ भाजपा सांसद, बल्कि देश के अंदर से भी तुर्किये के प्रोडक्ट्स और अजरबैजान के सामानों को बॉयकॉट करने की मांग उठ रही है। कई लोगों ने तुर्किये जाने के टिकट भी कैंसिल किए हैं और लोगों से ये दोनों देश न जाने की अपील भी की है। आईए जानते हैं भारत तुर्किये और अजरबैजान से क्या-क्या व्यापार करता है...
भारत का इन दोनों देशों से कितना है व्यापार?
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये को भारत का निर्यात 5.2 बिलियन अमेरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.65 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 437 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात का सिर्फ 1.5 प्रतिशत है।
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान को भारत का निर्यात केवल 86.07 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 89.67 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल निर्यात का मात्र 0.02 प्रतिशत है।
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये से भारत का आयात 2.84 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 720 बिलियन अमरीकी डॉलर के आयात का केवल 0.5 प्रतिशत है।
- अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान से आयात 1.93 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 0.74 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल आवक शिपमेंट का मात्र 0.0002 प्रतिशत है।
भारत तुर्किये से कौन-कौन से सामानों का करता है आयात-निर्यात?
- निर्यात:- खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 960 मिलियन अमरीकी डॉलर), विद्युत मशीनरी और उपकरण, ऑटो और उसके पुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मा उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबर, कपास, मानव निर्मित फाइबर और तंतु, लोहा और इस्पात शामिल है।
- आयात:- विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब), ताजे सेब (लगभग 10 मिलियन अमरीकी डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल (2023-24 में 1.81 बिलियन अमरीकी डॉलर), रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात।
भारत अजरबैजान से कौन-कौन से सामानों का करता है आयात-निर्यात?
- निर्यात:- तम्बाकू और उसके उत्पाद (2023-24 में 28.67 मिलियन अमरीकी डॉलर), चाय, कॉफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, कागज और पेपर बोर्ड और सिरेमिक उत्पाद।
- आयात:- पशु चारा, जैविक रसायन, आवश्यक तेल और इत्र और कच्ची खालें और चमड़ा। 2023 में, भारत अज़रबैजान के कच्चे तेल के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य था।
तुर्किये और अजरबैजान में कितने भारतीय हैं और कितने भारतीय पर्यटक जाते हैं ये दोनों देश?
- वर्तमान में तुर्किये में लगभग 3,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें 200 छात्र शामिल हैं।
- अजरबैजान में भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या 1,500 से ज्यादा है।
- अनुमान के अनुसार, 2023 में लगभग 3 लाख भारतीय पर्यटक तुर्किये और 2 लाख से अधिक अजरबैजान गए।
चीन के बाद तुर्किये के प्रोपेगेंडा पर भारत की कार्रवाई, TRT वर्ल्ड के 'एक्स' अकाउंट पर लगाया बैन
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