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यूपी के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक, जानें UP पुलिस से सु्प्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 8:18pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह आलेख लिखने व एक्स पर कुछ पोस्ट करने के लिए दर्ज चार एफआईआर के सिलसिले में दो पत्रकारों को चार और हफ्तों तक गिरफ्तार न करे। जस्टिस एमएम सुंद्रेश व जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने अपने पूर्व के आदेश की अवधि बढ़ा दी और राज्य पुलिस को आदेश दिया कि वह पत्रकारों अभिषेक उपाध्याय व ममता त्रिपाठी के विरुद्ध चार और हफ्तों तक कोई दंडात्मक कदम न उठाए।

इस बीच दोनों पत्रकार उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद कराने के लिए कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं। उपाध्याय ने एक आलेख में उत्तर प्रदेश में जिम्मेदार पदों पर तैनात एक खास जाति के लोगों को चिह्नित किया था। वहीं, ममता त्रिपाठी के विरुद्ध उनकी कुछ पोस्ट के संबंध में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। शीर्ष अदालत की पीठ ने उपाध्याय एवं त्रिपाठी दोनों की याचिकाओं का निपटारा कर दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट मामले पर सुप्रीम कोर्ट

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने दो वकीलों को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट से जारी बयान में कहा है कि 25 मार्च को कोलेजियम की बैठक में अधिवक्ता अमिताभ कुमार राय और राजीव लोचन शुक्ला को जज बनाने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश खन्ना के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ शामिल थे।

पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट  ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना मनुष्य की हत्या से भी गंभीर मामला है। न्यायालय ने अवैध रूप से काटे गए प्रत्येक पेड़ के लिए एक व्यक्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की, जिसने संरक्षित ताजमहल परिक्षेत्र में 454 पेड़ काट डाले थे।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी जघन्य है। बिना अनुमति के काटे गए 454 पेड़ों से जो हरित क्षेत्र था, उसी तरह का हरित क्षेत्र फिर से उत्पन्न करने में कम-से-कम 100 वर्ष लगेंगे। अदालत ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की वह रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, जिसमें शिवशंकर अग्रवाल नामक व्यक्ति द्वारा मथुरा-वृंदावन में डालमिया फार्म में 454 पेड़ काटने के लिए प्रति पेड़ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी।

अग्रवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन न्यायालय ने जुर्माना राशि कम करने से इनकार कर दिया। बताते चलें, ताज ट्रेपेजियम जोन उत्तर प्रदेश में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा तथा राजस्थान के भरतपुर जिले के करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।

शीर्ष अदालत ने अपने 2019 के उस आदेश को भी वापस ले लिया, जिसमें ताज ट्रेपेजियम जोन के भीतर गैर-वन और निजी भूमि पर पेड़ों को काटने के लिए अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता को हटा दिया गया था। पीठ ने कहा कि अग्रवाल को निकटवर्ती स्थल पर पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए तथा उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निपटारा फैसले के अनुपालन के बाद ही किया

कर्नाटक 'हनी-ट्रैप' मामले पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के एक मंत्री और अन्य नेताओं से जुड़े कथित 'हनी-ट्रैप' के प्रयास की सीबीआई जांच कराने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की तीन जजों की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

याचिका में यह भी मांग की गई थी कि जांच की निगरानी या तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाए या फिर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील बरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि मीडिया में बताए गए आरोपों के पीछे के लोगों के खिलाफ गहन जांच की जरूरत है।

याचिका में कहा गया है कि कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा जजों को 'हनी ट्रैप' में फंसाना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है। याचिका में कहा गया कि 21 मार्च, 2025 को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने कर्नाटक राज्य विधानमंडल यानी विधान सौधा में परेशान करने वाले आरोपों की रिपोर्टें चलाईं कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने का इच्छुक एक व्यक्ति कई लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने में सफल रहा है, जिनमें जज भी शामिल हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा प्रकाशित की गई है)

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नई करेंसी की प्लानिंग कर रहा भारत, चीन और रूस! डॉलर को लेकर अमेरिका ने ब्रिक्स देशों पर लगाया बड़ा आरोप

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 7:56pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार नहीं बल्कि कम से कम तीन सार्वजनिक मंचों पर आधिकारिक तौर पर यह बात बोल चुके हैं कि भारत की ब्रिक्स संगठन के साथ मिल कर अंतरराष्ट्रीय काराबोर से अमेरिकी डॉलर को बाहर करने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन यह बात अमेरिका की नई सत्ता को अभी तक समझ नहीं आई है।

ब्रिक्स कर रहा डि-डॉलराइजेशन की कोशिश: अमेरिका 

मंगलवार को अमेरिका की खुफिया विभाग की तरफ से जारी सालाना रिपोर्ट ( यह रिपोर्ट संभावित अमेरिकी हितों के समक्ष उत्पन्न संभावित खतरों को लेकर होती है) में यह बात दोहराई गई है कि रूस, भारत, चीन की सदस्यता वाला संगठन ब्रिक्स की तरफ से डि-डॉलराइजेशन (अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डॉलर के इस्तेमाल को कम करने या खत्म करने की प्रक्रिया) की कोशिश की जा रही है। वैसे इसके लिए रूस की नीति को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन रिपोर्ट में भारत का भी नाम है।

अभी तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। वैसे अमेरिका के इस रूख को लेकर भारत बहुत ज्यादा गंभीर भी नहीं दिखता।

विदेश मंत्रालय ने बताया है कि 24-25 मार्च, 2025 को भी ब्रिक्स संगठन के सदस्य देशों के बीच 10वीं नीतिगत योजना बैठक हुई है। बैठक ब्राजील में हुई जिसमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के अलावा हाल ही में संगठन में शामिल नये सदस्य देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया है।

भविष्य को लेकर ब्रिक्स सदस्यों ने बनाई योजना 

इसमें मुख्य तौर पर ब्रिक्स को एक संस्था के तौर पर विकसित करने के विषय पर विमर्श किया गया है। साथ ही हाल के विस्तार के बाद संगठन का भावी एजेंडा व प्राथमिकता क्या होनी चाहिए, इस पर भी विमर्श किया गया है। विदेश मंत्रालय के अलावा अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मौजूदा स्थिति, आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस गवर्नेंस और बहुदेशीय शांति सुरक्षा फ्रेमवर्क में बदलाव जैसे दूसरे मुद्दे भी बैठक में उठे।

अमेरिका पर संभावित खतरे को लेकर जारी की गई रिपोर्ट  

इन विषयों से संबंधित कुछ फैसले इस साल के शिखर सम्मेलन में होने की संभावना है। अमेरिका पर संभावित खतरे विषय पर तैयार रिपोर्ट तुसली गबार्ड के कार्यालय ने जारी की है। तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया एजेंसी की निदेशक हैं। हाल ही में गबार्ड ने भारत की यात्रा की थी।

बहरहाल, इस सालाना रिपोर्ट में रूस को अमेरिका के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर चिन्हित किया गया है। इसके मुताबिक, “रूस की तरफ से पश्चिमी देशों की केंद्रीय भूमिका वाली अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश हो रही है।

ब्राजील, भारत, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सदस्या वाला ब्रिक्स डि-डॉलरलाइजेशन की नीति को आगे बढ़ा रहे हैं।'' वैसे पूरी रिपोर्ट में भारत के लिए एकमात्र अच्छी बात यह है कि इसमें लश्कर-ए-तैयबा जैसे भारत विरोधी आंतकी संगठन को अमेरिका के लिए भी खतरा के तौर पर चिन्हित किया गया है। संभव है कि इन संगठनों के खिलाफ अमेरिकी एजेंसी का दबाव आने वाले दिनों में और देखने को मिले।

यह भी पढ़ेंTrump का यूृ-टर्न, उपराष्ट्रपति की पत्नी उषा वेंस नहीं करेंगी ग्रीनलैंड का दौरा; अचानक अमेरिका ने क्यों लिया ये फैसला?

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